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ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन

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एमएफ के खरीदार की तलाश

आईडीएफसी ने एक बार फिर से अपने म्युचुअल फंड (एमएफ) कारोबार की बिक्री प्रक्रिया की शुरुआत की है। कंपनी के बोर्ड ने शुक्रवार को आईडीएफसी म्युचुअल फंड ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन के लिए उपयुक्त खरीदार खोजने के लिए निवेश बैंकरों को इस प्रक्रिया से जोडऩे का फैसला किया है। कंपनी 1.26 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्ति का प्रबंधन करती है और यह देश की शीर्ष 10 परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों में शामिल है।

कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में कहा, 'निदेशक मंडल ने म्युचुअल फंड कारोबार का विनिवेश करने की प्रक्रिया शुरू करने के कदमों को मंजूरी दे दी है जो नियामक अनुमोदनों के अधीन है। निदेशक मंडल ने इसके लिए निवेश बैंकर की नियुक्ति सहित आवश्यक कदम उठाने के लिए संबंधित रणनीति एवं निवेश समितियों को अधिकृत किया है।' बोर्ड का फैसला एक कॉन्फ्रेंस कॉल के कुछ दिनों के बाद ही किया गया है जहां शेयरधारकों ने आईडीएफसी फस्र्ट बैंक में अपने रिवर्स विलय और म्युचुअल फंड कारोबार की बिक्री के लिए निश्चित समयसीमा देने में असफल रहने के लिए कंपनी की आलोचना की।

आईडीएफसी पिछले 4.5 वर्षों से अपने म्युचुअल फंड कारोबार की बिक्री के विकल्प तलाश रही है हालांकि मूल्यांकन पर असहमति की वजह से एक सौदा नाकाम हो गया। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इस बार रुझान कुछ अलग हो सकते हैं क्योंकि कंपनी की अपनी परिसंपत्ति ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन में अच्छी वृद्धि के साथ-साथ, शेयर बाजार में तेजी और 36 लाख करोड़ रुपये के म्युचुअल फंड उद्योग के सकारात्मक रुझान हैं। कई मौजूदा खिलाडिय़ों, म्युचुअल फंड उद्योग में नए खिलाडिय़ों के साथ ही वित्तीय सेवा उद्योग में अन्य खिलाड़ी भी दिलचस्पी दिखा सकते हैं।

जून 2021 तिमाही के दौरान आईडीएफसी म्युचुअल फंड के पास डेट पक्ष में 97,980 करोड़ रुपये की औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) और इक्विटी पक्ष में 28,159 करोड़ रुपये की एयूएम थी।

आमतौर पर, म्युचुअल फंड में सौदे एयूएम के 5.7 प्रतिशत के बीच होते हैं। कई मामलों में अगर फंड कंपनी में अच्छी तादाद में इक्विटी परिसंपत्ति है तब मूल्यांकन बढ़ सकता है। आईडीएफसी म्युचुअल फंड के मुनाफे का रिकॉर्ड भी अच्छा है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आईडीएफसी म्युचुअल फंड ने 144 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था जो वित्त वर्ष 2020 में दर्ज 79.4 करोड़ रुपये के मुनाफे के मुकाबले 81 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

म्युचुअल फंड उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'आईडीएफसी म्युचुअल फंड ने ऋण और इक्विटी के एक अच्छे मिश्रण के साथ कारोबार बढ़ाया है। हालांकि, हमें उन मूल्यांकन पर गौर करने की जरूरत है जिनमें वे अपना कारोबार बेचना चाहते हैं।'

इस साल म्युचुअल फंड क्षेत्र में कई अधिग्रहण और विलय हुए हैं। हालांकि, ज्यादातर मामलों में छोटे खिलाडिय़ों को ही खरीदा गया है। इससे पहले मई में, अग्रणी निवेश मंच ग्रो का संचालन करने वाली नेक्स्टबिलियन टेक्नोलॉजी ने 175 करोड़ रुपये में इंडियाबुल्स म्युचुअल फंड का अधिग्रहण किया था। इस साल जनवरी में, सुंदरम म्युचुअल फंड ने प्रिंसिपल एसेट मैनेजमेंट का अधिग्रहण किया था। वहीं सचिन बंसल के स्वामित्व वाले नवी एमएफ ने एस्सेल एमएफ की संपत्ति खरीदी थी। हाल ही में, व्हाइट ओक कैपिटल को येस एमएफ खरीदने के लिए नियामक मंजूरी मिली है।

