म्यूचुअल फंड

'Mutual fund'
बीएल आहूजा ने पुलिस को बताया कि वह बैंक कर्मचारी माहेश्वरी को 2013 से जानते थे, जब वह ICICI बैंक में काम करता था. आहूजा ने कहा कि माहेश्वरी ने उन्हें सलाह दी कि वह पैसे बैंक में रखने के बजाय म्यूचुअल फंड में लगाएं. आहूजा ने 2018 में उन्हें 1 करोड़ रुपये के दो चेक दिए.
निवेशक दीर्घकाल में निवेश में वृद्धि को लेकर म्यूचुअल फंड में नियमित तौर पर राशि जमा करने की योजना (Systematic Investment Plan) पर भरोसा कर रहे हैं
Pan Aadhaar Link.सीबीडीटी ने एक अधिसूचना में कहा कि आधार की देरी से सूचना देने पर 500 रुपये का विलंब शुल्क लगेगा. यह जुर्माना शुल्क अगले तीन माह यानी 30 जून, 2022 तक के लिए होगा. उसके बाद करदाताओं को 1,000 रुपये का जुर्माना चुकाना होगा.
सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय़ किया.इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के ज्यादातर ट्रस्टी किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिए यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है.
भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2021 में इक्विटी और कर्ज के जरिये 9 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. अगर ओमिक्रॉन के चलते हालात खराब नहीं हुए तो इसमें 2022 के दौरान और अधिक मजबूती आने की उम्मीद है
इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Funds) योजनाओं को जुलाई में शुद्ध रूप से 22,583 करोड़ रुपये का निवेश मिला है. यह लगातार पांचवां महीना है जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश प्रवाह सकारात्मक रहा है. इस दौरान फ्लेक्सी-कैप श्रेणी (Flexicap Funds) को सबसे अधिक निवेश प्राप्त हुआ.
सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधनों को मंजूरी दे दी. इन नियमों के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों को अपने नई फंड पेशकशों में जोखिम के स्तर के अनुसार अधिक निवेश करने की जरूरत होगी. इससे कोष चलाने वालों की म्यूचुफंड में खुद की भागीदारी सुनिश्चित होगी.
Aadhaar Linking : अगर आप भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं तो ये जान लें कि सरकार की सलाह है कि आप इसे आधार कार्ड से लिंक जरूर कराएं. आप ऑनलाइन, ऑफलाइन के अलावा एसएमएस और ईमेल्स के जरिए भी म्यूचुअल फंड को आधार से लिंक कर सकते हैं.
शेयरखान बाई बीएनपी परिबा के निवेश समाधान प्रमुख गौतम कालिया ने कहा, ‘‘अप्रैल महीने में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े. इससे बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला, लेकिन इसके तुरंत बाद तेजी से सुधार हुआ. म्यूचुअल फंड इकाइयों ने अप्रैल में इस गिरावट का उपयोग इक्विटी निवेश बढ़ाने में किये.’’
1 जनवरी के बाद कई नियमों में बदलाव हो चुके हैं या फिर कई बड़े नियम बदलने वाले हैं. कहीं नियम बदल रहे हैं, कहीं मिलने वाली सुविधाओं में बदलाव हो रहा है तो कहीं हमारी जेब पर असर पड़ने वाला है. ऐसे में हम नजर डाल रहे हैं इस महीने में होने वाले बड़े बदलावों पर.
