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जोखिम के घटक

जोखिम के घटक
जैसाकि रिपोर्ट दर्शाती है, जलवायु परिवर्तन के जोखिम के प्रति अनुकूलित होना और उसका समाधान करना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जलवायु परिवर्तन नीति के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक यह होना जोखिम के घटक चाहिए कि बेहद खराब नतीजों की संभावना को पहचाना जाए और सभी संभावनाओं के लिए एक पूर्ण जोखिम आकलन इसे प्राप्त करने का बेहतरीन तरीका है। एक्चुएरीज (लेखन कर्ताओं) के तौर पर, अच्छे फैसलों को मुश्किल परिदृश्यों के अन्वेषण पर आधारित पाते हैं और इस जानकारी का इस्तेमाल जोखिम के समाधान में करते हैं। यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण जोखिम घटकों के आकलन में एक बेहद उपयोगी औजार सिद्ध होगी, जिस पर आनेवाले वर्षों में, वैश्विक तापक्रम की वृद्धि के संदर्भ में विचार करने तथा यथार्थतः लागू करने की आवश्यकता है।

शोध: जलवायु जोखिम के कारण वैश्विक वित्तीय स्टॉक्स बाजार लगातार हो रहे हैं प्रभावित

जलवायु जोखिम वैश्विक वित्तीय बाजार को प्रभावित करते हैं, इसलिए निष्कर्षों का वैश्विक नियामक निकायों पर प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में, जलवायु जोखिमों के कारण दिवालियापन के मामले सामने आए हैं। वित्तीय बाजारों को वर्तमान अर्थव्यवस्था को हरित अर्थव्यवस्था की ओर स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, नियामक इस अध्ययन के क्रॉस-सेक्शनल ड्राइवरों का उपयोग नीति को आकार देने के लिए कर सकते हैं।

इसी के आधार पर मगध विवि के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. धरेन जोखिम के घटक कुमार पाण्डेय व विनीता कुमारी का शोध लेख इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इमर्जिंग मार्केट्स में प्रकाशन हेतु स्वीकृत कर ली गयी है।

इस शोध में आईआईएम रांची के शोधार्थी राहुल कुमार का भी योगदान है। यह पत्रिका एबीडीसी की बी श्रेणी, एबीएस, स्कोपस, एवं 3.422 के इम्पैक्ट फैक्टर के साथ वेब ऑफ साइंस में सूचीबद्ध है। इस शोध में वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा सूचकांक के घटक स्टॉक्स पर ग्लासगो जलवायु संधि के प्रभावों की जांच की गई है। इस अध्ययन ने वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा स्टॉक के असामान्य रिटर्न पर ग्लासगो जलवायु समझौते के प्रभाव की जांच की। इसके अलावा, यह अध्ययन इस बात की जांच करता है कि कौन से देश-विशिष्ट और फर्म-विशिष्ट चर स्वच्छ ऊर्जा शेयरों के संचयी असामान्य रिटर्न को प्रभावित करते हैं।

17 देशों पर आधारित है शोध
डॉ. पाण्डेय बताते हैं कि उन्होंने घटना अध्ययन पद्धति और क्रॉस-अनुभागीय बहुभिन्नरूपी प्रतिगमन मॉडल का उपयोग किया। अध्ययन का नमूना 17 देशों में एसएंडपी ग्लोबल क्लीन एनर्जी इंडेक्स की 81 घटक फर्मों तक सीमित है। अध्ययन में पाया गया है कि ग्लासगो जलवायु समझौता स्वच्छ ऊर्जा फर्मों के स्टॉक रिटर्न को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) संचयी असामान्य रिटर्न को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और यह दर्शाता है कि स्वच्छ ऊर्जा निवेशक अच्छे सीसीपीआई स्कोर वाले देशों के फर्मों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं।