म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों के लिए जरूरी बातें, SEBI ने बदल दिए ये 10 नियम

म्यूचुअल फंड्स ने इक्विटीज से लगातार पांचवें महीने भी तगड़ी रकम निकाली है;

म्युचुअल फंड बाजार में रिस्क को कम करने के लिए सेबी (SEBI) ने कुछ उपायों को रखा है. इन उपायों से तनाव कम कर डेब्ट फंड (Debt Fund) में पर्याप्त तरलता (Liquidity) सुनिश्चित की जा सकेगी.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 21, 2020, 11:57 IST

फ्रैंकलिन टेम्पलटन (Franklin Templeton) म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) की छह क्रेडिट स्कीम (Bond Market) बंद होने पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कुछ पैमाने तय किये हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. म्युचुअल फंड बाजार में जोखिमों (Risk) को कम करने के लिए प्रतिभूति नियामक ने कुछ उपायों को रखा है. इन उपायों से तनाव कम कर डेब्ट फंड (Debt Fund) में पर्याप्त तरलता (Liquidity) सुनिश्चित की जा सकेगी. सेबी के कुछ नीतिगत बदलावों से म्यूचुअल फंड के कार्य करने का तरीका भी बदल जाएगा. SEBI ने बदल दिए ये 10 नियम.

बता दें कि क्रेडिट रिस्क फंड वो डेब्ट फंड होते हैं जो कम क्रेडिट गुणवत्ता वाले ऋण प्रतिभूतियों के लिए अपने धन का 65 प्रतिशत या इससे अधिक उधार देते हैं. उधारकर्ता अपनी कम क्रेडिट रेटिंग की भरपाई के लिए उच्च ब्याज दरों का भुगतान करते हैं जो कि डिफ़ॉल्ट की बढ़ती संभावना के कारण ऋणदाता के लिए उच्च जोखिम में बदल जाता है.

1. RFQ प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल
1 अक्टूबर से, म्यूचुअल फंड, NSE और BSE दोनों पर उपलब्ध रिक्वेस्ट फॉर कोट (RFQ) प्लेटफॉर्म के जरिए ही कॉरपोरेट बॉन्ड में व्यापार करेंगे. इसमें म्यूचुअल फंड अपने औसत माध्यमिक बाजारों के व्यापार का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा लेंगे. बता दें कि द्वितीयक बाजार बांड लेनदेन में एक्सचेंजों की तरलता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है.

2. पोर्टफोलियो और प्रकटीकरण
22 जुलाई को, सेबी ने एक परिपत्र के माध्यम से घोषणा की थी कि डेब्ट म्यूचुअल फंड को 30 दिनों के बजाय हर 15 दिनों में अपने पोर्टफोलियो का खुलासा करना होगा. क्योंकि केवल चुनिंदा फंड ही महीने में दो बार अपने पोर्टफोलियो का खुलासा कर रहे थे. यह कदम किसी भी जोखिम को समझने में भी मदद करेगा.

3. पोर्टफोलियो का अलगाव
सेबी ने 2018 में क्रेडिट इवेंट के मामले में ऋण उपकरणों के अलगाव की अनुमति दी थी. इसके अलावा, अगस्त में प्रतिभूति नियामक ने म्यूचुअल को पॉकेट ऋण की भी अनुमति दी. ऐसे मामलों में जहां उधारकर्ताओं ने COVID 19 से बढ़ते तनाव के कारण ऋण पुनर्गठन के लिए म्यूचुअल फंड का रुख किया था. यह निवेशकों को जोखिमभरी प्रतिभूतियों में निवेश करने से रोकेगा.

4. सुरक्षित लिक्विड फंड
सेबी ने लिक्विड फंडों को अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 20 प्रतिशत हिस्सा लिक्विड एसेट्स जैसे नकद, टी बिल, सरकारी प्रतिभूतियां और हर समय सरकारी प्रतिभूतियों पर रेपो दर में रखना अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा, कम अवधि के लिए अपना पैसा जमा करने के लिए लिक्विड फंड का उपयोग करने से कॉरपोरेट्स को रोकना. सेबी ने सात दिनों के भीतर छुटकारे के लिए निधियों पर निकास भार अधिसूचित किया है.

