आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है

शांति की राह में बाधक है कश्मीर के इतिहास को तोड़ना-मरोड़ना
गलत निर्णय था कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाते समय यह दावा किया गया था कि इससे घाटी में शांति स्थापित होगी और परेशानहाल कश्मीरी पंडित समुदाय को सुरक्षा मिल सकेगी. पिछले तीन सालों में घाटी में 8 से अधिक कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारा जा चुका है. जाहिर है कि यह निर्णय मूलतः गलत था.
क्या नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद पर रोक लगी ?
देश पर नोटबंदी लादते समय कहा गया था कि इससे कश्मीर में आतंकवाद पर रोक लगेगी. नोटबंदी से जनता को भले ही कितनी ही परेशानियां हुई हों इससे आतंकवादियों को कोई तकलीफ हुई है, ऐसा नहीं लगता.
अपने दावों की पोल खुलती देख भाजपा पं. नेहरू पर हमलावर
अपने दावों के खोखला सिद्ध होने के बाद भाजपा ने फिर एक बार नेहरू को दोषी ठहराने की अपनी नीति का प्रयोग करना शुरू कर दिया है. केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि कश्मीर के हालात के लिए नेहरू की गलतियां जिम्मेदार हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरमाया कि अनुच्छेद 370 सारी समस्याओं की जड़ है. इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता. इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने के लिए कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने रिजिजू को ‘डिस्टारशियन’ बताया.
क्या कश्मीर के महाराज हरिसिंह भारत का हिस्सा बनने के लिए तैयार थे?
रिजिजू के अनुसार यह कहना गलत है कि कश्मीर के महाराज भारत से विलय के मामले में असमंजस आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है में थे या ना-नुकुर कर रहे थे. उनका कहना है कि हरिसिंह तो भारत का हिस्सा बनने के लिए तत्पर थे समस्या तो नेहरू ने खड़ी की.
कश्मीर के भारत में शामिल होने का सच क्या है?
सच यह है कि भारत के स्वाधीन होते समय राजे-रजवाड़ों को यह स्वतंत्रता दी गई थी कि वे या तो भारत में शामिल हो जाएं या पाकिस्तान में या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखें. कश्मीर के शासक महाराजा हरिसिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया. भारत का हिस्सा न बनने के उनके निर्णय को तत्कालीन प्रजा परिषद का समर्थन प्राप्त था. इसी प्रजा परिषद के सदस्य आगे चलकर भारतीय जनसंघ का हिस्सा बने और यही जनसंघ वर्तमान भाजपा का पूर्व अवतार है.
कश्मीर के शासक अपने विशेषाधिकार नहीं खोना चाहते थे और इसलिए उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ ‘स्टेंडस्टिल एग्रीमेंट’ करने का प्रस्ताव किया था. पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और इसलिए स्वाधीनता के बाद कश्मीर के डाकखानों और अन्य सरकारी इमारतों पर पाकिस्तान का झंडा फहराया गया. भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया.
बाद में पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कुछ आदिवासी और पठान समूहों ने कश्मीर पर हमला कर दिया. बहाना यह बनाया गया कि चूंकि जम्मू में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की जा रही थी, इसलिए उसका बदला लिया जाना जरूरी था.
जम्मू में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा स्वयं महाराजा द्वारा पोषित थी, क्योंकि वे चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर के कम से कम एक हिस्से में हिन्दुओं का बहुमत रहे.
इस पाक समर्थित हमले के कारण हरिसिंह को भारत से सैन्य मदद मांगनी पड़ी. भारत ने यह शर्त रखी कि वह अपनी सेना तभी भेजेगा जब महाराजा हरिसिंह भारत सरकार के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर करें, जिसमें रक्षा, संचार, मुद्रा और विदेशी मामलों को छोड़कर, सभी शक्तियां राज्य की विधानसभा में निहित हों.
