खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली

मालिकाना व्यापार
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यह वित्तीय बाजारों की बात आती है , वहाँ कई महत्वपूर्ण अवधारणाओं है कि आप के बारे में पता होना चाहिए इससे पहले कि आप व्यापार की अंगूठी में प्रवेश कर रहे हैं। इनमें से , बाजार तरलता की अवधारणा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह सब कुछ प्रभावित करता है , कितना आसान यह आप अपने निवेश पर एक वापसी के रूप में लाभ के लिए अपने ट्रेडों पर अमल करने के लिए है।
चूंकि यह घटना बहुत महत्वपूर्ण है , यह आवश्यक है कि आपको बाजार तरलता क्या है की अच्छी समझ है और यह जानना है कि कौन से बाजार तरल या illiquid हैं। उदाहरण के लिए , शेयर बाजार की तरलता क्या है ? क्या यह सबसे तरल बाजार है , या क्या ऐसे बाजार हैं जो तरलता पैमाने पर उच्च रैंक करते हैं ? हम उन विवरणों में शामिल होने से पहले , चलो बाजार तरलता परिभाषा के साथ शुरू करते हैं।
बाजार तरलता क्या है?
लिक्विडिटी उस आसानी को संदर्भित करती है जिसके साथ एक संपत्ति स्थिर कीमतों पर खरीदी जा सकती है और बेची जा सकती है। ख़रीदना और बिक्री तब होती है जब मांग और आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में मौजूद होती है। यदि खरीदारों की संख्या विक्रेताओं की संख्या से अधिक है , तो आपूर्ति कम होगी। इसके विपरीत , अगर खरीदारों की तुलना में अधिक विक्रेता हैं , तो पर्याप्त मांग नहीं होगी। ये बाजार परिदृश्यों कम तरलता में परिणाम।
दूसरे शब्दों में , बाजार तरलता लेन – देन होते हैं जिसके साथ आसानी से करने के लिए संदर्भित करता है। यदि आप आसानी से बाजार में संपत्ति खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं , तो इसका मतलब है कि हर समय पर्याप्त खरीदार और विक्रेता मौजूद हैं , जिससे आप व्यापार में प्रवेश करने के लिए इसे सहज बना सकते हैं। उदाहरण के लिए , यदि आप आसानी से कुछ कंपनियों के शेयरों को खरीद या बेच खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली सकते हैं , तो उन परिसंपत्तियों के लिए शेयर बाजार तरलता उच्च माना जाता है। हालांकि , अगर पर्याप्त बाजार सहभागियों नहीं हैं , तो बाजार अतरल हो जाता है।
बाजार तरलता महत्वपूर्ण क्यों है?
अब जब आपने बाजार तरलता परिभाषा पर पकड़ा है , तो यह जानने का समय है कि यह अवधारणा इतनी महत्वपूर्ण क्यों है। बाजार तरलता के साथ शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्धारित करता है कि आप ट्रेडों में कितनी आसानी से या जल्दी से प्रवेश कर सकते हैं या उन्हें बाहर निकल सकते हैं। यदि कोई बाजार तरल है , तो संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए आसान है क्योंकि बाजार में पर्याप्त प्रतिभागियों के साथ लेनदेन करने के लिए हैं।
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब बाजार नकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है , और आप एक स्थिति से बाहर निकलना चाहते हैं। उदाहरण के लिए , यदि शेयर बाजार तरलता अधिक है , तो आप आसानी से एक कंपनी है कि दिशा है कि आप नुकसान देता है में आगे बढ़ रहा हो सकता है के शेयरों बेच सकते हैं। हालांकि , यदि तरलता कम है , तो अपनी स्थिति से बाहर निकलना काफी आसान नहीं हो सकता है , और आपको उम्मीद से अधिक नुकसान उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा।
तरल बाजार खरीदारों और विक्रेताओं के लिए उन प्रतिभागियों को ढूंढना आसान बनाता है जो उनकी पसंद की कीमतों पर लेनदेन करने के इच्छुक हैं। इसलिए , एक तरल बाजार में खरीदारों को उच्च कीमतों पर संपत्ति खरीदने का सामना नहीं करना पड़ेगा , और एक तरल बाजार में विक्रेताओं को उनकी बिक्री की संपत्ति की कीमत पर भारी छूट नहीं होगी।
नतीजतन , ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब बाजार तरलता अधिक होती है , तो बोली – पूछने का प्रसार कड़ा होता है। दूसरे शब्दों में , सबसे कम कीमत के बीच का अंतर जिस पर एक विक्रेता संपत्ति बेचने के लिए तैयार है और उच्चतम मूल्य जो खरीदार इसके लिए भुगतान करने को तैयार है वह छोटा है।
कौन सा वित्तीय बाजार सबसे अधिक तरल हैं?