पर्यावरण नीति को करेगा प्रभावित
डॉ. पांडेय आगे बताते हैं कि बेहतर ईएसजी स्कोर और बड़े फर्मों ने कम असामान्य रिटर्न का अनुभव किया है, क्योंकि इन फर्मों के पास स्थिर वित्तीय और गैर-वित्तीय बुनियादी सिद्धांत हैं। इस शोध में फर्म-विशिष्ट चरों को नियोजित करके और पिछले निष्कर्षों का समर्थन करके मौजूदा साहित्य का विस्तार किया गया है। निष्कर्षों में स्वच्छ ऊर्जा निवेशकों, नीति निर्माताओं और अन्य बाजार सहभागियों के लिए नीतिगत निहितार्थ हैं।

पर्यावरण नीति में चल रहे नियामक बदलाव पर यह सामयिक अध्ययन निवेशकों, नीति निर्माताओं, फर्मों और अन्य हितधारकों को प्रासंगिक निर्णय लेने में मदद करेगा। इसके अलावा, सरकार हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए पर्यावरणीय नियमों के प्रभावों पर शोध करने में रुचि रखती हैं। ये नियम उभरते बाजारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं क्योंकि उनके पास विकसित बाजारों के समान ठोस संस्थागत ढांचे का अभाव है।

असामान्य है रिटर्न्स
इस शोध में किसी राष्ट्र की पर्यावरण नीतियों की कठोरता के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में सीसीपीआई का उपयोग किया गया है। छोटी अवधि के लिए पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) माप ने असामान्य रिटर्न्स के साथ एक नकारात्मक संबंध प्रदर्शित किया। वहीं फर्म-विशिष्ट चर (बीटीएम, स्टॉक तरलता, आकार और पिछले रिटर्न) विभिन्न घटना अवधियों में असामान्य रिटर्न्स के साथ एक नकारात्मक संबंध प्रदर्शित करते हैं।

जलवायु परिवर्तन विपत्ति मूल्यांकन रिपोर्ट जारी

वैज्ञानिकों, ऊर्जा नीति समीक्षक और विशेषज्ञों के अंतराष्ट्रीय समूह ने १३ जुलाई को एक स्वतंत्र विपत्ति मूल्याङ्कन रिपोर्ट जारी की, जोकि राजनीतिज्ञों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उनका नजरिया तय करने में सहायक होगी।

रिपोर्ट का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन के खतरे का आकलन राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे खतरों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। यह उस बिन्दु की पहचान करता है जिसके बाद ‘असुविधाजनक असहनीय हो सकता है’।

इनमें ताप-जनित तनाव सहने की मानवीय सीमा, फसलों द्वारा उच्च तापमान को सहने की सीमाएं, और इससे भी अधिक तापमान व्यापक पैमाने पर आपदाओं और फसलों के नाश का कारण बनेगा; और बढ़ते समुद्री तल की तटीय शहरों के लिए संभावित सीमाएं भी शामिल हैं। सलाह दी गई है कि इन सीमाओं के जोखिम को पार किए जाने में और तेजी आ सकती है, खासतौर पर वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हो रही है, जैसा कि रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि ऐसा मजबूत राजनैतिक प्रतिबद्धता के अभाव और तीव्र प्रौद्योगिकी विकास की अवस्था में होगा।

यह रिपोर्ट सलाह देती है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े जोखिम वे हो सकते हैं जिन्हें लोगों, बाजारों तथा सरकारों की पारस्परिक अंतःक्रियाओं द्वारा बढ़ाया गया है। इसके अनुसार राज्यों के असफल होने के जोखिम विशिष्ट रूप से बढ़ सकते हैं जिससे एक साथ कई देश प्रभावित हो सकते हैं।

रिपोर्ट में यह संस्तुति की गई कि जलवायु परिवर्तन के जोखिम का आकलन नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिए और उच्च स्तर पर राजनेताओं को इनके बारे में बताया जाना चाहिए।

लंदन स्टॉक एक्सचेंज में रिपोर्ट जारी किए जाने के अवसर पर विदेश मंत्री बैरोनेस ऐनिले ने कहा:

