बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?

स्वंतत्र भारत के अनेक नेताओं और चिंतकों ने मिलकर नव-स्वतंत्र भारत के लिये पूँजीवाद तथा समाजवाद के अतिवादी रूप से बचने के लिये मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया। बुनियादी तौर पर यद्यपि उन्हें समाजवाद से सहानुभूति थी, फिर भी उन्होंने ऐसी आर्थिक प्रणाली अपनाई जो उनके विचार में समाजवाद की श्रेष्ठ विशेषताओं से युक्त, किंतु कमियों से मुक्त थीं। इसके अनुसार भारत एक ऐसा ‘समाजवादी’ समाज होगा, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्रक एक सशक्त क्षेत्रक होगा, जिसके अंतर्गत निजी संपत्ति और लोकतंत्र का भी स्थान होगा। मिश्रित अर्थव्यवस्थायों में बाज़ार उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं को सुलभ कराता है, जिसका वह अच्छा उत्पादन कर बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? सकता है तथा सरकार उन आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को सुलभ कराती है, जिन्हें बाज़ार सुलभ कराने में विफल रहता है और अर्थव्यवस्था का यही मॉडल वर्तमान समय में भी हमारे लिये सबसे उपयुक्त है।
मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
राज्य-निर्देशित अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जहाँ राज्य या सहकारी समितियों के उत्पादन के लिये उत्तरदायी होते हैं। लेकिन आर्थिक गतिविधियों को निर्देशित योजना के रूप में किसी सरकारी एजेंसी या मंत्रालय द्वारा निर्देशित किया जाता है, जबकि मुक्त बाजार एक ऐसी प्रणाली है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य खुले बाज़ार और उपभोक्ताओं द्वारा निर्धारित किये जाते हैं, जिसमें आपूर्ति और मांग में सरकार द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। बाज़ार अर्थव्यवस्था में उन्हीं उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन होता है जिनकी बाज़ार में माँग है। इसमें वही वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं जिन्हें देश के घरेलू या विदेशी बाज़ारों में लाभ के साथ बेचा जा सके।
राज्य-आधारित विकास के लाभ-
- ससाधनों का तर्कसंगत उपयोग।
- उत्पादन और विकास की दिशा में राज्य के संसाधनों का संकलन।
- विकास मुख्य रूप से जनता के लिये होता है।
- दूरस्थ क्षेत्रों में विकास संभव होता है।
- देश में विकास सुनिश्चित करने की नियोजित प्रक्रिया।
- आम आदमी के हित को प्राथमिकता दी जाती है, जैसे- आवास, बिजली आपूर्ति, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि।
Invisible Hand- इनविजिबल हैंड
क्या होता है इनविजिबल हैंड?
इनविजिबल हैंड (Invisible Hand) यानी अदृश्य हाथ मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाली अनदेखी ताकतों के लिए एक रूपक है। व्यक्तिगत स्व-हित और उत्पादन व उपभोग की आजादी के जरिये, कुल मिलाकर समाज के सर्वश्रेष्ठ हितों की रक्षा की जाती है। बाजार आपूर्ति एवं मांग पर इंडीविजुअल दबाव का निरंतर पारस्परिक प्रभाव कीमतों की प्राकृतिक आवाजाही और व्यापार के प्रवाह कारण बनता है। इनविजिबल हैंड बाजार के प्रति लैसेज फेयर अर्थात निर्बाधित दृष्टिकोण का एक हिस्सा है। दूसरे शब्दों में, इस दृष्टिकोण में यह निहित है कि बाजार बिना सरकार या अप्राकृतिक पैटर्न के बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? लिए इसे विवश करने के हस्तक्षेपों के अपना संतुलन बिन्दु प्राप्त कर लेगा।
स्काॅटलैंड के विद्वान विचारक एडम स्मिथ ने कपने कई लेखों में इस अवधारणा को लागू किया, लेकिन इसकी आर्थिक व्याख्या 1776 में प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘एन इनक्वायरी इनटू द नेचर एंड कॅजेज ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशंस' में और 1759 में प्रकाशित थ्योरी ऑफ मोरल सेंटीमेंट्स में प्राप्त हुई। इस शब्द के आर्थिक सेंस का उपयोग 1990 के दशक के बाद होने लगा। अदृश्य हाथ रूपक में दो महत्वपूर्ण विचार समावेशित हैं। पहला किसी मुक्त बाजार में स्वैच्छिक व्यापार से गैरइरादतन और व्यापक लाभ प्राप्त होता है। दूसरा, ये लाभ विनियमित, विनियोजित अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक हैं।
केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था की क्या है मतलब और उदाहरण
एक केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था, जिसे कमांड अर्थव्यवस्था के रूप में भी जाना जाता है, एक आर्थिक प्रणाली है जिसमें एक केंद्रीय प्राधिकरण, जैसे सरकार, उत्पादों के निर्माण और वितरण के संबंध में आर्थिक निर्णय लेती है। केंद्रीय रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाएं बाजार अर्थव्यवस्थाओं से भिन्न होती हैं, जिसमें ऐसे निर्णय पारंपरिक रूप से व्यवसायों और उपभोक्ताओं द्वारा किए जाते हैं।
कमांड अर्थव्यवस्थाओं में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अक्सर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों द्वारा किया जाता है, जो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां हैं। केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्थाओं में, जिन्हें कभी-कभी “कमांड अर्थव्यवस्थाओं” के रूप में जाना जाता है, कीमतों को नौकरशाहों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- एक केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था में, प्रमुख आर्थिक निर्णय एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा किए जाते हैं।
