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शेयर बाजार आधारित फिल्में और वेब

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शेयर बाजार ने छूई नई ऊंचाइयां, सेंसेक्स 62,877 के स्तर पर पहुंचा

मुंबई। शेयर बाजार ने कारोबारी सप्ताह के दूसरे दिन आज मंगलवार को एक बार ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया। शुरूआती हलकी गिरावट के बाद शेयर बाजार नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। सेंसेक्स 62,877.73 के नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इससे एक दिन पहले सेंसेक्स ने सोमवार को 62,849.28 का ऑल टाइम हाई बनाया था। अभी सेंसेक्स अपने ऑलटाइम हाई के करीब ही कारोबार कर रहा है।सेंसेक्स के 30 में से 21 शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है वहीं 9 शेयरों में गिरावट है।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 24 शेयर हरे निशान पर कारोबार कर रहा है। आज के टॉप गेनर्स में टाइटन, एमएंडएम, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, एक्सिसबैंक, टाटास्टील, एचसीएल के शेयर शामिल हैं। जबकि टॉप लूजर्स में मारुति, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, विप्रो के शेयर शामिल हैं। फिलहाल शेयर बाजार में टीम लीज के शेयरों में छह फीसदी, जबकि आरईआरएफसी के शेयरों में 5 फीसदी की मजबूती दिख रही है।

इसी तरह निफ्टी ने भी आज एक बार फिर नया ऑल टाइम हाई रिकॉर्ड बनाया है। निफ्टी आज 18,672.95 के स्तर पर पहुंचा। इससे एक दिन पहले निफ्टी ने 18,614.25 का ऑल टाइम हाई बनाया था।फिलहाल हाई अंक के समीप ही कारोबार कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि हफ्ते के पहले कारोबारी दिन 30 शेयरों पर आधारित बीएसई का सेंसेक्स 211.16 अंक यानी 0.34 फीसदी उछलकर 62,504.80 के स्तर पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी भी 50.00 अंक यानी 0.27 फीसदी की बढ़त के साथ 18,562.75 के स्तर पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान कल सेंसेक्स ने 62,701 के नया ऑल टाइम हाई और निफ्टी ने नया ऑल टाइम हाई क्लोजिंग का रिकॉर्ड बनाया था।

किसानों पर आधारित नहीं है 'पीपली लाइव': जमाल

किसानों पर कई फीचर और वृत्तचित्र बना चुके अनवर जमाल जैसे वृत्तचित्र निर्माता यह नहीं मानते कि 'पीपली लाइव' भारतीय किसान समुदाय की समस्याओं को उठाती है। पंजाब में किसानों की आत्महत्या पर 'हारवेस्ट ऑफ.

किसानों पर आधारित नहीं है 'पीपली लाइव': जमाल

किसानों पर कई फीचर और वृत्तचित्र बना चुके अनवर जमाल जैसे वृत्तचित्र निर्माता यह नहीं मानते कि 'पीपली लाइव' भारतीय किसान समुदाय की समस्याओं को उठाती है।

पंजाब में किसानों की आत्महत्या पर 'हारवेस्ट ऑफ ग्रीफ' वृत्तचित्र फिल्म बना चुके निर्देशक जमाल कहते हैं कि 'पीपली लाइव' असंवेदनशील मध्यवर्ग, मीडिया, राजनेताओं आदि पर आधारित फिल्म है। यह किसी भी तरह से किसानों की फिल्म नहीं है। इसमें उनकी स्थिति के लिए जिम्मेदार कारकों के रूप में बीजों, मॉनसून, कीटनाशकों आदि की समस्या नज़र नहीं आती। किसानों के वास्तविक मुद्दों को छूआ तक नहीं गया है।