जब हम अपने देश को सुरक्षित रखने के बारे में सोचते हैं, हमेशा हम सबसे खराब हालात को सामने रखकर विचार करते हैं। इसी से परमाणु-अप्रसार, आतंकवाद निरोध और संघर्ष की रोकथाम पर हमारी नीतियों को दिशा मिलती है। हमें जलवायु-परिवर्तन पर भी इसी तरीके से विचार करना होगा। उन सामान्य खतरों से अलग, जलवायु परिवर्तन का खतरा समय के साथ लगातार बढ़ता जाएगा- जब तक कि हम उनके कारण को पूर्णतः समाप्त नहीं करते। इन जोखिमों से सफलतापूर्वक निबटने के लिए, यह जरूरी है कि हम एक दीर्घावधि दृष्टिकोण अपनाएं और तत्परतापूर्वक वर्तमान में काम करें।

इंस्टीट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुएरीज के अध्यक्ष और इस रिपोर्ट के सह-प्रायोजक, फिओना मॉरीसन ने अपनी टिप्पणी में कहा:

जैसाकि रिपोर्ट दर्शाती है, जलवायु परिवर्तन के जोखिम के प्रति अनुकूलित होना और उसका समाधान करना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जलवायु परिवर्तन नीति के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक यह होना चाहिए कि बेहद खराब नतीजों की संभावना को पहचाना जाए और सभी संभावनाओं के लिए एक पूर्ण जोखिम आकलन इसे प्राप्त करने का बेहतरीन तरीका है। एक्चुएरीज (लेखन कर्ताओं) के तौर पर, अच्छे फैसलों को मुश्किल परिदृश्यों के अन्वेषण पर आधारित पाते हैं और इस जानकारी का इस्तेमाल जोखिम के समाधान में करते हैं। यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण जोखिम घटकों के आकलन में एक बेहद उपयोगी औजार सिद्ध होगी, जिस पर आनेवाले वर्षों में, वैश्विक तापक्रम की वृद्धि के संदर्भ में विचार करने तथा यथार्थतः लागू करने की आवश्यकता है।

इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक हैं, जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन के विदेश सचिव के विशेष प्रतिनिधि, सर डेविड किंग; विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार परिषद के सदस्य, प्रोफेसर डेनियल श्रैग; जलवायु परिवर्तन पर चीन के नेशनल एक्सपर्ट कमिटी के सदस्य प्रोफेसर झू दादी; चीन के सिंगहुआ यूनिवर्सिटी में ब्रूकिंग्स- सिंगहुआ सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट के डाइरेक्टर प्रोफेसर क्वि ये; तथा भारत में जलवायु तथा ऊर्जा नीति पर एक प्रमुख विचार परिषद ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद की सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष। कुल मिलाकर, इस रिपोर्ट में 40 से ज्यादा वैज्ञानिकों तथा सुरक्षा, वित्त तथा अर्थशास्त्र आदि क्षेत्रों से विशेषज्ञों का योगदान है जो ग्यारह विभिन्न देशों से आते हैं।

यह रिपोर्ट, ‘जलवायु परिवर्तन: एक जोखिम आकलन’ ऑनलाइन उपलब्ध है।

आगे की जानकारी:

चार बैठकों की एक श्रृंखला द्वारा जलवायु परिवर्तन जोखिम के आकलन को इस रिपोर्ट के रूप में लाने की जानकारी दी गई थी, जिनमें से प्रत्येक बैठक इस रिपोर्ट के एक प्रमुख लेखक के देश में हुई। नवंबर 2014 में, ऊर्जा प्रौद्योगिकी तथा नीति के विशेषज्ञों ने वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की भावी कार्ययोजना पर विचार-विमर्श के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बैठक की। जनवरी 2015 में, जलवायु विज्ञान तथा जोखिम पर विमर्श के लिए एक बैठक का आयोजन बीजिंग के सिंगहुआ विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर चीन की राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति की मेजबानी में किया गया। मार्च 2015 में, जलवायु परिवर्तन के व्यवस्थित जोखिम पर विमर्श के लिए वरिष्ठ सेवानिवृत्त सैनिक तथा कूटनैतिक पदाधिकारियों, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों तथा वैज्ञानिकों के जोखिम के घटक एक समूह की बैठक दिल्ली में ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद द्वारा आयोजित की गई, जिसमें सीएनए कॉरपोरेशन ने सहायता प्रदान की।

