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भारत में बिटकॉइन का भविष्य

भारत में बिटकॉइन का भविष्य
भारत में करीब 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है? [2021] | Future of Bitcoin in India Hindi

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 31 मई को बैंकों से कहा कि वे अपने 2018 के आदेश का हवाला न दें, जो क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाले ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं से इनकार करने का कारण है. RBI ने कहा कि उसके 2018 के आदेश को मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और बैंकों के लिए अब इस आदेश का हवाला देना अनुचित होगा – Future of Bitcoin in India Hindi.

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा कि वे एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की रोकथाम से जुड़े नियमों के तहत क्रिप्टोकुरेंसी व्यापारियों पर अन्य उचित परिश्रम प्रक्रियाओं को जारी रखें.

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भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है? – Future of Bitcoin in India Hindi

मुझे लगता है की अगर दुनिया के बड़े बड़े देश इसे अपनाएंगे तो अंततः भारत को भी बिटकॉइन को अपनाना होगा क्यूंकि भारत भी दुनिया के साथ नयी टेक्नोलॉजी को अपनाना चाहेगा लेकिन भारत सरकार इसपर नए कानून जरूर लागू करेगा – Future of Bitcoin in India Hindi.

RBI के 2018 के सर्कुलर में क्या कहा गया है?

अप्रैल 2018 में, RBI ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाले ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच की अनुमति नहीं है. निजी पार्टियों द्वारा जारी आभासी मुद्राओं की वैधता के बारे में आरबीआई के अधिकारियों के बीच संदेह के वर्षों के बाद सर्कुलर आया.

केंद्रीय बैंक ने बार-बार उन जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है जो इन अनियमित निजी मुद्राओं से निवेशकों और वित्तीय प्रणाली (financial system) को प्रभावित करते हैं. बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन की सुविधा से रोककर, आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी महत्वपूर्ण रुपये के निवेश पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया.

SC ने RBI के 2018 के आदेश को बैंकों को क्यों उलट दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम आरबीआई पर अपने फैसले में आरबीआई के 2018 के सर्कुलर को पलट दिया. SC ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की खरीद या बिक्री पर RBI इन मुद्राओं के व्यापार पर अधिक प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. अदालत ने महसूस किया कि इस तरह के प्रतिबंध नागरिकों के किसी भी व्यापार को करने के मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप करेंगे जिसे कानून के तहत वैध माना जाता है.

क्या यह RBI और सुप्रीम कोर्ट से क्रिप्टोकरेंसी के लिए मंजूरी की मुहर है?

नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने RBI के आदेश को पलटते हुए बस इतना कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर भारी प्रतिबंध लगाने के लिए फिलहाल कोई कानूनी आधार नहीं है. एक बार संसद में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित होने के बाद, अदालत भविष्य में इस विचार को नहीं रख सकती है. दूसरी ओर, आरबीआई को मौजूदा स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि कुछ बैंकों ने हाल ही में ग्राहकों को क्रिप्टोकुरेंसी में काम करने से रोकने के लिए 2018 के परिपत्र (जो अब शून्य है) का हवाला दिया है.

वैधता को लेकर अनिश्चितता के कारण बैंक अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी में सौदा करने देने से हिचक रहे हैं. इस बीच, केंद्र क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.

भारत में बिटकॉइन का भविष्य क्या है?

क्रिप्टोक्यूरेंसी संशयवादियों का कहना है कि दुनिया भर की सरकारें अंततः सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा देंगी. उनका तर्क है कि सरकारें और उनके केंद्रीय बैंक पैसे पर अपनी एकाधिकार शक्ति को कमजोर नहीं होने देंगे.

भारत सरकार इस मामले पर परस्पर विरोधी संकेत देती रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च में कहा था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं होगा. लेकिन केंद्र जल्द ही आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन (Law) को पेश करने की योजना बना रहा है, जिसमें कहा गया है कि सभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाले प्रावधान हैं. इस प्रकार, भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य अभी भी अधर में है – Future of Bitcoin in India Hindi.

