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शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है?

शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है?
Photo:INDIA TV

Share Trading Rules: शेयर बाजार के निवेशकों को बड़ी राहत, आज से एक दिन में होगा शेयरों का लेनदेन, शेयर बेचने के अगले दिन खाते में आएंगे पैसे

Stock Exchange Rules: देश के स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 system) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है.

By: ABP Live | Updated at : 25 Feb 2022 02:20 PM (IST)

Stock Market News: शेयर बाजार ( Stock Market) में निवेश करने वाले निवेशकों को शुक्रवार से बाद से बड़ी राहत मिलने वाली है. शेयर बेचने के बाद अकाउंट में पैसे आने में अब दो दिन नहीं लगेंगे. बल्कि एक दिन में ही खाते में पैसा आ जाएगा तो शेयर खरीदने के अगले ही दिन डिमैट खाते में शेयर ट्रांसफर कर दिए जायेंगे. दरअसल देश के स्टॉक एक्सचेंज मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 System) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है. टी प्लस वन का मतलब यह है कि लेनदेन से शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? संबंधित सेटलमेंट वास्तविक लेनदेन के एक दिन के भीतर ही अबसे हो जाएगा. मौजूदा समय में सेंटलमेंट का नियम टी प्लस टू है, यानी शेयरों की खरीद-बिक्री की रकम संबंधित खाते में वास्तविक लेनदेन के दो दिनों के भीतर जमा की जा रही है.

क्या है टी प्लस वन
इसे उदाहरण के दौर पर समझते हैं. अगर आपने कोई शेयर बुधवार को खरीदा तो आपके डिमैट खाते में शेयर दो दिन बाद शुक्रवार को आता था. उसी तरह आपने बुधवार को शेयर बेचे तो शुक्रवार को उसके एवज में आपको भुगतान किया जाता शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? था और आपके खाते में पैसे आते थे. लेकिन अब से बुधवार को आपने शेयर खरीदे से गुरुवार को ही आपके डिमैट खाते में शेयर आ जायेंगे. साथ ही अगर आपने बुधवार को शेयर बेचे तो उसके बदले में पैसे गुरुवार को ही खाते में ट्रांसफर कर दिए जायेंगे.

क्या होगा फायदा
टी प्ल्स वन सेटेलमेंट सिस्टम के लागू होने से डिफॉल्ट का जोखिम कम होगा साथ ही बाजार में नगदी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकेगा. बाजार के जानकारों का मानना है कि इससे निवेशकों की रुचि बढ़ेगी और शेयर बाजार में वॉल्यूम भी बढ़ेगा.

एक्सचेंजों ने लिया था फैसला
बीएसई और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) ने पिछले साल नवंबर में इसका ऐलान किया था. तब कहा गया था कि 25 फरवरी 2022 से टी प्लस वन की शुरुआत की जाएगी. सबसे पहले यह व्यवस्था बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे छोटी 100 कंपनियों में लागू की जाएगी. उसके बाद मार्च के आखिरी शुक्रवार को इसमें बाजार पूंजीकरण के लिहाज से कम से ज्यादा के क्रम में 500 नए स्टॉक्स शामिल किए जाएंगे. उसके बाद हर महीने के आखिरी शुक्रवार को इसी तरह नए 500 स्टॉक्स तब तक शामिल किए जाते रहेंगे, जब तक सभी स्टॉक्स इसके दायरे में नहीं आ जाते.

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2003 में घटाकर दो दिन कर दिया गया
शेयरों के लेनदेन से हासिल रकम खाते में आने की अवधि पहले वास्तविक लेनदेन से पांच दिनों तक यानी T+5 थी. शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने इसे साल 2002 में घटाकर T+3 किया, जिसके बाद संबंधित शेयरधारक के खाते में बिक्री की रकम तीन दिनों के भीतर आने लगी. बाजार के रेग्युलेटर ने वर्ष 2003 में इसे घटाकर दो दिन कर दिया था. जानकारों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से शेयर बाजारो में रकम का आदान-प्रदान तेजी से होगा.

