लेनदेन इतिहास

Published on: August 08, 2022 15:52 IST 06 मार्च का इतिहास भारत और विश्व में - 6 March in History
ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार मार्च 06 किसी वर्ष में दिन संख्या 65 है और यदि लीप वर्ष है तो दिन संख्या 66 है। भारत और विश्व इतिहास में 06 मार्च का अपना ही एक खास महत्व है, क्योकि इस दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज होकर रह गईं हैं। आईये जानते हैं 06 मार्च की ऐसी ही कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ जिन्हे जानकर आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा। एकत्रित तथ्य ऐसे होंगे जैसे : आज के दिन जन्मे चर्चित व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्तियों के निधन, युद्ध संधि, किसी देश के आजादी, नई तकनिकी का अविष्कार, सत्ता का बदलना, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिवस इत्यादि।
UPI से करते हैं लेनदेन तो जरूर जान लें लिमिट, नहीं तो ऐन मौके पर हो जाएंगे परेशान
UPI Transaction Limit: भारत के विभिन्न बैंक ट्रांजैक्शन की लिमिट अलग-अलग देते हैं। ग्राहकों को बैंक के दिए गए लिमिट से अधिक ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं होती है।
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: August 08, 2022 15:52 IST
Photo:INDIA TV UPI transaction limit what is the number of transfer and value of amount know everything
Highlights
- ग्राहकों को बैंक के दिए गए लिमिट से अधिक ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं
- 10 बार ही कर सकते हैं online Payment
- 1 लाख तक का ट्रांजैक्शन संभव
UPI Transaction Limit: 'भाई कुछ कैश होंगे? नहीं यार Online Payment कर देता हूं।' ये लाइन आज भारत लगभग हर युवा बोल रहा है। क्योंकि आज के समय में यूपीआई (UPI) पेमेंट सबसे आसान और तेज माध्यम बन गया है। आप किसी को कैश जितना चाहें उतना दे सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन पेमेंट के लिए एक दिन में तय सीमा से अधिक का ट्रांजैक्शन कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कितना का ट्रांसफर हम एक दिन में कर सकते हैं?
भारत के विभिन्न बैंक ट्रांजैक्शन की लिमिट अलग-अलग देते हैं। ग्राहकों को बैंक के दिए गए लिमिट से अधिक ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं होती है। कई बार आपने ये नोटिस किया होगा कि आपका ट्रांजैक्शन अचानक से रुक जाता है, और आप शिकायत करते हैं कि बैंक का सर्वर डाउन हो गया है। दरअसल, उस समय आपकी ट्रांजैक्शन लिमिट खत्म हो गई होती है।
10 बार ही कर सकेंगे online Payment?
UPI से अगर आप पेमेंट करते हैं तो उसके लिए आपको एक नियम फॉलो करना होता है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) बनाता है। इस नियम के मुताबिक आप एक दिन में अधिकतम 10 बार यूपीआई ट्रांसफर कर सकते हैं।
अधिकतम कितने का कर सकते हैं ट्रांजैक्शन
SBI बैंक के माध्यम से अगर आप यूपीआई ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपको एक लाख रुपये तक के पेमेंट्स की लिमिट दी जाती है। यही ऑफर बैंक ऑफ इंडिया का भी है। वहीं ICICI बैंक की डेली लिमिट 10 हजार रुपये है। अगर आप गूगल-पे यूजर्स हैं तो आपको 25 हजार तक के पेमेंट्स की अनुमति मिल जाती है।
1 लाख तक का ट्रांजैक्शन संभव
पंजाब नेशनल बैंक वाले ग्राहकों को एक बार में 25 हजार तक भेजने की सुविधा होती है जो दिन भर में कुल 50 हजार तक का ट्रांसफर कर सकते हैं। वहीं HDFC Bank प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंको में गिना जाता है, लेकिन इसकी भी अधिकतम ट्रांजैक्शन लिमिट 1 लाख रुपये है। अगर आप नए ग्राहक है तो शुरुआत के 24 घंटे तक 5000 रुपये तक के पेमेंट्स कर सकते हैं। एक्सिस बैंक अपने ग्राहकों को 1 लाख रुपये का पेमेंट्स करने की अनुमति देता है।
सरकार ने जुलाई में की रिकॉर्डतोड़ कमाई, इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा हुआ जीएसटी कलेक्शन
डीएनए हिंदी: केंद्र और राज्य सरकारों ने जुलाई में 1.49 ट्रिलियन रुपये का जीएसटी कलेक्शन (GST Collection in July 2022) किया, जो पांच साल पहले जुलाई 2017 में इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था के रोलआउट के बाद से दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है. यह जीएसटी कलेक्शन जुलाई 2021 के 1.16 ट्रिलियन रुपये के आंकड़े से 28 फीसदी अधिक है और जून के पिछले महीने में 1.45 ट्रिलियन रुपये की तुलना में अधिक है. अप्रैल 2022 में जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) ने रिकॉर्ड 1.68 ट्रिलियन रुपये के आंकड़ें को छू लिया था.
वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि माल के आयात से कर रेवेन्यू एक साल पहले जुलाई में 48 फीसदी बढ़ा और घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से रेवेन्यू पिछले साल इसी महीने के दौरान इन सोर्सं से रेवेन्यू से 22 फीसदी अधिक था. .जुलाई के कलेक्शन के साथ, लगातार पांच महीने हो गए हैं, जब मासिक जीएसटी कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ रुपये देखने को मिला हैै. वास्तव में, जीएसटी कलेक्शन ने जून महीने में दूसरी सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, जिसका रिकॉर्ड जुलाई के महीने में टूट गया.
जानकारों की मानें तो ये लगातार बढ़ते जीएसटी के आंकड़ें महामारी की मार से उबरने का संकेत दे रहे हैं. इसे महंगाई और सरकार द्वारा लागू किए गए कड़े नियंत्रण और संतुलन के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसके अलावा, हाल ही में जीएसटी परिषद की बैठक के बाद युक्तिकरण लागू किए जाने के साथ, आने वाले महीनों में ये संख्या और बढ़ सकती है. मासिक लेनदेन इतिहास वृद्धि के अलावा, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में जुलाई 2022 तक जीएसटी रेवेन्यू में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है. वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आर्थिक सुधार के साथ बेहतर रिपोर्टिंग का लगातार जीएसटी राजस्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2022 में सकल जीएसटी राजस्व 1,48,995 करोड़ रुपये था, जिसमें से सीजीएसटी 25,751 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 32,लेनदेन इतिहास लेनदेन इतिहास 807 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 79,518 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्रित ₹41,420 करोड़ सहित) है और उपकर 10,920 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्रित 995 करोड़ रुपये सहित) है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने आईजीएसटी से 32,365 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 26,774 करोड़ रुपये एसजीएसटी में तय किए हैं. नियमित निपटान के बाद जुलाई 2022 के महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 58,116 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 59,581 करोड़ रुपये है.