5. ऋण लिक्विड म्यूचुअल फंड
जून में, भारतीय रिजर्व बैंक ने सुझाव दिया था कि फ्रैंकलिन मामले की तरह ऋण म्यूचुअल फंड को एक निश्चित राशि के रूप में तरल बिलों जैसे कि ट्रेजरी बिलों को अचानक जोखिम से बचने के लिए एक बफर के रूप में निवेश करने के लिए कहा जाना चाहिए. वहीं, 23 सितंबर को, रॉयटर्स ने बताया कि सेबी अपनी योजनाओं में एक निश्चित प्रतिशत तरल संपत्ति रखने के लिए सभी ऋण म्यूचुअल फंडों के लिए इसे अनिवार्य बनाने की योजना बना रहा है. अब म्यूचुअल फंड को ट्रेजरी बिल और सरकारी प्रतिभूतियों में ही निवेश करना होगा.

6. तनाव परीक्षण पद्धति
सितंबर के अंत में, सेबी के अध्यक्ष अजय त्यागी ने कहा, सभी ओपन एंडेड ऋण म्युचअल फंड योजनाओं के लिए तरलता, ऋण और बाजार जोखिमों को देखते हुए नियामक तनाव परीक्षण पद्धति के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का विचार कर रहा था. पैनल योजनाओं में संपत्ति, निवेशकों के प्रकार, तनाव परीक्षण के परिणाम के आधार पर तरल परिसंपत्तियों में आवश्यक न्यूनतम परिसंपत्ति आवंटन का निर्धारण करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगा.

7. रेपो समाशोधन निगम
बोर्ड ने सीमित प्रयोजन रेपो समाशोधन निगम की स्थापना को मंजूरी दी है. नियामक ने कहा कि कॉरपोरेट बॉन्ड में रेपो ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लक्ष्य के लिए ऐसा किया गया है. यह कदम आचार संहिता लागू कर म्यूचुअल फंड प्रबंधकों को अधिक जवाबदेह बना देगा. यह समाशोधन निगम सभी निवेश ग्रेड कॉर्पोरेट बॉन्ड में त्रि पक्षीय रेपो व्यापार के निपटान की गारंटी देगा.

8. असूचीबद्ध एनसीडी में निवेश करना
सितंबर के अंत तक, सेबी ने म्यूचुअल फंड को गैर परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) में निवेश करने की अनुमति दी थी, जो किसी स्कीम के डेब्ट पोर्टफोलियो का अधिकतम 10 प्रतिशत तक होता है. इसका उद्देश्य म्युचुअल फंडों द्वारा ऋण और मुद्रा बाजार के साधनों में निवेश के लिए पारदर्शिता और प्रकटीकरण को लाना है.

9. इन हाउस क्रेडिट जोखिम मूल्यांकन
सेबी ने फंड हाउसों से कहा कि वे एक इन हाउस क्रेडिट रिस्क असेसमेंट या कर्ज और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स को समय पर पूरा करने के लिए उचित पॉलिसी और एक प्रणाली बनाए. इस तरह के उपकरणों में निवेश करने से पहले यह मान्य होगा और यह पोर्टफोलियो के क्रेडिट जोखिम का उचित मूल्यांकन करता रहेगा. सेबी के परिपत्र के अनुसार, ये नियम नवंबर 2020 से प्रभावी होगा.

10. जोखिम मीटर को दुरुस्त करना
जोखिम मीटर में अब छह स्तर शामिल हैं. यह नए स्तर हैं 'कम जोखिम', कम से मध्यम', 'साधारण', 'मध्यम उच्च' 'उच्च' और 'अधिक उच्च'. यह नया जोखिम मीटर हर महीने बदल जाएगा और पिछले प्रदर्शन से अलग हटकर जोखिम का स्कोर प्रदर्शित करेगा. नए नियमों के अनुसार, 1 जनवरी से, निवेशक उस दिन की NAV खरीदेंगे, जब निवेशक का पैसा एएमसी तक पहुंच जाएगा, भले ही निवेश का आकार कुछ भी हो. ये नियम तरल और ओवरनाइट फंड पर लागू नहीं होगा.