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Published at : 25 Feb 2022 02:16 PM (IST) Tags: NSE bse demat account Stock Exchange Rules Indian Stock Exchange Adopts T+1 settlement What Is T+1 settlement हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

शेयर मार्केट (share market) से जुड़े हुए सब्द - Share Market words meaning in hindi

शेयर मार्केट (share market) में इन्वेस्ट करने से पहले उसकी जानकारी होना ज़रूरी होता है । अगर आप शेयर मार्केट (share market) से जुड़े है या तो जुड़ना चाहते है तो सबसे पहले आपको कुछ शब्दो को समझना बहुत जरूरी है । इस पोस्ट मै आज आप जानोगे शेयर मार्केट (share market) से जुड़े शब्द और उसके meaning

share market words meaning in hindi

Share (शेयर) का मतलब :

सरल भाषा में कहें तो (share) शेयर का मतलब हिस्सेदारी होती है । कोई कंपनी अपनी हिस्सेदारी छोटे - छोटे हिस्से करती है जिनको निवेशक अपना पैसा इन्वेस्ट करके खरीदते है ।

Dividend का मतलब :

जब कोई कंपनी को लाभ होता है शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? मतलब कि कंपनी कोई किसीभी तरह का बड़ा मुनाफा होता है तो कंपनी अपने share हिसेदारो को कुछ मुनाफा का हिस्सा देती है । जो डिविडेंड के रूप में होता है ।

सेबी (SEBI) का मतलब :

Bonus Share का मतलब:

आपने डिविडेंड का अर्थ समजा है यह शब्द थोड़ा अलग है । कंपनी को फायदा होने के बाद वह कंपनी Dividend जारी नहीं करती है बल्कि कंपनी के ही कुछ Extra Share शेयर धारको में बांटती है जिनको Bonus Share कहा जाता है ।

Bid Price का मतलब : शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है?

Stock Split का मतलब :

इसको सरल भाषा में आपको समझाए तो , कोई कंपनी जब अपने share कि कीमत को अलग - अलग हिस्सों में बाट देती है उदाहर के तौर पर कोई कंपनी का शेयर कि price 200 रुपए है तो कंपनी इसको दो हिस्सो मे डिवाइड करके उसकी price 100-100 कर देगी । जिसको stock split कहते है ।

Volume का मतलब :

किसी भी शेयर में निश्चित समय में कितनी खरीदी और बिक्री हुई है जिसको वॉल्यूम के आधार पर देखा जा सकता है को कि एक पॉल (poll) स्तंभ के जैसा होता है । जो हरा रंग और लाल रंग का देखने को मिलता है ।

Volatile शब्द का मतलब :

आपने शेयर मार्केट में यह शब्द बहुत सुना होगा । मार्केट में उतार चढ़ाव रहता है । अगर उतार चढ़ाव ज्यादा है तो volatility ज्यादा है ऐसा कहा जाता है ।

Stock Exchange का मतलब :

डीमैट अकाउंट का मतलब :

NSE का मतलब :

NSE का मतलब NATIONAL STOCK EXCHANGE है । नाम से आपको अंदाजा आ गया होगा की इसका प्रभुत्व क्या होगा । NSE भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है ।

BSE का मतलब :

बीएसई (BSE) का मतलब BOMBAY STOCK EXCHANGE है । जो भारत में nse के बाद दूसरे नंबर का स्टॉक एक्सचेंज है ।

IPO (आईपीओ) का मतलब :

जब कोई कंपनी धन इकठ्ठा करने के लिए हिस्से दारी सार्वजनिक करती है जो आईपीओ के जरिए करती है । आईपीओ के बारे में हमने विस्तार से बताया हुआ है । ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे "What is IPO"

Portfolio का मतलब :

बीटीएसटी (BTST) का मतलब :

इसका पूरा अर्थ है "Buy today - Sell Tomorrow" जिसमे कोई share को खरीद कर दूसरे दिन फायदा लेकर बेचा जाता है ।

Mutual fund का मतलब :

यह एक ऐसा फंड होता है जिसमे बहुत सारे लोग अपना थोड़ा थोड़ा पैसा इस फंड में इन्वेस्ट करते है और वो पैसा मार्केट एक्सपर्ट अपने Analysis करके इन्वेस्ट करते है ।

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Share Market: स्टॉक मार्केट में कैसे बनें एक सफल निवेशक, जानें अहम बातें

Share Market: स्टॉक मार्केट में कैसे बनें एक सफल निवेशक, जानें अहम बातें

aajtak.in

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 22 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:17 PM IST

शेयर मार्केट में सफल निवेशक बनना आसान नहीं है पर इन बातों का ध्यान रखकर आप शुरूआत कर सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि स्टॉक का चयन कोई आसान काम है क्या? इसका जवाब है- बिल्कुल आसान काम है. आप 5 मिनट में खुद बेहतर स्टॉक खोज सकते हैं. इसके लिए आपको कंपनी के कारोबार (Business of Company) पर फोकस करना होगा. जिस स्टॉक में आप पैसे लगा रहे हैं, उसका कारोबार बेहतरीन होना चाहिए. बस एक यही अहम पैमाना है, जिसके आधार पर आप लंबी अवधि में शेयर से मोटा रिटर्न पा सकते हैं.

शेयरों की श्रेणी | Category of Shares in Hindi.

शेयरों की श्रेणी की बात करें तो Bombay Stock Exchange में सूचीबद्ध शेयरों को शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? विभिन्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है, इनमें से कुछ मुख्य श्रेणियां A, B1, B2 इत्यादि हैं | शेयरों को इन विभिन्न श्रेणियों में विभाजित करने के अपने मतलब तथा अपनी अपनी व्याख्याएँ हो सकती हैं । किसी भी शेयर को शेयरों की श्रेणी में रखने से पहले कई बातों पर विचार किया जाना जरुरी होता है जो की किया भी जाता है । शेयरों को शेयरों की श्रेणी में रखते समय प्रमुख दो बिन्दुओं ‘मार्केट कैपिटलाइजेशन’ तथा ‘ट्रेडिंग वॉल्यूम’ पर प्रमुख रूप से गौर किया जाता है ।

इन दोनों प्रमुख बातों अर्थात Market Capitalization एवं Trading Volume को मिलाकर ही तय किया जाता है कि किसी कंपनी का शेयर किस श्रेणी के अंतर्गत रखा जाना चाहिए । A श्रेणी के अंतर्गत शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? रखी जाने वाली कंपनियों का ‘उच्च बाजार पूँजीकरण’ (High Market Capitalization) तथा उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम’ अर्थात बड़ी मात्रा में शेयरों का लेन-देन होता है । यद्यपि उच्च बाजार पूँजीकरण (लार्ज कैप) तथा मध्यम बाजार पूँजीकरण’ (मिड कैप) के वर्गीकरण के मापदंडों में परिवर्तन होता रहता है ।

जिन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन मध्यम आकार का होता है तथा शेयरों की तरलता (लिक्विडिटी) अपेक्षाकृत कम होती है, उन शेयरों की श्रेणी को ‘B’ श्रेणी में आँका जाता है । शेयरों की कीमतों में परिवर्तन तथा बाजार की परिस्थितियों में बदलाव के चलते कंपनियों के शेयर एक श्रेणी से दूसरी श्रेणी में परिवर्तित हो सकते हैं जो की समय समय पर परिवर्तित होते भी रहते हैं ।

