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इक्विटी फंड्स क्या हैं

इक्विटी फंड्स क्या हैं
इक्विटी फंड्स के प्रकार Types of Equity Funds in Hindi

म्यूचुअल फंड: क्या है इक्विटी और डेट फंड

शेयर मार्केट की जोखिम और जटिलताएं म्यूचुअल फंड आसान करता है. ब्रोकरों की मदद से या स्वयं आप बाजार में निवेश करके अच्छे रिटर्न ले सकते हैं. म्यूचुअल फंड के किसी भी स्कीम में अब वह चाहे ओपेन एंडेड फंड हो या फिर क्लोज एंडेड फंड निवेशक के सामने निवेश करने के लिए तीन तरह की स्कीम होती हैं. पहला ग्रोथ स्कीम, दूसरा इनकम स्कीम, तीसरा बैलेंस स्कीम. जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के मुताबिक लोग इन्हीं फंडों में से किसी एक फंड का चुनाव करते हैं.

इक्विटी फंड: इक्विटी इक्विटी फंड्स क्या हैं फंड उन निवेशकों के लिए सही होगा जो लंबी अवधि के लिए पैसा लगाकर लाभ कमाना चाहते हैं. म्यूचुअल फंड की इस स्कीम के तहत आपके पैसे का प्रमुख हिस्सा शेयर में निवेशित किया जाता है. म्यूचुअल फंड में लंबे समय के लिए इक्विटी में पैसा लगाने से अच्छा रिटर्न मिलने के संभावनाएं बढ जाती हैं. जो लोग ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं वो इस तरह के फंड का चुनाव कर सकते हैं.

डेट फंड: इस तरह के फंड का मुख्य उद्देश्य होता है निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए लाभ प्रदान करना. आम तौर पर ऐसी योजनाओं में निवेशकों का पैसा सरकारी प्रतिभूतियों, बांड और कॉर्पोरेट डिबेंचरों में लगाया जाता है. यह फंड इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरे हैं. इनका इक्विटी बाजार के उतार चढ़ाव से कोई मतलब नहीं. हालांकि, इस तरह के फंडों से इक्विटी फंडों की तुलना में रिटर्न कम मिलता है.

बैलेंस फंड: बैलेंस फंड निवेश के बेहतर फंड माने जाते हैं. इस तरह के फंडों में एक निश्चित अनुपात में निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों फंडों में निवेश करते हैं. यह फंड उन निवेशकों के लिए सही है जो थोड़ा-बहुत विकास देखना चाहते हैं. हालांकि, शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में इस तरह के फंडों की एनएवी कम अस्थिर होने की संभावना होती है.

Types of Equity Funds in Hindi इक्विटी फंड्स के प्रकार

Types of Equity Funds in Hindi इक्विटी फंड्स के प्रकार और अलग अलग इक्विटी फंड्स किस तरह से निवेश करते हैं यह आज हम जानेंगे. Types of Equity Funds in Hindi. साथ ही यह जानेंगे कि इक्विटी फंड्स के प्रकार के अनुसार उनमें कितना रिस्क हो सकता है आलग अलग इक्विटी फंड्स में रिटर्न की संभवना कैसी होती है. किस तरह के निवेशकों को किस तरह के इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए. साथ ही समझेंगे कि लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और सेक्टर फ़ंड में क्या फ़र्क़ होता है। Types of Equity Funds in Hindi.

