ट्रेडर कौन होते है?

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए पांच से पंद्रह मिनट का टाइम फ्रेम बेस्ट चार्ट टाइम फ्रेम होता है।
TRADE MARKETS समीक्षा
यदि आप एक ऐसे ब्रोकर की तलाश कर रहे हैं जो आपको ढेर सारी वैरायटी दे सके, तो ट्रेड मार्केट्स देखें। इस ब्रोकर के पास खाता प्रकारों की एक विस्तृत श्रृंखला है, और उनके पास मेटा ट्रेडर 4 और उनका अपना मालिकाना प्लेटफॉर्म, ट्रेड मार्केट ट्रेडर, दोनों ही उनके ग्राहकों के लिए उपलब्ध हैं।
ब्रोकर के पास कंसीर्ज ट्रेडिंग सर्विस और पोर्टफोलियो मैनेजर जैसी विशेषताएं भी हैं, जो दोनों आपकी अपेक्षाओं और जोखिम सहनशीलता के आधार पर सर्वोत्तम संभव ट्रेडिंग रणनीति विकसित करने में आपकी मदद कर सकते हैं। ट्रेड मार्केट्स के साथ एक खाते के लिए साइन अप करने के लाभों को देखने के लिए गाइड को पढ़ें।
TRADE MARKETS फायदे & खामियां
- खाता प्रकारों की विस्तृत श्रृंखला
- सैकड़ों स्टॉक्स तक पहुंच
- उत्तरदायी कस्टमर्स सर्विस
- कई शैक्षिक उपकरण नहीं
- कई प्लेटफॉर्म्स नहीं
- कमीशन ली जाती है
किसके लिए TRADE MARKETS अनुशंसित है?
ट्रेड मार्केट्स उन व्यापारियों के लिए अच्छा है जिनके पास उद्योग में कम से कम कुछ अनुभव है। इस ब्रोकर के पास भारी मात्रा में शैक्षिक उपकरण नहीं हैं, इसलिए टी.एम. में आना सबसे अच्छा है। पेशे के बारे में जानना। ट्रेड मार्केट्स मेटा ट्रेडर 4 को पसंद करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए भी अच्छा है, हालांकि यह उन लोगों के लिए भी काम करेगा जो एक मालिकाना प्लेटफॉर्म चाहते हैं।
- पोर्टफोलियो मैनेजमेंट। क पोर्टफोलियो मैनेजर किसी और की ओर से विभिन्न वित्तीय बाजारों में निवेश के पोर्टफोलियो की देखरेख करता है। वे निवेश के अवसरों की पहचान करने, पोर्टफोलियो के प्रदर्शन पर नज़र रखने, सही समय पर निवेश से बाहर निकलने और नए निवेश की तलाश करने के लिए जिम्मेदार हैं। पोर्टफोलियो मैनेजर का उद्देश्य जोखिम को सीमित करते हुए बाजार में अवसरों की तलाश करने के लिए पोर्टफोलियो का अनुकूलन करना है। एक पोर्टफोलियो मैनेजर को सभी बाजारों में सभी घटनाक्रमों का पालन करना चाहिए।
- कंसीर्ज ट्रेडिंग सर्विसेज। कंसीर्ज ट्रेडिंग सर्विसेज के साथ, आपको एक पर्सनल ट्रेडर सौंपा जाता है। आपका पर्सनल ट्रेडर काफी हद तक एक पर्सनल असिस्टेंट की तरह होता है, सिवाय इसके कि उनकी जिम्मेदारी आपकी ट्रेडिंग और निवेश रणनीतियों की देखभाल करने में आपकी मदद करने की है।
बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम ( Best Trading Chart Time Frame In Hindi )
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि शेयर बाजार में भिन्न – भिन्न प्रकार से ट्रेडिंग की जाती है। और हर प्रकार की ट्रेडिंग में चार्ट भी अलग – अलग समयानुसार ही देखा जाता है।
वैसे तो चार्ट को अपनी सुविधा और अनुभव के आधार पर अलग – अलग समय चक्र के अनुसार देखा और समझ जाता है।
किन्तु नए Traders को Stock Market का ज्यादा अनुभव नही होता है इसलिए वो चार्ट को लेकर हमेशा दुविधा में रहते हैं।
भिन्न – भिन्न समय ढांचे में चार्ट को देखते रहने पर भी नए ट्रेडर को किसी भी Sock का कोई स्पष्ट रुझान या Trend समझ मे नही आता है।
वो ये समझ ही नही पाते हैं कि आखिर Best Trading Chart Time Frame है क्या ?
