एक सीमा आदेश क्या है

सामान्य प्रश्न
जी, नहीं। किसी स्टॉक को जमाखोरी के रूप में परिभाषित करने के लिए, राज्य सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक सीमा आदेश जारी करने होते हैं। आदेश में कवर की गई किसी वस्तु की कोई मात्रा, यदि उस आदेश के उल्लंघन में पायी जाती है तो उसे जमाखोरी के रूप में परिभाषित किया जाता है। यदि कोई स्टॉक सीमा नहीं लगाई हों, तो उस वस्तु में जमाखोरी का कोई प्रश्न नहीं उठता।
- क्या आवश्यक वस्तुओं के संचालन, वितरण और व्यापार में किसी प्रकार के अंतर-राज्यीय प्रतिबंध हैं?
जी, नहीं। संघ सरकार के दिनांक 15.02.2002 के आदेश के अनुसार, आवश्यक वस्तु अधिनियम में प्रदान किए गए अधिकारों के तहत आवश्यक वस्तुओं के व्यापार पर सभी प्रकार के प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। यदि कोई अन्य अधिनियम में किसी प्रतिबंध का उपबंध है, तो मामले को संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटाया जाता है।
- क्या केंद्रीय सरकार आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक सीमा निर्धारित करती है?
जी, नहीं। जब कभी किसी आवश्यक वस्तु की अनुचित मूल्य वृद्धि को रोकने के पर्याप्त कारण होते हैं, संघीय सरकार, आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आदेश अधिसूचित करके, राज्य सरकारों और संघ शासित क्षेत्रों को स्टॉक सीमा निर्धारित करने और संघीय सरकार के अनुमोदन के पश्चात् अधिसूचित करने के लिए सक्षम बनाती है।
- क्या राज्य आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत मामलों पर सुनवाई करने केलिए विशेष न्यायालयों का गठन कर सकते हैं?
जी, हां। राज्यों को किसी भी प्रकार के अपराधों के लिए उच्च न्यायालय के परामर्श से विशेष न्यायालय गठित करने के अधिकार प्राप्त हैं। इसके अतिरिक्त, किसी भी विद्यमान न्यायालय को आवश्यक वस्तुओं के लिए विशेष न्यायालय के रूप में पदनामित किया जा सकता है। तथापि, यदि किसी राज्य में ऐसे किसी न्यायालय की आवश्यकता होती है और वे केंद्र सरकार से परामर्श चाहते हैं, तो केंद्र सरकार से अनुमोदन के लिए एक प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
- क्या किसी आवश्यक वस्तु की कृत्रिम कमी को केंद्रीय सरकार द्वारा रोका जाना अपेक्षित है?
जी, हां। कानून एवं व्यवस्था, राज्य का विषय है। इसके अतिरिक्त, यदि कोई राज्य, आवश्यक एक सीमा आदेश क्या है वस्तु अधिनियम के तहत कोई सांविधिक आदेश जारी करना चाहता है, तो वह दिनांक 09 जून, 1978 को प्रदत्त अधिकारों के तहत संघ सरकार से अनुमोदन के लिए एक प्रस्ताव भेज सकता है।
- आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और चोरबाजारी के विरूद्ध शिकायतों के लिए किसी प्राधिकरण में जाना चाहिए?
आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत, जिलाधीश, पुलिस आयुक्त, राज्य/संघ शासित क्षेत्र के संबंधित विभाग के सचिव अथवा राज्य द्वारा अधिसूचित कोई अन्य प्राधिकरण, जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष ऐसी शिकायतें प्रस्तुत/भेजी जा सकती हैं। पुलिस महानिदेशक, राज्य के मुख्य सचिव के समक्ष भी ऐसी शिकायतें प्रस्तुत/भेजी जा एक सीमा आदेश क्या है सकती हैं।
- क्या आवश्यक वस्तुओं के संबंध में अधिकतम खुदरा मूल्य लागू होता है?