जहां तक अनुच्छेद 370 का प्रश्न है, इसे हरिसिंह के जोर देने पर लागू किया गया क्योंकि वे जम्मू एवं कश्मीर के लिए एक विशेष दर्जा चाहते थे. ‘‘कश्मीर सरकार और नेशनल कांफ्रेंस दोनों ने हम पर यह दबाव डाला कि हम इस विलय को स्वीकार कर लें और हवाई रास्ते से सेना कश्मीर भेजें. परंतु उनकी यह शर्त भी थी कि कश्मीर के लोग शांति और व्यवस्था पुनर्स्थापित होने के बाद इस विलय पर विचार करेंगे…” (जवाहरलाल नेहरू, कलेक्टिड वर्क्स, खंड 18, पृष्ठ 421). इस मुद्दे पर संविधान सभा द्वारा विचारोपरांत अनुच्छेद 370 लागू किया गया.
जहां तक युद्धविराम और मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष ले जाने का प्रश्न है, ये दोनों निर्णय भारत सरकार द्वारा सामूहिक रूप से लिए गए थे ना कि अकेले जवाहरलाल नेहरू द्वारा. सरदार पटेल ने 23 फरवरी 1950 को नेहरू को लिखे अपने एक पत्र में कहा था, ‘‘जहां तक पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों का प्रश्न है, जैसा कि आप कह चुके हैं, कश्मीर का प्रश्न अब सुरक्षा परिषद के सामने है. भारत और पाकिस्तान दोनों संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य हैं और सदस्यों के बीच के विवादों को सुलझाने के लिए वहां जो मंच उपलब्ध है उसे दोनों ने चुन लिया है. इसलिए अब इस मामले में आगे कुछ भी करने की जरूरत नहीं है सिवा इसके कि हम उस मंच द्वारा मुद्दों के निराकरण का इंतजार करें.”
दरअसल समस्या यह थी कि साम्प्रदायिक ताकतें जम्मू-कश्मीर का भारत में तुरंत और जबरिया विलय चाहती थीं. नेहरू जबरदस्ती की बजाए कश्मीर के लोगों के दिल जीतने के हामी थे. सरदार पटेल भी ठीक यही चाहते थे. ऊपर उद्धृत पत्र में वे आगे लिखते हैं, ‘‘कुछ लोग मानते हैं कि मुस्लिम बहुल इलाके आवश्यक रूप से पाकिस्तान का भाग होने चाहिए. वे चकित हैं कि हम कश्मीर में क्यों हैं. इसका उत्तर बहुत सीधा-सादा और स्पष्ट है. हम कश्मीर में इसलिए हैं क्योंकि कश्मीर के लोग चाहते हैं कि हम वहां हों. ज्योंहि ऐसा महसूस होगा कि कश्मीर के लोग नहीं चाहते कि हम वहां रहें, हम उसके बाद एक मिनट भी वहां नहीं रुकेंगे…परंतु जब तक हम वहां हैं तब तक हम कश्मीर के लोगों को निराश नहीं कर सकते.” (हिन्दुस्तान टाईम्स, अक्टूबर 31, 1948)
आगे जो हुआ वह ठीक इसके उलट था.
धीरे-धीरे कश्मीर की स्वायत्ता में कटौती की जाने लगी. इससे कश्मीरी लोगों में अलगाव का भाव बढ़ा और असंतोष भी. विरोध शुरू हुआ और धीरे-धीरे बढ़ता गया. शुरूआत में इस विरोध का स्वरूप साम्प्रदायिक नहीं था. पाकिस्तान के हस्तक्षेप और असंतुष्टों को पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित किए जाने के बाद हिंसा शुरू हुई.
सन् 1980 के दशक में अलकायदा जैसे तत्व घाटी में घुस आए और उन्होंने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. कश्मीर में आतंकी हिंसा के लिए अनुच्छेद 370 जिम्मेदार नहीं है. इसके लिए जिम्मेदार है कश्मीर की स्वायत्ता में निरंती कमी. आतंकी हिंसा की योजना बाहरी तत्वों ने बनाई और इसमें अमरीका द्वारा समर्थित कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन शामिल थे. इन्हें अमरीका में तैयार किए गए पाठ्यक्रम के आधार पर पाकिस्तानी मदरसों में प्रशिक्षित किया गया था.
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी कश्मीर में हिंसा समाप्त क्यों नहीं हुई?