इस लेख में नए ट्रेडरों की इसी उलझन को सुलझाने का प्रयत्न किया जा रहा है कि किस प्रकार की ट्रेडिंग के लिए कौन सा बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम अच्छा होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम ( Best Trading Chart Time Frame For Intraday In Hindi )
किसी भी चार्ट में सबसे पहला एक मिनट का टाइम फ्रेम होता है जिसमे एक इंट्राडे ट्रेडर ब्रेकआउट ( Brakeout ) की स्थिति ढूंढने का प्रयास करता है।
परन्तु इसमे बहुत ज्यादा शुद्धता नही होती है क्योंकि एक मिनट मे बनने वाले चार्ट पैटर्न से केवल किसी स्टॉक की क्षणिक स्थिति ही पता चलती है इसलिए एक मिनट के टाइम फ्रेम पर ट्रेडिंग करना उचित नही होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए पांच से पंद्रह मिनट का टाइम फ्रेम बेस्ट चार्ट टाइम फ्रेम होता है।
स्विंग ट्रेडिंग ( Swing Trading ) के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम
यदि हम स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो इसके लिए आधे घण्टे या एक घण्टे के टाइम फ्रेम का प्रयोग कर सकते हैं।
बहुत से इंट्राडे ट्रेडर भी आधे घंटे के टाइम फ्रेम को देखते हैं, क्योंकि चार्ट टाइम फ्रेम जितना बड़ा होगा उसके संकेत भी उतने ही सटीक होंगे।
किसी स्टॉक का सही ट्रेंड बड़े टाइम फ्रेम से ही सटीक पता चलता है। जो Trend आपको बड़े टाइम फ्रेम में दिखेगा वही Trend छोटे चार्ट टाइम फ्रेम में भी होगा।
उदाहरण के लिए यदि आधे घण्टे के टाइम फ्रेम में कोई स्टॉक तेजी दर्शा रहा है तो पांच मिनट के टाइम फ्रेम में भी वो तेजी ही दिखाएगा।
पोर्टफोलियो (Portfolio) के लिए बेस्ट ट्रेडिंग चार्ट टाइम फ्रेम
जब लॉंग टर्म के लिए ट्रेडिंग की जाती है तो डेली ( Daily) या साप्ताहिक ( Weekly) चार्ट टाइम ट्रेडर कौन होते है? फ्रेम में विश्लेषण किया जाता है।
यदि लंबे समय तक निवेश के लिए कोई स्टॉक लेना हो तो मासिक और वार्षिक चार्ट टाइम फ्रेम भी देखा जाता है।
परन्तु जब हम काफी लम्बे समय के लिए कोई स्टॉक खरीदते है तो वहाँ तकनीकी विश्लेषण के साथ – साथ फंडामेंटल ( Fundamental) की भी जांच की जाती है,
इंट्राडे ट्रेडिंग की मूल बातें:
Basics of Intraday Trading:- Day trading से तात्पर्य एक ही दिन में शेयरों की खरीद और बिक्री से है। यह ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किया जाता है मान लीजिए कि कोई व्यक्ति किसी कंपनी के लिए स्टॉक खरीदता है तो उन्हें इस्तेमाल किए गए प्लेटफॉर्म के पोर्टल में विशेष रूप से ‘इंट्राडे’ का उल्लेख करना होगा। यह उपयोगकर्ता को बाजार बंद होने से पहले उसी दिन एक ही कंपनी के शेयरों की समान संख्या को खरीदने और बेचने में सक्षम बनाता है। उद्देश्य बाजार सूचकांकों की गति के माध्यम से लाभ अर्जित करना है। इसे कई लोग डे ट्रेडिंग भी कहते हैं
अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो शेयर बाजार आपको अच्छा रिटर्न देता है। लेकिन Short Term में भी, वे आपको मुनाफा कमाने में मदद कर सकते हैं मान लीजिए कोई शेयर सुबह 500 रुपये पर ट्रेड खोलता है। जल्द ही, यह रुपये तक चढ़ जाता है। एक या दो घंटे के भीतर 550। यदि आपने सुबह 1,000 स्टॉक खरीदे और 550 रुपये में बेचे तो आपको 50,000 रुपये का अच्छा लाभ हुआ होगा – सब कुछ कुछ ही घंटों में इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग- विशेषताएं
Intraday Trading- Features :- ऑनलाइन ट्रेडर कौन होते है? ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर, आपको यह specify करना होगा कि कोई ऑर्डर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए specific है या नहीं। उस स्थिति में, आप स्टॉक पर एक पोजीशन लेते हैं और उसी दिन ट्रेडिंग घंटों के भीतर इसे बंद कर देते हैं। यदि आप इसे स्वयं बंद नहीं करते हैं, तो बाजार बंद होने की कीमत पर पोजीशन अपने आप चुकता हो जाती है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में आपके द्वारा खरीदे और बेचे जाने वाले शेयरों का स्वामित्व आपको नहीं मिलता है। इंट्राडे ट्रेडिंग का लक्ष्य शेयरों का मालिक होना नहीं है, बल्कि दिन के दौरान कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाकर मुनाफा कमाना है।