लाभांश विकल्प के मानदंड तय करना- सेबी ने फंड हाउसों को योजनाओं के विवरण को निर्दिष्ट करने के लिए शब्द लाभांश के बजाय 'आय वितरण सह पूंजी निकासी' का उपयोग करने के लिए कहा है. इसलिए म्यूचुअल फंड्स की डिविडेंड पेआउट स्कीम्स का नाम बदलकर 'पेआउट ऑफ इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल निकासी विकल्प' होगा. इसी तरह, लाभांश पुनर्निवेश और लाभांश हस्तांतरण योजनाओं का नाम बदला जाएगा. इन परिवर्तनों को 1 अप्रैल 2021 तक लागू करना होगा.

सेबी ने 8 अक्टूबर को डेब्ट म्यूचुअल फंड्स द्वारा 'अंतर योजना स्थानांतरण' (IST) के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया है. नियामक ने कहा कि अंतर योजना स्थानांतरण तभी किया जा सकता है जब फंड जुटाने के लिए तरलता बढ़ाने के अन्य प्रयास किए जाते हैं. यह नियम जनवरी 2021 से प्रभावी होगा. मौजूदा नियमों के तहत अंतर स्कीम स्थानांतरण बाजार की कीमतों पर होते हैं और यह हस्तांतरण प्राप्तकर्ता योजना के निवेश उद्देश्य के अनुरूप होता है.

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BOM: सरकारी बैंकों में बीओएम ने सबसे तेजी से बांटे कर्ज, सकल एनपीए घटा शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी

आंकड़ों के अनुसार, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का सकल एनपीए सितंबर तिमाही में 3.40 फीसदी और एसबीआई का 3.52 फीसदी रहा। इस दौरान इन दोनों बैंकों का शुद्ध एनपीए क्रमशः 0.68% व 0.80 फीसदी रहा।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र

सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) ने सितंबर तिमाही में सबसे तेजी से कर्ज बांटे। इस दौरान उसका कर्ज 28.62 फीसदी बढ़कर 1.48 लाख करोड़ से ज्यादा पहुंच गया। दूसरे स्थान पर काबिज यूनियन बैंक की उधारी दर 21.54% बढ़कर 7.52 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। एसबीआई 18.15% के साथ तीसरे स्थान पर रहा। बैंक ने 25.47 लाख करोड़ के कर्ज बांटे। यह बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 17 गुना ज्यादा है। खुदरा कर्ज बांटने में भी बैंक ऑफ ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा। इसका खुदरा, कृषि व एमएसएमई (रैम) कर्ज 22.31% बढ़ा। बैंक ऑफ बड़ौदा का रैम 19.53% व एसबीआई का 16.51% बढ़ा है। एजेंसी

सकल एनपीए घटा शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी
आंकड़ों के अनुसार, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का सकल एनपीए सितंबर तिमाही में 3.40 फीसदी और एसबीआई का 3.52 फीसदी रहा। इस दौरान इन दोनों बैंकों का शुद्ध एनपीए क्रमशः 0.68% व 0.80 फीसदी रहा। देश में कुल 12 सरकारी बैंक हैं। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में इनका शुद्ध लाभ 50% बढ़कर 25,685 करोड़ रुपये पहुंच गया। पहली छमाही में यह 40,991 करोड़ रहा है।

म्यूचुअल फंड ने एनएफओ से जुटाए 17,805 करोड़
शेयर बाजार के महंगे मूल्यांकन और उतार-चढ़ाव से निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में बड़े पैमाने पर पैसे लगाए हैं। यही कारण है कि सितंबर तिमाही में फंड हाउसों ने नए फंड ऑफर (एनएफओ) से 17,805 करोड़ रुपये जुटाए। इस दौरान 67 एनएफओ लॉन्च हुए। एक साल पहले की समान अवधि में 43 एनएफओ से 49,283 करोड़ जुटाए गए थे। उसकी तुलना में यह रकम एक तिहाई से मामूली ज्यादा है। हालांकि, 2022-23 की पहली तिमाही में सिर्फ 4 एनएफओ आए थे, जिनसे 3,307 करोड़ जुटाए गए। पहली तिमाही में इस पर असर देखा गया क्योंकि सेबी ने नए फंड लॉन्च पर रोक लगा दी थी।

शेयर बाजार शुक्रवार को रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ था। भाव बढ़ने से निवेशक बाजार में पैसा लगाने से हिचक रहे हैं और म्यूचुअल फंड का रुख कर रहे हैं।