योगी आदित्यनाथ को यह समझना चाहिए कि अगर हिंसा का कारण अनुच्छेद 370 होता तो तीन साल पहले उसको हटाए जाने के बाद से कश्मीर में हिंसा समाप्त हो गई होती. अगर अनुच्छेद 370 ही सभी समस्याओं की जड़ होता तो उसके हटने के बाद कश्मीरी पंडित स्वयं को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करने लगते. परंतु न तो आतंकी हिंसा खत्म हुई है और ना ही कश्मीरी पंडित चैन की बंसी बजा रहे हैं. इसका कारण यह है कि कश्मीर की समस्या की जड़ में वहां के निवासियों में अलगाव का भाव और लोगों के प्रजातांत्रिक हकों का दमन है.
रिजिजू कश्मीर समस्या के लिए केवल नेहरू को जिम्मेदार बताकर पल्ला नहीं झाड़ सकते. महाराजा हरिसिंह अपने राज्य को भारत का हिस्सा नहीं बनाना चाहते थे. उन्हें अनेक तत्वों का समर्थन प्राप्त था और उस समय वहां भारत समर्थकों को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था. यह बात कई प्रमुख पत्रकारों और लेखकों ने अपनी-अपनी रचनाओं में कही है जिनमें बलराज पुरी की पुस्तक ‘कश्मीरः इनसर्जेंसी एंड आफ्टर’ शामिल हैं.
भाजपा नेता कश्मीर की स्थिति के लिए नेहरू और अनुच्छेद 370 को जिम्मेदार ठहराकर समाज को ध्रुवीकृत करने का प्रयास कर रहे हैं. वे जानबूझकर तत्समय की अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों को नजरअंदाज कर रहे हैं. पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक फैले आतंकी नेटवर्क और अमरीका द्वारा अतिवादी इस्लामवादी समूहों का समर्थन भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है. आज हमें कश्मीर के हालात को बिना पूर्वाग्रह और बिना किसी को कठघरे में खड़ा करते हुए समझना होगा. अपनी गलती छुपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाने की प्रवृति अच्छी नहीं है.
– राम पुनियानी
(लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)
(अंग्रेजी से रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)
Distortion of Kashmir’s history is an obstacle in the way of peace
अमेरिका ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से हटाया, चीन को लेकर कही ये बात
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है. भारत पिछले दो साल से इस सूची में था.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: मुकेश झा
Updated on: Nov 12, 2022 | 1:05 AM
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है. भारत पिछले दो साल से इस सूची में था. भारत के अलावा अमेरिका ने इटली, मेक्सिको, थाईलैंड, वियतनाम को भी अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से हटा दिया है. इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों के मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है.
अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन भारत के दौरे पर हैं. येलेन ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की और इसी दिन अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने यह कदम उठाया है.
चीन समेत ये देश लिस्ट में शामिल
ट्रेजरी विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को लिस्ट से हटाया गया है, उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहने और अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते ट्रेजरी विभाग की नजदीकी निगरानी में है. इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों के मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है.
करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट क्या है?
अमेरिका अपने प्रमुख भागीदार देशों की करेंसी पर निगरानी के लिए यह सूची तैयार करता है. इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है. अमेरिका अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिनकी फॉरेन एक्सचेंज रेट पर उसे शक होता है. भारत पिछले दो साल से अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची में था.
भारत दौरे पर अमेरिकी वित्त मंत्री
अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा कि इस समय वैश्विक आर्थिक परिदृश्य काफी चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति इस समय कई विकसित और विकासशील देशों के लिए चुनौती है. विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं. येलेन ने कहा कि मुद्रास्फीति का प्रमुख कारण रूस का यूक्रेन पर हमला भी है.