विकास तिवारी इस ब्लॉग के मुख्य लेखक हैं. इन्होनें कम्प्यूटर साइंस से Engineering किया है और इन्हें Technology, Computer और Mobile के बारे में Knowledge शेयर करना काफी अच्छा लगता है.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर

पाबंदियों का सामना करने के बाद अब सख्त रेगुलेशंस की आशंकाओं के बीच, वर्चुअल एसेट को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का सफर रोलर-कोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। पाबंदियों का सामना करने के बाद अब सख्त रेगुलेशंस की आशंकाओं के बीच, इस वर्चुअल एसेट को कई गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ा है। भारत में क्रिप्टोकरेंसीज के फ्यूचर को लेकर अनिश्चितता के बावजूद, अनरेगुलेटेड डिजिटल एसेट्स खासकर बिटकॉइन में निवेश का ट्रेंड 2020 के बाद काफी बढ़ा है। कई घरेलू क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस से मिले डाटा से पता चलता है कि 1.5-2 करोड़ भारतीयों ने इस वर्चुअल एसेट में निवेश किया है। इससे इस साल नवंबर में यह 10 अरब डॉलर के लेवल पर जा चुका है। क्रिप्टोकरेंसी अपनाने वालों की बढ़ती संख्या से देश में निवेश का तरीका बदल गया है, जो अभी तक गोल्ड और अन्य सुरक्षित एसेट्स में निवेश करते रहे हैं। बहुप्रतीक्षित क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफीशियल डिजिटल करेंसी बिल आने से पहले, वर्चुअल एसेट्स के अभी तक के सफर पर नजर डालते हैं।

2008: क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत

साल 2008 में एक सातोशी नाकामोटो नाम के छद्म नाम वाले एक डेवलपर द्वारा “बिटकॉइनः एक पीयर टू पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम” शीर्षक वाले पेपर के प्रकाशन के साथ क्रिप्टोकरेंसी का सफर शुरू हुआ था।

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2010: क्रिप्टो की पहली बिक्री

दो साल बाद, बिटकॉइन के इस्तेमाल से पहली बार कोई सामान बिका जब एक शख्स ने दो पिज्जा के बदलने में 10,000 बिटकॉइन का भुगतान किया। इस तरह, पहली बार क्रिप्टोकरेंसी के साथ कैश वैल्यू जुड़ गई। कुछ समय बाद ही लाइटकॉइन, नेमकॉइन और स्विफ्टकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी सामने आईं और डिजिटल असेट को लेकर आकर्षण बढ़ने लगा।

2013: RBI ने जारी किया क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित पहला सर्कुलर

भारत में क्रिप्टो इनवेस्टमेंट बढ़ने और जेबपे, पॉकेट बिट्स, कॉइनसिक्योर, कॉइनेक्स और यूनोकॉइन जैसे एक्सचेंजेस के सामने आने से, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 2013 में एक सर्कुलर जारी करके यूजर्स को वर्चुअल करंसी से जुड़े संभावित जोखिमों को लेकर आगाह किया।

2016-2018 : डिमोनेटाइजेशन और आरबीआई का क्रिप्टो पर बैंकिंग बैन

डिमोनेटाइजेशन के प्रयोग के चलते डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता मिलने से क्रिप्टो इनवेस्टमेंट को अनचाहा प्रोत्साहन मिला और टेक सेवी कस्टमर्स इन वर्चुअल असेट्स की ओर आकर्षित हुए। भारतीय बैंकों ने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस पर ट्रांजैक्शन को अनुमति देना चाही रखा, जिसके चलते आरबीआई को 2017 में भारत में बिटकॉइन का भविष्य एक अन्य सर्कुलर जारी करके वर्चुअल कॉइंस को लेकर अपनी आशंकाएं सामने रखनी पड़ीं। आखिर में, 2017 के अंत में आरबीआई और वित्त मंत्रालय द्वारा एक चेतावनी जारी करके कहना पड़ा कि वर्चुअल करंसी लीगल टेंडर नहीं हैं।

