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मॉडल ट्रेडिंग

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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान मॉडल ट्रेडिंग आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

मोदी का ‘मिशन गुजरात’, बोले- सूरत 4-P का उदाहरण, यही मॉडल इसे विशेष बनाता है

अहमदाबाद (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार से गुजरात का दो दिवसीय दौरे पर हैं। गुजरात के सूरत में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में 3,400 करोड़ से ज्यादा की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला …

अहमदाबाद (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार से गुजरात का दो दिवसीय दौरे पर हैं। गुजरात के सूरत में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में 3,400 करोड़ से ज्यादा की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। पीएम मोदी ने कहा कि सूरत शहर लोगों की एकजुटता और जनभागीदारी, दोनों का बहुत ही शानदार उदाहरण है। हिन्दुस्तान का कोई प्रदेश ऐसा नहीं होगा, जिसके लोग सूरत की धरती पर न रहते हों। सूरत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये शहर श्रम का सम्मान करने वाला शहर है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस सदी के शुरुआती दशकों में जब दुनिया में 3-P यानि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की चर्चा होती थी, तब मैं कहता था कि सूरत 4-P का उदाहरण है। 4-P यानि पीपुल, पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप। यही मॉडल सूरत को विशेष बनाता है। सूरत के कपड़ा और हीरा कारोबार से देशभर के अनेक परिवारों मॉडल ट्रेडिंग का जीवन चलता है। ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट जब पूरा हो जाएगा तो सूरत, विश्व के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक डायमंड ट्रेडिंग हब के रूप में विकसित होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि सूरत के कपड़ा और हीरा कारोबार से देशभर के अनेक परिवारों का जीवन चलता है। ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट जब पूरा हो जाएगा तो सूरत, विश्व के सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक डायमंड ट्रेडिंग हब के रूप में विकसित होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि बीते 2 दशकों से विकास के जिस पथ पर सूरत चल पड़ा है, वो आने वाले सालों में और तेज़ होने वाला है। यही विकास आज डबल इंजन सरकार पर विश्वास के रूप में झलकता है। जब विश्वास बढ़ता है, तो प्रयास बढ़ता है। और सबका प्रयास से राष्ट्र के विकास की गति तेज़ होती है।

पीएम मोदी ने कहा कि एयरपोर्ट से शहर को जोड़ने वाली सड़क जो बनी है, वो सूरत की संस्कृति, समृद्धि और आधुनिकता को दर्शाती है। लेकिन यहां अनेक साथी ऐसे हैं जिन्होंने एयरपोर्ट के लिए भी हमारे लंबे संघर्ष को देखा है, उसका हिस्सा भी रहे हैं। तब जो दिल्ली में सरकार थी, हम उनको बताते-बताते थक गए कि सूरत को एयरपोर्ट की ज़रूरत क्यों है, इस शहर का सामर्थ्य क्या है। आज देखिए, कितनी ही फ्लाइट्स यहां से चलती हैं, कितने लोग हर रोज़ यहां एयरपोर्ट पर उतरते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार बनने के बाद तो घर बनाने में भी तेज़ी आई है और सूरत के गरीबों, मिडिल क्लास को दूसरी सुविधाएं भी मिलने लगी हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत देश में अभी तक लगभग 4 करोड़ गरीब मरीज़ों को मुफ्त इलाज मिल चुका है। इसमें से 32 लाख से अधिक मरीज़ गुजरात के हैं और लगभग सवा लाख सूरत से हैं।

पीएम मोदी राज्य में पहली बार आयोजित हो रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करेंगे। गुजरात, मोदी का गृह राज्य है और इस साल के अंत तक वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में करीब तीन दशक से शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में कायम रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री सूरत में डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल (ड्रीम) सिटी के मुख्य प्रवेश द्वार और इसके पहले चरण के कार्यों का उद्घाटन करने के साथ-साथ 3,400 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे। इसके बाद यहां लिंबायत क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी इसके बाद भावनगर जाएंगे और करीब 6,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे, जिसमें भावनगर में दुनिया का पहला सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) टर्मिनल तथा एक ब्राउनफील्ड बंदरगाह शामिल है।