  • सितंबर तिमाही में 17 ईटीएफ और 11 इंडेक्स ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन फंड लॉन्च किए गए थे।
  • 2021-22 में 176 एनएफओ से 1.08 लाख करोड़ जुटाए गए थे।
  • 2020-21 में 84 नए फंड से 42,308 करोड़ की राशि जुटाई गई थी।


बैंक बंद होने पर जमाकर्ताओं को 8,516 करोड़ की राहत
बंद होने, विलय किए जाने व आरबीआई की प्रतिबंध सूची में रखे बैंकों के 12.94 लाख जमाकर्ताओं के 8,516.6 करोड़ रुपये के दावों का निपटान 2021-22 में किया गया है।
जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) की ओर से निपटाए गए कुल दावों में 5,059.2 करोड़ रुपये विलय वाले बैंकों ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन के लिए थे। 3,457.4 करोड़ की राहत उन ग्राहकों को दी गई, जिनके बैंक आरबीआई की प्रतिबंधित सूची में आ गए। डीआईसीजीसी केंद्रीय बैंक की सहायक कंपनी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है। इसके तहत विदेशी बैंकों की शाखाएं, स्थानीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक व भुगतान बैंक सहित सभी वाणिज्यिक बैंक आते हैं। एजेंसी

विस्तार

सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) ने सितंबर तिमाही में सबसे तेजी से कर्ज बांटे। इस दौरान उसका कर्ज 28.62 फीसदी बढ़कर 1.48 लाख करोड़ से ज्यादा पहुंच गया। दूसरे स्थान पर काबिज यूनियन बैंक की उधारी दर 21.54% बढ़कर 7.52 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। एसबीआई 18.15% के साथ तीसरे स्थान पर रहा। बैंक ने 25.47 लाख करोड़ के कर्ज बांटे। यह बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 17 गुना ज्यादा है। खुदरा कर्ज बांटने में भी बैंक ऑफ महाराष्ट्र शीर्ष पर रहा। इसका खुदरा, कृषि व एमएसएमई (रैम) कर्ज 22.31% बढ़ा। बैंक ऑफ बड़ौदा का रैम 19.53% व एसबीआई का 16.51% बढ़ा है। एजेंसी

सकल एनपीए घटा शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी
आंकड़ों के अनुसार, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का सकल एनपीए सितंबर तिमाही में 3.40 फीसदी और एसबीआई का 3.52 फीसदी रहा। इस दौरान इन दोनों बैंकों का शुद्ध एनपीए क्रमशः 0.68% व 0.80 फीसदी रहा। देश में कुल 12 सरकारी बैंक हैं। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में इनका शुद्ध लाभ 50% बढ़कर 25,685 करोड़ रुपये पहुंच गया। पहली छमाही में यह 40,991 करोड़ रहा है।

म्यूचुअल फंड ने एनएफओ से जुटाए 17,805 करोड़
शेयर बाजार के महंगे मूल्यांकन और उतार-चढ़ाव से निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में बड़े पैमाने पर पैसे लगाए हैं। यही कारण है कि सितंबर तिमाही में फंड हाउसों ने नए फंड ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन ऑफर (एनएफओ) से 17,805 करोड़ रुपये जुटाए। इस दौरान 67 एनएफओ लॉन्च हुए। एक साल पहले की समान अवधि में 43 एनएफओ से 49,283 करोड़ जुटाए गए थे। उसकी तुलना में यह रकम एक तिहाई से मामूली ज्यादा है। हालांकि, 2022-23 की पहली तिमाही में सिर्फ 4 एनएफओ आए थे, जिनसे 3,307 करोड़ जुटाए गए। पहली तिमाही में इस पर असर देखा गया क्योंकि सेबी ने नए फंड लॉन्च पर रोक लगा दी थी।

शेयर बाजार शुक्रवार को रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ था। भाव बढ़ने से निवेशक बाजार में पैसा लगाने से हिचक रहे हैं और म्यूचुअल फंड का रुख कर रहे हैं।

  • सितंबर तिमाही में 17 ईटीएफ और 11 इंडेक्स फंड लॉन्च किए गए थे।
  • 2021-22 में 176 एनएफओ से 1.08 लाख करोड़ जुटाए गए थे।
  • 2020-21 में 84 नए फंड से 42,308 करोड़ की राशि जुटाई गई थी।