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लेनदेन इतिहास
पलामू जिला 1 जनवरी 1892 में अस्तित्व में आया। इससे पहले 1857 के विद्रोह के बाद से यह डालटनगंज में मुख्यालय के साथ एक उपखंड था। 1871 में परगना जपला और बेलौजा को गया से पलामू में स्थानांतरित कर दिया गया था। पलामू का प्रारंभिक इतिहास किंवदंतियों और परंपराओं से लेनदेन इतिहास भरा है| स्वायत्त जनजातियां शायद अतीत में क्षेत्र का निवास करती थीं खरवार, उरांव और चेरो ने पलामू पर लगभग शासन किया। उरांव का मुख्यालय रोहतासगढ़ में शाहाबाद जिले में था (जिसमें भोजपुर और रोहतस के वर्तमान जिले शामिल हैं)। कुछ संकेत हैं कि कुछ समय के लिए पलामू का एक हिस्सा रोहतासगढ़ के मुख्यालय के द्वारा शासन किया गया था।
पलामू को ‘पलून’ या ‘पालून’ के रूप में मुगलों द्वारा जाना जाता था। पलामू का इतिहास मुगल काल से अधिक प्रामाणिक है। वर्ष 15 9 8 ईस्वी में एक वर्ष तक मान सिंह ने बिहार लेनदेन इतिहास प्रांत के गवर्नर के पद ग्रहण किया। मान सिंह ने चेरोवो के खिलाफ अभियान चलाया, चेरोवो ने मार्ग को अवरुद्ध करने के लिए एक अपरिहार्य प्रयास किए लेकिन मान सिंह ने अपना रास्ता साफ किया और कई लोगों को मार डाला, कई चेरो सेनानियों को कैदियों के रूप में ले लिया। 1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु तक चेरोवो के बाद के इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
पलामू के चेरो ने अकबर की मौत के भ्रम का फायदा उठाया। उन्होंने अपनी आजादी का आश्वासन दिया और पलामू से मुगल सेना को निकाल दिया। इस बीच अनंत राय भागवत राय से विजयी हुए थे। चेरो शासक के रूप में साहबल राय, अनंत राय से विजयी हुए। साहबल राय पलामू का बहुत शक्तिशाली शासन साबित हुआ उनका साम्राज्य चौपारण तक बढ़ाया गया उन्होंने मुगलों के साथ भी समस्याओं का निर्माण शुरू किया इसने जहाँगीर को साहबल राय के खिलाफ मुगल अभियान का आदेश देने के लिए मजबूर कर दिया था, जिसमे साहबल राय हार गया और उसको कब्जे में कर लिया गया था।
साहबल राय की मृत्यु के बाद, प्रताप राय पलामू के चेरो शासक बन गए। प्रताप राय शाहजहां के समकालीन थे वह शक्तिशाली प्रमुख थे, लेकिन शासन के मध्य बड़े पैमाने पर मुगल आक्रमणों से ग्रस्त थे। परिणामस्वरूप, पलामू में मुगल और चेरो के बीच के संबंध प्रताप राय के शासनकाल के शुरुआती वर्षों से ही विरोधी बने रहे। पलामू को 1632 ईस्वी में पटना के गवर्नर को जगीर के रूप में एक लाख छत्तीस हजार के वार्षिक भुगतान के बदले दिया गया था।
प्रताप राय के उत्तराधिकारी भूपल राय थे जिन्होंने कुछ महीनों के लिए ही शासन किया था। बाद में मेदिनी राय शासक बन गए और लंबे समय तक शासन किया। शाहजहां के शासनकाल लेनदेन इतिहास के अंत में उन्होंने मुगल किले में भ्रम का पूरा फायदा उठाया। मेदिनी राय ने पलामू के कल्याण पर ध्यान दिया जिसके कारण वो आज भी प्रचलित है|
1734 ए.ए. द्वारा पलामू को तेकारी के राजा सुंदर सिंह को किराए पर लिया गया था। पारामौ के चेरो शासक के रूप में जाने के लिए जयकृष्ण राय को अनुमति दी गई थी। बाद में हिदायत अली खान ने 1740 ई डी में रामगढ़ लेनदेन इतिहास लेनदेन इतिहास के राजा बिशुन सिंह के खिलाफ सहायता की। उस समय पलामू का वार्षिक किराया रु। 5000 और यह राशि 1771 एडी तक जारी रही। लेकिन मोहदादन हस्तक्षेप हिदायत अली खान के बाद समाप्त हो गया। परिणामस्वरूप मराठों ने इस दृश्य पर उभरा और वे पलामू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे।