जी, हां। शीघ्र नष्ट न होने वाली वस्तुओं के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित होता है। शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं के मामले में, राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को उत्पादक/विनिर्माता के बिक्री मूल्य और खुदरा कीमतों के बीच न्यूनतम अंतर एक सीमा आदेश क्या है सुनिश्चित करने के लिए कीमतों को विनियमित करना होता है।
- क्या आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1981 अभी भी प्रभावी है?
जी, नहीं। विशेष उपबंध अधिनियम, केवल आरम्भ में पांच वर्षों के लिए प्रभावी था। इसे 15 वर्षों तक प्रभावी बनाने के लिए इसकी अवधि को दो बार बढ़ाया गया था। इस प्रकार, 16.09.2006 से यह अधिनियम प्रभावी नहीं है, तथापि, इसे किसी निरसन अधिनियम के तहत, निरस्त नहीं किया गया है, इसे सामान्य खंड अधिनियम, 1887 की धारा 6 के तहत एक केंद्रीय अधिनियम के द्वारा निरस्त माना जाता है।
- इन अधिनियमों के कार्यान्वयन की रिपोर्ट कहां से प्राप्त की जा सकती हैं?
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की वेबसाईट के अधिनियम और नियम टैब में आवश्यक वस्तु विनियमन और प्रवर्तन के तहत राज्यवार रिपोर्ट उपलब्ध हैं। किसी विशिष्ट राज्य के संबंध में रिपोर्ट संबंधित विभाग के सचिव/विशेष सचिव से प्राप्त की जा सकती हैं। किसी विशिष्ट जिला के संबंध में रिपोर्ट संबंधित जिला के जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी/जिलाधीश/जिला आयुक्त, जैसा भी मामला हो, से प्राप्त की जा सकती हैं।
क्या एक सीमा आदेश क्या है सीमा पर ड्यूटी के दौरान बीएसएफ का जवान नशे में रह सकता है? जानिए- SC का आदेश
सुप्रीम एक सीमा आदेश क्या है कोर्ट ने मेघालय हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि आप ड्यूटी के दौरान नशे में पाए गए, इसलिए सजा कठोर मिलनी चाहिए.
By: ABP Live | Updated at : 08 Apr 2022 07:51 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक पूर्व सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारी की अपील को खारिज कर दिया, जिन्हें ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में पाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए अधिकारी की जमकर फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा, "आप ड्यूटी के दौरान नशे में पाए गए, इसलिए सजा कठोर मिलनी चाहिए." बता दें कि बीएसएफ कांस्टेबल को दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था. मेघालय हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीएसएफ कांस्टेब की अपील को पूरी तरह से निराधार एक सीमा आदेश क्या है एक सीमा आदेश क्या है और समय की बर्बादी बताया था.
'ऐसे अपराध हैं, जिनमें हम शामिल नहीं हो सकते'
आज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "आप बॉर्डर अधिकार हैं और नशे में दोषी पाए जाने को स्वीकर किया है." वहीं, याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने सीमा बल के नियमों का पालन नहीं किया. इस एक सीमा आदेश क्या है पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "आप ड्यूटी के दौरान नशे में थे. सजा कठोर होनी चाहिए. ऐसे अपराध हैं, जिनमें हम शामिल नहीं हो सकते."
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मेघालय हाई कोर्ट ने कहा था कि अपीलकर्ता को उसके खिलाफ लगाए गए सभी चार आरोपों में दोषी पाए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. रिट याचिका इस तरह से बनाई गई थी कि आरोपों के पहले सेट से संबंधित कागजात रिट याचिका में संलग्न थे, लेकिन अन्य कागजात नहीं थे. याचिकाकर्ता ने दो छोटे आरोपों के संबंध में अपना अपराध स्वीकार कर लिया था.