वित्तीय बाजारों में तरलता उसमें विभिन्न प्रकार के बाजारों में स्थिर नहीं है। विदेशी मुद्रा बाजार आसानी से सबसे अधिक तरल है , क्योंकि इसमें दुनिया भर के प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। खुदरा व्यापारियों के अलावा , इस बाजार में सरकारों , बैंकों , बीमा कंपनियों , निवेश घरों , और विदेश यात्रा से पहले या बाद में विदेशी मुद्राओं को परिवर्तित करने वाले लोगों जैसे अन्य प्रमुख प्रतिभागियों की एक किस्म भी शामिल है।
इसी प्रकार , शेयर बाजार की तरलता के संबंध में , बड़े कैप स्टॉक सबसे अधिक तरल परिसंपत्तियों में से एक हैं। बड़ी टोपी कंपनियां मूल रूप से उच्च बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियां हैं। इन कंपनियों को आम तौर पर एक्सचेंज पर अक्सर कारोबार किया जाता है , और इसलिए , वे अत्यधिक तरल होते हैं। इन बड़ी टोपी कंपनियों के शेयरों को जल्दी से और बिना किसी परेशानी के खरीदने या बेचने के लिए अक्सर काफी आसान होता है।
और अंत में , कमोडिटी बाजार भी एक बहुत तरल स्थान है। यह विशेष रूप से कमोडिटी बाजार में व्युत्पन्न खंड के उदय की वजह से है। कमोडिटी वायदा और कमोडिटी विकल्प व्यापार करने के लिए काफी आसान हैं , यह देखते हुए कि बाजार आम तौर पर खरीदारों और विक्रेताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है।
अब जब आप बाजार तरलता के बारे में इन सभी विवरणों को जानते हैं , तो यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तरलता व्यापार में प्रभावित कारकों में से एक है। इसलिए , किसी भी बाजार में व्यापार करने से पहले , बाजार की तरलता का त्वरित विश्लेषण करें और तदनुसार अपनी व्यापार अपेक्षाओं को संरेखित करें।
Shaktikant Das: रुपये की गिरावट पर बोले आरबीआई गवर्नर, हम जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंक ऑफ बड़ौदा के इकोनॉमिक्स कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए कहा है कि भारत में महंगाई की दर लगभग स्थिर बनी हुई है, साथ ही हमारे पास पर्यात मात्रा में विदेशी मुद्रा का रिजर्व है।
रुपये में जारी उतार-चढ़ाव के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले घरेलू मुद्रा अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। हम रुपये में आ रही गिरावट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं यानी केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 80 के पार पहुंच गया था। डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल 7.5 फीसदी टूट चुका है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा, आरबीआई के विभिन्न कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मदद मिली है। विदेशी पोर्टफोलियो की निकासी और आयात जरूरतों से बाजार में डॉलर की आपूर्ति कम हो जाने से हमने डॉलर की उपलब्धता बढ़ा दी है। विदेशी मुद्रा की नकदी को समुचित स्तर पर बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक बाजार में डॉलर की आपूर्ति करता है।
हालांकि, रुपये के एक खास स्तर तक बने रहने को लेकर कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है। लेकिन, हम इसका व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करना चाहेंगे और घरेलू मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, जोखिम से बिना बचाव वाले विदेशी कर्ज से परेशान होने की जरूरत नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बड़ी संख्या में ऐसे लेनदेन कर रही हैं। सरकार जरूरत पड़ने पर इसमें हस्तक्षेप करती है।
विदेशी मुद्रा भंडार : छाता इसलिए खरीदते हैं ताकि बारिश में इस्तेमाल कर सकें