जिस पंजाब को उसकी हरियाली और लहलहाते खेतों, लस्सी के गिलासों और मक्खन के लिए जाना जाता है वहां पिछले 20 साल में 40,000 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। विभिन्न समारोहों में प्रदर्शित जमाल की फिल्म किसानों की इन्हीं समस्याओं को उठाती है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 1997 से अब तक 200,000 किसान अपना जीवन समाप्त कर चुके हैं और किसानों की आत्महत्या का मूल कारण उनका कर्ज में डूबना है।

दीपा भाटिया का वृत्तचित्र 'नीरोज गेस्ट्स' देश में शहरी जीवन और किसानों की जिंदगी के बीच जमीन-आसमान के फर्क को दिखाता है। इसको बनने में पांच साल का समय लगा और इसके लिए दीपा ने विश्व में किसानों की आत्महत्याओं की राजधानी कहे जाने वाले महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की यात्रा की। उनके साथ अपने लेखन के माध्यम से किसानों की समस्याओं की ओर शहरी लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहे पत्रकार पी. साईंनाथ भी थे।

दीपा कहती हैं कि किसानों की आत्महत्या एक बहुत बड़ी समस्या है जिसे न तो मीडिया में और न ही मध्य वर्ग के दिमाग में सही जगह मिलती है। वह कहती हैं कि यह बहुत दुखद है कि ज्यादातर शहरी लोगों को समाज से कोई मतलब नहीं है।

किसानों की आत्महत्या पर बनी मराठी फिल्म 'गभरीचा पौस' के निर्देशक सतीश मनवर कहते हैं कि भारत में ऐसे विविध समूह हैं जो एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं रखते। किसान एक ऐसे ही समूह से ताल्लुक रखते हैं, जिनकी पूरे राष्ट्र को कोई परवाह नहीं है। सतीश भी 'पीपली लाइव' को किसानों की आत्महत्या पर बनी फिल्म नहीं मानते।

देश के पहले सबसे बड़े फाइनेंशियल स्कैम का विलेन, जो था स्टॉक मार्केट का 'बच्चन'

Know About harshad mehta and its share market scam and lifestyle

नई दिल्ली। मौजूदा समय में कई ऐसे बड़े नाम है जिन्हें स्टॉक मार्केट का बिग बुल कहा जाता है। जिनके इशारे पर शेयर मार्केट ( Share Market ) में उथल मुथल मच जाती है। लेकिन इस बाजार का 'बच्चन' तो एक ही हुआ है। उस जैसा ना तो हुआ था और ना ही होगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि बाजार में उस जैसा कभी कोई ना हो तो ही बेहतर है। जी हां, देश का पहला फाइनेंशियल स्कैम जो करीब 4 हजार करोड़ रुपए का था, उसे अंजाम दिया था हर्षद मेहता ( Harshad Mehta ) ने। जिसने इंडियन स्टॉक मार्केट की पूरा नक्शा ही बदलकर रख दिया था। आज उस रियल टाइम विलेन पर, बॉलीवुड के हीरो किरदार निभा रहे हैं। 24 घंटे पहले ही 1992 स्कैम की वेब सीरीज ट्रेलर लांच हुआ। यह सीरीज हर्षद मेहता पर ही आधारित थी। वहीं अगले कुछ महीनों में 'बिग बुलÓ नाम की फिल्म भी आ रही है। जो कि हर्षद मेहता से इंस्पायर बताई जा रही है। जिसका मुख्य किरदार अभिषक बच्चन निभा रहे हैं। आइए आपको भी बताते है कि इस रियल टाइम विलेन के बारे में जो कभी आम निवेशकों का बच्चन हुआ करता था।

