जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है?

शेयर मार्किट में शेयर खरीदने और बेचने का पूरा प्रोसेस क्या है?
इस विडियो में पूरी डिटेल्स में दिखाया गया है की आप शेयर मार्किट में अकाउंट खोल कर उसमे शेयर कैसे खरीद और बेच सकते है और साथ ही शेयर की रिसर्च कैसे कर सकते है जिससे आपको पता रहे की कोनसा शेयर अच्छा है
Demat और Trading Account खोलने के लिए आपको जिन डोक्यूमेंट्स की जरूरत होगी
- PAN Card
- Aadhar Card
- Income Proof (for IPO only)
- Cancel Cheque
- Signature
- Live photo with code
इन सभी दस्तावेज़ों को जमा करते समय इस बात का ध्यान रखें इन सभी प्रमाण पत्रों में आपका नाम सही और स्पष्ट लिखा हो और एक ही तरीके से लिखा हो
शेयर खरीदना और बेचना
सब पहले आपको zerodha पर अपना डीमैट अकाउंट खोल लेना है जो की बहुत आसान है इसके बाद जब आपका डीमैट अकाउंट एक्टिवेट हो जाये तो आप उसमे लॉगिन करके पहले शेयर रिसर्च करेंगे की कोनसी कंपनी के शेयर खरीदने में आपको फायदा होगा।
शेयर आप 2 तरह से खरीदते है एक तो सुबह खरीद कर शाम में बेचने के लिए जिसको इंट्राडे ट्रेडिंग बोलते है और दूसरे शेयर को होल्ड करने के लिए कुछ दिन या महीनों के लिए। दोनों ही तरीके अपनी जगह पर जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? अच्छे है लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करना बेस्ट होता है जिसमे लॉस कम और फायदा ज़्यादा होता है।
zerodha डैशबोर्ड में आप आसानी से कोई भी कंपनी का शेयर खरीद सकते है और उसको बेच सकते है। शेयर मार्किट के लिए डीमैट अकाउंट कैसे खोले और उसके बाद शेयर कैसे ख़रीदे और कैसे बेचे और शेयर रिसर्च कैसे करे ये सब चीज़े लाइव देखने के लिए आप ये वीडियो देखिये
T+1 सेटलमेंट सिस्टम आज से शुरू होगा, जानिए क्या है यह और इसका आपकी ट्रेडिंग पर क्या असर होगा?
शुरुआत में T+1 सेटलमेंट सिस्टम के तहत सिर्फ 100 कंपनियों के शेयर आएंगे, इन कंपनियों का सेलेक्शन मार्केट वैल्यूएशन के आधार पर होगा
what is T+1 settlement system: शेयरों के सेटलमेंट का T+1 सिस्टम (T+1 Settlement System) आज यानी 25 फरवरी से लागू हो रहा है। पहले चरण में इस सिस्टम के दायरे में कुछ शेयर आएंगे। धीरे-धीरे बाकी शेयरों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। यह सिस्टम एनएसई (NSE) और बीएसई (BSE) दोनों ही स्टॉक एक्सचेंजों के शेयर सौदों पर लागू होगा। T+1 सेटलमेंट सिस्टम क्या है, इसका क्या फायदा है, इनवेस्टर्स के लिए इसका क्या मतलब है? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
सेटलमेंट सिस्टम क्या है?
जब आप शेयर बेचते या खरीदते हैं तो पैसा आपके सेविंग अकाउंट में या शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आने में कुछ समय लगता है। यह प्रोसेस एक सिस्टम के जरिए पूरा होता है, जिसे सेटलमेंट सिस्टम कहते हैं। अभी इंडिया में T+2 सेटलमेंट सिस्टम लागू है। इसका मतलब है कि बाय या सेल के ऑर्डर के 2 दिन में शेयरों का सेटलमेंट पूरा होता है। इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपने सोमवार को कोई शेयर खरीदा है तो बुधवार तक ही आपके डीमैट अकाउंट में आएगा।
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करीब 19 साल बाद सेबी सेटलमेंट सिस्टम में बदलाव कर रहा है। इससे पहले अप्रैल 2003 में T+3 सेटलमेंट सिस्टम की जगह T+2 सेटलमेंट सिस्टम लागू किया गया था। जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? इसका मतलब है कि तब शेयर आप तक पहुंचने में तीन दिन का समय लग जाता था। T+1 सेटलमेंट सिस्टम लागू होने के बाद 24 घंटे के अंदर शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे।
T+1 सेटलमेंट सिस्टम का क्या फायदा है?