इंडियन बैंक म्यूचुअल फंड
इंडियन बैंक द्वारा रु. 25 लाख की राशि के साथ इंडियन बैंक म्यूच्युअल फंड (आईबीएमएफ़) का गठन एक ट्रस्ट के रूप में 1990 के दौरान किया गया था । 1990 -1994 के दौरान आईबीएमएफ की योजनाओं को ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता था । सेबी (एमएफ़) विनियम,1993 का अनुपालन करते हुए, इंडियन बैंक की पूर्ण स्वामित्व म्यूचुअल फंड वाली सहायक कंपनी के रूप में 5 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ मेसर्स इंडफ़ंड मैनेजमेंट लिमिटेड (आईएफ़एमएल) का गठन एक आस्ति प्रबंधन कंपनी के रूप में जनवरी 1994 के दौरान किया गया । जनवरी 1994 से आईबीएमएफ़ की योजनाओं का प्रबंधन आईएफ़एमएल द्वारा किया जाता है । आईबीएमएफ़ ने 12 क्लोज़-एंडेड योजनाएँ लॉन्च की और 627.10 करोड़ रुपये जुटाएँ । परिपक्वता की तारीख पर 12 योजनाओं में से 9 योजनाओं को रिडीम किया म्यूचुअल फंड गया था । तीन योजनाएँ, जैसे इंड नवरत्न, इंड शेल्टर एवं इंड टैक्स शील्ड योजना को नवंबर 2001 के दौरान टाटा म्यूच्युअल फंड में स्थानांतरित किया गया । बॉम्बे के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित समामेलन योजना के परिणामस्वरूप आईएफ़एमएल को 07.09.2012 को इंडियन बैंक के साथ विलय कर दिया गया एवं यह ट्रस्ट (आईबीएमएफ़) इंडियन बैंक, कॉर्पोरेट कार्यालय, चेन्नै – 600014.
इंडियन बैंक की निम्नलिखित योजनाओं को रिडीम किया गया है और इकाई प्रमाणपत्र सहित पूर्ण रिडेम्प्शन एप्लिकेशन जमा करके रिडेम्प्शन वैल्यू प्राप्त किया जा सकता है ।
म्यूचुअल फंड से बनना है करोड़पति? जानिए क्या है 15*15*15 का नियम जिसकी मदद से हो सकता है ये कारनामा
इस नियम के तहत आपको हर महीने 15,000 रुपये निवेश करने होंगे.
म्यूचुअल फंड मार्केट लिंक्ड स्कीम्स होती हैं इसलिए इसमें रिटर्न बेहतर होता है. हालांकि, रिटर्न के अनुपात में जोखिम भी उ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 25, 2022, 09:55 IST
हाइलाइट्स
म्यूचुअल फंड में आप जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे उतना अधिक धन जुटा पाएंगे
इसके जरिए आप रिटायरमेंट तक 1 करोड़ रुपये से अधिक का फंड जुटा सकते हैं.
आप अभी जितना खर्च करते हैं रिटायरमेंट के समय उसका 500 गुना चाहिए होगा.
नई दिल्ली. भारत में ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जो कहेंगे कि वह करोड़पति नहीं बनना चाहते. पैसे से तमाम सुख-सुविधाएं हासिल की जा सकती है और इसीलिए लोग पैसा कमाने के लिए बेहद कठिन परिश्रम करने के लिए भी तैयार रहते हैं. लेकिन क्या सिर्फ मेहनत करना काफी है? नहीं. आपको इसके लिए मेहनत के साथ-साथ स्मार्ट प्लानिंग भी करनी होगी. आप म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से करोड़पति बनने का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं लेकिन प्लानिंग के साथ.
क्या आप 15*15*15 के नियम के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आज हम इसी नियम के बारे में आपको बताएंगे. कैसे आप अनुशासन म्यूचुअल फंड के साथ इस नियम का पालन कर करोड़पति बन सकते हैं. ध्यान रहे कि म्यूचुअल फंड्स मार्केट से संबंधित होते हैं तो वहां आया उतार-चढ़ाव आपके निवेश पर भी दिखेगा. इसलिए संभव हो तो किसी निवेश विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना शुरू करें.
क्या है ये नियम और कैसे बनेंगे 1 करोड़ रुपये
15,000 रुपये, 15 साल के लिए, 15 फीसदी रिटर्न के साथ, यही है 15*15*15 का नियम. निप्पॉन म्यूचुअल फंड के अनुसार, इसमें कंपाउंडिंग का बड़ा महत्व है. अगर आप म्यूचुअल फंड में 15 साल तक हर महीने 15 हजार रुपये का निवेश करते हैं और उस पर आपको 15 फीसदी का रिटर्न मिलता रहता है तो ये रकम 1 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी. अगर इसे और 15 साल के लिए बढ़ा दिया जाए तो ये 10 करोड़ रुपये हो सकता है. आप 15 साल में म्यूचुअल फंड में 15 साल में 27 लाख रुपये का निवेश करेंगे और उस पर आपको 74 लाख रुपये का रिटर्न मिलेगा जो आपके कुल फंड को 1.01 करोड़ रुपये तक पहुंचा देगा.