सेल्समैन से स्टॉक ब्रोकर तक का सफर
हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में शेयर बाजार आधारित फिल्में और वेब बिजनेसमैन परिवार में हुआ था। बचनप में मुंबई आए हर्षद की पढ़ाई मुंबई के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुई और लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम करने के साथ खत्म हो गई। जिसके बाद उसने पहली नौकरी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में सेल्समैन की नौकरी की। जिसके बाद उसका मन शेयर बाजार की ओर डोला। अपने मन को मारे बिना उसने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज ब्रोक्रेज फर्म में ब्रोकर ज्वाइन कर लिया। उसके बाद उसने प्रसन्न परिजीवनदास को अपना गुरु बनाकर शेयर बाजार के सभी बारीक पैंतरे सीख लिए। 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी खोली और बीएसई में ब्रोकर मेंबरशिप भी हासिल की। जिसके बाद हर्षद देखते ही देखते बाजार का बच्चन बन गया।

जब हर्षद की उंगलियों पर नाचा बाजार
हर्षद मेहता का कारोबार चल निकला और 1990 के दशक में हर्षद की कंपनी में बड़े इंवेस्टर के नाम जुड़ गए। हर्षद सुर्खियों में पहली बार तब आए जब एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में रुपया लगाना शुरू किया। जिसके बाद हर्षद मेहता जमीन से आसमान पर पहुंच गया। एसीसी का जो शेयर 200 रुपए का था वो 9000 रुपए तक पहुंच गया था। उसके बाद तो हर्षद का हर बड़े अखबारों के बिजनेस पेज और फ्रंट पेज पर आने लगा। हर्षद मेहता के 1550 स्कॉवर फीट के सी फेसिंग पेंट हाउस और महंगी मंहगी गाडिय़ों ने उसे मुंबई शहर का ही नहीं पूरे देश का सिलेब्रिटी बना दिया था। लोगों ने ऐसा पहली बार देखा कि एक छोटा ब्रोकर कुछ ही समय में करोड़ों रुपए में खेल रहा है। शायद यही वो सवाल था, जिसने हर्षद मेहता की कामयाबी को डसा और अच्छे दिनों से बुरे दिनों में तब्दील कर दिया। सवाल सबसे बड़ा यही था कि आखिर रुपया आ कहां से रहा है?

ऐसे हुआ बड़े स्कैम का खुलासा?
1992 में हर्षद मेहता के किए सबसे बड़े स्कैम का खुलासा हुआ। जानकारी के अनुसार हर्षद मेहता बैंक से एक 15 दिन का लोन लेता और बाजार में लगा देता और 15 दिन के अंदर ब्याज सहित लौटा देता था। कोई भी बैंक 15 दिन का लोन नहीं देता है ऐसे में वो एक दिन के लिए लोन लेता था। मेहता एक बैंक से फेक बीआर बनवाता और जिसके बिहाफ पर उसे दूसरे बैंक से आराम से लोन मिल जाता था। जिसका खुलासा होने के बाद बैंकों ने उसे लोन देना बंद करने के साथ अपना रुपया वापस मांगने लगे। मेहता पर उस दौरान 72 क्रिमिनल चार्ज लगाए गए और सभी सिविल केस दायर हुए।

फिर शुरू हुआ आम लोगों शेयर बाजार आधारित फिल्में और वेब से रुपए लूटने का खेल
केस फाइल होने के बाद भी हर्षद रुका नहीं। उसने मुनाफा कमाने और रुपया बनाने का नया खेल शुरू किया। उसने अखबारों में एडवाइजरी कॉलम लिखने शुरू किए। जिसमें आम लोगों को सलाह दी जाती थी कि वो किस कंपनी में इंवेस्ट करें और किस कंपनी में नहीं। उन कॉलम में इंवेस्ट करने वाली उन्हीं कंपनियों का नाम लिखा होता था, जिसमें हर्षद का रुपया लगा हुआ है। जिसकी वजह से आम लोगों के करोड़ों रुपए डूबे। ताज्जुब की बात तो ये है कि उसने उस दौरान के पीएम पीवी नरसिम्हा राव पर सभी केसों से छुड़ाने के नाम एक करोड़ रुपए की घूस का आरोप भी लगाया। जिसे कांग्रेस पूरी तरह से खारिज कर दिया।