सेबी ने पिछले साल सितंबर में T+1 सेटलमेंट सिस्टम का प्लान पेश किया था। दरअसल, शेयर मार्केट्स से जुड़े कई पक्ष सेटलमेंट साइकिल को कम करने की मांग कर रहे थे। इस बारे में काफी सोचविचार करने के बाद सेबी ने सेटलमेंट की दोनों तरह की व्यवस्था लागू रखने का फैसला किया। स्टॉक एक्सचेंज को यह ऑप्शन दिया गया कि वे जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? चाहे तो नए सिस्टम को अपना सकते हैं या मौजूदा सिस्टम के साथ बने रह सकते हैं।
बीएसई और एनएसई ने नवंबर में इस बारे में संयुक्त बयान जारी किए। इसमें कहा गया कि वे फरवरी से चरणबद्ध तरीके से सेटलमेंट की नई व्यवस्था अपनाने को तैयार हैं।
T+1 सेटलमेंट सिस्टम के तहत कौन-कौन से शेयर आएंगे?
शुरुआत में T+1 सेटलमेंट सिस्टम के तहत सिर्फ 100 कंपनियों के शेयर आएंगे। इन कंपनियों का सेलेक्शन मार्केट वैल्यूएशन के आधार पर होगा। सबसे कम वैल्यूएशन वाली 100 कंपनियों को शुरू में इसका हिस्सा बनाया जाएगा। फिर, अगले हर महीने के शुक्रवार को 500 कंपनियों के शेयरों को इस सूची में लाया जाएगा। यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी शेयर नई व्यवस्था के तहत नहीं आ जाते।
आप पर क्या पड़ेगा असर?
चूंकि शुरुआत में नए सिस्टम के तहत सबसे कम वैल्यूएशन वाली सिर्फ 100 कंपनियां आएंगी, इसलिए अगर आप पेनी स्टॉक में ट्रेडिंग करते हैं तभी आप पर असर पड़ेगा। असर यह होगा कि ऑर्डर देने के अगले दिन शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएगा। या शेयर बेचने पर पैसा अगले दिन आपके सेविंग अकाउंट में आ जाएगा। चूंकि, हर महीने इस सूची में शेयरों की संख्या बढ़ती रहेगी, जिससे कुछ समय के बाद सभी कंपनियो के शेयर इस सिस्टम के तहत आ जाएंगे। इससे आप जो भी शेयर खरीदेंगे या बेचेंग उसका सेटलमेंट जल्द हो जाएगा।
शेयर बाजार की वो गलती…जिससे डूब जाती है आम आदमी की पूरी रकम
Stock Market Tips-शेयर बाजार में कई बार पैसा लगाने वालों के लिए ये खबर बेहद जरूरी है. क्योंकि अक्सर कुछ गलतियां लोगों की पूरी कमाई को डूबो देती है.
मनोज कुमार | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jan 17, 2022 | 1:22 PM
सोशल मीडिया पर मिली एक स्टॉक टिप (Stock Market Tips)ने रजत के लाखों रुपये डुबो दिए हैं. आप सोच रहे होंगे कि शायद उनके साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड हुआ होगा, लेकिन, ऐसा नहीं है रजत तो शेयर बाजार (Share Bazaar) में ऊंचा रिटर्न कमाने के चक्कर में बर्बाद हो गए. अब पूरी कहानी आप भी जानना चाहते होंगे तो हुआ दरअसल यूं कि शेयर बाजार में तेजी से मोटा मुनाफा कूटने के लिए रजत भी बेकरार थे. वे बस इस इंतजार में थे कि स्टॉक्स (Stocks) की कंही से कोई ऐसी टिप मिले कि वे पैसा लगाएं और पूंजी धड़ाधड़ दोगुनी-तिगुनी हो जाए. रजत के दिमाग में अभी खलबली चल ही रही थी कि किसी ने एक व्हॉट्सऐप ग्रुप पर उन्हें जोड़ लिया और इस ग्रुप में एक स्टॉक में पैसा लगाने की राय दी गई. मोटे मुनाफे का पूरा गणित बता दिया गया.बस रजत ने आगापीछा सोचे बगैर झोंक दी मोटी पूंजी और बैठ गए कि अब होगा पैसा डबल, लेकिन ऐसा हुआ नहीं एक-दो दिन चढ़ने के बाद स्टॉक बुरी तरह गिरने लगा.
रजत की लगाई पूंजी का 80 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका है तो इससे ये सबक मिलता है कि बिना जांचे-परखे सोशल मीडिया के जरिए मिलने वाली टिप्स पर पैसा न लगाएं, लेकिन तमाम लोग इन हथकड़ों का शिकार हो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बाजार की कम जानकारी होती है.
सेबी ने 6 लोगों को प्रतिबंधित किया
शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने हाल में ही एक ऐसा मामला पकड़ा है जिसमें कुछ लोग अपने फायदे के लिए सोशल मीडिया के जरिए लोगों का पैसा शेयर बाजार में फंसाते थे. सेबी ने इस मामले में 6 लोगों को पूंजी बाजार में प्रतिबंधित भी कर दिया है.
