अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे

त्वचा की हर समस्या से निजात दिलाता है शहद, जानिए इसके फायदे
जब भी स्किन केयर की बात होती है तो हम नेचुरल आइटम्स पर अधिक फोकस करना पसंद करते हैं। इनसे स्किन को किसी भी तरह के नुकसान होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। वहीं, दूसरी ओर यह नेचुरल इंग्रीडिएंट्स हर तरह की स्किन के लिए अच्छे माने जाते हैं। इन्हीं स्किन केयर इंग्रीडिएंट्स में से एक है शहद। शहद को लंबे समय से कभी स्किन केयर पैक तो कभी यूं ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें गजब के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो आपकी स्किन को अधिक स्वस्थ और बेहतर बनाते हैं। चलिए जानते हैं शहद हमारी स्किन के लिए कितना फायदेमंद है-
मिलती है ग्लोइंग स्किन
अगर आप अपनी स्किन को नेचुरली हेल्दी व ग्लोइंग बनाना चाहती हैं तो इसके लिए शहद से अधिक बेहतर उपाय और कोई नहीं है। शहद में त्वचा को चमकदार बनाने के गुण होते हैं और यह उपयोग के बाद यह आपके फेस पर चमक के साथ-साथ नमी भी बनाए रखता है। रूखी स्किन की महिलाएं तो इसे इस्तेमाल करती हैं ही, साथ ही साथ यह ऑयली, एक्ने और अन्य स्किन के लिए भी उतनी ही फायदेमंद है।
निशान को करे हल्का
शहद में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो घाव भरने और निशानों को मिटाने में मदद करते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी स्किन पर किसी तरह के निशान को हल्का करना चाहते हैं तो ऐसे में शहद के इस्तेमाल से वह धीरे-धीरे मिटने लगते हैं। आप एक्ने के दाग-धब्बों को मिटाने के लिए शहद का इस्तेमाल स्पॉट ट्रीटमेंट के रूप में कर सकते हैं।
एजिंग के साइन्स को करे रिवर्स
अगर आप अपनी स्किन को अधिक लंबे समय तक जवां-जवां बनाए रखना चाहती हैं तो ऐसे में शहद का इस्तेमाल करना एक अच्छा विचार हो सकता है। शहद में मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं। शहद चेहरे पर झुर्रियों और महीन रेखाओं की उपस्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, शहद को चेहरे पर लगाने से स्किन की इलास्टिसिटी बेहतर होती है, जिससे वह जवां और चमकदार दिखती है। आप हर सप्ताह शहद का मास्क लगा सकती हैं और अपनी स्किन को अधिक यंगर बना सकती हैं।
सनबर्न से राहत
अगर आपकी स्किन पूरे दिन धूप में रहने के कारण डैमेज हो रही है तो ऐसे में शहद आपकी मदद कर सकता है। धूप से झुलसी त्वचा के कारण स्किन में रेडनेस, सूखापन और जलन महसूस होती है। ऐसे में अपनी स्किन को ठंडक प्रदान करने के लिए आप एक भाग कच्चे शहद को दो भाग एलोवेरा जेल के साथ मिक्स करें और सीधे प्रभावित जगह पर लगाएं। याद रखें कि आप मिश्रण को रगड़ें नहीं, बल्कि इसकी लेयर लगाकर ऐसे ही छोड़ दें। यह उपाय ना केवल सनबर्न से राहत दिलाएगा, बल्कि आपकी स्किन के रंग-रूप में भी सुधार करने में मदद करेगा।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे
आशीष तिवारी (संपादक)
9827145100
Create Account
Already Have account Please Login Here Login
Create Account Below:
Search News Here
ग्रीष्मकालीन धान के बदले रागी फसल है फायदे का सौदा
राजनांदगांव (वीएनएस)। जिले में रबी फसलों की बुवाई का कार्य लगातार जारी है। जिले को इस बार 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। राजनांदगांव दलहनी फसलों की खेती और उत्पादन के लिए विशेष स्थान रखता है। जहां 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चना अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे फसल ली जाती है। वहीं 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूँ तथा तिवड़ा फसल लिया जाता है, परन्तु पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि किसानों का रूझान ग्रीष्मकालीन धान लगाने पर अधिक रहता है। जबकि खरीफ में अधिकतर धान की फसल लिया जाता है।धान के बाद धान फसल लेने से एक ओर जहां मृदा की भौतिक संरचना व उर्वरता पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर लगातार खरपतवारनाशी, कीटनाशी के छिड़काव से भूमि व पर्यावरण दूषित होता है।