सिर्फ एक केस में दोषी और रहस्मयी मौत
जैसा कि आपको बताया है कि उस पर 70 से ज्यादा केस चल रहे थे, लेकिन उसे कोर्ट में दोषी सिर्फ एक ही केस में पाया गया था। जिसके लिए उसे सुप्रीम कोर्ट में 5 साल की सजा और 25000 रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा की मियाद काटने के लिए उसे ठाढ़े जेल में बंद कर दिया गया। 31 दिसंबर 2001 को देर रात छाती में दर्द हुआ। ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी मौत हो गई। उसकी मौत एक रहस्त बनकर रह गई। आज भी गाहे बगाहे मेहता नाम सुर्खियों में इसलिए आता है कि वो रियल लाइफ का ऐसा विलेन था, जिसने में पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

देश के पहले सबसे बड़े फाइनेंशियल स्कैम का विलेन, जो था स्टॉक मार्केट का 'बच्चन'

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नई दिल्ली। मौजूदा समय में कई ऐसे बड़े नाम है जिन्हें स्टॉक मार्केट का बिग बुल कहा जाता है। जिनके इशारे पर शेयर मार्केट ( Share Market ) में उथल मुथल मच जाती है। लेकिन इस बाजार का 'बच्चन' तो एक ही हुआ है। उस जैसा ना तो हुआ था और ना ही होगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि बाजार में उस जैसा कभी कोई ना हो तो ही बेहतर है। जी हां, देश का पहला फाइनेंशियल स्कैम जो करीब 4 हजार करोड़ रुपए का था, उसे अंजाम दिया था हर्षद मेहता ( Harshad Mehta ) ने। जिसने इंडियन स्टॉक मार्केट की पूरा नक्शा ही बदलकर रख दिया था। आज उस रियल टाइम विलेन पर, बॉलीवुड के हीरो किरदार निभा रहे हैं। 24 घंटे पहले ही 1992 स्कैम की वेब सीरीज ट्रेलर लांच हुआ। यह सीरीज हर्षद मेहता पर ही आधारित थी। वहीं अगले कुछ महीनों में 'बिग बुलÓ नाम की फिल्म भी आ रही है। जो कि हर्षद मेहता से इंस्पायर बताई जा रही है। जिसका मुख्य किरदार अभिषक बच्चन निभा रहे हैं। आइए आपको भी बताते है कि इस रियल टाइम विलेन के बारे में जो कभी आम निवेशकों का बच्चन हुआ करता था।

सेल्समैन से स्टॉक ब्रोकर तक का सफर
हर्षद मेहता का जन्म 29 जुलाई 1954 को पनेल मोटी, राजकोट गुजरात में बिजनेसमैन परिवार में हुआ था। बचनप में मुंबई आए हर्षद की पढ़ाई मुंबई के होली क्रॉस बेरोन बाजार सेकेंडरी स्कूल से शुरू हुई और लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम करने के साथ खत्म हो गई। जिसके बाद उसने पहली नौकरी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में सेल्समैन की नौकरी की। जिसके बाद उसका मन शेयर बाजार की ओर डोला। अपने मन को मारे बिना उसने हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटीज ब्रोक्रेज फर्म में ब्रोकर ज्वाइन कर लिया। उसके बाद उसने प्रसन्न परिजीवनदास को अपना गुरु बनाकर शेयर बाजार के सभी बारीक पैंतरे सीख लिए। 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी खोली और बीएसई में ब्रोकर मेंबरशिप भी हासिल की। जिसके बाद हर्षद देखते ही देखते बाजार का बच्चन बन गया।