सेबी ने जिस मामले में यह कार्रवाई की है, उसे लेकर जुलाई और अक्टूबर में शिकायत मिली थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने के लिए ट्विटर और टेलीग्राम पर सलाह देकर शेयरों की कीमतों को बनावटी तौर पर प्रभावित कर रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि कुछ इस तरह से आपको चूना लगाने की तैयारी होती है.
मोटे मुनाफे के नाम पर आपका पैसा डुबोने वाले लोग छोटी-छोटी कंपनियों को चुनकर उनके शेयरों को बड़ी मात्रा में खरीदने की सोशल मीडिया के जरिए सलाह देते हैं.
आमतौर पर सोशल मीडिया पर सलाह देने से पहले ये लोग कंपनी के शेयर खुद खरीदकर रख लेते हैं और सोशल मीडिया पर सलाह के बाद जब शेयर भागता था तो मुनाफा बटोर अपने शेयर बेचकर निकल जाते हैं.
इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप, ईमेल, ट्विटर, फेसबुक जैसे हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह से ठगी का मायाजाल चलाया जा रहा है.
आपके पैसे के साथ खिलवाड़ करने वाले ये लोग अपने यहां एनालिस्ट्स और रिसर्चर्स के होने का भी दावा करते हैं..बस लोग यहीं फंस जाते हैं. झटपट पैसा कमाने के लालच में तमाम निवेशक इनके झांसे में फंस जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई डुबा बैठते हैं.
बाजार के जानकार आम निवेशकों को इस तरह के लोगों से बचने की सलाह जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? दे रहे हैं जो अपने फायदे के लिए किसी और को फंसा देते हैं. सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च हेड येशा शाह का कहना है कि महामारी के दौर में शेयर बाजार अच्छा रिटर्न दे रहा है और कई लोग खुद को मार्केट एक्सपर्ट मानने लगे है.
ऐसे ही कुछ तथाकथित जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? मार्केट एक्सपर्ट जो सेबी में रजिस्टर भी नहीं हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से निवेशकों को शेयर खरीदने या बेचने का ज्ञान दे रहे हैं. कुछ जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? लोग तो अपने फायदे के लिए निवेशकों को ठग रहे हैं.
निवेशक भी मुनाफा चूकने के डर से ऐसे लोगों के झांसे में फंसकर नुकसान जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? उठा रहे हैं. निवेशकों को ठगने वालों के खिलाफ सेबी तो कार्रवाई कर ही रहा है लेकिन निवेशकों को भी सावधान रहने की जरूरत है.
मनी 9 की भी यही सलाह है, लालच में आकर ऐसे लोगों के जाल में न फंसें जो अपने फायदे के लिए आपका पैसा मार्केट में जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? फंसा दें. सोशल मीडिया से मिली सलाह पर शेयर बाजार में पैसा लगाना भी ठीक नहीं है. पैसा लगाने से पहले या तो निवेशक खुद रिसर्च करें या सेबी से मान्यता प्राप्त सलाहकार की मदद लें.
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यह तो सभी को मालूम है कि किसी भी बाजार में अगर मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा है तो कीमत गिरेगी। अगर इसका उल्टा आपूर्ति कम है तो कीमत बढ़ेगी। लेकिन शेयर बाजार और आलू-प्याज मार्केट में एक महत्वपूर्ण अंतर भी है। आप आलू-प्याज को एक उपभोक्ता यानी एंड यूजर के तौर पर खरीदते हैं, न कि एक ट्रेडर के तौर पर। (हमारे जो पाठक आलू-प्याज के ट्रेडर हैं, वे इस उदाहरण को खरीद-फरोख्त की जाने वाली किसी दूसरी वस्तु मसलन जमीन, फ्लैट या सोने-चांदी के संदर्भ में समझ सकते हैं) लेकिन जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप यूजर नहीं बल्कि ट्रेडर हो जाते हैं क्योंकि शेयर खरीदने का एक ही मकसद होता है, उसे बेचकर मुनाफा कमाना।