इक्विटी फंड्स के प्रकार Types of Equity Funds in Hindi

इक्विटी फंड्स के प्रकार Types of Equity Funds in Hindi

Types of Equity Funds in Hindi

हमने आपको अलग अलग तरह के म्यूच्युअल फंड्स के प्रकार बताये थे. अलग अलग म्यूचुअल फंड में इक्विटी फण्ड सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं. Types of Equity Funds in Hindi में आज हम विस्तार से Equity Funds के बारे में चर्चा करेंगे. यह फण्ड इसीलिए इतने लोकप्रिय हैं क्योंकि यह फण्ड Share Bazar में निवेश करते हैं और उसी प्रकार रिटर्न भी दे सकते हैं. अधिकतर Equity Funds कंपनियों के मार्किट कैपिटलाइजेशन के अनुसार निवेश करते हैं और उसी प्रकार उनका वर्गीकरण किया जाता है. इEquity Funds मुख्य रूप से लार्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप में बंटे होते हैं. इसके आलावा डाइवर्सिफाईड फण्ड और ELSS और सेक्टर फण्ड होते भी हैं. यहाँ इन सब के बारे में विस्तार से बात करते हैं. साथ ही पढ़ें ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें हमारी साइट पर।

Types of Equity Funds in Hindi इक्विटी फंड्स के प्रकार हैं

  • लार्ज कैप इक्विटी फंड Large Cap Equity Fund
  • मिड कैप इक्विटी फंड Mid Cap Equity Fund
  • स्माल कैप इक्विटी फंड Small Cap Equity Fund
  • डाइवर्सिफाईड इक्विटी फण्ड Diversified Equity Fund
  • ELSS यानि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम
  • सेक्टर फण्ड Sector Fund

Types of Equity Funds in Hindi in Detail

यहां आपको विस्तार से हिंदी में इन सब इक्विटी फड़ों के बारे में बता रहे हैं

लार्ज कैप इक्विटी फंड Large Cap Equity Fund

लार्ज कैप फंड्स ज्यादातर बड़ी कंपनियों में निवेश करते हैं. फंड इन कंपनियों को उनके बाजार पूंजीकरण के आकार के अनुसार निवेश करते हैं. इन कंपनियों को निवेश के लिए सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे अपने उद्योग क्षेत्र में अच्छी तरह से स्थापित कम्पनियां होतीं हैं और एक तरह से टॉप की कंपनियों की ही लार्ज कैप में होने की संभावना होती है। यही वजह है कि लार्ज कैप फंड्स को ऐसे इक्विटी निवेशकों के लिए उपयुक्त माना जाता है जो अधिक रिस्क लेना पसंद नहीं करते. ये फंड अपेक्षाकृत कम जोखिम लेते हुए साधारण रिटर्न देने की संभावना रखते हैं.

मिड कैप इक्विटी फंड Mid Cap Equity Fund

मिडकैप फंड ज्यादातर मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करते हैं. इन कंपनियों में निवेश से कुछ रिस्क भी हो सकता हैं क्योंकि हो इक्विटी फंड्स क्या हैं सकता है कि वे अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार विकास कर पायें या नहीं. हालाँकि यदि यह कम्पनियां यदि विकसित हो कर बड़ी कम्पनियां बन जातीं हैं तो निवेशकों के लिए बेहद लाभप्रद हो सकतीं हैं. अधिक जोखिम बर्दाश्त कर सकने वाले निवेशक ही इनमें निवेश करें.

स्माल कैप इक्विटी फंड Small Cap Equity Fund

स्मॉल कैप फंड छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं. इन कंपनियों के शयेरों में निवेश बहुत जोखिम भरा हो सकती हैं, क्योंकि उनके बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होगी। हालांकि ये कम्पनियाँ असाधारण रिटर्न भी दे सकतीं हैं। ये फण्ड केवल उच्च जोखिम उठा सकने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं.

डाइवर्सिफाईड इक्विटी फण्ड Diversified Equity Fund

फंड मैनेजर के मार्केट व्यू के आधार पर डाइवर्सिफाईड इक्विटी फण्ड अलग अलग आकार की बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। चूंकि पोर्टफोलियो विभिन्न बाजार पूंजीकरणों में फैला होता है, इसलिए वे मिड कैप और स्माल कैप फंडों की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं, लेकिन लार्ज कैप फंडों की तुलना में इनमें थोड़ा जोखिम अधिक हो सकता है। ये फण्ड सामान्य जोखिम बर्दाश्त कर सकने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं.