गवर्नर ने रुपये को सहारा देने के लिहाज से विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल पर कहा कि बारिश के समय इस्तेमाल करने के लिए छाता खरीदा जाता है। इसलिए आरबीआई ने अचानक एवं अस्थिर उठापटक के दौरान यह सुनिश्चित किया है कि विदेशी मुद्रा बाजार टिकाऊ ढंग से काम करे। केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बना रहेगा ताकि रुपया बुनियादी स्थिति के मुताबिक स्तर हासिल कर सके।
- विदेशी पूंजी की आवक तेज रहते समय हमने जो विदेशी मुद्रा भंडार खड़ा किया था, उसका यही मकसद है।
- बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल हुआ है। 8 जुलाई वाले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था।
महंगाई : 4% के करीब लाने की चुनौती
वैश्विक अनिश्चितता के बीच दास ने कहा, केंद्रीय बैंक सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में ज्यादा उठापटक न हो। आर्थिक वृद्धि पर नाम मात्र असर पड़े और महंगाई 4% के करीब आए। खुदरा महंगाई बड़ी चुनौती है, जो उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। अगस्त में मौद्रिक नीति समिति बैठक में 2022-23 में महंगाई के 6.7% पूर्वानुमान की समीक्षा की जाएगी।
- रेपो दर : उदार रुख छोड़ने की प्रक्रिया जारी मौद्रिक नीति समिति के प्रमुख दास ने कहा कि उदार रुख छोड़ने की प्रक्रिया अब भी चल रही है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि दो बार वृद्धि के बावजूद रेपो दर कोविड-पूर्व स्तर के नीचे बनी हुई है।
- बैंक : बनाए रखें पूंजी की उपलब्धता बैंक पूंजी की उपलब्धता बनाए रखें। ऐसा अभ्यास सुशासन का संकेत माना जाएगा। आगे जाकर बैंक की दुनिया प्रतिस्पर्धी होने के साथ सहयोगात्मक भी हो जाएगी।
डिजिटल कर्ज : जल्द आएगी नीति खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली
डिजिटल कर्ज बांटने वाली फिनटेक कंपनियों को चेतावनी देते हुए दास ने कहा, उन्हें सिर्फ वही कार्य करने चाहिए, जिसके लिए लाइसेंस मिला है। लाइसेंस प्रावधानों का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है। डिजिटल मंचों खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली के जरिये कर्ज बांटने को लेकर अगले कुछ सप्ताह में नई नीति लाई जाएगी।
चार सहकारी बैंकों पर आरबीआई का प्रतिबंध
आरबीआई ने 4 सहकारी बैंकों से निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें साईबाबा जनता सहकारी, सूरी फ्रेंड्स यूनियन, यूनाइटेड इंडिया सहकारी बैंक और नेशनल अर्बन सहकारी बैंक हैं। जनता सहकारी बैंक से 20,000 और सूरी फ्रेंड्स से 50,000 रुपये निकालने की सीमा लगी है। नेशनल अर्बन से 10 हजार निकासी सीमा है। इसके अलावा, सूर्योदय स्माल फाइनेंस पर 57.75 लाख का जुर्माना लगा है।
विस्तार
रुपये में जारी उतार-चढ़ाव के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले घरेलू मुद्रा अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। हम रुपये में आ रही गिरावट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं यानी केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 80 के पार पहुंच गया था। डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल 7.5 फीसदी टूट चुका है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा, आरबीआई के विभिन्न कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मदद मिली है। विदेशी पोर्टफोलियो की निकासी और आयात जरूरतों से बाजार में डॉलर की आपूर्ति कम हो जाने से हमने डॉलर की उपलब्धता बढ़ा दी है। विदेशी मुद्रा की नकदी को समुचित स्तर पर बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक बाजार में डॉलर की आपूर्ति करता है।