मार्च, 2018 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डिजिटल टैक्स (सीबीडीटी) ने वित्त मंत्रालय को वर्चुअल करंसीजी पर प्रतिबंध के लिए एक ड्राफ्ट स्कीम सौंपी और इसके ठीक एक महीने बाद आरबीआई ने बैंकों, एनबीएफसी और पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स को वर्चुअल करंसीज के साथ लेनदेन और वर्चुअल करंसी एक्सचेंजेस को सेवाएं उपलब्ध कराने से रोकने वाला एक सर्कुलर जारी किया। इससे क्रिप्टो एक्सचेंजेस को बड़ा झटका लगा और उनका ट्रेडिंग वॉल्यूम 99 फीसदी तक गिर गया।

नवंबर, 2018 : भारत में बिटकॉइन का भविष्य #IndiaWantsCrypto

नाकामोतो के पेपर के 10 साल बाद 1 नवंबर, 2018 को वजीरएक्स के फाउंडर निश्चल शेट्टी ने में क्रिप्टो के पॉजिटिव रेग्युलेशन के लिए #IndiaWantsCrypto कैंपेन की शुरुआत की। इसका शुरुआती प्रभाव तक सामने आया, जब राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की तरफ से इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इस कैंपेन से बाद में यूनोकॉइन के सात्विक विश्वनाथ, पोलिगॉन की को-फाउंडर जयंती कैनानी, जाने माने एंटरप्रेन्योर और इनवेस्टर एंथोनी पॉम्पलियानो और डीजे निखिल चिनप्पा भी जुड़ भारत में बिटकॉइन का भविष्य गए। निश्चल के लगातार ट्वीट और कैंपेन के लिए सपोर्ट के चलते फरवरी में बजट सेशन के दौरान ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंडिंग के साथ व्यापक स्वीकृति मिली, जहां क्रिप्टो बिल का ऐलान किया गया। जुलाई, 2021 में #IndiaWantsCrypto को 1000 दिन पूरे हो गए और यह कैंपेन निश्चल के ट्वीट्स के साथ अभी भी मजबूत बना हुआ है और लाखों क्रिप्टो के समर्थक इससे जुड़ रहे हैं।

मार्च 2020 : सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टो बैंकिंग बैन को रद्द किया

बैन एक बड़ा झटका था और इसके चलते क्रिप्टो एक्सचेंजेस ने सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल कीं। आखिरकार बैन रद्द हो गया, आरबीआई के सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

इस प्रकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस में फिर से जान पड़ गई और एससी का फैसला सबसे अच्छे समय पर आया जो क्रिप्टो बूम से मेल खाता है।

2021 : क्रिप्टो बिल की घोषणा

हालांकि, भारत में क्रिप्टोकरेंसीज का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। 29 जनवरी, 2021 को भारत सरकार ने ऐलान किया कि वह एक सॉवरेन डिजिटल करंसी बनाने के लिए एक बिल पेश करेगी और प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर अपने आप ही बैन लग जाएगा। नवंबर, 2021 में, फाइनेंस पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने ब्लॉकचेन एंड क्रिप्टो असेट काउंसिल (बीएसीसी) और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें निष्कर्ष निकला कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन नहीं लगना चाहिए, बल्कि उन्हें रेग्युलेट होन चाहिए। दिसंबर, 2021 की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसीज पर एक बैठक की।

बॉटम लाइन

मौजूदा संकेतों को देखें, भारत में क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क लागू किया जाएगा। इस मुद्दे को कौन सी रेगुलेटरी बॉडी देखेगी, भारत में बिटकॉइन का भविष्य इस पर भी फैसला लिया जाएगा। ज्यादा उम्मीद है कि सरकार क्रिप्टो के साथ एक असेट क्लास के रूप में व्यवहार करेगी, न कि करंसी के रूप में। एक्सपर्ट्स की राय है कि रेगुलेशंस से ज्यादा पारदर्शिता भारत में बिटकॉइन का भविष्य आएगी और क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी। फ्रॉड रोकने और क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन की निगरानी के लए भी कदम उठाए जा सकते हैं। अनरेगुलेटेड डिजिटल असेट्स के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता बीते दो साल में तेजी से बढ़ी है, जिससे भारत इसका सबसे बड़ा इनवेस्टर बन गया है। इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में बिल आने के बाद भारत में क्रिप्टो का सफर क्या मोड़ लेती है।