ELSS यानि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम या टैक्स प्लानिंग म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत करों को बचाने के लिए उपयुक्त हैं। इन फंडों में निवेश 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती के लिए योग्य हैं। वे तीन साल के अनिवार्य लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं। इसका मतलब है कि निवश करने के बाद तीन वर्ष तक इन फंड्स को भुना नहीं सकते.

सेक्टर फण्ड Sector Fund

सेक्टर फण्ड ज्यादातर किसी विशेष क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। चूंकि निवेश एक क्षेत्र पर केंद्रित होता है इसलिए सेक्टर फंड को बेहद जोखिम भरा माना जाता है। उदहारण के लिए रियल एस्टेट सेक्टर फण्ड केवल रियल एस्टेट कंपनियों में ही निवेश करेगा. अर्थव्यवस्था में विभिन्न चक्रों में बदलने से क्षेत्रों की किस्मत भी बदलती रहती है। निवेशकों को अपने निवेश में से केवल एक छोटा सा भाग ही सेक्टर फण्ड में निवेश करना चाहिए.

60 फीसदी पैसा इक्विटी में डालें, बाकी गोल्ड, कैश और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में : ये है निवेश का फॉर्मूला

सही निवेश बाजार के गिरने या बढ़ने से परेशानी पैदा नहीं करता. (फोटो- shutterstock)

iThought नामक एक कंपनी बनाने वाले श्याम शेखर अब निवेश जगत के जाने माने नाम हैं. उन्होंने निवेश से जुड़े कई सवालों के अहम जवाब दिए, जो किसी भी निवेशक को सफल बना सकने के लिए काफी हैं. उन्होंने निवेश का पूरा फॉर्मूला बता दिया है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 13, 2022, 14:12 IST

हाइलाइट्स

iThought के संस्थापक श्याम शेखर ने बताया निवेश का फॉर्मूला.
शेखर ने बताया लार्ज कैप में निवेश करना चाहिए या स्माल कैप में?
स्माल कैप फंड्स को लेकर उन्होंने जो कहा, वह काफी महत्वपूर्ण.

नई दिल्ली. निवेश की सलाह देने वालों की दुनिया में श्याम शेखर आज एक बड़ा नाम है, लेकिन यह नाम हमेशा से इतना पॉपुलर नहीं था. श्याम शेखर ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में निवेश के बारे में बड़ी जबरदस्त सलाह दी है. उन्होंने लाखों की बात, बातों-बातों में ही शेयर कर दी है. हम आज आपको उनकी बेशकीमती सलाह के बारे में बताएंगे, लेकिन उससे पहले थोड़ा-सा श्याम शेखर के बारे में भी बता दें.

श्याम शेखर ने अपने प्रोफेशनल जीवन के पहले 22 साल बिलकुल अलग ही काम में लगाए. वे पेंट फॉर्मूलेटर और टेक्नोलॉजिस्ट थे और उनका पेंट (Paint) बनाने का बिजनेस था. लेकिन शेखर हमेशा से इक्विटी और शेयर बाजार में रुचि रखते थे. तमिलनाडु के जिस क्षेत्र में वह रहते थे, वहां उन दिनों शेयर बाजार में निवेश को बहुत इज्जत या सम्मान वाला काम नहीं माना जाता था. लोग निवेश के लिए इंश्योरेंस स्कीम और FD पर भरोसा करते थे.

शेखर 1990 में जब ग्रेजुएट हुए तो उन्होंने अपनी सेविंग्स के साथ ट्रेडिंग की शुरुआत की. समय बीता तो इक्विटी के साथ उनका प्यार और गहरा होता चला गया. 2 दशकों साथ पेंट का बिजनेस करने वाले शेखर ने अपने प्यार (इक्विटी में काम) को ज्यादा तवज्जो देते हुए 2010 में वेल्थ मैनेजमेंट का काम शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रखा आईथॉट (iThough). शुरुआती वर्षों में iThought म्यूचुअल फंड्स और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के लिए लोगों की मदद करती थी. 2016 में उनकी कंपनी को लाइसेंस मिल गया और वे एक रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर बन गए. 2019 में उन्हें पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) का लाइसेंस भी मिल गया. वे चेन्नई के इन्वेस्टर क्लब का हिस्सा बने और बाद में तमिलनाडु इन्वेस्टर्स एसोसिएशन के अध्यय भी रहे… उनका यह सफर जारी है. मनीकंट्रोल के कुछ सवाल और शेखर द्वारा किए गए उनके जवाब कुछ यूं हैं-