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Published at : 08 Apr 2022 07:51 PM (IST) Tags: Supreme Court BSF bsf jawan हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
गृह मंत्रालय ने जारी किया नया आदेश, सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ को मिला 50 किमी तक कार्रवाई का अधिकार
आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ जीरो टालरेंस (शून्य सहनशीलता) की नीति बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी भीतर तक तलाशी करने संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार दिया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ जीरो टालरेंस (शून्य सहनशीलता) की नीति बनाए रखने के उद्देश्य से, केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी भीतर तक तलाशी करने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार दिया है। यह व्यवस्था भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू होगी। गृह मंत्रालय द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत एक सीमा आदेश क्या है में जारी एक नए आदेश से बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया है। इससे बीएसएफ के अधिकारियों को 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई करने की अनुमति मिल गई है।
बिना वारंट गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती कर सकेंगे अधिकारी
हालांकि इस आदेश से कुछ राज्यों में प्रशासनिक और राजनीतिक विवाद पैदा हो सकता है। ताजा आदेश के अनुसार, बीएसएफ, जिसे पंजाब, बंगाल और असम में सीमा से पंद्रह किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई करने का अधिकार था, को अब बिना किसी बाधा या अनुमति के 50 किमी भीतर तक संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त लोगों की तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की छूट मिल गई है। इसके लिए उसे केंद्र या राज्य सरकारों से कोई अनुमति नहीं लेनी होगी।हालांकि पूर्वोत्तर के पांच राज्यों- मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में इसके अधिकार क्षेत्र में 30 किमी की कटौती की गई है। वहां इसका अधिकार क्षेत्र पहले 80 किमी तक था।
हालांकि कुछ राज्यों में उसके अधिकार क्षेत्र में कटौती भी हुई
इसी तरह गुजरात में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 80 से घटाकर 50 किमी कर दिया गया है। राजस्थान में, बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र पहले की तरह 50 किमी पर समान रहेगा। सीआरपीसी के तहत बीएसएफ का सबसे निचली रैंक का अधिकारी अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना अपनी शक्तियों और कर्तव्यों के पालन और निर्वहन कर सकता है।बीएसएफ अधिकारी को अब ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है जो किसी भी संज्ञेय अपराध में शामिल है, या जिसके खिलाफ उचित शिकायत की गई है, या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है।
ब्यूरो. मुकदमे दायर करने की समय सीमा बढ़ाने का आदेश वापस होगा
- कोरोना की एक सीमा आदेश क्या है स्थिति को देखते हुए शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था
- कोरोना की स्थिति को देखते हुए शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 27 अप्रैल, 2021 के स्वत: संज्ञान आदेश को वापस लेगा, जिसने कोरोना के मद्देनजर 14 मार्च, 2021 से मामलों को दायर करने की समय सीमा अवधि बढ़ा दी थी। कोर्ट ने कहा कि सीमा अवधि का स्वत: विस्तार 1 अक्तूबर, 2021 से वापस ले लिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अब 90 दिनों की एक सीमा अवधि 1 अक्तूबर से प्रभावी होगी। कोर्ट ने कहा कि वह इस आशय के लिए एक आदेश पारित करेगा और नियम और शर्तों को तय करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, एक सीमा आदेश क्या है एल नागेश्वर राव और सूर्यकांत की पीठ ने समय सीमा के विस्तार के लिए स्वत: संज्ञान मामले में ये टिप्पणियां कीं। मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से शुरुआत में कहा, लगता है कि हम आदेश को वापस ले सकते हैं। अटॉर्नी जनरल ने सुझाव पर सहमति जताते हुए कहा कि अब सामान्य स्थिति वापस आ रही हैं और उनकी जानकारी में देश में अब कोई नियंत्रण क्षेत्र एक सीमा आदेश क्या है नहीं है। चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि चुनाव याचिकाओं के लिए केवल 45 दिन का समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह अवधि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत तय है। उन्होंने कहा कि 8 मार्च के आदेश में, अपील दाखिल करने के लिए 15 मार्च से 90 दिनों की अवधि दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट एओआर एसो. की ओर से कहा गया है कि आदेश अभी वापस नहीं लेना चाहिए, क्योंकि तीसरी लहर आने का खतरा है। कोर्ट ने कहा जब यह लहर आएगी तो देखेंगे।