जितनी जल्दी हो शुरुआत उतना बेहतर
निप्पोन के अनुसार, आप जितनी जल्दी निवेश करना शुरू करेंगे उतना अधिक धन जुटा पाएंगे. ओमनीसाइंस कैपिटल के मुख्य निवेश रणनीतिकार और सीईओ डॉक्टर विकास गुप्ता कहते हैं कि आप जितना खर्च अभी करते हैं रिटायरमेंट तक आपको इसका 500-600 गुना चाहिए होगा. तब ही आप बगैर पैसों की चिंता किए रिटायरमेंट के बाद आरामदेह जीवन बसर कर पाएंगे. वह कहते हैं कि अगर आप 45 साल की उम्र के बाद निवेश करना शुरू करते हैं तो आपको हर महीने 1 लाख रुपये म्यूचुअल फंड में डालने होंगे तो रिटायरमेंट कर आपके पास 4-6 करोड़ रुपये का फंड तैयार हो सकता है. हालांकि, जल्दी शुरुआत पर कम निवेश के बावजूद इस रकम तक पहुंचा जा सकता है.
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पर्सनल फाइनेंस: म्यूचुअल फंड की 'फंड ऑफ फंड्स' कैटेगिरी में निवेश करके आप भी कमा सकते हैं ज्यादा फायदा
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं लेकिन इसमें होने वाले जोखिम से घबरा रहे हैं तो पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करके जोखिम कम कर सकते हैं। फंड ऑफ फंड्स के जरिए भी जोखिम को कम किया जा सकता है। यह म्यूचुअल फंड की ही एक कैटेगरी है। इस तरह की स्कीमें दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीमों में पैसा लगाती हैं। ऐसे निवेशक जो जोखिम घटाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं, वे इनमें निवेश कर सकते हैं। आज हम आपको म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी के बारे में बता रहे हैं।
क्या हैं 'फंड ऑफ फंड्स'?
फंड ऑफ फंड्स म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीमें है जो दूसरी स्कीमों में निवेश करती हैं। लेकिन यह इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) तक सीमित नहीं है। कई योजनाओं में निवेश करने से, फंड ऑफ फंड एक निवेशक को कई बाजार क्षेत्रों या रणनीतियों के लिए एक ब्रोड एक्सपोजर दे सकता है और इससे बेहतर रिटर्न मिलने की भी संभावना रहती है।
उदाहरण से समझें
अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा, फंड मैनेजर जिस भी स्कीम में पैसा लगाना चाहे लगा सकता है। इसका मतलब यह है कि फंड ऑफ फंड्स म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीमें है जो दूसरी स्कीमों में निवेश करती हैं। वह किसी एक स्कीम में पैसा लगाने के लिए बाध्य नहीं होती हैं। फंड ऑफ फंड्स में कंपनी के शेयर या बॉन्ड नहीं होते हैं, फंड ऑफ फंड्स अन्य स्कीमों की यूनिट होल्ड करते हैं। एक फंड ऑफ फंड्स अपने फंड हाउस या अन्य फंड हाउस की कई स्कीमों में निवेश कर सकता है।
कई तरह के होते हैं 'फंड ऑफ फंड्स'?
फंड ऑफ फंड्स तीन तरह के हो सकते हैं। एक जो इक्विटी में निवेश करते हैं। दूसरे जो डेट फंड में पैसा लगाते हैं। तीसरे वे जिनका निवेश अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है। ये तीन प्रकार तकरीबन सभी एसेट क्लास को कवर कर लेते हैं।
किसके लिए फायदेमंद है ये स्कीम?
वो लोग जो म्यूचुअल फंड में कम पैसा निवेश करने के साथ अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं उनका इसमें निवेश करना सही रहेगा। इसके अलावा ये उन लोगों के म्यूचुअल फंड लिए भी सही है जिन्हें म्यूचुअल फंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि इसमें एक विश्वस्तरीय फंड मैनेजर आपके पैसों को संभालता है। इससे भी आपका जोखिम कम हो जाता है।
म्यूचुअल फंड्स क्या हैं? – Mutual Funds kya hain?