सवाल: मार्केट इस वर्ष में काफी वोलाटाइल रही है. सेंसेक्स 60 हजार के ऊपर निकला और फिर गिरकर 51 हजार के आसपास आ गया. क्या यह समय निवेश के लिए सही है?
जवाब: हां. आपको अवश्य ही निवेश करना चाहिए, क्योंकि “इंतज़ार” की रणनीति ज्यादातर फ्लॉप ही होती है. निवेश करना और फिर इंतज़ार करना अच्छी रणनीति है. हां, आप कुछ पैसा बचाकर रख सकते हैं, ताकि बाजार के गिरने पर आप उसमें निवेश कर पाएं.

सवाल: यदि मेरे पास 10 लाख रुपये हैं, तो आप उस पैसे को कहां निवेश करने की सलाह देंगे? आप मोटे तौर पर हमें समझा सकते हैं.
जवाब: 60 फीसदी पैसा इक्विटी में डालिए. बाकी गोल्ड, कैश और शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में रखिए.

सवाल: विदेशों में निवेश इन दिनों काफी चर्चा में है. क्या आप इंटरनेशनल स्टॉक्स में निवेश की सलाह नहीं देंगे?
जवाब: जब मैंने 60 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश के लिए कहा है, उसमें 10 फीसदी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डालने की सलाह भी शामिल है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सिर्फ अमेरिकी बाजारों में. बाकी के बाजारों पर जियो-पॉलिटिकल प्रेशर काफी ज्यादा असर डाल रहा है. दूसरा, आप सभी बाजारों को ट्रैक भी नहीं कर सकते, क्योंकि वहां की सरकार और उसकी रणनीतियों को समझना मुश्किल होता है.

सवाल: क्या भारत में अब भी अच्छी बड़ी और छोटी कंपनियां खोजना आसान काम है?
जवाब: भारत में लार्ज कंपनियां खोजना बहुत आसान है, लेकिन छोटी और अच्छी कंपनियां खोजना उतना ही मुश्किल. क्योंकि जो बिजनेस हम देखते हैं, उसकी वैल्यूएशन पहले से ही काफी बढ़ी हुई होता है. दूसरा, छोटी कंपनियों में अगर वैल्यूएशन कम भी हो तो लिक्विडिटी की समस्या पैदा हो जाती है. लिक्विडिटी का न होना एक बड़ी प्रॉब्लम है.

यही वजह है कि कई मिड-कैप और स्माल-कैप कंपनियों की इम्पैक्ट कॉस्ट ज्यादा होती है. आपको इस इम्पैक्स कॉस्ट के बारे में सावधान रहना चाहिए. यह किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए दिया गया अतिरिक्त पैसा है. इसलिए ही कई एक्सपर्ट कहते हैं कि स्माल-कैप और मिड-कैंप कंपनियों को आपको म्यूचुअल फंड्स के जरिए खरीदना चाहिए. यहां समस्या इतनी-सी है कि अच्छा करने वाले फंड्स लगातार बढ़ते रहते हैं, क्योंकि निवेशक उन्हें चेज़ करते हैं. जब तक आप समझते हैं, तब तक स्माल और मिड कैप फंड, बड़े (लार्ज) हो चुके होते हैं.

आपने देखा होगा, स्माल कैप फंड्स में लोग ज्यादा निवेश करते हैं. उन्हें लगता है कि ये लार्ज कैप के मुकाबले बेहतर रिटर्न देंगे. लेकिन जरूरी नहीं कि यह सोच हमेशा सही हो. आज, भारतीय स्माल कैप कंपनियों की वैल्यूएशन दूसरे बाजारों की स्माल कैप कंपनियों से अधिक है. आपको स्माल कैप शेयर तब खरीदने चाहिएं, लेकिन जब वे काफी कम कीमत पर मिल रहे हों. इस तरह आपको ज्यादा रिटर्न मिलता है. यही मेरा अनुभव भी है.