भावनगर शहर के जवाहर चौक इलाके में एक जनसभा को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री का वहां दो किलोमीटर लंबा रोड शो करने का भी कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री शाम को अहमदाबाद शहर के मोटेरा इलाके में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में 36वें राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करेंगे। उनका अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में गुजरात सरकार के नवरात्रि उत्सव में भाग लेने का भी कार्यक्रम है।

रेल मंत्रालय ने अहमदाबाद (गुजरात) रेलवे स्टेशन के पुनर्निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद उसके प्रस्तावित डिज़ाइन की तस्वीरें शेयर की हैं। मंत्रालय के मुताबिक, स्टेशन का डिज़ाइन प्रतिष्ठित मोढेरा सूर्य मंदिर से प्रेरित होगा और स्टेशन को बुलेट ट्रेन, मेट्रो स्टेशन और मौजूदा बीआरटी से जोड़ा जाएगा। स्टेशन के ट्रैक्स के ऊपर 648-मीटर × 140-मीटर चौड़ा रूफ प्लाज़ा बनेगा।

रेल मंत्रालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल गांधीनगर राजधानी और मुंबई सेंट्रल के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस के नए और उन्नत संस्करण को हरी झंडी दिखाएंगे। अगले 3 वर्षों में 400 नई जनरेशन की वंदे भारत ट्रेनें शुरू की जाएंगी।

AscendEX कन्वर्ट के बारे में

कन्वर्ट फीचर को चौबीसों घंटे काम करने वाले क्रिप्टो ATM के रूप में आसानी से समझा जा सकता है। इस फीचर के माध्यम से, उपयोगकर्ता अपनी इच्छा के अनुसार आसानी से और तुरंत अपने अकाउंट्स में डिजिटल एसेट्स को किसी भी क्रिप्टो टोकन में एक्सचेंज कर सकते हैं।

कन्वर्ट कैसे काम करता है ?

यह प्रोसेस ऑर्डर बुक मॉडल से अलग है क्योंकि कन्वर्ट फीचर काउंटर कोटेशन मॉडल को लागू करती है। बैंक काउंटर पर फॉरेन एक्सचेंज के रूप में कार्य करते हुए, अगर उपयोगकर्ता विभिन्न डिजिटल एसेट्स के लिए ट्रेड करना चाहते हैं, तो वे कन्वर्ट काउंटर पर प्रारंभिक पूछताछ करेंगे, जहां उन्हें मार्केट कंडीशन्स (विभिन्न क्रिप्टो करंसियों के बीच एक्सचेंज रेट) के आधार पर एक कोट दिया जाएगा। अगर उपयोगकर्ता कोट स्वीकार करता है और ऑर्डर पेमेंट को कन्फर्म करता है, तो कन्वर्ट सिस्टम ट्रेड के लिए तत्काल सेटलमेंट करेगा और उपयोगकर्ताओं के कैश अकाउंट में वांछित क्रिप्टो टोकन्स की राशि क्रेडिट करेगा।

कन्वर्ट के फायदे

1. आसान ऑपरेशन्स और रियल-टाइम सेटलमेंट

कन्वर्ट फीचर उपयोगकर्ताओं को 24 घंटे की कोट सर्विसेस प्रदान करती है। कोट को स्वीकार किए जाने पर उपयोगकर्ता केवल एक क्लिक से कन्वर्ट कर सकते हैं। ट्रेड तुरंत सेटल हो जाएगा, और स्वैप किए गए क्रिप्टो टोकन्स सीधे उपयोगकर्ताओं के कैश अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे। विशिष्ट होने के लिए, उपयोगकर्ताओं को केवल अपने टार्गेट टोकन का चयन करने और कोई अन्य ऑपरेशन्स किए बिना कन्वर्जन को पूरा करने के लिए अपनी इच्छित अमाउंट इनपुट करने की जरूरत होती है।

2. एक बार कोट स्वीकार कर लिए जाने के बाद, ऑर्डर प्राइस सेटल हो जाती है, और ऑर्डर एक्जीक्यूट हो जाएगा। उपयोगकर्ता को प्राइस के मूवमेंट्स से कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं होता है।