- केंद्रीय रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाएं बाजार अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत होती हैं जहां बड़ी संख्या में व्यक्तिगत उपभोक्ता और लाभ चाहने वाली निजी फर्में अधिकांश या पूरी अर्थव्यवस्था का संचालन करती हैं।
- कई अर्थशास्त्रियों द्वारा केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्थाओं की आलोचना की गई है क्योंकि वे खराब प्रोत्साहन, सूचनात्मक बाधाओं और अक्षमता से संबंधित विभिन्न आर्थिक समस्याओं से पीड़ित हैं।
केंद्र नियोजित अर्थव्यवस्थाओं को समझना
अधिकांश विकसित देशों में मिश्रित अर्थव्यवस्थाएं हैं जो शास्त्रीय और नवशास्त्रीय अर्थशास्त्रियों द्वारा प्रचारित मुक्त बाजार प्रणालियों के साथ केंद्रीय योजना बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? के पहलुओं को जोड़ती हैं। इनमें से अधिकांश प्रणालियाँ मुक्त बाज़ारों की ओर बहुत अधिक झुकी हुई हैं, जहाँ सरकारें केवल कुछ व्यापार सुरक्षा को लागू करने और कुछ सार्वजनिक सेवाओं के समन्वय के लिए हस्तक्षेप करती हैं।
केंद्रीय रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाओं के अधिवक्ताओं का मानना है कि केंद्रीय प्राधिकरण समतावाद, पर्यावरणवाद, भ्रष्टाचार विरोधी, उपभोक्तावाद विरोधी और अन्य मुद्दों को अधिक कुशलता से संबोधित करके सामाजिक और राष्ट्रीय उद्देश्यों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकते हैं। इन समर्थकों को लगता है कि राज्य निजी क्षेत्र की निवेश पूंजी की प्रतीक्षा किए बिना, वस्तुओं के लिए कीमतें निर्धारित कर सकता है, यह निर्धारित कर सकता है कि कितनी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, और श्रम और संसाधन निर्णय लेते हैं।
केंद्र नियोजित अर्थव्यवस्थाओं के साथ समस्याएं
केंद्र द्वारा नियोजित आर्थिक मॉडल की बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? आलोचना का उचित हिस्सा है। उदाहरण के लिए, कुछ का मानना है कि सरकारें अधिशेष या कमी का कुशलतापूर्वक जवाब देने के लिए बहुत खराब हैं। दूसरों का मानना बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? है कि सरकारी भ्रष्टाचार मुक्त बाजार या मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं में भ्रष्टाचार से कहीं अधिक है। अंत में, एक मजबूत भावना है कि केंद्रीय रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाएं राजनीतिक दमन से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि लोहे की मुट्ठी से शासित उपभोक्ता वास्तव में अपनी पसंद बनाने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।
कम्युनिस्ट और समाजवादी व्यवस्था सबसे उल्लेखनीय उदाहरण हैं जिनमें सरकारें आर्थिक उत्पादन के पहलुओं को नियंत्रित करती हैं। केंद्रीय योजना अक्सर मार्क्सवादी-लेनिनवादी सिद्धांत और पूर्व सोवियत संघ, चीन, वियतनाम और क्यूबा के साथ जुड़ी होती है। जबकि इन राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन मिश्रित रहे हैं, वे आम तौर पर विकास के मामले में पूंजीवादी देशों से पीछे हैं।
बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?
Petrol-Diesel Price Hike: भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम अब पूरी तरह से बेलगाम हो गए हैं। पिछले दो सप्ताह की तरह 5 अप्रेल को भी पेट्रोल और डीजल के दामों में करीब 80 पैसे की बढ़ोतरी कर दी गई है। इस बढोतरी के बाद अब राजस्थान में डीजल के दाम भी 100 रुपए लीटर के पार हो गए हैं। हकीकत ये है कि तुलनात्मक रूप से देखें तो भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम अब श्रीलंका से भी अधिक हो गए हैं। गनीमत ये है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा का कोई संकट नहीं है और भारत में महंगा ही सही लेकिन पेट्रोल-डीजल मिल रहा है।
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आखिर Paytm के शेयर लगातार क्यों गिर रहे हैं? गिरते प्रदर्शन से निवेशकों में चिंता
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12 Jan, 2022 | 18:00 pm
दुनियाभर में मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आई यह बेहद अच्छी खबर, जानिए क्या
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 20, 2022 15:08 IST
Photo:AP भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, आने वाले इस वैश्विक मंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर नहीं होगा। भारत तेजी से विकास करता रहेगा। ये बातें नीति आयोग बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दुनिया के मंदी में जाने की बढ़ती आशंकाओं के बीच कहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया की मंदी से भारत अछूता रहेगा। उन्होंने कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित तो जरूर हो सकती है, लेकिन अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।