डिस्क्लेमर: क्रिप्टो करेंसी एक अनरेगुलेटेड डिजिटल करेंसी है। यह एक वैध मुद्रा नहीं है और बाजार जोखिमों के अधीन है। इस लेख में दिए गए विचार और राय लेखक के अपने निजी विचार और राय हैं। इसको भारत में बिटकॉइन का भविष्य किसी तरह की निवेश सलाह या WazirX(वजीरेक्स) की आधिकारिक राय न माना जाए।

RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे

RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

Key Points

– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच

पायलट प्रोजेक्ट

इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।

आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।

डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल

थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।

क्या है CBDC

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।

दो तरह की होगी CBDC

– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।

RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।

डिजिटल करेंसी के फायदे

देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे

बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।

CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा

चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी

CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है

अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।

अर्थव्यवस्था को होगा फायदा

भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।

डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।

Crypto currency: भारत में आशंकाओं के डर से सहम गया डिजिटल करेंसी का भविष्य

भारत में क्रिप्टो करेंसी (Crypto currency) पर शिकंजा कसने की खबरों के सामने आने के बाद से ही क्रिप्टो मार्केट में इसकी वैल्यू गोते खाने लगी है. क्रिप्टो करेंसी के दामों में गिरावट लगातार जारी है और इनमें 15 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.

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भारत में क्रिप्टो करेंसी (Crypto currency) पर शिकंजा कसने की खबरों के सामने आने के बाद से ही क्रिप्टो मार्केट में इसकी वैल्यू गोते खाने लगी है. क्रिप्टो करेंसी के दामों में गिरावट लगातार जारी है और इनमें 15 भारत में बिटकॉइन का भविष्य फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल, लोकसभा बुलेटिन में केंद्र सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि संसद के शीतकालीन सत्र में द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 (The Crypto currency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) लाया जा सकता है. केंद्र सरकार के इस फैसले को कुछ लोग सही मान रहे हैं, तो कुछ लोग गलत बता रहे हैं. क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर चुके लोगों के बीच इसके बैन होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं और लगातार टूटती कीमतों की वजह से भारी नुकसान होना भी तय माना जा रहा है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो डिजिटल करेंसी का भविष्य भारत में आशंकाओं के बीच झूल रहा है.

Cryptocurrency

भारत में करीब 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्रिप्टो करेंसी है 'पंटर गेम'

एक अनुमान के अनुसार, भारत में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोग क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं. दरअसल, क्रिप्टो करेंसी में पुराने निवेश के जरिये लोगों ने काफी पैसा बनाया है. लेकिन, यह लोगों को जितनी तेजी से मुनाफा देती है, उतनी ही तेजी से घाटा भी पहुंचाती है. दरअसल, क्रिप्टो करेंसी एक तरह का पंटर गेम है. आसान शब्दों में इसे कमोडिटी यानी वायदा बाजार की तरह माना जा सकता है. लेकिन, इस पर किसी तरह का कंट्रोल नहीं है तो इसमें जोखिम की संभावना बहुत ज्यादा होती है. कोरोना महामारी के बाद से ही क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव बना हुआ है. टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के एक बयान पर इसके भाव बढ़ने लगते हैं, तो चीन के प्रतिबंध लगाने पर क्रिप्टो करेंसी के दामों में गिरावट आने लगती है. भारतीय संसद में क्रिप्टो करेंसी से जुड़ा बिल आने की खबर के बाद से भी इसका भाव लगातार गिर रहा है.

