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फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस

फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस
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फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस

Stock Analysis in Hindi

फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस

मित्रांनो मी सर्वसाधारणपणे 2008 मध्ये शेअर मार्केटमध्ये माझ्या आयुष्यातील पहिला शेअर्स खरेदी केला आणि हीच माझ्या आयुष्यातील ह्या क्षेत्रातील करिअरची सुरुवात होती.

माझे शिक्षण हे एम एस सी केमिस्ट्री वि आणि त्यानंतर मी एमबीए केलेले आहे याबरोबरच मला इंडस्ट्रिअल क्षेत्रातील दहा वर्षाचा अनुभव आहे आणि शेअर मार्केटचा जवळपास मी बारा वर्षे अनुभव घेतलेला आहे आणि जास्तीत जास्त गोष्टी मी या काळात शिकण्याचा प्रयत्न केला.

मी अजूनही या गोष्टी नेहमी शिकत असतो कारण मला असे वाटते की माणूस आयुष्यात कधीही परिपूर्ण होऊ शकत नाही आणि यासाठी आपण नेहमी शिकत राहणे गरजेचे आहे आणि यासाठीच मी स्वतःची शिकतो आणि माझे अनुभव मी आपल्या सर्वांशी नेहमी शेअर करत असतो.

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शेयर का भाव पता करने में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस की भूमिका

Zerodha

वैसे तो किसी को भी इस बात का ठीक ठीक अंदाजा नहीं होता कि – आने वाले समय में क्या होने वाला है, क्योकि शेयर का भाव कम होने और बढ़ने के एक नहीं बल्कि कई तरह के कारण होते है, और एक आदमी उन सभी कारणों को एडवांस में पहले से नहीं जान सकता है,

तो ऐसे में क्या करे, और कैसे पता लगाया जाये कि फ्यूचर में शेयर का भाव क्या रहने वाला है ?

तो आज के इस पोस्ट में मै आपसे बिल्कुल इसी टॉपिक के बारे में बात करने वाला हु –

आइये सबसे पहले जानते है कि – शेयर के भाव पता करने के लिए सबसे अधिक किन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है,

शेयर के भाव पता करने के लिए काम में लायी जाने वाली तकनीके –

किसी कंपनी के शेयर का भाव पता करने के लिए दो पोपुलर और सबसे मुख्य तकनीक है –

तो अब सवाल ये आता है कि – फंडामेंटल एनालिसिस फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है और ये किस तरह से शेयर का भाव पता करने में हेल्प करता है, यानि शेयर का भाव पता करने में फंडामेंटल एनालिसिस की क्या भूमिका है ?

तो इसका जवाब है – शेयर के भाव का फंडामेंटल रूप से क्या भाव होना चाहिए, यानि कोई शेयर /स्टॉक कितना लाभ कमाता है, और उतना लाभ कमाने के लिए उस स्टॉक का आज क्या भाव होना चाहिए , ये सब कुछ हमें फंडामेंटल एनालिसिस से पता चलता है,

इसके आलावा, फंडामेंटल एनालिसिस से किसी शेयर या स्टॉक के लॉन्ग टर्म /लम्बे समय में भाव के बढ़ने या गिरने का हिसाब किताब लगाया जाता है .

इस तरह फंडामेंटल एनालिसिस एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है, जिसके सहारे में हम तकनिकी रूप से किसी स्टॉक के फ्यूचर प्राइस को पहले ही पता लगा सकते है,

शेयर का भाव पता करने में टेक्निकल एनालिसिस की भूमिका –

एक और सवाल ये है कि टेक्निकल एनालिसिस क्या है और किसी स्टॉक के फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस वैल्यूएशन में इसकी क्या भूमिका है –

टेक्निकल एनालिसिस के ऊपर आप नीचे बताये गए अर्तिक्ल्स /पोस्ट पढ़ सकते है,

फिलहाल अगर बात की जाये तो शेयर का भाव पता करने में टेक्निकल एनालिसिस की भूमिका की बात की जाये, तो इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, और सभी छोटे बड़े ट्रेडर /म्यूच्यूअल फण्ड हाउसेस इसी के सहारे शेयर की फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस भाव पता करने की कोशिस करते है,

इसमें कंप्यूटर से कुछ पहले से तय सिद्धांतो के आधार पर गणना की जाती है, और स्टॉक के फ्यूचर वैल्यू का पता लगाने की कोशिस की जाती है,

आशा है,

इस पोस्ट से आप समझ पाए होंगे किशेयर का भाव पता करने में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस की भूमिका,

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.

Fundamental Analysis

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.

Fundamental vs Technical Analysis

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.

  • समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
  • रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
  • ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
  • वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.

फंडामेंटल एनालिसिस:

Stock Analysis करते समय फंडामेंटल एनालिसिस के द्वारा शेयर की सही कीमत पता करने की कोशिश की जाती है शेयर की कीमत पता करने के लिए, कम्पनी वर्तमान में जो कारोबार रही है। वह अगले दो, पांच या दस सालों में कितना बढ़ सकता है।
मान लीजिये, आज कम्पनी को 500 करोड़ का प्रॉफिट हो रहा है, तो अगले साल कितना प्रॉफिट हो सकता है। इस तरह हम जितने साल के लिए कम्पनी में इन्वेस्ट करना चाहते है, उतने साल तक का अनुमान Fundamental Analysis में लगाया जाता है।