इस परियोजना की शुरुआत ब्रिटिश विदेश तथा राष्ट्रमंडल कार्यालय द्वारा जलवायु परिवर्तन पर परिचर्चा में एक स्वतंत्र योगदान के तौर पर की गई थी। इसकी विषय-सामग्री लेखकों के विचारों को अभिव्यक्त करती है, और इसे ब्रिटिश सरकार के विचारों के तौर पर ग्रहण नहीं किया जाना चाहिए।

बैठकों तथा रिपोर्ट के लिए जोखिम के घटक जोखिम के घटक जलवायु परिवर्तन पर चीन की राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति (नेशनल एक्सपर्ट कमिटी), द स्कॉल ग्लोबल थ्रीट्स फंड, द ग्लोबल चैलेंजेज फाउंडेशन, द इंस्टीट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुएरीज तथा विलीज रीसर्च नेटवर्क द्वारा सह-प्रायोजन उपलब्ध कराया गया। इस परियोजना के विशिष्ट घटकों को सहयोग भी ब्रिटिश ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन विभाग, विज्ञान हेतु ब्रिटिश सरकार के कार्यालय, चीन के मौसम विज्ञान प्रशासन, तथा ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी स्थित जलवायु परिवर्तन विज्ञान संस्थान द्वारा उपलब्ध कराया गया।

अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां संपर्क करें:

स्टुअर्ट एडम, प्रमुख,
प्रेस एवं संचार
ब्रिटिश उच्चायोग, चाणक्यपुरी
नई दिल्ली 110021
टेलीफोन: 44192100 फैक्स: 24192411

अफ़ग़ानिस्तान के साथ सम्पर्क व बातचीत ज़रूरी, अन्यथा बिखराव का जोखिम

एक 12 वर्षीय लड़का अफ़ग़ानिस्तान के एक पश्चिमी प्रान्त - उरुज़गान में केले बेचते हुए.

अफ़ग़ानिस्तान के लिये, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष उप प्रतिनिधि मार्कस पॉटज़ेल ने सुरक्षा परिषद को देश में हालात से अवगत कराते हुए बताया कि यदि तालेबान, सभी अफ़ग़ान नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करने और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ रचनात्मक ढंग से सम्पर्क व बातचीत में विफल रहा, तो देश का भविष्य अनिश्चित है.

यूएन दूत ने कहा कि हाल के महीनों में प्रगति दर्ज की गई है मगर उसकी रफ़्तार बेहद धीमी है और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का संयम ख़त्म होता रहा है.

उन्होंने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर जारी प्रतिबन्ध और महिला अधिकारों के लिये बढ़ती पाबन्दियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया.

If Taliban continue failing to uphold the rights of all Afghans & to engage constructively with int’l community, #Afghanistan’s future is uncertain: fragmentation, isolation, poverty & internal conflict are likely scenarios, UNAMA envoy @PotzelMarkus tells Security Council today. pic.twitter.com/jbl2RSmlYS

यूएन दूत ने कहा कि ये एक संकेत है कि तालेबान, देश की 50 फ़ीसदी से अधिक आबादी के लिये उदासीन है और इसके लिये अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने का जोखिम मोल लेने के लिये तैयार है.

मार्कस पॉटज़ेल के अनुसार, महिलाओं व लड़कियों को केवल घर तक सीमित कर दिया जाना, ना उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करता है, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान के लिये उनके योगदान को भी नकार दिया जाता है.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन सहायता मिशन ने सशस्त्र झड़पों व घातक आतंकी हमलों तक, देश में आतंकवादी समूहों व अन्य गुटों की बढ़ती गतिविधियों की निगरानी की है.

उप विशेष प्रतिनिधि ने प्रतिनिधियों को बताया कि, “तालेबान ने इस्लामिक स्टेट खोरोसान प्रान्त (ISKP) की क्षमताओं के बारे में हमारी पूर्व चेतावनियों को ख़ारिज कर दिया था.”