लोग स्माल कैप कंपनियों में जमकर पैसा डाल रहे हैं, ताकि वे अपना पोर्टफोलियो बना सकें. स्माल कैप कंपनियों में निवेश करने का यह सही तरीका नहीं है. यही वजह है कि मैं स्माल कैप्स को लेकर अतिरिक्त सावधान रहता हूं. मैं ऐसे बिजनेसेज़ में निवेश करता हूं, जहां मुझे ज्यादा इम्पैक्ट कॉस्ट न लगाकर भाग लेने का मौका मिले. स्माल कैप स्टॉक्स की दुनिया बड़ी संकरी और भीड़भरी है. यहां किसी भी समय भगदड़ मच सकती है.

इस इंटरव्यू में श्याम शेखर ने और भी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी है, जैसे कि एक अच्छा पोर्टफोलियो कैसे बनाएं, ब्याज दरें बढ़ने पर क्या करें, और महंगाई से पार कैसे पाएं. इस सभी प्रश्नों के उत्तर हम कल (शुक्रवार) को छापेंगे. उम्मीद करते हैं कि आप एक सॉलिड पोर्टफोलियो बनाने की जानकारी लेने जरूर पढ़ेंगे.

Written by KAYEZAD E ADAJANIA / MoneyControl

(Disclaimer: यह एक इंटरव्यू पर आधारित खबर हैं. यदि आप किसी भी फंड में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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क्या होता है हाइब्रिड फंड, जानिए इसमें निवेश के फायदे?

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करना सबसे सही और सुरक्षित विकल्प माना जाता है. कई तरह के अच्छे म्यूचुअल फंड बाजार में मौजूद हैं, जिनके जरिए हम अपना पैसा निवेश कर सकते हैं. उनमें से एक है हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds). जब से शेयर बाजार में तेजी का रुख लौटा है तो ऐसे में हाइब्रिड फंड्स में लोगों का निवेश भी दोबारा से लौट आया है.

Hybrid Mutual Funds

सरबजीत कौर

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2021,
  • (अपडेटेड 10 नवंबर 2021, 10:36 PM IST)
  • हाइब्रिड फंड के जरिये इक्विटी और डेट दोनों में निवेश
  • कई बार फंड का पैसा सोना में भी लगाया जाता है

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करना सबसे सही और सुरक्षित विकल्प माना जाता है. कई तरह के अच्छे म्यूचुअल फंड बाजार में मौजूद हैं, जिनके जरिए हम अपना पैसा निवेश कर सकते हैं. उनमें से एक है हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds). जब से शेयर बाजार में तेजी का रुख लौटा है तो ऐसे में हाइब्रिड फंड्स में लोगों का निवेश भी दोबारा से लौट आया है. निवेशकों के बीच हमेशा से पसंदीदा रहने वाला फंड माना जाता है, तो हम आपको बताएंगे कि क्या होता है हाइब्रिड फंड्स और कैसे इसे बाकी म्यूचुअल फंड्स से अलग माना जाता है? साथ ही किसे हाइब्रिड फंड में निवेश करना चाहिए?

हाइब्रिड फंड क्या है?
हाइब्रिड फंड वो म्यूचुअल फंड स्कीम है जो इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती है. या फिर कहें तो एक ही फंड है जो कई तरह के एसेट क्लास में निवेश करता है. अगर बाजार में रिस्क कम लेना चाहते हैं तो आपके लिए हाइब्रिड फंड में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है. क्योंकि, इनमें रिस्क से कम के साथ-साथ रिटर्न भी ज्यादा मिलता है. फिलहाल कोरोना की वजह से बाजार में काफी कुछ अभी भी संभला नहीं. तीसरी लहर का डर अभी भी कहीं न कहीं लोगों में मौजूद है. तो ऐसे में निवेशकों के लिए कम रिस्क के फंड यानी की हाइब्रिड फंड में निवेश करना सही माना जा रहा है.

