सकल आय मान

जन्म के समय संभावित आयु: एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी आयु तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है, तथा महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। संभावित आयु लंबी होने से यह पता चलता है कि उस क्षेत्र में जीवन का स्तर बेहतर है, मूलभूत सुविधाएँ अच्छी हैं, स्वास्थ्य सुविधाएँ अच्छी हैं और लोगों की आय अच्छी है।
भारत: आयकर टालने वालों का देश ?
आयकर शब्द सुनते ही आपके मन में क्या आता है? यह सवाल लाज़िमी इसलिये है, क्योंकि जो आयकर देश के विकास के लिये अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है वह अधिकांशतः भारतीयों के लिये गौण महत्त्वों वाला है। 127 करोड़ भारतीयों में से आयकर देने वालों की संख्या मात्र 2.6 करोड़ है। आखिर क्या कारण है कि बड़ी संख्या में लोगों ने स्वयं को कर अदायगी के दायित्व से मुक्त रखा हुआ है? क्या भारत सच में कर चोरों का देश है या फिर हमारे कर प्रावधानों में कुछ विसंगतियाँ हैं? इस आलेख सकल आय मान में हम इन सवालों के उत्तर ढूंढने का प्रयास करेंगे।
आँकड़ों का गणित
अधिकांशतः भारतीयों द्वारा कर चोरी का मुद्दा पहली बार वर्ष 2013-14 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उठाया था, तब उन्होंने कहा था कि केवल 42 हज़ार 8 सौ भारतीयों ने यह स्वीकार किया था कि उनकी आय 1 करोड़ से अधिक है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सकल आय मान कहा है कि केवल 24 लाख भारतीयों ने अपनी आय का 10 लाख रुपए से अधिक होना स्वीकार किया है। यदि इन आँकड़ों पर नज़र डालें तो यहीं प्रतीत होगा कि एक आम भारतीय सकल आय मान ईमानदार नहीं है और कम आयकर देना और आयकर से खुद को बचाने को अपने व्यवसाय का एक अहम हिस्सा मानता है। हालाँकि, यह बात उतनी भी सत्य और सार्वभौमिक नहीं है जितनी कि प्रायः मान ली जाती है। हमारे आयकर प्रावधानों में कुछ विसंगतियाँ इस बात कि तरफ इशारा करती हैं कि आयकरदाताओं की कम संख्या का एक मुख्य कारण वे स्वयं हैं।
सालाना 7.75 लाख रुपए वेतन पाने वाले भी बच सकते हैं टैक्स देने से, समझिए इसका पूरा गणित
Edited by: India TV Paisa Desk सकल आय मान
Published on: February 01, 2019 18:01 IST
Photo:INCOME TAX
नई दिल्ली। बजट 2019 के प्रस्ताव के तहत 7.75 लाख रुपए सालाना वेतन पाने वाला एक वेतनभोगी कर्मचारी विभिन्न टैक्स सेविंग योजनाओं और विभिन्न कर छूट सुविधाओं का लाभ उठाकर अपनी कर योग्य आय को 5 लाख रुपए से कम कर सकता है और वित्त वर्ष 2019-20 में कोई भी टैक्स देने से बच सकता है। इस तरह से एक व्यक्ति 15080 रुपए का टैक्स बचा सकता सकल आय मान है, जो उसने मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में दिया है।
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आइए समझते हैं इसका पूरा गणित। मान लीजिए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आपकी सकल कुल आय 7.75 लाख रुपए है। सबसे पहले आप 50,000 रुपए की स्टैंडर्ड कटौती के योग्य है, जो पहले 40,000 रुपए थी। सरकार ने स्टैंडर्ड कटौती की रकम को सकल आय मान 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करने की घोषणा की है।
अब सकल आय मान आप 1.5 लाख रुपए का निवेश धारा 80सी के तहत आने वाले किसी भी टैक्स सेविंग योजना जैसे पीपीएफ, ईपीएफ आदि में कर सकते हैं। इस रकम को आप अपनी कुल सकल आय में से घटा सकते हैं। इसके आद 50,000 रुपए का निवेश नेशनल पेंशन स्कीम के तहत कर 80सीसीडी (1बी) के तहत कर छूट का लाभ ले सकते हैं।
Image Source : TAX TABLE
सकल आय मान
अलग-अलग व्यक्ति के लिए विकास के मतलब अलग-अलग हो सकते हैं। मान लीजिए कि दो व्यक्ति राम और श्याम हैं। राम को कामकाज के सिलसिले में नियमित रूप से लंबी दूरी की यात्रा करनी पड़ती है, जबकि श्याम अपने गांव में खेती करता सकल आय मान है। उनके गांव से होकर एक हाइवे बनता है। इससे राम को बहुत फायदा होता है। लेकिन हाइवे निर्माण के चक्कर में श्याम को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता है। अब राम के लिये जो विकास हुआ वही श्याम के लिये विनाश साबित हुआ।
विकास की आवश्यकताएँ अलग-अलग लोगों के लिये अलग-अलग हो सकती हैं। यह इस बात पर निर्भर करती है कि वह व्यक्ति विकास के किस चरण में है। मान लीजिए कि हाइवे बनने से पहले राम को बस पकड़ने के लिए अपने गांव से चार किलोमीटर पैदल या साइकिल से जाना पड़ता था। हाइवे बनने के बाद उसके घर से महज दो सौ कदम पर बस स्टॉप सकल आय मान बन गया। यह राम के लिए विकास हुआ। राम का एक दोस्त महानगर दिल्ली में रहता है। वह दिल्ली के जिस इलाके में रहता है वहाँ से दफ्तर जाने में उसे दो घंटे से ऊपर लगते हैं और कई सवारियाँ (ऑटोरिक्शा, बस, आदि) बदलनी पड़ती हैं। अगले महीने राम के दोस्त के मोहल्ले के पास से मेट्रो रेल की सेवा शुरु होने वाली है। इससे उस दोस्त के जीवन में विकास होगा।
विकास के लक्ष्य:
प्रति व्यक्ति आय: देश की कुल आय को उस देश की जनसंख्या से भाग देने से मिलने वाली राशि को प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। सन 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 28,000 रु है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद: किसी देश में उत्पादित होने वाली कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। इस आँकड़े में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय को शामिल किया जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद: किसी देश में उत्पादित होने वाली कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद बचने वाली राशि को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
शिशु मृत्यु दर: प्रति 1000 जन्म में एक साल से कम आयु में मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैं। यह दर जितना कम होती है विकास के दृष्टिकोण से उतनी ही बेहतर मानी जाती है। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है, जिससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का पता चलता है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 प्रति हजार है। इसका मतलब है कि भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
विकास के जरूरी लक्ष्यों का मिश्रण:
ऊपर दी गई लिस्ट को परिपूर्ण नहीं माना जा सकता है लेकिन इस लिस्ट में दिये गये लक्ष्य अन्य लक्ष्यों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं।
राज्य | प्रति व्यक्ति आय (2003) | शिशु मृत्यु दर (2003) | साक्षरता दर (2001) | कक्षा 1 से 4 तक निवल उपस्थिति अनुपात (1995 – 96) |
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पंजाब | 26000 | 49 | 70 | 81 |
केरल | 22800 | 11 | 91 | 91 |
बिहार | 5700 | 60 | 47 | 41 |
इस टेबल के आँकड़े विकास के कुछ रोचक पहलुओं को दिखाते हैं। इनसे विकास के अलग-अलग पहलुओं के बीच के संबंध का भी पता चलता है।