निवेश करने का परिचय

दलाल कैसे बने?

दलाल कैसे बने?
बिज़नेस, फाइनेंशियल और इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स सुचेता दलाल का जन्म साल 1962 में महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था. सुचेता दलाल ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से ही पूरी की है. सुचेता दलाल ने कर्नाटक कॉलेज से स्टेटैस्टिक्स दलाल कैसे बने? में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. इसके बाद सुचेता दलाल ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से LLB और LLM की डिग्री हासिल की है. सुचेता दलाल का बचपन से ही बिजनेस में खासा इंटरेस्ट रहा है.

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यह देखा जाता है कि धंधेबाजों को मोटी कमाई लाल बालू के काले खेल में हाथ लगती है। वहीं जरूरत सिर्फ इस बात की होती है कि बालू लदे ट्रकों को वह कहां तक पहुंचा पाते हैं। नासरीगंज (बिहार) से चले बालू की कीमत यूपी की सीमा में प्रवेश करते ही तीन गुना हो जाता है। वहीं अगर यह 262 किलो मीटर दूर गोरखपुर पहुंच गए तो कीमत सात गुना बढ़ जाती है। बालू से लदे ट्रकों को पार कराने के लिए हर थाना क्षेत्र और चेकपोस्ट के इर्द-गिर्द दिन-रात दलाल सक्रिय रहते हैं, दलालों की पहुंच इतनी सटीक और उची है कि प्रशासन की छापेमारी टीम के निकलते ही उन्हें इसकी जानकारी मिल जाती है और जो ट्रक जहां रहते हैं उन्हें वहीं रोक दिया जाता है।

सिटी में दलालों का बढ़ा खौफ, बोर्ड लगाकर जमीन की सुरक्षा

सिटी में दलालों का बढ़ा खौफ, बोर्ड लगाकर जमीन की सुरक्षा

राजधानी रांची में जमीन दलाल इतने हावी हो गए हैं कि लोगों को अपनी जमीन की सुरक्षा के लिए नोटिस लगाना पड़ रहा है. बात यहीं तक सीमित नहीं है. कई बार तो जमीन दलाल कैसे बने? की जंग में कई दो पक्षों में झड़प और पुलिस हस्तक्षेप के मामले भी सामने आए है. यही कारण है कि अपनी खाली जमीनों की सुरक्षा और दूसरों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए लोग अपनी जमीन पर नोटिस लगाने लगे हैं.

रांची (ब्यूरो)। सिटी के मेन रोड स्थित दलाल कैसे बने? चर्च रोड में एक घर के ऊपर 'जमीन दलालों से सावधान, यह जमीन और घर बिक्री का नहीं हैÓ का बोर्ड लगा है। लालपुर के वद्र्धवान कंपाउंड में भी खाली पड़ी जमीन पर जमीन दलालों से सावधान का बोर्ड लगा है। इतना ही नहीं, गली-मोहल्लों में भी किसी परिसर की दीवार या दीवार से लगे बोर्ड पर ऐसी ही सूचना अक्सर देखने की मिल रही है। गुजरने वालों का ध्यान दिलाने वाले इस तरह के सूचना बोर्ड कई जगहों पर मिल जाएंगे। दरअसल, राजधानी में जमीन दलालों व जमीन के जाली कागजात तैयार करने वाले जालसाजों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि अपनी संपत्ति बचाने के लिए लोग इस तरह के बोर्ड अपनी जमीन पर लगवाकर रखते हैं ताकि दलाल के झांसे में आकर उस जमीन को खरीदने की इच्छा रखने वाले लोग किसी पचड़े में पडऩे से पहले सावधान हो जाएं।

MRF कंपनी के बारे में जान लीजिए

MRF कंपनी तमिलनाडु के चेन्‍नई स्थित टायर कंपनी है. ये कंपनी भारत की सबसे बड़ी टायर निर्माता है और भारतीय टायर बाजार में अभी भी इसकी अच्‍छी पकड़ है. दो पहिया वाहनों के लिए सबसे ज्‍यादा इसी कंपनी के टायर बिकते हैं. जबकि, ट्रक और बसों के टायर से लेकर पैसेंजर वाहनों के टायर के सेग्‍मेंट ये कंपनी टॉप 3 कंपनियों में शामिल है.

इस कंपनी की रेवेन्‍यू का सबसे बड़ा हिस्‍सा ट्रक और बसों के टायर की बिक्री से आता है. इसके बाद रेवेन्‍यू के मामले में पैसेंजर वाहनों के टायर दलाल कैसे बने? और दोपहिया वाहनों के टायर भी शामिल हैं.

सचिन तेंदुलकर के बल्‍ले पर MRF का स्टिकर

घरेलू बाजार के अलावा विदेशों में भी इस कंपनी के टायर की मांग होती है. 9 मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट्स में बनने वाले ये टायर आपको देश के हर कोने में खरीदने को मिल जाएंगे. इसके 7 मैन्‍युफैक्‍चरिंग दलाल कैसे बने? प्‍लांट तो दक्षिण भारत में ही मौजूद है. बीते कुछ सालों में इस कंपनी ने टायर के अलावा पेन्‍ट्स एंड कोट्स, खिलौने, मोटरस्‍पोर्ट्स से लेकर क्रिकेट ट्रेनिंग तक के क्षेत्र में विस्‍तार किया है.