मगर, यूएन दूत के अनुसार इस गुट ने पिछले कुछ महीनों में दर्शाया है कि ये तालेबान के नज़दीकी लोगों की हत्याओं को अंजाम दे सकता है, विदेशी दूतावासों पर हमले किये जा सकते हैं और अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर पड़ोसी देशों पर रॉकेट भी दागे जा सकते हैं.

इसके अलावा, ISKP गुट के लिये, शिया मुसलमानों व अन्य जातीय अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने की मुहिम को भी जारी रखना सम्भव है.

मानवाधिकारों का उल्लंघन

यूएन दूत ने बताया कि तालेबान के सुरक्षा बलों और सशस्त्र विरोधी गुटों के बीच पंजशीर, बागलान, कपीसा, टकहर और बदकशाँ प्रान्तों में झड़पें जारी हैं.

इन झड़पों के सिलसिले में प्राप्त ख़बरों, वीडियों व फ़ोटों के आधार पर उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजशीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन किये जाने की आशंका है.

मार्कस पॉटज़ेल ने न्यायेतर हत्याओं के आरोपों की जाँच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यूएन मिशन, मानवाधिकार हनन के सभी मामलों की निगरानी का कार्य जारी रखेगा.

अर्थव्यवस्था को सहारा

उप विशेष प्रतिनिधि का कहना है कि देश में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2007 के स्तर तक पहुँच गई है, और 15 वर्षों की आर्थिक प्रगति पर इसने पानी फेर दिया है, जिसकी एक वजह, अन्तरराष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था से अफ़ग़ानिस्तान का अलग होना है.

उन्होंने बताया कि देश में नक़दी की उपलब्धता (liquidity), बहुत हद तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवीय राहत अभियानों के लिये लाये जाने वाली वित्तीय सहायता पर जोखिम के घटक निर्भर है.

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि यह नक़दी अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की ज़रूरतों को पूरा करती है और तालेबान प्रशासन तक नहीं पहुँचती है.

मगर, सहायता धनराशि का प्रबन्ध हो पाना जोखिम के घटक भी अभी अनिश्चित है, चूँकि 2022 मानवीय राहत योजना में 4.4 अरब डॉलर की अपील की गई थी, जिसमें से केवल 1.9 अरब डॉलर का ही इन्तेज़ाम हो पाया है.

दीर्घकालीन आवश्यकताएँ

उप विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि अफ़ग़ान जनता की दीर्घकालीन आवश्यकताओं को, मानवीय सहायता और आर्थिक उपायों के ज़रिये पूरा कर पाना सम्भव नहीं है.

मसलन, आपात राहत, अति-आवश्यक सेवाओं की वितरण प्रणाली, स्वास्थ्य व जल का स्थान नहीं जोखिम के घटक ले सकती है और ना ही आर्थिक बदहाली को टाला जा सकता है.

उन्होंने कहा कि निर्णय-निर्धारण में राजनैतिक समावेशिता व पारदर्शिता के अभाव में, अधिकांश अफ़ग़ान नागरिकों को सरकार में प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है.

सम्पर्क व बातचीत ज़रूरी

मार्कस पॉटज़ेल ने कहा कि तालेबान के स्वयंभू अमीरात को अभी किसी अन्य देश ने मान्यता नहीं दी है, मगर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय देश को ध्वस्त होते भी नहीं देखना चाहेगा.

“अगर, तालेबान अफ़ग़ान समाज के सभी घटकों की आवश्यकताओं का ख़याल नहीं रखता और सम्भावित अवसर की इस संक्षिप्त घड़ी में सृजनात्मक ढंग से सम्पर्क व बातचीत नहीं करता है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि फिर क्या होगा.”

यूएन दूत ने दरारें चौड़ी होने, देश के अलग-थलग पड़ने, निर्धनता गहराने और अन्दरूनी टकराव के और अधिक गम्भीर होने की आशंका जताई है.

इससे विशाल स्तर पर लोगों के विस्थापित होने और देश में आतंकवादी संगठनों के लिये एक अनुकूल माहौल तैयार होने का जोखिम पैदा होगा व अफ़ग़ान समुदायों की पीड़ा बढ़ेगी.