पालमु इस समय अराजकता और विकार से पीड़ित था। पलामू के प्रचलित अराजकता ने ब्रिटिश द्वारा अपनी अधीनता को सुगम बनाया शुरुआत में कंपनी के अधिकारियों ने चेरोस के खिलाफ कार्रवाई करने में झिझक दिया इसका कारण यह था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता स्थित उच्च अधिकारियों ने पटना परिषद को पलामू किले पर कब्जा करने के लिए चेरो के खिलाफ बल के प्रयोग से दूर रहने के निर्देश दिए थे। ब्रिटिश ने गोपाल राय के पक्ष में रहने का फैसला किया, जो चाप्तरल राय के पुत्र थे। उस समय तक चिरंजीत राय और जैननाथ सिंह ने किले पर कब्जा कर लिया था। अंग्रेजों ने पलामू किले को सौंपने के लिए गुलाम हुसैन के माध्यम से जैननाथ सिंह को एक संदेश भेजा कप्तान कैमाक ने पलामू के लिए मार्च किया और 21 मार्च 1771 को जब किले को आत्मसमर्पण कर दिया गया था। चिरंजीत राय और जैननाथ सिंह रामगढ़ से भाग रहे थे। रामगढ़ के शासक मुकुंद सिंह, चिरंजीत और जैननाथ की सक्रिय रूप से सहायता कर रहे थे। पलामू किले के पतन के बाद भी, मुकुंद सिंह ने अपने दूत को गोपाल राय को भेजकर उन्हें जैननाथ सिंह को वापस बुलावा और पलामू से अंग्रेजों को बाहर करने में सहायता करने के लिए भेजा। गोपाल राय ने हालांकि, उसे उपकृत नहीं किया लेनदेन इतिहास और मामला Camac को बताया। पटना परिषद ने पलामू किले के पतन के बाद शांति बहाल करने के लिए कैमक का आदेश दिया
जुलाई 1771 में गोपाल राय को पलामू के शासक घोषित किया गया था। इस प्रकार जुलाई 1771 के मध्य तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे पलामू पर अपना अधिकार स्थापित किया।
क्रिप्टो और डिजिटल रुपया में क्या है अंतर जाने इसके फायदे
क्रिप्टो रुपया पूरी तरह से गैर सरकारी है। इस पर सरकार या सेंट्रल बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता। यह रुपया गैरकानूनी होता है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की डिजिटल ई- रुपया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में होती है। क्रिप्टो रुपया का भाव घटता बढ़ता रहता है। लेकिन डिजिटल में ऐसा नहीं होता है।
Updated: November 16, 2022 10:34:41 pm
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नवंबर को अपनी डिजिटल रुपया लॉन्च किया है। डिजिटल मुद्रा में लेनदेन की कोई सीमा नहीं होती है। डिजिटल ई रुपया में नोट वाली रूपया के सारे फीचर होंगे, डिजिटल मुद्रा को नोट की मुद्रा में बदला जा सकता है। अर्थव्यवस्था के जानकार बताते हैं कि भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में बहुत ही बेहतर होगा। इस मुद्रा पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियंत्रण होने के कारण काले धन को वैध बनाने तथा आतंकवादी गतिविधि के लिए धन प्रदान करने पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नवंबर को अपनी डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने अभी थोक लेन- देन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है।भारत सरकार ने एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी। 30 मार्च, 2022 को केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया। थोक लेनदेन के लिए डिजिटल रुपया लांच किया गया है। इसे परीक्षण के तहत सरकारी सुरक्षा में बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू करने का फैसला किया है।
केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया के बारे में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह ई-रुपया लाने का मकसद रूपया के मौजूदा स्वरूपों लेनदेन इतिहास का पूरक तैयार करना है। इससे उपभोक्ता को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।
डिजिटल मुद्रा के पायलट प्रोजेक्ट में फिलहाल नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं।
क्या है डिजिटल रुपया
सेंट्रल बैंक डिजिटल रुपया किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था।
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी () आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेन- देन होगा चेक, बैंक खाता से लेनदेन का झंझट नहीं रहेगा। नकली रुपया की समस्या से छुटकारा मिलेगा। पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा