क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडिंग

शेयर मार्केट डाउन क्यूँ होता है?

शेयर मार्केट डाउन क्यूँ होता है?

शेयर मार्केट क्या होता है और कैसे सीखें? What is share market in hindi

लोग कहते है पैसा ही सब कुछ नहीं होता! हाँ, बिल्कुल सही बात है पैसा ही सब कुछ नहीं होता, पैसे से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता लेकिन पैसा जरुरतें पूरी करता है और जब तक आप जिन्दा है जरुरतें पैदा होती रहेगी। इसलिए पैसा कमाने के बारे में सोचते रहिये।

Table of Contents

शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट क्या होता है?

शेयर मार्केट को ही स्टॉक मार्केट कहते है। भारत में दो शेयर मार्केट है NSE तथा BSE

BSE में 5000 से अधिक कंपनियां जुड़ी हुई है।

NSE में 1000 से ज्यादा कंपनियां जुड़ी हुई है।

शेयर मार्केट में इन जुड़ी हुई कंपनियों की हिस्सेदारी बेची जाती हैं लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि जब व्यक्ति कोई कंपनी खुद बनाता है तो उसकी हिस्सेदारी दूसरे लोगो को क्यों बेचता है।

चलिए इसे उदाहरण के द्वारा समझते है

मान लीजिए कि एक बड़ी कंपनी है जो साल भर में करोड़ों रुपये कॉल बिज़नेस करती है लेकिन अब वह कंपनी और आगे बढ़ना चाहती है जिसके लिए उसे और ज्यादा सामान मैनुफैक्चर करना पड़ेगा लेकिन ऐसा करने के लिए उसे करोड़ो या अरबों रुपए कि जरुरत है।

वह पैसा इकक्ठा करने के लिए कंपनी शेयर मार्केट में अपने आप को लिस्ट करवाती है और अपनी कंपनी की हिस्सेदारी (शेयर) बेचती है।

शेयर खरीदने का क्या मतलब होता है?

किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने का मतलब है कि आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन गए हैं। अगर भविष्य में वह कंपनी मुनाफा कमाती है तो उसमें आपको भी पैसा दिया जाता है। यह पैसा आपके शेयर मार्केट वाले अकाउंट में आ जाता है।

उदाहरण के तौर पर अगर आपने 2001 में रॉयल एनफील्ड बुलेट बाइक बनाने वाली कंपनी “आयशर मोटर्स” (Eicher Motors) के ₹50,000 के शेयर खरीदे होते तो आज वो ₹50,000 बढ़कर एक 7 करोड़ से भी अधिक हो गए हैं। 20 साल में आपको 50 हजार रुपए के बदले 7 करोड़ रुपए मिलते।

ये हैं शेयर मार्केट की असली ताकत और इसके लिए आपको कुछ भी काम नहीं करना पड़ता।

आपको इतना अधिक पैसा इसलिए मिलता क्योकि कंपनी के शेयर के भाव या दाम बढ़ गए है। कंपनी के शेयर के भाव इसलिए बढ़ गए क्योंकि “आयशर मोटर्स” (Eicher Motors) ने अच्छी गाड़ी बनाई जिनकी मार्केट में काफी डिमांड है। इसलिए उसके शेयर की डिमांड बढ़ जाती है और डिमांड बढ़ने पर पैसा भी बढ़ जाता है।

शेयर होल्डर किसे कहते हैं

शेयर होल्डर का मतलब शेयर को होल्ड (पकड़) या खरीद कर रखना कोई भी व्यक्ति जो किसी कंपनी के शेयर खरीदता है उसे उस कंपनी का शेयर होल्डर कहा जाता है।

कंपनी शेयर मार्केट में क्यों आती है?

जैसा कि आप जानते है कि कंपनी शेयर मार्किट में पैसा इकक्ठा करने के लिए आती है ताकि वह और अधिक सामान का प्रोडक्शन करने के लिए फैक्ट्री लगा सके। चलिए अब बार फिर उदाहरण से समझते हैं कि कंपनी शेयर मार्केट में आ कर शेयर क्यों बेचती है।

मान लीजिए आपने पानी से चलने वाली गाड़ी के इंजन का आविष्कार कर लिया है और आपने उस इंजन को पेटेंट भी ले लिया है। पेटेंट का मतलब होता है कि अब सिर्फ आप ही उस इंजन को अगले 20 साल तक बना सकते हैं कोई और कंपनी उस इंजन की कॉपी करके नहीं बना सकती है और अगर कोई ऐसा करता है तो आप उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।

आपने पानी से चलने वाले इंजन का आविष्कार तो कर लिया लेकिन ढेर सारे इंजन बनाने के लिए आपको फैक्टरी लगानी पड़ेगी और उसके लिए करोड़ों रुपये की जरूरत पड़ेगी।

आईपीओ (IPO) क्या होता है?

