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अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है
विदेशी व्यापार के कारण देश मे एकाधिकारी व्यवसाय पनप नही सकते, क्योंकि उन्हे सदैव विदेशी प्रतियोगिता का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार, विदेशी व्यापार के फलस्वरूप एकाधिकार की प्रवृत्ति को ठेस पहुंचती है।

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अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

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भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार .

Solution : अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है स्वाधीनता के बाद हमारे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ निम्नलिखित
(i) इस व्यापार की वृद्धि केवल मात्रा तथा मूल्य में ही नहीं हुई बल्कि दिशा में भी परिवर्तत हुई है।
अब इंग्लैंड तथा अन्य राष्ट्र संघ देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंध एक तरफा नहीं रह गए जैसा कि स्वाधीनता से पहले था।
(ii) अब हम विदेशों को कच्चा माल तथा तैयार उत्पाद भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है निर्यात करते हैं।
(iii) हमारे प्रमुख उत्पाद हैं-कृषि तथा संबंधित उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद तथा अयस्क और खनिज। भारत पेट्रोलियम तथा संबंधित उत्पाद, मोती तथा बहुमूल्य रत्न, सोना और चाँदी आदि का आयात करता है।
(iv) अब हमारे व्यापारिक संबंध इंग्लैंड की अपेक्षा अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, रूस, यूरोप तथा तेल उत्पादक देशों के साथ हैं।
(v) सार्क (SAARC) देशों के साथ भी भारत के व्यापारिक संबंध बढ़ रहे हैं।
(vi) अमेरिका तथा अरब देशों के बाद चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ, महत्व/लाभ, हानियां

antarrashtriya vyapar arth mahatva labha haniya;एक ही देश के विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों या प्रदेशों के बीच होने वाला व्यापार "घरेलू" "आंतरिक व्यापार" कहलाता भै। इसके विपरीत, दो या अधिक देशो के बीच होने वाला व्यापार "अंतर्राष्ट्रीय व्यापार" या विदेशी व्यापार कहलाता है।

अन्य शब्दों मे," जब वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय दो भिन्न देशो के मध्य जल, थल तथा वायु मार्गों द्वारा होता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते है। जैसे-- अगर भारत, इंग्लैंड के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है साथ व्यापार करे वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होगा।

फ्रेडरिक लिस्ट के अनुसार," घरेलू व्यापार हम लोगो के बीच होता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हमारे और उनके बीच होता है।"

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व/लाभ

1. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक श्रम विभाजन के कारण कुल विश्व उत्पादन अधिकतम किया जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक देश उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है, जिसमे उसे अधिकतम योग्यता एवं कुशलता प्राप्त होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन की अनुकूलतम दशाएं प्राप्त हो जाती है और उत्पादन अधिकतम होता है।

2. साधनों का पूर्ण उपयोग

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे एक देश मे सिर्फ उन्ही उद्योग-धंधो की स्थापना की जाती है, जिनके लिए जरूरी साधन देश मे उपलब्ध होते है। इससे देश मे उपलब्ध साधनों का पूर्ण उपयोग होने लगता है एवं राष्ट्रीय आय मे वृद्धि होती है।

3. उत्पादन कुशलता मे वृद्धि

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र स्पष्ट से बढ़कर संपूर्ण विश्व हो जाता है। विश्वव्यापी प्रतियोगिता मे सिर्फ वे ही उद्योग जीवित रहते है जिनके उत्पादन की किस्म उच्च तथा कीमत कम होती है। अतः हर देश अपने उद्योग-धंधो को जीवित रखने तथा उनका विस्तार करने हेतु कुशलतम उत्पादन को अपनाता है। इससे देश की उत्पादन तकनीक मे सुधार होता है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां इस प्रकार है--

1. विदेशों पर निर्भरता

विदेशी व्यापार के कारण एक देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है की अर्थव्यवस्था दूसरे देश पर कुछ वस्तुओं के लिए निर्भर हो जाती है। परन्तु यह निर्भरता सदैव ही अच्छी नही होती, विशेषकर युद्ध के समय तो इस प्रकार की निर्भरता अत्यन्त हानिकारक सिद्ध हो सकती है।

2. कच्चे माल की समाप्ति

विदेशी व्यापार द्वारा देश के ऐसे बहुत से साधन समाप्त हो जाते है, जिनका प्रतिस्थापन संभव नही होता है। अनेक कोयला, पेट्रोल तथा अन्य खनिज पदार्थ इसी अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है प्रकार समाप्त होते जा रहे है। यदि उन वस्तुओं का उपयोग देश के भीतर ही औद्योगिक वस्तुओं को तैयार करने मे किया जाए तो एक ओर तो इनके उपयोग मे बचत की जा सकती है और इनका अधिक लाभपूर्ण उपयोग हो सकता है।

3. विदेशी प्रतियोगिता से हानि

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

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