बैंक बंद होने पर जमाकर्ताओं को 8,516 करोड़ की राहत
बंद होने, विलय किए जाने व आरबीआई की प्रतिबंध सूची में रखे बैंकों के 12.94 लाख जमाकर्ताओं के 8,516.6 करोड़ रुपये के दावों का निपटान 2021-22 में किया गया है।

जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) की ओर से निपटाए गए कुल दावों में 5,059.2 करोड़ रुपये विलय वाले बैंकों के लिए थे। 3,457.4 करोड़ की राहत उन ग्राहकों को दी गई, जिनके बैंक आरबीआई की प्रतिबंधित सूची में आ गए। डीआईसीजीसी केंद्रीय बैंक की सहायक कंपनी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है। इसके तहत विदेशी बैंकों की शाखाएं, स्थानीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक व भुगतान बैंक सहित सभी वाणिज्यिक बैंक आते हैं। एजेंसी

MF इंडस्ट्री पर कोरोना संकट! फ्रैंकलिन ने बंद की 6 स्कीम, फंसा निवेशकों का पैसा

कोरोना संकट के बीच फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने स्वेच्छा से अपनी छह ऋण योजनाओं को बंद करने का फैसला किया है.

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर कोरोना इफेक्ट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2020,
  • (अपडेटेड 24 अप्रैल 2020, 2:54 PM IST)
  • फ्रैंकलिन टेंपलटन MF ने भारत में अपने 6 स्कीम्स को बंद कर दिया
  • पहला मौका जब निवेश संस्था कोरोना के कारण स्कीम्स बंद कर रही
  • अनुमान है कि निवेशकों के करीब 28 हजार करोड़ रुपये अटक गए हैं

अगर आपने फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड की स्कीम्स में निवेश कर रखा है तो आपके लिए बुरी खबर है. दरअसल, फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने भारत में अपने 6 स्कीम्स को बंद कर दिया है. इस इंडस्ट्री की टॉप कंपनी फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कोरोना वायरस महामारी के चलते ये फैसला लिया है.

ये 6 योजनाएं बंद

बंद होने वाले छह फंड हैं - फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड. यह पहला मौका है जब कोई निवेश संस्था कोरोना वायरस से संबंधित हालात के कारण अपनी योजनाओं को बंद कर रही है.

शेयर बाजार को दी गई जानकारी में फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने यूनिट रिटर्न करने और बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी की कमी का हवाला दिया है. कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 संकट और भारतीय ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन ऋण म्युचुअल फंड का मूल्यांकन अर्थव्यवस्था के लॉकडाउन के चलते कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के कुछ हिस्से में लगातार नकदी में गिरावट आई है, जिससे निपटना जरूरी है. ऐसे में म्यूचुअल फंड, खासतौर से निश्चित आय कैटेगरी में, लगातार यूनिट वापस लेने के दबाव का सामना कर रहे हैं.’’ अगर आसान भाषा में समझें तो इस समय बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी हो रही है.’’

निवेशकों पर क्या होगा असर?

फ्रैंकलिन टेंपलटन ने निवेशकों के निवेश को लॉक कर रखा है. मतलब ये कि फिलहाल निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है. अनुमान है कि निवेशकों के करीब 28 हजार करोड़ रुपये अटक गए हैं. हालांकि, कंपनी की ओर से निवेशकों के पैसे के सुरक्षित होने का दावा किया गया है. आपको बता दें कि फ्रैंकलिन टेंपलटन देश के म्यूचुअल फंड उद्योग की 44 कंपनियों में से टॉप 10 में शामिल है. कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम 11.6 लाख करोड़ रुपये है.

SEBI ने सिक्योरिटीज पर दी राहत

इस बीच, बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड मूल्यांकन एजेंसियो से कहा है कि लॉकडाउन के कारण ब्याज या मूल राशि के भुगतान या सिक्योरिटीज की मैच्योरिटी के विस्तार में विलम्ब को चूक नहीं माना जाए. बता दें कि एसोसएिशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) मूल्यांकन एजेंसियों की नियुक्ति करता है. ये एजेंसियां मुद्रा बाजार और कर्ज सिक्योरिटीज का मूल्यांकन करती हैं और सिक्योरिटीज के चूक की बात को सामने लाती हैं.

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