अब आप अपनी कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्ट करवातें हैं। इस प्रक्रिया को आईपीओ करते हैं कोई भी कंपनी जब पहली बार शेयर मार्केट के साथ जुड़ती है तब आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफर) लिए जाते हैं। फिर शेयर्स को इन्वेस्टर खरीद लेते हैं और इन्वेस्टर उन शेयरों को एक्सचेंज में बेच देते हैं और फिर उसके बाद कोई भी व्यक्ति उस कंपनी के शेयर को खरीद सकता है।

पैसा इकक्ठा करने के लिए आप आपकी कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्ट करवाएंगे और लोग आपकी कंपनी के शेयर खरीदेंगे जिससे आपके करोड़ो रुपए आ जायेंगे अब आप उस पैसे से अपनी फैक्टरी बना सकते हैं।

लोग शेयर किस कंपनी के खरीदते हैं?

लोग शेयर उसी कंपनी के खरीदते हैं जिस कंपनी की भविष्य में डिमांड बढ़ने वाली होती है।

जैसे कि आगे आने वाले समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की काफी डिमांड बढ़ जाएगी और पेट्रोल, डीजल की गाड़ियां धीरे-धीरे बंद हो जाएंगी। इसलिए वर्तमान में जो व्यक्ति इलेक्ट्रिक गाड़ी बनाने वाली कंपनी के शेयर खरीद कर अपने पास रख लेगा भविष्य में वह व्यक्ति करोड़ो रुपए कमाएगा।

NSE तथा BSE क्या है?

NSE तथा BSE भारत के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं। स्टॉक एक्सचेंज वे होता है जहाँ शेयर खरीदे तथा बेचे शेयर मार्केट डाउन क्यूँ होता है? जाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज का काम ये होता है कि यह कंपनी से शेयर खरीद कर कस्टमर को दे देता है।

NSE – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange)

BSE – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange)

भारत में और भी स्टॉक एक्सचेंज है। लेकिन सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग इन दो एक्सचेंज में ही होती है। ये दोनों मुंबई में स्थित है। BSE एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1873 में हुई थी।

NSE की स्थापना 1992 में हुई थी। NSE के द्वारा सारा कार्य कंप्यूटर पर होने लगा। आज मोबाइल के बहुत सारे एप्लिकेशन आ गए है जिन पर अकाउंट बनाकर आप से जब चाहे तब शेयर खरीद और बेच सकते हैं आपको शेयर मार्केट डाउन क्यूँ होता है? कही जाने की जरूरत नहीं है।

भारत के कुछ अन्य स्टॉक एक्सचेंज के उदाहरण

  • Calcutta Stock Exchange Limited (CSE)
  • India International Exchange (INDIA INX)
  • Multi Commodity Exchange of India (MCX)
  • National Commodity and Derivatives Exchange (NCDEX)
  • Indian Commodity Exchange Limited (ICEX)
  • Metropolitan Stock Exchange of India Limited (MSE)
  • National Stock Exchange IFSC Limited

शेयर मार्केट डाउन क्यों होता है?

शेयर मार्केट में दो तरह से पैसा कमाया जा सकता है शेयर खरीदकर तथा शेयर बेचकर। शेयर खरीदने वाले को बुल(सांड) तथा बेचने वाले को बीयर (भालू) कहते हैं।

जब भी देश और दुनिया से कोई भी अच्छी या बुरी खबर आती है तो उसका असर शेयर मार्केट में देखने को मिलता है।

जैसे दो देशो के मध्य युद्ध शुरू हो गया तो बीयर (बहुत सारे शेयर को एक साथ बेचने वाले व्यक्ति) अपने शेयर को एक साथ बेचने लगते हैं और आम इंसान जिनको शेयर मार्केट का ज्ञान नहीं है वो समझ नहीं पाते है और थोड़ा समय निकल जाने पर आम आदमी भी अपने शेयर बेचने लगता है इस तरह शेयर के भाव नीचे आ जाते है।

जब एक निश्चित सीमा पर जाकर भाव स्थिर हो जाता है। उस समय पर बुल (बहुत सारे शेयर को एक साथ खरीदने वाले व्यक्ति) एक साथ शेयर खरीदना शुरू करते हैं और भाव बढ़ा देते हैं। बुल तथा बियर बड़ी-बड़ी कंपनियां होती है जो हजारों शेर को एक साथ खरीदती तथा बेचती है।

शेयर मार्केट का गणित

शेयर मार्केट का गणित समझने के लिए आपको शेयर मार्केट सीखना पड़ेगा। शेयर मार्केट कैसे सीखें।

शेयर मार्केट में सीखना आसान काम नहीं है। इसमें बहुत सारी बातें होती है जिनको सीखना होता है। जैसे IPO, Demat Account, Sensex and Nifty, Dividend, Commodity, Derivatives, Currency, Bonus etc.

निष्कर्ष

मैं उम्मीद करता हूँ कि यह पोस्ट पढ़ने के बाद आपको शेयर मार्केट क्या है? पूरी जानकारी हिंदी में (What is share market in Hindi) समझ आ गया होगा
शेयर मार्केट अपने आप में बहुत बड़ा सब्जेक्ट है अगर आप इसमें अपने कैरियर बनाना चाहते है तो आपको इसे पूरी तरह समझने में कम से कम 1 साल का समय लग सकता है और उसके बाद भी इसमें काम करने के लिए आपको अनुभव की जरुरत पड़ेगी

इन तीन वजहों से शेयर बाजार में आई साल की सबसे बड़ी गिरावट, दो दिन में निवेशकों के 10 लाख करोड़ डूबे

Stock Market Crash Reasons: शेयर बाजार इकोनॉमी का सटीक बैरोमीटर तो नहीं है लेकिन इसके उतार-चढ़ाव से सेंटिमेंट का पता चलता है. पिछले दो सत्र में तीन बड़ी वजहों से सेंसेक्स में गिरावट आई है. जानिए शेयर बाजार में गिरावट के क्या हैं मुख्य कारण.

प्रतीकात्मक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2022,
  • (अपडेटेड 14 फरवरी 2022, 10:06 PM IST)
  • Nifty के सभी 50 शेयर टूटे
  • Nifty Bank भारी दबाव में रहा

BSE Sensex सोमवार को 1,747.08 अंक (3 फीसदी) लुढ़कर 56,405.08 अंक पर बंद हुआ. NSE Nifty भी इसी प्रकार 531.95 अंक (3.06 फीसदी) गिरकर 16,842.80 अंक पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजारों में करीब एक साल भर में यह सबसे गिरावट रही. इससे पहले 26 फरवरी, 2021 को सेंसेक्स में 1,940 अंक और निफ्टी में 568 अंक की गिरावट आई थी. पिछले दो सत्र में शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों को काफी अधिक नुकसान हुआ है. पिछले दो सत्र में बिकवाली की वजह से निवेशकों के 12.43 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं. BSE का Combined Market Cap गुरुवार को 267.81 लाख करोड़ रुपये पर रहा था जो सोमवार को गिरकर 255.38 लाख करोड़ रुपये पर रह गया.

इन तीन वजहों से आई ये भारी गिरावट
1. रूस-यूक्रेन विवादः Hem Securities के हेड-पीएमएस मोहित निगम ने सेंटिमेंट में आई इस भारी गिरावट को लेकर कहा, "यूक्रेन-रूस के बीच बढ़ते तनाव, क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल और दशक में सबसे ज्यादा महंगाई की वजह से यूएस फेड द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने की उम्मीद की वजह से थोड़े समय के लिए बाजार में निगेटिव सेंटिमेंट है. लेकिन हमारा मानना है कि यूक्रेन संकट की वजह से मौजूदा गिरावट देखने को मिल रही है और इसमें नरमी आने के बाद हम बाजार में दोबारा मजबूत तेजी देख सकते हैं."

2. ABG Shipyard Fraud: सीबीआई ने पिछले सप्ताह इस मामले में FIR दर्ज की. यह देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड में से एक है. यूक्रेन संकट के साथ-साथ एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard Ltd) फ्रॉड से जुड़े डेवलपमेंट की वजह से शेयर बाजार में और अधिक गिरावट देखने को मिली. इस फ्रॉड की वजह से प्राइवेट सेक्टर और पीएसयू बैंक (Bank Share) दोनों के शेयरों पर असर देखने को मिला. इस घोटाले के दंश की वजह से सोमवार को Nifty Bank 4.18 फीसदी लुढ़क गया.