राइट रिसर्च की को-फाउंडर-सोनम श्रीवास्तव के मुताबिक- 'जैसा कि शब्द से पता चलता है, एक हाइब्रिड फंड जोखिम सहनशीलता के विभिन्न स्तरों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कई परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करता है. आमतौर पर, निवेश इक्विटी और निश्चित आय के साधनों के मिश्रण में किया जाता है. जहां इंडेक्स फंड मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं और डेट फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज और अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, वहीं हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स दोनों में निवेश करते हैं. इसलिए इन्हें बैलेंस्ड फंड भी कहा जाता है.'

क्यों बेहतर है हाइब्रिड फंड?

हाइब्रिड फंड की खासियत यह है कि फंड का पैसा इक्विटी के साथ डेट एसेट में भी लगाया जाता है. कई बार इक्विटी फंड्स क्या हैं फंड का पैसा सोना में भी लगाया जाता है. अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश के कारण इसमें निवेश से डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है. मान लीजिए अगर इक्विटी में लगा पैसा कम होता है या बाजार के माहौल के मुताबिक बिगड़ता है तो डेट और सोने में लगे पैसे के जरिए फंड बैलेंस हो जाता है. ठीक अगर सोने में कमजोरी से फंड में रिटर्न कम होता है तो डेट और इक्विटी के जरिए बैलेंस हो जाता है. यानी की अलग-अलग एसेट क्लास यानी की डाइवर्सिफिकेशन से में निवेश करने से फंड को फायदा होता है.

कितने प्रकार के होते हैं हाइब्रिड फंड?
हाइब्रिड फंड 6 मुख्य प्रकार के होते हैं. जिनके जरिए डेट, इक्विटी या फिर सोने में पैसा निवेश किया जाता है.

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड:
इक्विटी में 60 से 80 फीसदी निवेश
20 से 30 फीसदी का निवेश डेट में
पांच साल की अवधि के लिए निवेश सही

कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड:
10 से 25 फीसदी निवेश इक्विटी में
बाकी बची रकम का डेट एसेट में इस्तेमाल
स्थिर या नियमित आय के लिए फायदेमंद

डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड:
फंड का इस्तेमाल डायनेमिक तरीके से एसेट क्लास में किया जाता है
100 फीसदी निवेश इक्विटी या डेट में किया जाता है

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड:
इक्विटी, गोल्ड और डेट तीनों एसेट क्लास में निवेश होता है
65 फीसदी निवेश इक्विटी में
20 से 30 फीसदी निवेश डेट एसेट में
10 से 15 फीसदी निवेश गोल्ड में होता है

आर्बिट्राज फंड्स:
कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी इक्विटी से जुड़े साधनों में निवेश

इक्विटी सेविंग्स फंड:
इक्विटी, डेट और आर्बिट्राज में होता है निवेश
कुल एसेट का 65 फीसदी निवेश शेयरों में जरूरी
10 फीसदी निवेश डेट में करना अनिवार्य

रिटर्न कैसा मिलता है?
जानकारों की मानें तो हाइब्रिड फंड हमेशा अच्छे रिटर्न्स देने के लिए माने जाते रहे हैं. हाइब्रिड फंड्स जब डेट सिक्योरिटीज के की सुरक्षा के कारण शेयर बाजार अस्थिर होता है तो अच्छा परफॉर्म करते हैं. बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना करने की क्षमता होती है. फंड को चुनने से पहले अपने जोखिम, निवेश करने के लक्ष्य को जरूर समझें. 5 से 7 साल तक के निवेश से 20 से 30 फीसदी तक का रिटर्न संभव.

माई वेल्थ डॉट कॉम के को-फाउंडर-हर्षद चेतनवाला के मुताबिक-'वह निवेशक जो इक्विटी से कम जोखिम और डेब्ट फंड्स से थोड़ा अधिक रिटर्न्स चाहते हैं वह हाइब्रिड फंड्स में निवेश कर सकते है. इस फंड में फंड मैनेजर बाजार और अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुसार इक्विटी इक्विटी और डेब्ट का एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाते है.'