Leverage: Leverage का अर्थ है निवेश पर संभावित रिटर्न को बढ़ाने के उद्देश्य से, अपनी Purchasing Power को बढ़ाने के लिए अपने ब्रोकर से पैसे उधार लेना। ओपन पोजीशन के एक Share का भुगतान करते हुए बड़ा एक्सपोजर लेने के लिए आप इंट्राडे ट्रेडिंग में लीवरेज का लाभ उठा सकते हैं। लीवरेजिंग से जुड़े नियम और शर्तें हैं जिनका लाभ उठाने के लिए आपको अपने ब्रोकर से परिचित होना चाहिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग VS डिलीवरी ट्रेडिंग Intraday Trading Details Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग के विपरीत, यदि आप एक शेयर खरीदते हैं, लेकिन उसी ट्रेडिंग दिन पर उसे नहीं बेचते हैं, तो इसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहा जाता है। डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके द्वारा खरीदे गए स्टॉक को आपके डीमैट खाते में क्रेडिट कर दिया जाता है। आप इसे बेचने से पहले जितनी देर चाहें, दिनों, महीनों या सालों तक अपने पास रखते हैं।
आपके पास इन शेयरों का स्वामित्व बना रहेगा। डिलीवरी ट्रेडिंग में, निवेशक दिन के भीतर कीमतों में उतार-चढ़ाव के बजाय मुनाफा बुक करने के लिए शेयरों के long-term price movement पर विचार करते हैं।
Intrading trading rules क्या है
Share trading का टाइम 9:15 am से 3:30 pm तक होता है. आपके द्वारा ख़रीदे हुए शेयर आपको उस दिन 3:30 pm तक बेचने होते है.
अगर आप उन को किसी वजह से न बेच पाए तो वो delivery product बन जाते है.
मतलब की आपको उन शेयर के पैसे देकर अपने demat account में रखने होते है.
आप अगले 2-3 दिन बाद उन शेयर को दुबारा बेच सकते है.
Q.1 डे ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
Ans. डे ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग अलग-अलग शब्द हैं लेकिन इनका एक ही अर्थ है। स्टॉक एक्सचेंज में एक ही दिन में शेयरों की खरीद-बिक्री इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाती है। जैसा कि खरीद और बिक्री एक ही दिन होती है, इसे डे ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है।
शेयर की कीमतें एक दिन में ऊपर और नीचे चलती रहती हैं, व्यापारी शेयर की कीमत की गति से लाभ कमाता है। शेयर डीमैट खाते में जमा नहीं होते हैं।
सिटी ग्रुप के एक ट्रेडर की गलती से यूरोपियन मार्केट हुआ था क्रैश, निवेशकों के डूब गए अरबों डॉलर
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: May 03, 2022 | 6:49 PM
सोमवार को यूरोपियन देशों के प्रमुख बाजारों (Stock Market) में आई तेज गिरावट एक ट्रेडर की गलती की वजह से दर्ज हुई थी. आज अमेरिकी बैंक सिटीग्रुप (Citi group) ने ये जानकारी दी, बैंक के मुताबिक उसके एक ट्रेडर ने सौदा भरते वक्त एक ट्रेडर कौन होते है? बड़ी गलती कर दी थी जिसकी वजह से यूरोप के बाजारों में फ्लैश क्रेश देखने को मिला, फ्लैश क्रैश बाजार में बेहद कम समय में आने वाली तेज गिरावट के कहते हैं. इस गिरावट से एक समय बाजारों में स्टॉक्स (Stock trading) का मार्केट कैप 315 अरब डॉलर तक घट गया. हालांकि अगले कुछ मिनटों में ही बाजार अपना अधिकांश नुकसान भरने में सफल रहा.
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ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें
- ऑप्शन क्या होते है?
- ऑप्शन कितने तरह के होते है?
- ऑप्शन कैसे काम करते है?
बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.
ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर
- ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
- ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
- कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
- पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें और पुट ऑप्शन भी बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.
एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें
ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.
ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें
- ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
- नियर मंथ (1महीना)
- मिडिल मंथ (2महीना)
- फार मंथ (3 महीना)
- उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.
समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.