इसलिये ये ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान के साथ सम्पर्क व बातचीत के रास्ते स्थापित किये जाएँ.

Visure आवश्यकताएँ ALM प्लेटफ़ॉर्म: यह कैसे काम करता है | टूल सूट

ऑल-इन-वन प्लेटफॉर्म के साथ अपनी आवश्यकता, जोखिम और परीक्षण को केंद्रीकृत करें

आवश्यकताओं, जोखिम और परीक्षण सहित, एक ही स्रोत में अनुप्रयोग विकास जीवनचक्र को केंद्रीकृत करके इंजीनियरिंग टीमों की उत्पादकता और सहयोग को सशक्त बनाना।

छवि पृष्ठभूमि

Visure इन कंपनियों के उत्पादों को विकसित करने और परियोजनाओं को पूरा करने के तरीके को बदल देता है।

एक ही प्लेटफॉर्म में आवश्यकताएं बनाएं, इकट्ठा करें और प्रबंधित करें

Visure आवश्यकताएँ ALM प्लेटफ़ॉर्म के साथ आप टूल के भीतर आसानी से आवश्यकताओं को बना सकते हैं, संपादित कर सकते हैं और प्रबंधित कर सकते हैं। यह आपकी टीम को ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों को वितरित करने और इंजीनियरिंग के साथ व्यवसाय को संरेखित करने के लिए पूर्ण और सटीक आवश्यकताओं को इकट्ठा करके आवश्यकताएँ कैप्चर प्रक्रिया को सरल बनाने में सक्षम बनाता है।

एमएस ऑफिस वर्ड और एक्सेल से अपनी वर्तमान और मौजूदा आवश्यकताओं को मूल रूप से आयात करके शुरू करें।

इसके अतिरिक्त आप उपकरण के भीतर आवश्यकताएं बना सकते हैं, और उन्हें एमएस ऑफिस वर्ड और एक्सेल के लिए निर्यात कर सकते हैं, और जोखिम के घटक माध्यमिक विरासत उपकरण जैसे आईबीएम दरवाजे ReqIF डेटा एक्सचेंज के माध्यम से।

अपनी संरचना को परिभाषित करें और उद्योग ITEM टेम्प्लेट के साथ गुणवत्ता और अनुपालन लागू करें

Visure में हम मानते हैं कि गति सफलता की जोखिम के घटक कुंजी है, और यही कारण है कि हमने अनुशंसित टेम्पलेट दिशानिर्देश बनाए ताकि आप आवश्यकताओं को इकट्ठा करने की तकनीकों का उपयोग करके एक शुरुआत प्राप्त कर सकें।

आपकी टीम ITEM टेम्प्लेट दिशानिर्देशों का उपयोग करके आपकी प्रक्रिया को उच्च स्तर पर बनाने और परिभाषित करने में सक्षम होगी।

यह आपको एक संरचना और प्रक्रिया बनाने में सक्षम करेगा कि आपकी टीम को आवश्यकताओं, परीक्षणों और जोखिमों को कैसे लिखना है।

एकीकृत जोखिम प्रबंधन सॉफ्टवेयर

विज़र के साथ एक मंच में जोखिम प्रबंधन को केंद्रीकृत करके, आप विकास प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में जोखिमों को पकड़, विश्लेषण, मूल्यांकन और कम कर सकते हैं।

इस तरह, आप उत्पाद विकास के बाद के चरणों के दौरान होने वाली चूक से बच सकते हैं। Visure के साथ, आप अपनी जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया में फिट होने के लिए किसी भी स्तर पर आइटम प्रकारों को अनुकूलित कर सकते हैं और छूटे हुए जोखिमों से लगातार बचना शुरू कर सकते हैं।

FMEA को लागू करके, आप FMEA मेट्रिक्स के साथ जोखिम की गणना करने में सक्षम होंगे। एक बार जब आपके जोखिम विश्लेषण टूल से जोखिम की पहचान हो जाती है, तो परिणाम आयात किए जा सकते हैं और आप उच्च जोखिम आवश्यकताओं को जोखिम विश्लेषण परिणामों से जोड़ने में सक्षम होंगे।