जब हर्षद की उंगलियों पर नाचा बाजार
हर्षद मेहता का कारोबार चल निकला और 1990 के दशक में हर्षद की कंपनी में बड़े इंवेस्टर के नाम जुड़ गए। हर्षद सुर्खियों में पहली बार तब आए जब एसीसी यानी एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में रुपया लगाना शुरू किया। जिसके बाद हर्षद मेहता जमीन से आसमान पर पहुंच गया। एसीसी का जो शेयर 200 रुपए का था वो 9000 रुपए तक पहुंच गया था। उसके बाद तो हर्षद का हर बड़े अखबारों के बिजनेस पेज और फ्रंट पेज पर आने लगा। हर्षद मेहता के 1550 स्कॉवर फीट के सी फेसिंग पेंट हाउस और महंगी मंहगी गाडिय़ों ने उसे मुंबई शहर का ही नहीं पूरे देश का सिलेब्रिटी बना दिया था। लोगों ने ऐसा पहली बार देखा कि एक छोटा ब्रोकर कुछ ही समय में करोड़ों रुपए में खेल रहा है। शायद यही वो सवाल था, जिसने हर्षद मेहता की कामयाबी को डसा और अच्छे दिनों से बुरे दिनों में तब्दील कर दिया। सवाल सबसे बड़ा यही था कि आखिर रुपया आ कहां से रहा है?

ऐसे हुआ बड़े स्कैम का खुलासा?
1992 में हर्षद मेहता के किए सबसे बड़े स्कैम का खुलासा हुआ। जानकारी के अनुसार हर्षद मेहता बैंक से एक 15 दिन का लोन लेता और बाजार में लगा देता और 15 दिन के अंदर ब्याज सहित लौटा देता था। कोई भी बैंक 15 दिन का लोन नहीं देता है ऐसे में वो एक दिन के लिए लोन लेता था। मेहता एक बैंक से फेक बीआर बनवाता और जिसके बिहाफ पर उसे दूसरे बैंक से आराम से लोन मिल जाता था। जिसका खुलासा होने के बाद बैंकों ने उसे लोन देना बंद करने के साथ अपना रुपया वापस मांगने लगे। मेहता पर उस दौरान 72 क्रिमिनल चार्ज लगाए गए और सभी सिविल केस दायर हुए।

फिर शुरू हुआ आम लोगों से रुपए लूटने का खेल
केस फाइल होने के बाद भी हर्षद रुका नहीं। उसने मुनाफा कमाने और रुपया बनाने का नया खेल शुरू किया। उसने अखबारों में एडवाइजरी कॉलम लिखने शुरू किए। जिसमें आम लोगों को सलाह दी जाती थी कि वो किस कंपनी में इंवेस्ट करें और किस कंपनी में नहीं। उन कॉलम में इंवेस्ट करने वाली उन्हीं कंपनियों का नाम लिखा होता था, जिसमें हर्षद का रुपया लगा हुआ है। जिसकी वजह से आम लोगों के करोड़ों रुपए डूबे। ताज्जुब की बात तो ये है कि उसने उस दौरान के पीएम पीवी नरसिम्हा राव पर सभी केसों से छुड़ाने के नाम एक करोड़ रुपए की घूस का आरोप भी लगाया। जिसे कांग्रेस पूरी तरह से खारिज कर दिया।

सिर्फ एक केस में दोषी और रहस्मयी मौत
जैसा कि आपको बताया है कि उस पर 70 से ज्यादा केस चल रहे थे, लेकिन उसे कोर्ट में दोषी सिर्फ एक ही केस में पाया गया था। जिसके लिए उसे सुप्रीम कोर्ट में 5 साल की सजा और 25000 रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा की मियाद काटने के लिए उसे ठाढ़े जेल में बंद कर दिया गया। 31 दिसंबर 2001 को देर रात शेयर बाजार आधारित फिल्में और वेब छाती में दर्द हुआ। ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी मौत हो गई। उसकी मौत एक रहस्त बनकर रह गई। आज भी गाहे बगाहे मेहता नाम सुर्खियों में इसलिए आता है कि वो रियल लाइफ का ऐसा विलेन था, जिसने में पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

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