फंडामेंटल एनालिसिस में ये भी देखा है कि अगले दो , पांच या दस साल में कंपनी के कैशफ्लो कैसे रह सकते है। कैशफ्लो की आज की तरीख में नेट प्रजेंट वैल्यू निकलने की कोशिश की जाती है। ऐसी आधार पर कम्पनी के फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस प्रत्येक शेयर की प्रजेंट वैल्यु निकली जाती है।
दूसरा तरीका है कि कम्पनी की इंट्रिनसिक वैल्यू क्या है ? यानि की कम्पनी की सभी सम्पत्तियो तथा देनदारियों को निकालकर कम्पनी की नेट वैल्यू निकली जाती है।
कई बार लोग stock Analysis करते समय ये भी देखते है कि कम्पनी की डिविडेंट पॉलिसी क्या है ? यदि कम्पनी साल दर साल अच्छा डिविडेंड दे रही है। इसका मतलब कम्पनी कैश जेनरेशन भी कर रही है तथा Investor friendly भी है। ये फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस सब मुददे स्टॉक एनालिसिस में देखे जाते है। उपर्यक्त सभी तरीको के द्वारा आप यह पता लगा सकते है कि कोई शेयर फंडामेंटली अच्छा है या बेकार।
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टेक्नीकल एनालिसिस:

इसमें शेयर का चार्ट देखकर भविष्य बताने की कोशिश की जाती है। पुराने डेटा के आधार पर अब तक शेयर ने कितना वॉल्यूम किया तथा किस तरह का प्राइस एक्शन शेयर ने किया। शेयर कब कितना ऊपर - नीचे हुआ तथा कितन कितने वॉल्यूम पर हुआ , कितने समय में हुआ।
इस तरह Technical Analysis चार्ट पर पुराने डेटा को देखकर Stock Analysis करके किसी शेयर के भविष्य में होने वाले उतर -चढ़ाव को जानने की कोशिश को कहते है।
बहुत से लोग टेक्निकल एनालिसिस को शेयर का पोस्टमार्टम कहते है, डायग्नोसिस नहीं क्योंकि इसमें पुराने डेटा से भविष्य का अनुमान लगते है। ये भी एक stock analysis का तरीका है इसलिए लोग ऐसा करते है अतः ये गलत नहीं है।

इसमें इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि कम्पनी फंडामेंटल कैसे है, कम्पनी अच्छी है या बुरी क्योंकि इसमें सिर्फ price और volume एक्शन देखा जाता है technical analysis उन लोगों के लिए अच्छा है जो ट्रेडर हैं, intraday या short term trade करते है।
टेक्निकल एनालिसिस उन लोगो के लिए भी अच्छा है ,जो किसी शेयर में लम्बे समय तक निवेशित रहना चाहते है ,वो चार्ट के आधार पर उस लेवल का पता लगा सकते है जिस पर शेयर में लम्बे समय के लिए निवेश करना फायदे का सौदा हो सकता है इन्वेस्टर के लिए टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा किसी शेयर में एंट्री तथा एग्जिट के थोड़े संकेत मिलते है।ट्रेडर के लिए technical analysis सीखना आवश्यक है क्योंकि ट्रेडर को ट्रेड करने से पहले ही तय करना होता है, कि शेयर किस कीमत पर खरीदना तथा बेचना है। इसके लिए ट्रेडर को चार्ट पढ़ना आना चाहिए ,ये बात भी सही है कि जिन लोगों को चार्ट पढ़ना आता है वो शेयर बाजार में काफी पैसे कमाते है।
टेक्निकल एनालिसिस में stop loss लगाना बहुत जरूरी होता है। कई बार यह ट्रिगर भी हो जाता है ,स्टॉप लॉस ट्रेडर को बड़े नुकसान से बचता है।इसमें एक बात साफ होती है कि आपको शेयर एक निश्चित कीमत पर खरीदना होता है तथा निश्चित टार्गेट के लिए खरीदना होता है, आप टार्गेट को revise कर सकते है टार्गेट के साथ-साथ स्टॉप लॉस को भी रीवाइज करना चाहिए।

क़्वालीटेटिव एनालिसिस:

Stock analysis करने का तीसरा तरीका qualitative analysis है इसमें ये देखा जाता है कि जो लोग चला रहे हैं ( कम्पनी के प्रमोटर) उनका बैकग्राउंड कैसा है ? मान लेते हैं कि टाटा, अंबानी, वाडिया ये लोग बिज़नेस चला रहे है इन लोगों ने बड़ा एम्पायर खड़ा किया है।

आपको ये जानने का प्रयास करना चाहिए कि इनका कम्पनी खड़ी करने का पुराना रिकॉर्ड कैसा है ? गवर्नेंस तथा लेन -देन को लेकर कम्पनी के मेनेजमेंट का रिकॉर्ड कैसा है ? कोई गलत काम तो नहीं किये। मेनेजमैंट के खिलाफ रेगुलेटर के कोई एक्शन तो नहीं हुए।

यह भी जरूर जानना चाहिए कि कम्पनी का बिज़नेस मॉडल कैसा है ? क्या उसमें कुछ बेरियर ? कॉम्पिटिशन कितना आ सकता है ? उस बिज़नेस में रेवेन्यू विसिबिल्टी कैसी रह सकती है ? ये भी देखना चाहिए कि इसकी इंडस्ट्री कितना ग्रोथ कर रही है क्योंकि यदि इसकी इंडस्ट्री में ही ग्रोथ फंडामेंटल बनाम टेक्निकल एनालिसिस नहीं होगी, तो ये कम्पनी भी कहाँ ग्रोथ कर पायेगी ? ये कुछ फैक्टर है जिनसे qualitative analysis किया जाता है।

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