जाने टैक्स से जुड़ी बातें:
अगर आप निवेश किसी भी फंड में निवेश करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं सही फंड चुन नहीं पा रहे हैं तो आपके लिए हाइब्रिड फंड सबसे सही विकल्प है. लेकिन इसमें टैक्स भी लगता है. LTCG यानी की लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर बिना इंडेक्सेशन के 10 फीसदी टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर 15 फीसदी टैक्स लगता है. साथ ही, हाइब्रिड फंड के डेट कंपोनेंट पर किसी भी अन्य डेट म्यूचुअल फंड की तरह टैक्स लगाया जाता है. इसके अलावा, डेट कंपोनेंट से एलटीसीजी टैक्स 20% पोस्ट इंडेक्सेशन और 10% बिना इंडेक्सेशन पर टैक्स लगता है.

किसे करना चाहिए निवेश:
अगर कोई भी व्यक्ति मोटा मुनाफा चाहता है तो उसे हमेशा 5 से 7 साल तक के समय सीमा के लिए हाइब्रिड फंड में निवेश करना चाहिए. म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों के लिए ये काफी अच्छा फंड माना जाता है. डाइवर्सिफिकेशन और एसेट एलोकेशन वाले फंड में निवेश की वजह से भी ये फंड काफी सही माना जाता है. कम जोखिम उठाने वालों से लेकर एग्रेसिव निवेशक भी हाइब्रिड फंड में पैसा लगा सकते हैं.

सही हाइब्रिड फंड कैसे चुनें?
किसी भी हाइब्रिड फंड में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे आपकी जोखिम लेने की क्षमता, कब तक निवेश किया जा सकता है, खर्चे की दर और फंड का प्रदर्शन सभी को ध्यान में रखकर निवेश करें.

इंडिया के कुछ टॉप हाइब्रिड फंड हैं:
(SOURCE: Sonam Gupta, Co-Founder, Wright Research)

1. Quant Absolute Fund
2. ICICI Prudential Thematic Advantage Fund (FOF)
3. BNP Paribas Substantial Equity Hybrid Fund
4. Canara Robeco Equity Hybrid Fund

ऊपर दिए गए सभी फंड्स का सालाना रिटर्न 20 से 30 फीसदी के बीच रहा है

(डिस्क्लेमर: किसी भी तरह के फंड में निवेश से पहले अपने फंड मैनेजर से सलाह जरूर लें.)

NFO: सिर्फ 500 रुपए से शुरू कर सकते हैं SIP, जानिए एडलवाइज के MF में क्या है खास

फोकस्ड इक्विटी फंड्स ऐसे इक्वीट फंड को कहते हैं, जो अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी शेयरों या शेयरों से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में करते हैं। यह अधिकतम 30 कंपनियों के शेयर में इनवेस्ट कर सकते हैं

इस NFO में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक इनवेस्ट किया जा सकता है। इस स्कीम में डायरेक्ट और रेगुलर दोनों ऑप्शन उपलब्ध हैं।

Edelweiss Mutual Fund ने मंगलवार (12 जुलाई) को एक फोकस्ड इक्विटी फंड लॉन्च किया। यह स्कीम 25 से 30 कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगी। इनमें बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कस्टमर सेगमेंट की कंपनियां भी शामिल होंगी। इस NFO में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक इनवेस्ट किया जा सकता है। इस स्कीम में डायरेक्ट और रेगुलर दोनों ऑप्शन उपलब्ध हैं।

यह स्कीम पहले से मजबूत ब्रांड्स के साथ ही उभरते ब्रांड वाली कंपनियों के शेयरों में इनवेस्टमेंट के मौके तलाशेगी। यह मार्केट लीडर्स, इनोवेटिव कंपनियों और उभरते मार्केट में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने वाली कंपनियों के शेयरों में भी इनवेस्ट करेगी।

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