शेयरों की श्रेणी Shares category

1. एस’ ग्रुप के शेयर

शेयरों की श्रेणी में पहली श्रेणी एस’ ग्रुप के शेयर की है, छोटी कंपनियाँ, जिनका पैडअप कैपिटल 20 करोड़ रुपए तक का हो तथा वे बी.एस.ई. (Bombay Stock Exchange ) में लिस्टेड अर्थात सूचीबद्ध हों, तो ऐसे शेयर ‘एस’ ग्रुप के शेयर्स कहलाते हैं । यहाँ ‘एस’ का अभिप्राय ‘स्मॉल कैपिटल स्टॉक’ से है । इनमें से कई कंपनियाँ पहले क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती थीं, फिर उन्हें इस श्रेणी अर्थात एस’ ग्रुप में डाल दिया गया ।

2. शेयरों की श्रेणी ‘टी’ ग्रुप

इस ‘टी’ ग्रुप नामक शेयरों की श्रेणी में टी से अभिप्राय ट्रेड टू ट्रेड सेग्मेंट से है इस श्रेणी के अंतर्गत वे कंपनियाँ आती हैं, जिनकी शेयरों की ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा स्पेकुलेशन तथा वोलेटिलिटी रहती है । स्पेकुलेशन अर्थात अटकलों के प्रभाव को कम करने के लिए शेयरों को इस श्रेणी में डाला जाता है ।

इस श्रेणी के तहत दर्ज शेयरों की ट्रेडिंग के दौरान प्रत्येक लेन-देन में शेयरों की डिलीवरी देना अनिवार्य होता है, यह सब इसलिए होता है ताकि जब तक कोई निवेशक शेयरों की डिलीवरी देने में सक्षम न हो, शेयरों का लेन-देन न कर सके । इससे शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? स्पेकुलेशन शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? पर नियंत्रण अर्थात कण्ट्रोल बना रहता है ।

3. जेड’ श्रेणी के शेयर

माना यह जाता है की निवेशकों को ‘जेड’ श्रेणी के शेयरों के प्रति सदैव सावधान रहना चाहिए, क्योंकि शेयरों की श्रेणी में इस श्रेणी की कंपनियों द्वारा स्टॉक एक्सचेंज के मापदंडों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया होता है । इस श्रेणी के शेयरों में निवेश जोखिम भरा हो सकता है; क्योंकि इन कंपनियों के साथ डिलिस्टिंग की संभावना जुड़ी होती है ।

ऐसी स्थिति में निवेशक कभी मालामाल तो कभी कंगाल भी ओ सकते हैं यही कारण है की निवेशकों को इस शेयरों की श्रेणी के प्रति हमेशा सतर्कता बरतनी पड़ती है ।

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इनका नाम महेंद्र रावत है। इनकी रूचि बिजनेस, फाइनेंस, करियर जैसे विषयों पर लेख लिखना रही है। इन विषयों पर अब तक ये विभिन्न वेबसाइटो एवं पत्रिकाओं के लिए, पिछले 7 वर्षों में 1000 से ज्यादा लेख लिख चुके हैं। इनके द्वारा लिखे हुए कंटेंट को सपोर्ट करने के लिए इनके सोशल मीडिया हैंडल से अवश्य जुड़ें।

सलाह: इन 11 पैरामीटर पर करें शेयरों का चुनाव, मिलेगा 100% से 500% तक का तगड़ा रिटर्न

किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले वह किस सेक्टर की कंपनी के शेयर है और उसका कारोबार क्या है यह पता करें। इसके बाद उस कंपनी की बैलेंस सीट, टर्नओवर, बिजनेस मॉडल और कंपनी का भविष्य क्या है आदि की जानकारी जुटाएं।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Updated on: January 17, 2022 13:17 IST

शेयरों का चुनाव- India TV Hindi News

Photo:INDIA TV

Highlights

  • कंपनी की कुल शुद्ध लाभ और उसके शेयरों की संख्या से विभाजित करके ईपीएस हासिल किया जा सकता है
  • आरओई रेश्यो आपको बताता हैं की कंपनी अपने इक्विटी पर कितना पैसा या रिटर्न बना रही है
  • किसी शेयर का चुनाव करते समय उस कंपनी के पिछले 5 सालों के डिविडेंड भुगतान का रिकॉर्ड जरूर देखें