म्यूचुअल फंड एक एैसा फंड है जो एैसेट मैनेजमेंट कंपनीस / कंपनीज (एएमसी) द्वारा मैनेज किया जाता है जिसमे ये कंपनीस कई इन्वेस्टर्स से पैसा जमा करती है और स्टॉक, बॉन्ड और शार्ट-टर्म डेट जैसी सिक्युरिटीज में पैसा इन्वेस्ट करती है।
म्यूचुअल फंड की कंबाइंड होल्डिंग्स को पोर्टफोलियो के रूप में जाना जाता है। इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड के यूनिट्स खरीदते हैं। प्रत्येक यूनिट फंड में इन्वेस्टर के हिस्से के ओनरशिप और इससे होने वाली इनकम का रिप्रजेंटेशन करता है।
म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के बीच एक लोकप्रिय विकल्प (पॉपुलर ऑप्शन) हैं क्योंकि वे आम तौर पर निचे दिये गये विशेषताएं प्रदान करते हैं:
फंड प्रोफेशनल तरीके से मैनेज करते हैं:
फंड मैनेजर इन्वेस्टर्स के लिए रिसर्च करते हैं। वे सिक्युरिटीज का सिलेक्शन करते हैं और उनके परफॉरमेंस को मॉनिटर करते हैं।
फंड् diversification:
म्यूचुअल फंड आमतौर पर कई कंपनियों और इंडस्ट्रीज में इन्वेस्ट करते हैं। यह एक कंपनी के फ़ैल होने पर इन्वेस्टर्स के रिस्क को कम करने में मदद करता है।
लिक्विडिटी (Liquidity)
इन्वेस्टर्स आसान तरीके से अपने यूनिट्स को किसी भी समय रिडीम कर सकतें हैं।
इन्वेस्टर्स के पास म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाने और अपनी संपत्ति बढ़ाने के कई विकल्प हैं। उदाहरण के लिए, इक्विटी (Equity) फंड्स, बॉन्ड फंड्स (फिक्स्ड इनकम फंड्स), डेट फंडस या फिर फंड्स जिनमे दोनों में इन्वेस्ट किया जा सकता हो, याने :बैलेंस फंड्स।
इक्विटी: शेयर्स (कॉमन स्टॉक), म्युचुअल फंड (MF): किसी कंपनी के शेयर खरीदना।
- इक्विटी शेयरस लिक्विडिटी प्रदान करता; आप इनके वैल्यू बढ़ने पर, इन्हे बेच कर पैसा कमा सकतें है। कैपिटल मार्केट में आसानी से बिकता हैं।
- अधिक लाभ की स्थिति में इनसे हाई रेट पर प्रॉफिट प्राप्त म्यूचुअल फंड होता है।
- इक्विटी शेयर होल्डर्स को कंपनी के मैनेजमेंट को नियंत्रित करने का कलेक्टिव अधिकार देता ह।
- इक्विटी शेयर होल्डर्स को दो तरह से लाभ मिलता है, वार्षिक डिविडेंट और शेयर होल्डर्स के इन्वेस्टमेंट पर उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारन से होने वाला लाभ ।
- इक्विटी शेयरस में हाईएस्ट रिस्क होता है।
- म्युचुअल फंड (MF) इसके तुलना में कम रिस्की होता है।
- बहुत सारे इन्वेस्टर्स का कलेक्टिव फंड, एसेट मैनेजिंग कंपनीज द्वारा, अलग अलग सेक्टर्स के कंपनीज के शेयर्स खरीदने के लिए इन्वेस्ट कर, इन्वेस्टर्स को लाभ दिलाने के उद्देश्य से किया जाता है।
- डेट फंडस (स्टॉक और एमएफ) : जब किसी कंपनी को फंड्स की ज़रूरत होती है तो वह इन्वेस्टर्स के पास से पैसा उधर के तौर पर लेती है। बदले में, वे एक स्थिर और नियमित इंटरेस्ट इन्वेस्टर्स को देना का वादा करती है। इस प्रकार, सरल शब्दों में, डेट फंड्स काम करते हैं।
- इनकम फण्ड:म्यूचुअल फंड इसमें इंटरेस्ट पर निर्णय लिया जाता है और मुख्य रूप से एक्सटेंडेड मचुरिटी वाले डेट सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता। यह उन्हें डायनेमिक बॉन्ड फंड की तुलना में अधिक स्थिर बनाता है। इनकम फंड की एवरेज मैच्योरिटी लगभग पांच से छह साल की होती है।