आरबीआई की डिडिटल करेंसी

माना जा रहा है कि इस बिल के सहारे भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई अपनी डिजिटल करेंसी के लिए रास्ता तैयार कर रहा है. दरअसल, दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी का एक बड़ा बाजार है. लेकिन, क्रिप्टो करेंसी किसी सरकार या विनियामक अथॉरिटी की ओर से जारी नहीं होने की वजह से इसके दुरुपयोग की आशंकाएं बनी रहती हैं. भारत जैसे देश में क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल टेरर फंडिंग से लेकर हवाला जैसा कारोबार करने के लिए भी किया जा सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे लेकर चिंता भी जाहिर की थी. लेकिन, शक्तिकांत दास ने आरबीआई की डिजिटल करेंसी के मार्केट में आने को लेकर सकारात्मक संकेत दिए थे. अगर ऐसा होता है, तो बहुत हद तक संभावना है कि आरबीआई की डिजिटल करेंसी में अच्छा निवेश आ सकता है. इतना ही नहीं, क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर जल्दी लाभ कमाने की कोशिश में अपना नुकसान करवा लोगों के लिए भी राहत हो सकती है. हालांकि, ये तय है कि आरबीआई की ओर से डिजिटल करेंसी को जारी करने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई जाएगी. और, अगर आरबीआई डिजिटल करेंसी लाता है, तो ये जल्द मुनाफा कमाने की चाह रखने वालों पर कितना प्रभाव डालेगा, ये देखने वाली बात होगी.

क्या सारी क्रिप्टो करेंसी हो जाएंगी बैन?

केंद्र सरकार क्रिप्टो करेंसी को लेकर क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 लाने जा रही है. ये बिल अभी संसद में पेश होना बाकी है. इस स्थिति में अभी इसके बारे में केवल संभावनाएं जताई जा रही हैं. जिसने लोगों में आशंकाएं बढ़ा दी हैं कि अगर सरकार सारी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित कर देगी, तो निवेशकों का नुकसान होना तय है. भारत में जिन लोगों ने इसमें निवेश किया है, वो फंसने की संभावना है. लेकिन, केंद्र सरकार के इस बिल को लेकर सामने आए संकेतों को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की ओर से सभी क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाने की संभावना कम नजर आ रही है. दरअसल, क्रिप्टो करेंसी दो तरह की होती है. पहली पब्लिक और दूसरी प्राइवेट. पब्लिक क्रिप्टो करेंसी को ट्रेसेबल करेंसी कहा जा सकता है. क्योंकि, पब्लिक क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजैक्शन एक-दूसरे से लिंक होते हैं और उनके लेन-देन के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है. वहीं, प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी में इसके यूजर या लेनदेन की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाता है. प्राइवेट क्रिप्‍टो करेंसी के यूजर की प्राइवेसी को बनाए रखा जाता है. जिसकी वजह से इसे ट्रेस करना मुश्किल है.

बिल के संसद में पेश होने से पहले संभावना जताई जा सकती है कि सारी क्रिप्टो करेंसी पर बैन नहीं लगाया जाएगा. लेकिन, प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगना तय है. बहुत हद तक संभावना है कि पब्लिक क्रिप्टो करेंसी जारी रहें. क्योंकि, अगर केंद्र सरकार की ओर से सभी तरह की क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया गया, तो भारतीय निवेशकों को लाखों-करोड़ों का नुकसान हो सकता है. जो बैन की खबरों के बाद अभी भी जारी है. लेकिन, इस विषय में संसद में बिल के पेश होने से लेकर उसके पारित होने तक कुछ भी पक्के तौर पर कहना गलत होगा. हालांकि, वित्त मामलों की संसदीय समिति में क्रिप्टो करेंसी को लेकर हुई चर्चा में पाबंदी की बजाए नियमन का सुझाव दिया गया था. अगर केंद्र सरकार की ओर से इस बिल में क्रिप्टो करेंसी के लिए किसी देश की सरकार के मालिकाना हक को जरूरी बनाया जाता है, तो सभी तरह की क्रिप्टो करेंसी पर बैन लग सकता है. क्योंकि, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी भी किसी देश की ओर से जारी की गई मुद्रा नहीं है. हो सकता है कि केंद्र सरकार की ओर से क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 में इस पर बैन की जगह इसे रेगुलेट करने के लिए नियम बनाए जाएं.

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