उच्च जोखिम आवश्यकताओं के लिए, आप सुरक्षा आवश्यकताएं बनाने में सक्षम होंगे, जो उच्च जोखिम को कम करने के लिए और उनसे संबंधित नई आवश्यकताएं हैं।

अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को लागू करने के बाद, आप दूसरा मूल्यांकन करने में सक्षम होंगे, जो जोखिम को कम करेगा। एक बार जब जोखिम कम हो जाता है, तो टीमें अनुपालन और हितधारक ऑडिट के लिए जोखिम शमन और सुरक्षा आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए उन्हें आसानी से किसी भी प्रारूप में निर्यात कर सकती हैं।

एकीकृत आवश्यकताएँ-आधारित परीक्षण

परीक्षण प्रबंधन में, जटिल उत्पादों और प्रणालियों के लिए आवश्यकताओं का सत्यापन और सत्यापन आवश्यक है। अनुपालन सुनिश्चित करने और प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, एक परीक्षण प्रबंधन प्रणाली का होना आवश्यक है जो अलग-अलग प्रक्रियाओं, स्रोतों और लोगों को जोड़ता है।

Visure की परीक्षण प्रबंधन प्रणाली टीमों को विफल परीक्षणों को जल्दी और कुशलता से दोषों का पता लगाने की क्षमता प्रदान करती है।

इसके अलावा, सिस्टम बढ़ी हुई दृश्यता और उत्पादकता के लिए एक परीक्षण प्रबंधन डैशबोर्ड भी प्रदान करता है। मान्य आवश्यकताओं का पुन: उपयोग करके, टीम उत्पादों में सुसंगत सुविधाओं का परीक्षण करते समय समय बचा सकती है।

अब, आप परीक्षण प्रबंधन विनियमों के अनुपालन के लिए अपने पथ को सरल बनाने में सक्षम होंगे।

Visure के साथ, आपकी टीम त्वरित समाधान के लिए नए और मौजूदा दोषों के लिए विफल परीक्षणों का पता लगाकर, और परीक्षण की स्थिति को वापस आवश्यकताओं से जोड़कर पूर्ण पता लगाने की क्षमता हासिल करती है।

एंड-टू-एंड ट्रैसेबिलिटी के लिए एक अनुकूलित केंद्रीकृत समाधान

Visure आवश्यकताएँ ALM प्लेटफ़ॉर्म आवश्यकता प्रबंधन, परीक्षण प्रबंधन, दोष और समस्या ट्रैकिंग, परिवर्तन प्रबंधन, और जोखिम प्रबंधन, सभी के लिए एक, एकल प्लेटफ़ॉर्म में अद्वितीय सुविधाएँ प्रदान करता है। कॉन्फ़िगरेशन प्रबंधन, संस्करण ट्रैकिंग, सभी कलाकृतियों के लिए बेसलाइनिंग प्रदान करना, और इंजीनियरिंग टीमों को कई परियोजनाओं में पूर्ण एंड-टू-एंड ट्रैसेबिलिटी हासिल करने में सक्षम बनाना।

एक ही मंच के भीतर, आप स्रोत कोड से आवश्यकताओं और कार्यक्षमता तक पता लगाने की क्षमता प्राप्त करने में सक्षम होंगे, परियोजनाओं में घटकों का पता लगा सकते हैं या विशिष्ट उच्च जोखिम वाले कारकों को कम करने के लिए बनाए गए इतिहास और सुरक्षा आवश्यकताओं को बदल सकते हैं। (बस कुछ पता लगाने योग्य मामलों के नाम के लिए।)

Visure के आधुनिक आवश्यकताओं वाले अल्म प्लेटफॉर्म के साथ, आप वास्तविक समय में एक ट्रेसबिलिटी डैशबोर्ड तक पहुंच पाएंगे, ताकि आप देख सकें कि कितने प्रतिशत आइटम ट्रेस किए जा रहे हैं या नहीं। यह आपको उच्च-स्तरीय ग्राहक आवश्यकताओं से लेकर सॉफ़्टवेयर, हार्डवेयर और यांत्रिक आवश्यकताओं, और जोखिम और परीक्षण तक, किसी भी स्तर पर पता लगाने की क्षमता को लागू करने की अनुमति देगा।