- शॉर्ट-टर्म और अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट फंड: ये डेट फंड हैं जो एक साल से लेकर तीन साल तक की कम पीरियड के मैच्योरिटी वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। कंसरवेटिव इन्वेस्टर्स शॉर्ट-टर्म फंड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये फंड इंटरेस्ट रेट के उतार-चढ़ाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं।
- लिक्विड फंड: लिक्विड फंड 91 दिनों से अधिक की मैच्योरिटी वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश नहीं करते हैं। यह उन्हें लगभग रिस्क फ्री बनाता है। लिक्विड म्यूचुअल फंड फंडों ने शायद ही कभी नेगेटिव रिटर्न दिया है । ये फंडस हायर यील्ड्स के साथ साथ लिक्विडिटी भी प्रदान करते हैं। कई म्यूचुअल फंड कमनीयाँ लिक्विड फंड इन्वेस्टमेंट पर इंस्टेंट रिडेम्पशन (तत्काल पैसा निकलपने) की फैसिलिटी प्रदान करती हैं।
- गिल्ट फंड: ये फंड केवल हाई रेटेड क्रेडिट, सरकारी सिक्युरिटीज में, जिन में बहुत कम रिस्क होता है, में इन्वेस्टइन्वेस्ट करते है। इस वज़ह से फिक्स्ड इनकम वाले इन्वेस्टर्स के बीच लोकप्रिय हैं, क्योकि वे ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहतें हैं।
- क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड (FMP): ये तुलनामूलक नए डेट फंड हैं। अन्य डेट फंडों के तुलना में, क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स की मेचूरिटी पीरियड के अनुसार इन्वेस्ट नहीं करते हैं। ये फंड क्रेडिट रिस्क्स के अनुसार या हाई इंटरेस्ट रेट वाले, कम-रेटेड बॉन्डस में म्यूचुअल फंड इनवेस्टेड रह कर हाईेर रिटर्न्स कमाने का प्रयास करते हैं। क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड रीलेटिव्ली रिस्की डेट फंड हैं।
- फिक्स्ड मेचुरीटी प्लॉनस :(FMP) क्लोज-एंडेड डेट फंड हैं। ये फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में भी इन्वेस्ट करते हैं। सभी FMP का एक फिक्स्ड समय होता है, जिस दौरान आपका पैसा लॉक-इन रहता है। यह समय महीनों या वर्षों में हो सकता है। आप केवल इनिशियल ऑफ़र पीरियड के दौरान ही इसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं। यह एक फिक्स्ड डिपाजिट की तरह है जो बेहतर, टैक्स एफिसिएंट रिटर्न दे सकता है, लेकिन हाई रिटर्न की गारंटी नहीं देता है।
- बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड, वन-स्टॉप (one -stop) इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं जो इक्विटी और डेट दोनों सेगमेंट में इन्वेस्टमेंट ऑफर करते हैं। हाइब्रिड फंड का मुख्य उद्देश्य रिस्क-रिवॉर्ड के रेश्यो को बैलेंस करना और इन्वेस्टमेंट पर रेतुर्न को ऑप्टिमाइज़ (optimize) करना है।
इन सारे प्रकार के म्यूच्यूअल फंड्स में भी और खास तरह के फंड्स में इन्वेस्ट किया जा सकता है, जैसे सेक्टर-फंड् – जैसे फार्मा, हैल्थ केयर, बैंकिंग, आई टी, आदि, विशेष प्रकार के इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करने का मौका देता है और ग्रोथ-फंड्स इन्वेस्टर्स को उन कम्पनीज के शेयर्स में इन्वेस्टमेंट पर फोकस प्रदान करता है जिनके कैपिटल वैल्यू में वृद्धि (Capital appreciation) हो ।