हालांकि, रुपये के एक खास स्तर तक बने रहने को लेकर कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है। लेकिन, हम इसका व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करना चाहेंगे और घरेलू मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, जोखिम से बिना बचाव वाले विदेशी कर्ज से परेशान होने की जरूरत नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बड़ी संख्या में ऐसे लेनदेन कर रही हैं। सरकार जरूरत पड़ने पर इसमें हस्तक्षेप करती है।
विदेशी मुद्रा भंडार : छाता इसलिए खरीदते हैं ताकि बारिश में इस्तेमाल कर सकें
गवर्नर ने रुपये को सहारा देने के लिहाज से विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल पर कहा कि बारिश के समय इस्तेमाल करने के लिए छाता खरीदा जाता है। इसलिए आरबीआई ने अचानक एवं अस्थिर उठापटक के दौरान यह सुनिश्चित किया है कि विदेशी मुद्रा बाजार टिकाऊ ढंग से काम करे। केंद्रीय बैंक का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बना रहेगा ताकि रुपया बुनियादी स्थिति के मुताबिक स्तर हासिल कर सके।
- विदेशी पूंजी की आवक तेज रहते समय हमने जो विदेशी मुद्रा भंडार खड़ा किया था, उसका यही मकसद है।
- बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल हुआ है। 8 जुलाई वाले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था।
महंगाई : 4% के करीब लाने की चुनौती
वैश्विक अनिश्चितता के बीच दास ने कहा, केंद्रीय बैंक सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में ज्यादा उठापटक न हो। आर्थिक वृद्धि पर नाम मात्र असर पड़े और महंगाई 4% के करीब आए। खुदरा महंगाई बड़ी चुनौती है, जो उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। अगस्त में मौद्रिक नीति समिति बैठक में 2022-23 में महंगाई के 6.7% पूर्वानुमान की समीक्षा की जाएगी।
- रेपो दर : उदार रुख छोड़ने की प्रक्रिया जारी मौद्रिक नीति समिति के प्रमुख दास ने कहा कि उदार रुख छोड़ने की प्रक्रिया अब भी चल रही है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि दो बार वृद्धि के बावजूद रेपो दर कोविड-पूर्व स्तर के नीचे बनी हुई है।
- बैंक : बनाए रखें पूंजी की उपलब्धता बैंक पूंजी की उपलब्धता बनाए रखें। ऐसा अभ्यास सुशासन का संकेत माना जाएगा। आगे जाकर बैंक की दुनिया प्रतिस्पर्धी होने के साथ सहयोगात्मक भी हो जाएगी।
डिजिटल कर्ज : जल्द आएगी नीति
डिजिटल कर्ज बांटने वाली फिनटेक कंपनियों को चेतावनी देते हुए दास ने कहा, उन्हें सिर्फ वही कार्य करने चाहिए, जिसके लिए लाइसेंस मिला है। लाइसेंस प्रावधानों का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है। डिजिटल मंचों के जरिये कर्ज बांटने को लेकर अगले कुछ सप्ताह में नई नीति लाई जाएगी।
चार सहकारी बैंकों पर आरबीआई का प्रतिबंध
आरबीआई ने 4 सहकारी बैंकों से निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें साईबाबा जनता सहकारी, सूरी फ्रेंड्स यूनियन, यूनाइटेड इंडिया सहकारी बैंक और नेशनल अर्बन सहकारी बैंक हैं। जनता सहकारी बैंक से 20,000 और सूरी फ्रेंड्स से 50,000 रुपये निकालने की सीमा लगी है। नेशनल अर्बन से 10 हजार निकासी सीमा है। इसके अलावा, सूर्योदय स्माल फाइनेंस पर 57.75 लाख का जुर्माना लगा है।
विदेशी मुद्रा भंडार बस दिखाने के लिए नहीं, 'बारिश के दिनों' में इसका इस्तेमाल जरूरी: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप को सही बताते हुए उसका बचाव किया है