इससे ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं. कई उभरते बाजार हैं, जहां कर्ज और ब्याज दर अधिक है. ऐसे में ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी से उनमें से कुछ के लिये कर्ज को लेकर दबाव बढ़ा है और इसको लेकर संकट पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमें आने वाले समय में इससे निपटने की जरूरत होगी. (भाषा से इनपुट के साथ)
अमेरिका ने भारत को करेंसी वॉच लिस्ट से हटाया
वाशिंगटन/नई दिल्ली, (आईएएनएस)| अमेरिका ने भारत को उन व्यापारिक साझेदार देशों की सूची से हटा दिया है जो मैक्रोइकॉनॉमिक्स नीतियों के विदेशी मुद्रा के लिए निगरानी करता है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन के भारत दौरे पर आने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को प्रस्तुत एक रिपोर्ट में बताया कि उसने भारत, इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को निगरानी सूची से हटा दिया है क्योंकि वह लगातार दो रिपोटरें में आवश्यक तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर सके हैं।
ट्रेजरी के सचिव येलेन ने एक बयान में रिपोर्ट जारी करने की घोषणा करते हुए कहा- आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध से पहले कोविड -19 के कारण आपूर्ति और मांग असंतुलन से निपट रही थी, जिसने खाद्य, उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि की है- वैश्विक मुद्रास्फीति को और बढ़ा रही है और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रही है। विभिन्न दबावों का सामना करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं तदनुसार विभिन्न नीतियों का अनुसरण कर सकती हैं, जो मुद्रा के उतार-चढ़ाव में परिलक्षित हो सकती हैं। ट्रेजरी इस बात से अवगत है कि विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वैश्विक आर्थिक हेडविंड के लिए कई तरह के ²ष्टिकोणों को कुछ परिस्थितियों में वारंट किया जा सकता है।
पीएम मोदी ले रहे हैं बहुत बड़ा रिस्क, हिल जाएगी पूरी दुनिया, रुपया मजबूत करने के लिए लगाएंगे डॉलर की लंका
भारत और रूस के बीच अंतरराष्ट्रीय ट्रेड की पेमेंट रूपए में हो सके, इस पर बात चल रही है। लेकिन बात सिर्फ रूस तक सीमित नहीं है, भारत रूस के अलावा कई और देशों से ऐसी बातचीत कर रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बहुत बड़ा रिस्क ले रहे हैं और यकीन मानिए जो रिस्क पीएम मोदी ले रहे हैं उससे पूरी दुनिया हिल जाएगी।
Updated Nov 9, 2022 | 11:24 PM IST
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छंटनी के ऐलान का असर? इधर WhatsApp इंडिया के हेड ने छोड़ा पद, उधर Meta India में पब्लिक पॉलिसी चीफ ने किया रिजाइन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बहुत बड़ा रिस्क ले रहे हैं और यकीन मानिए जो रिस्क पीएम मोदी ले रहे हैं उससे पूरी दुनिया हिल जाएगी। पूरी दुनिया अमेरिका के डॉलर के पीछे भागती है। सरकारें हों, कंपनियां हों, मार्केट हो। किसी का काम डॉलर के बिना नहीं चलता। दुनिया में देश कोई भी हो, उसकी करेंसी की वैल्यू डॉलर (Dollar) के मुकाबले ही देखी जाती है। इंटरनेशनल ट्रेड में किसी को सुई भी खरीदनी होती है तो पेमेंट डॉलर में होता है। यानी डॉलर का ऐसा रुतबा है, ऐसा दबदबा है, कि दुनिया भर में इसी की दादागीरी चलती है। इसके सामने दूसरी करेंसी बेबस हो जाती है। इसके सामने दुनिया के दूसरे देश बेबस हो जाते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे बदलना चाहते हैं। कैसे वो बहुत बड़ा रिस्क ले रहे हैं।
अभी तक आपको पता होगा कि भारत और रूस के बीच अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड की पेमेंट रूपये (Rupees) में हो सके, इस पर बात चल रही है। लेकिन बात सिर्फ रूस तक सीमित नहीं है, भारत रूस के अलावा कई और देशों से ऐसी बातचीत कर रहा है। इसमें श्रीलंका, मालदीव के अलावा कई साउथ ईस्ट एशियाई देश हैं। इसके अलावा कुछ अफ्रीकन, लैटिन अमेरिकन देश हैं। यानी एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये तय कर लिया है कि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम किया जाए, अपने रुपये को मजबूत किया जाए।