ऑर्डर बुक मॉडल की तुलना में, कन्वर्ट फीचर सुनिश्चित करती है कि उपयोगकर्ता प्राइस में उतार-चढ़ाव से अतिरिक्त जोखिमों के संपर्क में न आएं। एक बार कोट स्वीकार कर लिए जाने के बाद, ऑर्डर प्राइस सेटल हो जाती है, और ऑर्डर एक्जीक्यूट हो जाएगा। ऑर्डर बुक मॉडल के अंतर्गत, सिस्टम बायर्स और सेलर्स के लिए ऑर्डर मैचिंग करता है, जिसका मतलब है कि अगर मार्केट में मैचिंग ऑर्डर उपलब्ध नहीं है तो ऑर्डर फिल नहीं किया जा सकता है। यह आमतौर पर इल्लिक्विड मार्केट्स में देखा जाता है और ट्रेडर्स को आम तौर पर अपने ऑर्डर्स एक्जीक्यूट किए जाने के लिए मार्केट में ज्यादा गहराई उपलब्ध होने तक इंतजार करने की जरूरत है। चूंकि व्यापारियों को एक विस्तारित अवधि के लिए इंतजार करने की जरूरत है, उन्हें इंतजार की अवधि के दौरान प्राइस के मूवमेंट्स से कुछ जोखिम हो सकते हैं।

3. बड़े ऑर्डर्स के लिए कन्वर्जन प्राइस एडवांटेज

ऑर्डर बुक मॉडल की तुलना में, कन्वर्ट फीचर में बड़े ऑर्डर के लिए कन्वर्जन प्राइस एडवांटेज होता है और यह स्लिपेज के जोखिम से बचने में मदद कर सकता है। ऑर्डर बुक मॉडल के अंतर्गत, जितना बड़ा ऑर्डर होगा, स्पॉट मार्केट से ऑर्डर प्राइस के विचलन की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी (बाय ऑर्डर जितना बड़ा होगा, ऑर्डर प्राइस उतनी ही ज्यादा होगी, सेल ऑर्डर जितना बड़ा होगा, ऑर्डर प्राइस उतनी ही कम होगी)। प्राइस के विचलन से मार्केट में तेजी से दुर्लभ ऑर्डर उपलब्ध होते हैं, जिससे ट्रेडर्स के लिए स्वीकार्य प्राइस पर ऑर्डर एक्जीक्यूट करना कठिन हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्राइस स्लिपेज होता है। छोटे मार्केट कैप और कम मार्केट डेप्थ वाले टोकन्स में स्लिपेज का ज्यादा जोखिम होता है, जो ट्रेडर्स पर ज्यादा गंभीर प्रभाव डालता है। हालांकि, कन्वर्ट का इस्तेमाल करके इस तरह के जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है, क्योंकि एक बार कोट स्वीकार किए जाने और कन्फर्म होने के बाद ट्रेडर्स अपने बड़े ऑर्डर को एक्जीक्यूट कर सकते हैं। चूंकि कन्वर्ट ने सिंगल टोकन स्वैप की मात्रा पर सीमा निर्धारित की है, यहां उल्लिखित बड़े ऑर्डर केवल सापेक्ष हैं। यह ध्यान देने योग्य मॉडल ट्रेडिंग है कि कन्वर्जन के दौरान कोई ट्रांजेक्शन फीस नहीं लगती है, जो बड़े ऑर्डर की ट्रांजेक्शन लागत को कम करने में भी मदद करता है।

4. आसान कन्वर्जन के लिए टोकन के ज्यादा जोड़े उपलब्ध हैं

उपयोगकर्ता आसानी से और तुरंत कन्वर्ट सुविधा द्वारा समर्थित किसी भी दो टोकन्स के बीच कन्वर्ट कर सकते हैं, जिसका मतलब है कि यह फीचर नियमित ट्रेड्स की तुलना में कन्वर्जन के लिए अधिक टोकन विकल्प प्रदान करती है। कॉम्प्लेक्स ट्रेडिंग स्टेप्स वाले ऑर्डर बुक-आधारित ट्रेड की तुलना में किसी भी दो टोकन्स के बीच सीधा कन्वर्जन बहुत आसान है।