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच शेयर बाजार ने बीते दो साल में निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। इसके चलते डीमैट खातों की संख्या दो करोड़ से बढ़कर 7.5 करोड़ से अधिक हो गई है। ऐसे में अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं और सही स्टॉक का चुनाव नहीं करने के कारण नुकसान में है तो हम आपको सही शेयर के चुनाव के लिए 11 टिप्स दे रहे हैं। इनको फॉलो कर आप न सिर्फ अपना जोखिम कम कर पाएंगे बल्कि 100% से 500% तक का तगड़ा रिटर्न वाले शेयर का चुनाव भी आसानी से कर पाएंगे।

1. निवेश से पहले EPS के गणित को समझें

EPS का मतलब होता है कि कंपनी के नेट प्रॉफिट में से कंपनी के प्रत्येक शेयर का हिस्सा। EPS का सीधा संबंध कंपनी के लाभ से होता है। अगर EPS अच्छा है तो इसका मतलब है कि कंपनी अच्छा मुनाफा कमा रही है। आप EPS को वार्षिक या मासिक आधार पर जरूर देंखे। इसका कलकुलेशन बहुत ही आसान है। कंपनी की कुल शुद्ध लाभ और उसके शेयरों की संख्या से विभाजित करके ईपीएस हासिल किया जा सकता है।

2. P/E Ratio देखना कभी भी न भूलें

P/E यानी Price to Earning Ratio। इस रेश्यो को कंपनी के 1 शेयर की मार्केट कीमत में EPS का भाग देकर निकाला जाता है। अगर किसी कंपनी का EPS 10 रुपयेे प्रति शेयर हैं। अगर कंपनी के शेयर का भाव 200 रुपये है तो कंपनी का P/E Ratio 20 होगा। इसका मतलब हुआ की आपको एक वर्ष में 10 रुपये कमाने के लिए 20 गुना पैसे देने होंगे। अतः आपको एक शेयर के लिए 200 रुपये देने होंगे।

3. RoE और RoCE को समझना बहुत जरूरी

दोनों रेश्यो किसी भी कंपनी के शेयर का चुनाव करते समय सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह रेश्यो आपको बताते हैं की लगाई हुई इक्विटी या कैपिटल पर कितना रिटर्न प्राप्त हो रहा हैं। आरओई रेश्यो आपको बताता हैं की कंपनी अपने इक्विटी पर कितना पैसा या रिटर्न बना रही है। आसान भाषा में समझे तो कंपनी के लगाए पैसे पर कितना पैसा बन रहा शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? हैं।

4. तुक्का न लगाएं, ट्रेडिंग कोई जुआ नहीं

पहली बार बाजार में पैसा लगाने वाले या नए निवेशक शेयर को तुक्का का खेल समझते हैं, जबकि ठीक उलट शेयर में निवेश एक रणनीति की मांग करता है। आप किस कंपनी का शेयर खरीद रहे हैं, उसकी मार्केट में स्थिति कैसी है, पिछले कुछ समय से उसकी शेयर बाजार में क्या स्थिति रही शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? है आदि की जानकारियां एक निवेशक को होनी चाहिए। सिर्फ कम कीमत देखकर जुए के खेल की तरह शेयर खरीदना और उससे लाभ की उम्मीद लगाना आपको भारी नुकसान करा सकता शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? है।

5. कंपनी के ऊपर कर्ज का आकलन

शेयर मार्केट में शेयर चुनते समय कंपनी के ऊपर कितना कर्ज यह जरूर देखना चाहिए। अगर किसी कंपनी के ऊपर ज्यादा कर्ज हैं तो उसे बहुत ज्यादा ब्याज होगा। इसलिए आप जिस शेयर में इन्वेस्टमेंट कर रहे हो उस कंपनी के ऊपर कम से कम कर्ज होना चाहिए। एक कर्ज मुक्त कंपनी को आप ज्यादा तवज्जो देना चाहिए। एक निवेशक के तौर पर आप कंपनी का Debt-Equity Ratio देख सकते हैं। Debt-Equity Ratio अगर 1 से कम हो तो अच्छा माना जाता है। यह रेश्यो अगर जीरो हो तो यह एक आदर्श रेश्यो माना जाता हैं।