फिलहाल भारत का कोई Exporter अपना सामान बेचता है, तो उसे डॉलर में पेमेंट मिलती है। उसे वो रूपये में कैश कराता है। या फिर भारत को कोई Importer दूसरे देश से माल खरीदता है तो वो दूसरे देश को डॉलर में पेमेंट करता है। क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डॉलर एक कॉमन करेंसी है जिसमें माल बेचा और खरीदा जाता है। लेकिन इस पेमेंट सिस्टम में अगर डॉलर को हटाना है तो ये तभी हो सकता है कि ट्रेड करने वाले आपस में ये तय कर लें कि डॉलर की जगह अपनी अपनी करेंसी में माल खरीदेंगे और बेचेंगे। इससे डॉलर पर निर्भरता कम होगी और डॉलर का दबदबा भी कम होगा, जिसके सहारे अमेरिका अपनी दादागीरी भी दिखाता है।
अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती देने के बड़े रिस्क भी है। आपने देखा ही है कैसे यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत पर दबाव डाला गया। अब अगर अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती दी जाएगी और अमेरिकी डॉलर की नरेंद्र मोदी लंका लगाएंगे तो उन पर चौतरफा हमले शुरू होंगे। वो लॉबी फिर से जुट जाएगी जो इस तरह की किसी चुनौती को पसंद नहीं करती। इसलिए आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है हम कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ा रिस्क ले रहे हैं। डॉलर को अमेरिका हथियार बनाता रहा है। यूक्रेन युद्ध में भी यही हुआ।
यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इससे रूस को डॉलर पर चलने वाले ग्लोबल फाइनेंस सिस्टम से बाहर कर दिया। रूस का 630 बिलियन डॉलर का विदेश मुद्रा भंडार फ्रीज कर दिया गया था। रूस के सेंट्रल बैंक को भी इंटरनेशनल पेमेंट के स्विफ्ट सिस्टम से बाहर किया गया। ये सब अमेरिका ने डॉलर के दम पर किया
शनिवार का राशिफल
युगाब्ध-5124, विक्रम संवत 2079, राष्ट्रीय शक संवत-1944 सूर्योदय 06.26, सूर्यास्त 05.23, ऋतु – शीत
अगहन कृष्ण पक्ष चतुर्थी, शनिवार, 12 आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है नवम्बर 2022 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा। आज आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हो सकता है, आज आपके सितारे क्या कहते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें आज का भविष्यफल।
मेष राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा, लेकिन कार्यभार की अधिकता से तनाव भी बढ़ेगी। कठिन परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। क्रोध पर नियंत्रण और वाणी पर संयम रखें, अन्यथा वाद-विवाद में फंस सकते हैं। परिवार में कलह हो सकती है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। परिजनों और मित्रों को पूरा सहयोग मिलेगा। परिजनों के साथ किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वृषभ राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार अच्छा रहेगा, लेकिन अनावश्यक खर्च भी बढ़ेंगे, जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। स्वभाव में कठोरता और रुखेपन पर नियंत्रण रखने की जरूरत है, अन्यथा पूरा दिन खराब हो सकता है। बेवजह लोगों से विवाद होने की संभावना रहेगी। यात्रा लाभकारी साबित हो सकती है। काम के प्रति जिम्मेदारी को समझें और रुके हुए अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएं। रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं। स्वास्थ्य आपको विदेशी मुद्रा पर व्यापार करने की क्या आवश्यकता है अच्छा रहेगा।
मिथुन राशि :– आज का दिन अच्छा रहेगा। आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी, जिससे समाज में मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार और नौकरी में सहयोगियों का पूरा सहयोग मिलेगा। कठिन परिश्रम से सभी कार्य सफल होंगे। अनावश्यक खर्च की अधिकता रहेगी। विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई में मन लगाना मुश्किल होगा। कार्यभार बढऩे से मानसिक और शारीरिक रूप से थकान का अनुभव करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यात्रा पर जाने से बचें।
कर्क राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार में उतार-चढ़ाव रहेगा और व्यर्थ के कामों में अधिक समय खराब हो सकता है। बुजुर्गों की सलाह लेकर काम करेंगे, तो सफलता के साथ ज्यादा लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रलोभन के चक्कर में न पड़ें तो बेहतर रहेगा। सहकर्मियों का पूरा सहयोग नहीं मिल पाएगा, जिससे कार्यक्षेत्र में निराशा का सामना करना पड़ सकता है। परिजनों के साथ कहीं घूमने जाने की योजना बनाते हैं तो अच्छा होगा। लेन-देन से बचना होगा। परिवार में शांति का माहौल रहेगा।