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शनिवार 12 नंवबर को भारतीय रुपये (Rupee) पर दबाव कम करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप को सही बताते हुए उसका बचाव किया। RBI गवर्नर ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) का इस्तेमाल ठीक ऐसी ही स्थितियों में किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक्सचेंज रेट में कोई अनुचित अस्थिरता न आए। 'हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट' में बोलते हुए शक्तिकांत दास ने कहा, "कुछ ऐसे ऑब्जर्वेशन किए थे कि RBI अपने रिजर्व का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है। ऐसा नहीं है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि बारिश के मौसम में हमें बचाव के लिए छाता उठाना पड़ता है। हमने ऐसे ही बारिश के दिनों में अपने रिजर्व का इस्तेमाल किया है।"
दास ने आगे कहा, "हमने रिजर्व को सिर्फ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में शोपीस के लिए नहीं इकठ्ठा किया है।" बता दें कि RBI ने डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को रोकने के लिए हाल ही में अपने रिजर्व से काफी मात्रा में डॉलर को निकालकर उनकी बिक्री की थी।
अक्टूबर खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली में 7% से कम रहेगी मंहगाई दर: शक्तिकांत दास
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कीमतों में बढ़ोतरी को एक बड़ी चुनौती बताते हुए शनिवार को उम्मीद जताई कि अक्टूबर में महंगाई की दर सात प्रतिशत से कम रहेगी। सितंबर में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 7.4% पर पहुंच गई थी, जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी। महंगाई में उछाल के पीछे कमोडिटी और एनर्जी की कीमतों में तेजी मुख्य कारण रहा है। अक्टूबर महीने के महंगाई आंकड़े सोमवार को जारी होंगे।
खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली
एक बाजार एक ऐसी जगह को संदर्भित करता है जहां वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा विदेशी मुद्रा बाजार में बोली आदान-प्रदान की सुविधा के लिए दो पक्ष एक साथ आते हैं। ये पार्टियां खरीदार और विक्रेता हैं। एक बाज़ार एक खुदरा दुकान सब्जी हो सकता है और सामान खरीद और बेच सकता है। यह एक ऑनलाइन बाजार भी हो सकता है जहां कोई प्रत्यक्ष भौतिक संपर्क नहीं है लेकिन खरीद और बिक्री होती है।
इसके अलावा, बाजार शब्द उस स्थान को भी संदर्भित करता है जहां प्रतिभूतियों का कारोबार होता है। इस तरह के बाजार को प्रतिभूति बाजार के रूप में जाना जाता है। एक बाजार लेनदेन में, माल, सेवाएं, मुद्रा, सूचना और इन तत्वों का एक संयोजन मौजूद होता है। बाजार भौतिक स्थानों पर हो सकता है जहां लेनदेन किए जाते हैं। ऑनलाइन मार्केटप्लेस में अमेज़ॅन, ईबे फ्लिपकार्ट आदि शामिल हैं। याद रखें कि बाजार का आकार खरीदारों और विक्रेताओं की संख्या से निर्धारित होता है।
बाजार के प्रकार
नीचे उल्लिखित तीन मुख्य प्रकार के बाजार हैं:
1. काला बाजार
एकाला बाजार एक अवैध बाजार है जहां लेनदेन सरकार या अन्य अधिकारियों के ज्ञान या हस्तक्षेप के बिना किया जाता है। ऐसे कई काले बाजार हैं जिनमें केवल नकद लेनदेन या मुद्रा के अन्य रूप शामिल हैं जिससे उन्हें ट्रैक करना कठिन हो जाता है।
काला बाजार आमतौर पर वहां मौजूद होता है जहां सरकार वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करती है। यह विकासशील देशों में भी मौजूद है। यदि देश में वस्तुओं और सेवाओं की कमी हैअर्थव्यवस्था, काला बाजार से आने वाले लोग कदम बढ़ाते हैं और अंतर को भरते हैं। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी काला बाजार मौजूद है। यह ज्यादातर सच है जब कीमतें कुछ सेवाओं या सामानों की बिक्री को नियंत्रित करती हैं, खासकर जब मांग अधिक होती है। टिकट स्केलिंग एक उदाहरण है।