चूंकि जिला वृष्टिछाया क्षेत्र अंतर्गत आता है। जिसमें इस वर्ष खरीफ को छोड़कर पिछले सालों में औसत से कम वर्षा दर्ज किया जाता है। जिसके कारण विकासखंड राजनांदगांव एवं डोंगरगांव भू-जल सर्वेक्षण (स्टेट ग्राऊंड वाटर बोर्ड) अंतर्गत सेमी क्रिटिकल जोन के अंतर्गत आते है। ऐसी स्थिति में समृद्ध खेती के संभावनाओं से भरपूर इन दो विकासखंडों में प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकालीन धान लिया जाना भविष्य में गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है। चूंकि धान जल मांग 130-150 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर है। जिसका अर्थ होता है, 1 किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए 3-5 हजार लीटर पानी का व्यय होता है। जबकि मक्का के लिए 50-60 सेंटीमीटर पानी प्रति हेक्टेयर, गेहूँ के लिए 45-50 सेंटीमीटर, उड़द एवं मूंग के लिए 25-30 सेंटीमीटर, चना-मसूर-सरसों के लिए 24-30 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से देखे तो 1 हेक्टेयर धान के पानी में 3 हेक्टेयर गेहूं या मक्का तथा 5 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसल ली जा सकती है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लघु धान्य फसले-रागी एवं कोदो को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके लिए क्षेत्र में अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। साथ ही रागी फसल विभिन्न लाभकारी गुणों के साथ-साथ बाजार में अच्छे दामों पर विक्रय किया जाता है। कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा रागी फसल लगाने के लिए इच्छुक किसानों को प्रतिहेक्टेयर 6000 रूपए का आदान सामग्री जिसमें नि:शुल्क रागी बीज, खेतों की उर्वरक बढ़ाने के लिए 200 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट, जिंक सल्फेट, पीएसबी कल्चर तथा कीट व बीमारियों से लडऩे के लिए जैविक कीटनाशक नीम आईल 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर नि:शुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। इच्छुक किसान रागी फसल के लिए पंजीयन कराने हेतु अपने-अपने विकासखंड में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हंै अथवा जिला स्तर पर पंजीयन कराने के लिए शेखर श्रीवास्तव, मोबाईल नबंर 7000233341, कार्यालय उप संचालक कृषि एवं राजू साहू, डिप्टी प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर आत्मा मोबाईल मो.न. 9907027086 से सम्पर्क कर पंजीयन हेतु नाम दर्ज करा सकते है।
RBI News: डॉलर नहीं कर पाएगा रुपए को प्रभावित, ₹ में होगा विदेशी व्यापार; जानिए RBI की इस योजना के बारे में
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर का दबाव भी बढ़ने लगा. ग्लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस समस्या से निपटने के लिए नया सिस्टम विकसित कर रहा है.
आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए नया सिस्टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्म हो जाएगा.
अब नहीं होगा प्रतिबंधों का असर
आरबीआई का नया सिस्टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्म हो जाएगा. ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को इरान से कच्चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई. इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका, यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्पाद खरीदने में नाकाम रहीं.
इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्यादा होता था, क्योंकि ग्लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्यापार का लेनदेन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेनदेन भी बंद हो जाता है. इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई ग्लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ट्रेडिंग का सिस्टम तैयार कर रहा है.फॉरेक्स मार्केट से तय होगी दर
आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्टम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्लोबल फॉरेक्स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.