आपको सचिन तेंदुलकर के बल्‍ले पर MRF का स्टिकर तो याद ही होगा. फिलहाल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्‍तान विराट कोहली भी अपने बल्‍ले पर MRF के स्टिकर का इस्‍तेमाल करते हैं. इसके लिए वे कंपनी से मोटी फीस वसूलते हैं.

कैसा रहा है इस कंपनी का परफॉर्मेंस?

पिछले 20 साल में MRF का शुद्ध मुनाफा सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ा है. वित्‍त वर्ष 2001 में कंपनी को 31.74 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था, जोकि वित्‍त वर्ष 2021 में बढ़कर 1,277 करोड़ रुपये हो गया है. इस प्रकार कंपनी के प्रोडक्‍ट्स की बिक्री भी बीते 20 सालों में करीब 11 फीसदी सालाना दर से बढ़ी है.

हालांकि, लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच कंपनी को पिछली तिमाही में कुछ खास लाभ नहीं हुआ है.

क्‍यों इतना महंगा है MRF का शेयर?

MRF और दुनिया के दिग्‍गज निवेशक वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे में एक समानता है. इन दोनों कंपन‍ियों ने अपने शेयरों को अब तक विभाजित (Splitting of Shares) नहीं किया है. शेयरों को विभाजित करने का मतलब है कि कंपनी अपने स्‍टॉक्‍स को छोटे-छोटे नये शेयरों में बांट देती है.

इससे कंपनी के दलाल कैसे बने? कुल स्‍टॉक्‍स की वैल्‍यू में कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन प्रति शेयर का भाव कम हो जाता है. कई कंपनियां लिक्विडिटी के लिए समय-समय पर अपने शेयरों को विभाजित करती हैं. MRF ने अपने शेयरों के साथ ऐसा कभी नहीं किया है.

बाजार जानकारों का कहना है कि इसके पीछे यह वजह हो सकती है कि कंपनी के प्रोमोटर्स अपने शेयरहोल्‍डर बेस को नहीं बढ़ाना चाहते हैं या वे चाहते हों कि केवल गंभीर निवेशक ही उनकी कंपनी में निवेश करें. इन वजहों से एमआरएफ के स्‍टॉक का भाव इतना ज्‍यादा है.

सुचेता दलाल ने किया ट्वीट, गिरे अडानी कंपनी के शेयर

Sucheta Dalal

The Fact India: अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश कर रही तीन विदेशी फंडो के अकाउंट पर नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड ने रोक (Sucheta Dalal) लगा दी है। NSDL द्वारा Albula इंवेस्टमेंट फंड, Cresta फंड, APMS इंवेस्टमेंट फंड के अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया है। इन फंड्स में लगभग 43,500 करोड़ का निवेश अडानी कंपनी में किया था। अब इन फंड्स के फ्रिज होने से अडानी ग्रुप के शेयर्स में भारी गिरावट आई दलाल कैसे बने? है। डिपॉजिटरी की वेबसाइट के अनुसार ये अकाउंट 31 मई को या उससे पहले ही फ्रिज किये गये है।

सुचेता दलाल ने किया ट्विट 12 जून को फाइनेंस जर्नलिस्ट सुचेता दलाल (Sucheta Dalal) के एक ट्विट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर लगातार गिरने लगे। अपने ट्विट में उन्होंने लिखा – “सेबी ट्रैकिंग सिस्टम के पास उपलब्ध सूचनाओं के ब्लैक बॉक्स के बाहर एक और घोटाला साबित करना मुश्किल है,जो अतीत के एक ऑपरेटर की वापसी है जो लगातार एक ग्रुप की कीमतों में हेराफेरी कर रहा है। सभी विदेशी संस्थाओं के माध्यम से! उनकी विशेषता और एक पूर्व एफएम की। दलाल कैसे बने? कुछ नहीं बदलता है।“

Sucheta Dalal Biography – जानिए सुचेता दलाल कौन है?, दलाल कैसे बने? हर्षद मेहता से भी बड़े स्कैम का कर चुकी है खुलासा

Sucheta Dalal Biography

Sucheta Dalal Biography in Hindi – दोस्तों वैसे तो हमारे देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक दिग्गज पत्रकार काम कर रहे हैं, लेकिन जब दलाल कैसे बने? बात आती है business journalism की तो हम सब के दिमाग में जो सबसे पहला नाम सामने आता है, वह है देश की बेहतरीन और जानी-मानी बिज़नेस, फाइनेंशियल और इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स सुचेता दलाल का.

बिज़नेस फील्ड खासकर शेयर मार्किट में इंटरेस्ट रखने वाले लोगों को सुचेता दलाल का नाम को जरूर सुना होगा. दोस्तों सुचेता दलाल वह पत्रकार है, जिसने साल 1992 में दलाल कैसे बने? हर्षद मेहता के बैंक घोटाले का पर्दाफाश किया था. यह उस समय का आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला किया था. यहीं नहीं इसके अलावा सुचेता दलाल कैसे बने? दलाल का केतन पारेख स्कैम को उजागर करने में भी बड़ा हाथ था.

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