2. वित्तीय बाजार
एक वित्तीय बाजार एक व्यापक शब्द है जो किसी भी स्थान को संदर्भित करता है जहां मुद्राएं,बांड, प्रतिभूतियों, आदि का दो पक्षों के बीच कारोबार होता है। पूंजीवादी समाजों के पास ये बाजार हैंआधार. ये बाजार प्रदान करते हैंराजधानी सूचना औरलिक्विडिटी व्यवसायों के लिए और वे भौतिक या आभासी दोनों हो सकते हैं।
बाजार में स्टॉक मार्केट या एक्सचेंज जैसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, NASDAQ, LSE, आदि शामिल हैं। अन्य वित्तीय बाजारों में बॉन्ड मार्केट और विदेशी मुद्रा बाजार शामिल हैं जहां लोग मुद्राओं का व्यापार करते हैं।
3. नीलामी बाजार
नीलामी बाजार एक ऐसे स्थान को संदर्भित करता है जो विशिष्ट उत्पादों की खरीद और बिक्री के लिए कई लोगों को एक साथ लाता है। खरीदार खरीद मूल्य के लिए प्रतिस्पर्धा करने और एक दूसरे को शीर्ष पर रखने की कोशिश करते हैं। बिक्री के लिए आइटम उच्चतम बोली लगाने वाले के पास जाते हैं। आम नीलामी बाजारों के कुछ उदाहरण पशुधन और घरों की वेबसाइट जैसे ईबे आदि हैं।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर, जानिए नया स्तर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) 30 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 18.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 560.715 अरब डालर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया.
- भाषा
- Last Updated : November 06, 2020, 22:18 IST
मुंबई. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) 30 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 18.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 560.715 अरब डालर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को इसके आंकड़े जारी किए. इससे पिछले 23 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.41 अरब डॉलर बढ़कर 560.53 अरब डॉलर रहा था.
560 अरब डॉलर के पार पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार
समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की अहम वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) का बढ़ना है. एफसीए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 81.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 518.34 अरब डॉलर हो गया. एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है.
देश के स्वर्ण भंडार में गिरावट
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) 60.1 करोड़ डॉलर घटकर 36.26 अरब डॉलर का रह गया. देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) से मिला विशेष आहरण अधिकार 60 लाख डॉलर घटकर 1.482 अरब डॉलर रह गया. वहीं, समीक्षावधि में देश का आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 2.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.64 अरब डॉलर रह गया.
वित्त सचिव बोले- टैक्स कलेक्शन में तेजी के संकेत, इकोनॉमी सुधार के पथ पर
अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के संकेतों के बीच वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि सरकार के टैक्स कलेक्शन में तेजी आई है और सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर दिए गए प्रोत्साहनों के चलते आर्थिक संकेतकों में सुधार जारी है. पांडेय ने बताया कि वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या कोविड से पहले के स्तर पर आ गई है और ऑनलाइन पेमेंट तेजी से बढ़े हैं. वस्तुओं की खपत या सेवा दिए जाने पर लिए जाने वाले जीएसटी के कलेक्शन में लगातार दूसरे महीने तेजी आई है.
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