खोले जाएंगे विशेष खाते
रिजर्व बैंक के अनुसार, नया सिस्टम लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है. अब भारत का अधिकृत बैंक व्यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वॉस्ट्रो खाता खोल सकेगा. इससे भारतीय आयातकों और विदेशी सप्लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. इसी तरह, भारतीय निर्यात
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे
आशीष तिवारी (संपादक)
9827145100
Create Account
Already Have account Please Login Here Login
Create Account Below:
Search News Here
ग्रीष्मकालीन धान के बदले रागी फसल है फायदे का सौदा
राजनांदगांव (वीएनएस)। जिले में रबी फसलों की बुवाई का कार्य लगातार जारी है। जिले को इस बार 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। राजनांदगांव दलहनी फसलों की खेती और उत्पादन के लिए विशेष स्थान रखता है। जहां 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में चना फसल ली जाती है। वहीं 18 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूँ तथा तिवड़ा फसल लिया जाता है, परन्तु पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि किसानों का रूझान ग्रीष्मकालीन धान लगाने पर अधिक रहता है। जबकि खरीफ में अधिकतर धान की फसल लिया जाता है।धान के बाद धान फसल लेने से एक ओर जहां मृदा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे की भौतिक संरचना व उर्वरता पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर लगातार खरपतवारनाशी, कीटनाशी के छिड़काव से भूमि व पर्यावरण दूषित होता है।
चूंकि जिला वृष्टिछाया क्षेत्र अंतर्गत आता है। जिसमें इस वर्ष खरीफ को छोड़कर पिछले सालों में औसत से कम वर्षा दर्ज किया जाता है। जिसके कारण विकासखंड राजनांदगांव एवं डोंगरगांव भू-जल सर्वेक्षण (स्टेट ग्राऊंड वाटर बोर्ड) अंतर्गत सेमी क्रिटिकल जोन के अंतर्गत आते है। ऐसी स्थिति में समृद्ध खेती के संभावनाओं से भरपूर इन दो विकासखंडों में प्रत्येक वर्ष ग्रीष्मकालीन धान लिया जाना भविष्य में गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है। चूंकि धान जल मांग 130-150 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर है। जिसका अर्थ होता है, 1 किलोग्राम चावल पैदा करने के लिए 3-5 हजार लीटर पानी का व्यय होता है। जबकि मक्का के लिए 50-60 सेंटीमीटर पानी प्रति हेक्टेयर, गेहूँ के लिए 45-50 सेंटीमीटर, उड़द एवं मूंग के लिए 25-30 सेंटीमीटर, चना-मसूर-सरसों के लिए 24-30 सेंटीमीटर प्रति हेक्टेयर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से देखे तो 1 हेक्टेयर धान के पानी में 3 हेक्टेयर गेहूं या मक्का तथा 5 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसल ली जा सकती है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लघु धान्य फसले-रागी एवं कोदो को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके लिए क्षेत्र में अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। साथ ही रागी फसल विभिन्न लाभकारी गुणों के साथ-साथ बाजार में अच्छे दामों पर विक्रय किया जाता है। कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा रागी फसल लगाने के लिए इच्छुक किसानों को प्रतिहेक्टेयर 6000 रूपए का आदान सामग्री जिसमें नि:शुल्क रागी बीज, खेतों की उर्वरक बढ़ाने के लिए 200 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट, जिंक सल्फेट, पीएसबी कल्चर तथा कीट व बीमारियों से लडऩे के लिए जैविक कीटनाशक नीम आईल 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर नि:शुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। इच्छुक किसान रागी फसल के लिए पंजीयन कराने हेतु अपने-अपने विकासखंड में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हंै अथवा जिला स्तर पर पंजीयन कराने के लिए शेखर श्रीवास्तव, मोबाईल नबंर 7000233341, कार्यालय उप संचालक कृषि एवं राजू साहू, डिप्टी प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर आत्मा मोबाईल मो.न. 9907027086 से सम्पर्क कर पंजीयन हेतु नाम दर्ज करा सकते है।