दरअसल यहीं शेयर बाजार दूसरे बाजारों के मुकाबले अलग और अनोखा है। यहां हर सौदे में दो ट्रेडर आमने-सामने होते हैं। वे एक दूसरे को न जानते हैं, न पहचानते हैं फिर भी एक बेचता है तो दूसरा खरीदता है। इसे एक और सरल उदाहरण से समझिए। माना कि आपने 520 रुपए के भाव पर टाटा स्टील के 100 शेयर खरीदे। जाहिर सी बात है कि ये शेयर किसी ने बेचे तभी आप इन्हें खरीद पाए। अब जरा सोचिए कि जब आपको लगा कि 520 रुपए में टाटा स्टील का शेयर खरीद लेना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत में उछाल आने के आसार हैं। ठीक तभी किसी दूसरे शख्स इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके डि-मैट अकाउंट में टाटा स्टील के जो शेयर हैं, उन्हें बेच देना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत गिरनेवाली है। उसने बेचने का ऑर्डर दिया, आपने खरीदने का ऑर्डर दिया और ट्रेड हो गया। इस प्रकार एक दूसरे के धुर विपरीत सोच वाले दो ट्रेडर्स जब स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म एक समय में आमने-सामने होते हैं तभी कोई सौदा होता है। इसी को शेयर बाजार का ‘जीरो सम गेम’ कहते हैं। यानी टाटा स्टील के जो 100 शेयर कल तक उस शख्स के पास थे, वो अब आपके पास हैं, अगर आने वाले दिनों में वे शेयर चढ़ते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी ट्रेडिंग सफल रही, अगर यह शेयर गिरता है, बेचने वाले का आकलन सही साबित होगा।
संवेदनशील बाजार में कैसे समझें कि कौन शेयर गिरेगा और कौन चढ़ेगा
अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि इतनी कशमकश के बीच कैसे तय किया जाए कि कौन सा शेयर उठ सकता है और कौन सा गिरने वाला है। इस सवाल का कोई सीधा जवाब न है, न हो सकता है। क्योंकि शेयर बाजार एक जटिल, व्यापक और संवेदनशील मशीन की तरह काम करता है। इसे प्रभावित करने वाले तत्वों की कतार बहुत लंबी है। माइक्रो से लेकर मैक्रो तक यानी किसी छोटी सी कंपनी के वार्षिक नतीजों से लेकर आम चुनाव के परिणाम जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? तक कोई भी चीज स्टॉक की कीमत में बड़ा उलटफेर कर सकती है। विनिवेश से लेकर अधिग्रहण तक कोई भी खबर किसी शेयर की कीमत में तूफान खड़ा कर सकती है। कई बार तो कोई बड़ी वजह नहीं होती है फिर भी शेयर बाजार में भूचाल आ जाता है। जैसा कि रेल बजट वाले दिन हुआ। रेल बजट ने बाजार को निराश तो कतई नहीं किया। फिर भी शेयर बाजार में दस महीनों की सबसे भयानक गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 160 प्वाइंट फिसल गया। इसकी दो बड़ी वजहें मानी गईं- पहली-मुनाफावसूली हुई, दूसरी-बाजार बहुत चढ़ गया था, इसलिए उसमें करेक्शन हुआ, बड़े बड़े शेयर औंधे मुंह गिरे। दिलचस्प है कि इतनी बड़ी गिरावट डाउनट्रेंड मार्केट में नहीं बल्कि अपट्रेंड मार्केट में आई। कहने का मतलब यह कि शेयर बाजार को किसी एक फॉर्मूले से साधा नहीं जा सकता है। हो सकता है कि आपने जिस फैक्टर को कम करके आंका, वही सबसे पावरफुल साबित हो।
समय के साथ बदलें रणनीति
शेयर मार्किट एक ऐसा युद्ध है जिसमें समय के साथ रणभूमि और रणनीति दोनों बदलनी पड़ती है। यहां कुछ भी फिक्स्ड नहीं है। आप ट्रेडिंग टर्मिनल को देखेंगे तो महसूस करेंगे कि हर पल बाजार की हलचल के हिसाब से भावों में उसी तरह उतार-चढ़ाव होता जब आप शेयर खरीदते हैं तो क्या होता है? है, जैसे सागर की लहरों में। इसके बावजूद कुछ लोग दावा करते हैं कि उनके पास शेयरों की अचूक भविष्यवाणी करने की शक्तिहै। लेकिन ऐसी भविष्यवाणियों पर आंखमूंद कर भरोसा करना खुद को ठगने जैसा है।
टिप्सों पर आंखमूंद कर न करें यकीन
फीस लेकर टिप्स देने वाली एजेंसियां इस संवेदनशील शेयर बाजार के बारे में यह दावा करती हैं कि उसके ट्रेडिंग टिप्स कभी फेल नहीं होते हैं, तो वे एक तरह से भोले-भाले निवेशकों को झांसा दे रही होती हैं। क्योंकि अनिश्चितता तो शेयर बाजार की धड़कन है। इसलिए नए निवेशकों को सलो शेयर बाजार में फायदे और नुकसान का गणित समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर इस बाजार में कारोबार होता कैसे है? बुनियादी तौर पर देखा जाए तो शेयर बाजार और आलू-प्याज के मार्केट में कहने के लिए कोई खास फर्क नहीं है। दोनों मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर चलते हैं। लेकिन शेयर बाजार की प्रकृति अन्य बाजारों से अलग है। कैसे, आइए समझते हैं ।