यह एंड-टू-एंड ट्रैसेबिलिटी के परिणामस्वरूप बाजार में तेजी आती है, और सत्यापन और विकास लागत दोनों कम होती है। यह भारी विनियमित उद्योगों में जटिल उत्पादों और प्रणालियों का निर्माण करने वाली इंजीनियरिंग टीमों के लिए एक मंच होना चाहिए।

अपनी अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाएं

कई संगठन वर्तमान में Microsoft Office Word और Excel स्वरूपों में अपनी स्वयं की अनुकूलित चेकलिस्ट और टेम्पलेट रखते हैं।

Visure की स्वचालित चेकलिस्ट के साथ, इंजीनियरिंग टीमें अब अपने स्वयं के चेकलिस्ट टेम्प्लेट आयात कर सकती हैं, उन्हें टूल के भीतर संपादित और कस्टमाइज़ कर सकती हैं।

यह इंजीनियरिंग टीमों को एक ऑल-इन-वन केंद्रीकृत जोखिम के घटक प्लेटफॉर्म में स्वचालित रूप से अपने अनुपालन और समीक्षा प्रक्रिया में तेजी लाने में सक्षम बनाता है।

यह आपको इन चेकलिस्ट के आसपास एक समीक्षा प्रक्रिया को डिजाइन और बेहतर बनाने में सक्षम करेगा।

भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने निक्रा के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक की वार्षिक समीक्षा और समापन कार्यशाला का किया आयोजन

मुख्य अतिथि, डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप ने अगले चरण के लिए जोखिम और भेद्यता के आधार पर जिलों के चयन की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन के लिए सफल प्रौद्योगिकियों के दस्तावेजीकरण पर जोर दिया।

ICAR-ATARI, Ludhiana organizes Annual Review and Concluding Workshop of Technology Demonstration Component of NICRA ICAR-ATARI, Ludhiana organizes Annual Review and Concluding Workshop of Technology Demonstration Component of NICRA ICAR-ATARI, Ludhiana organizes Annual Review and Concluding Workshop of Technology Demonstration Component of NICRA ICAR-ATARI, Ludhiana organizes Annual Review and Concluding Workshop of Technology Demonstration Component of NICRAICAR-ATARI, Ludhiana organizes Annual Review and Concluding Workshop of Technology Demonstration Component of NICRA

विशिष्ट अतिथि, डॉ. जे.पी. शर्मा, कुलपति, SKUAST, जम्मू ने देश में वर्तमान जलवायु परिवर्तन परिदृश्य को रेखांकित किया। उन्होंने अनुकूल प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

डॉ. एस. भास्कर, एडीजी (एएएफ और सीसी), भाकृअनुप ने टीडीसी कार्यक्रम की शुरुआत और क्लस्टर गाँवों के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने अभिसरण के साथ प्रौद्योगिकियों के उन्नयन पर जोर दिया।

डॉ. ए. के. मेहता, पूर्व एडीजी और अध्यक्ष, जेडएमसी ने देश में वर्तमान जलवायु परिवर्तन की स्थिति और किसानों के सामने आने वाली सभी समस्याओं पर विचार करके केंद्रित कार्य योजना पर प्रकाश डाला।

डॉ. वी. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने सभी महत्त्वपूर्ण फसलों, उपलब्ध संसाधनों, बाधाओं, विभिन्न प्रणालियों के लचीलेपन और जोखिम को कम करने पर विचार करते हुए कृषि प्रणाली के प्रकारों पर जलवायु लचीला प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करके टीडीसी के अगले चरण में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोणों पर जोर दिया।

डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में सिद्ध पद्धतियों के विस्तार द्वारा जलवायु अनुकूल गाँवों के विकास के दृष्टिकोण पर जोर दिया।

इस अवसर पर लगभग 13 कृषि विज्ञान केंद्रों ने रिपोर्ट प्रस्तुत की और 8 जिलों ने निक्रा-टीडीसी के अगले चरण के लिए प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

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