उदाहरण के लिए, अगर हम नियमित ट्रेडिंग मॉडल में ONG/CRO जोड़ी को ट्रेड करते हैं, तो प्लेटफॉर्म को जोड़ी की ट्रेडिंग को रियलाइज करने के लिए दो संबंधित मार्केटप्लेस खोलने की जरूरत है। हालांकि, कैश ट्रेडिंग मार्केट ज्यादातर USDT, BTC, ETC और अन्य स्टेबल या लोकप्रिय टोकन्स में पोस्ट किया जाता है, जिसका मतलब है कि ONG/CRO जोड़ी ट्रेड को सुविधाजनक बनाने के लिए एक मध्यस्थ टोकन की जरूरत होती है। व्यवहारतः, उपयोगकर्ता ONG/USDT मार्केट पर (सेल) ONG टू USDT को कन्वर्ट करते हैं, उसके बाद (बाय) CRO/USDT मार्केट पर USDT टू CRO पर स्वैप करते हैं।

आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?

बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं.

पेनी स्टॉक्स के बारे में

सरबजीत कौर

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2021,
  • (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
  • पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
  • बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
  • बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित

पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.

कितना रिस्क है:

पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.

एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'

बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.

पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

कितना फायदा:

पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.

मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.

प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.

लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर मॉडल ट्रेडिंग हैं.’

अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.

आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’

पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:

·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.

लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.

मॉडल ट्रेडिंग

Azadi Ka Amrit Mahotsav

हमारे बारे में

लैंडलॉर्ड बंदरगाह अपनी मिश्रित सार्वजनिक-निजी अभिविन्यास विशेषता से जानी जाती है। इस मॉडल के तहत, बंदरगाह प्राधिकरण नियामक संस्था के रूप में और लैंडलॉर्ड के रूप में काम करता है, जबकि बंदरगाह का संचालन (विशेषकर कार्गो हैंडलिंग) निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है। आज, लैंडलॉर्ड बंदरगाह बड़े और मध्यम आकार के बंदरगाहों में प्रमुख बंदरगाह मॉडल है।

समुद्र पर चलने वाले माल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरे विश्व में 2,000 से अधिक बंदरगाहें सक्रिय हैं। सुधारों के बाद दुनिया भर में बंदरगाहों के निजीकरण के लिए बढ़ते कदमों के साथ, पिछले कुछ वर्षों से बंदरगाहों की बुनियादी ढांचे की गतिविधियों और संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी में काफी वृद्धि हुई है। सेवा बंदरगाह मॉडल को लैंडलॉर्ड बंदरगाह मॉडल में परिवर्तित करते हुए बंदरगाहों के संगठनात्मक मॉडल में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, जहां अब बंदरगाह प्राधिकरण बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और नियामक कार्यों को बरकरार रखता है, वहीं बंदरगाह सेवाएं निजी संचालकों द्वारा प्रदान की जाती हैं।

बंदरगाह प्राधिकरण एक लैंडलॉर्ड का गठन करता है, जो कुशल तरीके से बंदरगाह संचालकों को भूमि और बुनियादी ढांचा देकर मूल बंदरगाह संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इस मॉडल में लैंडलॉर्ड बंदरगाह योजना, पट्टे पर बातचीत, सुरक्षा, नेविगेशन और समग्र समन्वय कार्य में शामिल होगी। माल सेवाएं, समुद्री सेवाएं, सहायक सेवाएं, बर्थ आदि का प्राथमिक बंदरगाह उपयोगकर्ताओं के लिए कैप्टिव / बीओटी आधार पर निजीकरण हो गया है। बंदरगाह संचालकों और अन्य उपक्रम जो बंदरगाह में स्थित होने चाहिए उन्हें भूमि, बुनियादी ढांचा और संबंधित सेवाओं को पट्टे पर देना और उन्हें माध्यमिक उपयोगकर्ताओं - कार्गो मालिकों, जहाज के मालिकों और कार्गो जहाज के मालिकों को प्रदान करने की आवश्यकता है।

दक्षता और लागत-प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए, भारतीय बंदरगाहों की भूमिका एक सेवा बंदरगाह मॉडल से लैंडलॉर्ड बंदरगाह मॉडल में बदल रही है।

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