सिंह राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। कारोबार में अच्छा लाभ मिलने की संभावना है। कठिन परिश्रम से अच्छे व अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें, अन्यथा व्यवसाय में नुकसान हो सकता है और नौकरी में अधिकारियों की डांट खानी पड़ सकती है। कार्य स्थल पर सहकर्मियों का पूरा सहयोग मिलेगा। विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा है। परिवार में खुशनुमा माहौल रहेगा। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
कन्या राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कार्यक्षेत्र में परिश्रम से धनलाभ के अवसर सुलभ होंगे। मन में उत्साह और शरीर में नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे। अनैतिक रूप से धन कमाने के प्रयास लाभ तो देंगे, लेकिन बाद में समस्या खड़ी कर सकते हैं। नौकरी वाले लोग अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें। व्यापार-धंधा अच्छा चलेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। परिवार के साथ भी अच्छा समय व्यतीत होगा। महमानों का आगमन होगा। खान-पान का ध्यान रखें, यात्रा को टालें।
तुला राशि :– आज का दिन सामान्य रहेगा। कार्य-व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे मन बेचैन रहेगा और किसी कार्य को करने में मन नहीं लगेगा। धन की आमद सामान्य रहेगी। कारोबार में जोखिम लेने से बचना होगा, अन्यथा बड़ा नुकसान हो सकता है। सहकर्मी सामने से हितैषी बनेंगे, लेकिन पीछे से गड़बड़ कर सकते है। परिवार के साथ सम्बन्ध अच्छा रहेगा। बाहर घूमने जाने का अवसर मिल सकता है। अनावश्यक नोक-झोंक से दूर रहें।
वृश्चिक राशि :– आज का दिन मिला-जुला रहेगा। आय-व्यय में संतुलन बना रहेगा। कार्यक्षेत्र में मंदी का सामना करना पड़ सकता है। नए कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। नए लोगों से सम्पर्क बढ़ेगा। जमीन-जायदाद संबंधी मामले निपटेंगे। परिवार के सदस्यों को पूरा सहयोग मिलेगा। व्यापारी धन की उगाही को लेकर चिंतित रहेंगे। क्रोध पर नियंत्रण रखने से बेवजह के विवाद से बच सकते हैं। परिवार में कलह होने की संभावना रहेगी। खान-पान पर नियंत्रण रखें।
धनु राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। परिश्रम से सभी कामों में सफलता मिलेगी और बिगड़े हुए काम बन सकते हैं। कारोबार में आर्थिक लाभ और नौकरी में तरक्की के योग रहेंगे, लेकिन खर्च की अधिकता से चिंता बढ़ जाएगी। विपरीत लिंगीय से बातचीत करते समय सावधान रहें। गलत शब्दों का प्रयोग परेशानी में डाल सकता है। सामाजिक कार्यों में रुचि बनी रहेगी। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाद-विवाद में न पड़ें।
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मकर राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। मेहनत के बेहतर परिणाम सामने आएंगे। शरीर में नया जोश और उत्साह देखने को मिलेगा और सभी कार्य आसानी से पूरा करेंगे। रुके हुए काम भी पूरे हो सकते हैं। प्रॉपर्टी में निवेश फायदेमंद रहेगा। नौकरी में तरक्की के अवसर मिलेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त होगी। दैनिक कार्यों से समय निकालकर पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं, जिससे समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
कुम्भ राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कठिन परिश्रम के बावजूद कार्यों में आशानुरूप सफलता नहीं मिलेगी, जिससे मन उदास रह सकता है। स्वास्थ्य एवं अन्य घरेलू समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। नौकरी अथवा व्यवसाय में भी सफलता के अवसर तो मिलेंगे, लेकिन कार्यभार की अधिकता से ऐसे मौके हाथ से निकल सकते हैं। परिजनों का पूरा सहयोग मिलेगा। दोस्तों के साथ मनमुटाव हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और यात्रा पर जाने से बचें।
मीन राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में मुनाफा रहेगा। आकस्मिक धनलाभ के योग रहेंगे। कार्यभार की अधिकता रहेगी और मेहनत का प्रतिफल भी प्राप्त होगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने बचें, वरना मौका हाथ से निकल सकता है। शेयर बाजार और प्रॉपर्टी में निवेश से अच्छा लाभ मिल सकता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। बुजुर्गों कि सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होगा। परिवार का माहौल अच्छा रहेगा, परिजनों के साथ पिकनिक पर जा सकते हैं।