6. कंपनी द्वारा लाभांश भुगतान का रिकॉर्ड

जिन कंपनियों की वित्तीय हालत अच्छी होती है और लाभ कमाती हैं। वह अपने शेयर होल्डर्स को लाभांश का भुगतान करती है। शेयर की प्राइस में इजाफे के साथ-साथ नियमित आय के रूप में डिविडेंड को भी महत्व देना चाहिए। किसी शेयर का चुनाव करते समय उस कंपनी के पिछले 5 सालों के डिविडेंड भुगतान का रिकॉर्ड देखें।

7. मजबूत मैनजमेंट का चयन

किसी भी कंपनी का मैनेजमेंट उस कंपनी की आत्मा माना जाता है। एक अच्छा मैनेजमेंट कंपनी के भविष्य को अधिक उज्जवल बना सकता है जबकि अक्षम मैनेजमेंट अच्छी कंपनी को भी नीचे की ओर ला सकता है। इसलिए आप Share Select करते समय कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में सही जानकारी जरूर हासिल करें।

8. शेयर बाइबैक का रिकॉर्ड चेक करें

शेयर चुनने से पहले Share Buyback के बारे में जानकारी लें। अगर प्रमोटर स्वयं की कंपनी के शेयर पब्लिक से वापस खरीद रहे हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें कंपनी के बिजनेस मॉडल में विश्वास है और भविष्य में कंपनी के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद हैं। इसके साथ ही कंपनी की शेयर होल्डिंग पैटर्न चेक करें। किसी कंपनी का शेयर होल्डिंग पेटर्न यह दिखाता है कि कंपनी के शेयर किन-किन व्यक्तियों के पास हैं? इसमें आपको देखना है कि शेयर का कितना हिस्सा प्रमोटर्स के पास हैं। प्रमोटर्स के पास जितना अधिक शेयर का हिस्सा होगा, उतना ही अच्छा माना जाता है।

9. कंपनी और सेक्टर जरूर देंखे

किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले वह किस सेक्टर की कंपनी के शेयर है और उसका कारोबार क्या है यह पता करें। इसके बाद उस कंपनी की बैलेंस सीट, टर्नओवर, बिजनेस मॉडल और कंपनी का भविष्य क्या है आदि की जानकारी जुटाएं। इससे आपको एक आइडिया मिल जाएगा कि कौन सी कंपनी सही है या किसकी वित्तीय स्थिति कमजोर है। किसी भी सेक्टर की लीडर कंपनी पर प्रमुखता से ध्यान देना चाहिए।

10. लंबी अवधि के लक्ष्य लेकर शेयर चुनें

किसी भी शेयर में छोटी अवधि में रिटर्न की उम्मीद नहीं करें। हमेशा लंबी अवधि का लक्ष्य बनाकर निवेश करें। ऐसी कंपनी के शेयर चुनें जिसमें रिटर्न ज्यादा मिले, लेकिन रिस्क कम हो। ऐसे निवेश से बचें जिसमें या तो बहुत बढ़िया रिटर्न मिलेगा या फिर भयंकर नुकसान की संभावना है।

11. ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयर चुनें

हमेशा वैसे शेयर का चुनाव करें जिसमें ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यम हो। विश्‍लेषक अक्‍सर ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों की समीक्षा करते हैं। कम ट्रेड किए जाने वाले शेयरों में नकली तेजी लाई जा सकती है। बड़े शेयरों में इसकी गुंजाइश बहुत नहीं होती है।

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