3. FPI की निकासी: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने फरवरी के पहले 11 दिन में 14,935 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस तरह देखा जाए तो लगातार चौथे महीने में FPIs बिकवाल बने हुए हैं. इसका असर भी घरेलू शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है. FPI निवेश से मोटे तौर पर बाजार में सेंटिमेंट का पता चलता है.

Nifty के सभी 50 शेयर टूटे
पिछले दो सत्र में निफ्टी इंडेक्स के सभी 50 शेयर लाल निशान के साथ बंद हुए. इंडेक्स पर पिछले दो सत्र में HDFC Life Insurance के शेयरों में सबसे ज्यादा 8.04 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इसके बाद HDFC (7.50 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (7.46 फीसदी) और Tata Motors (7.18 फीसदी) का स्थान आता है. UPL, Shree Cement, Kotak Mahindra Bank, JSW Steel, ICICI Bank, ITC, Tech Mahindra, Larsen & Toubro, Bajaj Finance, Ultratech Cement, Adani Ports, Tata Steel और Maruti Suzuki के शेयरों में पांच फीसद से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.

Share Market Crash: जानें क्‍यों भड़भड़ाकर गिर रहे हैं भारतीय शेयर बाजार, क्‍या हैं इसके कारण

अमेरिकी महंगाई दर को लेकर जहां बाजार का अलुमान था कि या 8.3 प्रतिशत पर रहेगा वहीं यह 8.6 प्रतिशत आया। इसे देखते हुए अमेरिकी फेडरल रिजर्व हॉकिश रुख अपना सकता है। ऐसी परिस्थिति इक्विटी जैसे रिस्‍की एसेट्स के लिए नकारात्‍मक है

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। पिछले कुछ हफ्तो से भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। विदेशी संस्‍थागत निवेशक लगातार अपने पैसे भारतीय पूंजी बाजार से निकाल रहे हैं। सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान बीएसई का सेंसेक्‍स 1568.02 अंक टूट गया और 52734.98 के स्‍तर पर आ गया। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्‍वेस्‍टमेंट स्‍ट्रेटजिस्‍ट वी के विजयकुमार के अनुसार, अल्‍पावधि के बाजार रुझान कमजोर नजर आ रहे हैं। अमेरिकी महंगाई दर को लेकर जहां बाजार का अनुमान था कि या 8.3 प्रतिशत पर रहेगा, वहीं यह 8.6 प्रतिशत आया। इसे देखते हुए अमेरिकी फेडरल रिजर्व हॉकिश रुख अपना सकता है। ऐसी परिस्थिति रिस्‍की एसेट्स जैसे इक्विटी के लिए नकारात्‍मक है। खास तौर से तक जब वैश्विक ग्रोथ में गिरावट देखी जा रही हो। भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता तभी आएगी जब अमेरिकी शेयर बाजार स्थिर होते हैं।

After Elon Musk

फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भी निवेशकों की धारणाओं को प्रभावित किया है। FPIs लगातार 8 महीनों से शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं। जून में अब तक उन्‍होंने 13,888 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। इसके साथ ही इस साल अबतक FPIs ने 1,81,043 करोड़ के शेयरों की बिकवाली की है।

कोटक सिक्‍योरिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, मई में अमेरिका की महंगाई दर 8.60 प्रतिशत रही जो 40 साल में सबसे अधिक है। पिछले कुछ महीनों से अमेरिका में उपभोक्‍ता मूल्‍य में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब इस बात पर चर्चाएं गरम हैं कि अमेरिकी फेडेरल रिजर्व महंगाई पर नियंत्रण के लिए सख्‍त मौद्रिक नीति अपनाएगा और ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। वैश्विक शेयर बाजारों में आई गिरावट की यह भी एक मुख्‍य वजह है। शुकवार को अमरिकी महंगाई दर के आंकड़ों के आने के बाद इक्विटी और कमोडिटीज बाजारों में गिरावट देखी गई साथ ही अमेरिकी डॉलर में तेज बढ़त दर्ज की गई।

Indian Railways backed RailTel share jumps 29 Percent in a month

IIFL Wealth के सीनियर एग्‍जीक्‍यूटिव वाइस प्रेसिडेंट सलिल कपूर ने बताया कि वैश्विक और घरेलू स्‍तर पर मौद्रिक नीति में सख्‍ती से शेयर बाजारों में अस्थिरता है। भारतीय शेयर बाजार पहले ही रेपो रेट में बढ़ोतरी को आत्‍मसात कर रहे हैं, इसलिए नीतिगत दरों की घोषणा के बाद यील्‍ड पर ज्‍यादा बड़ा असर नहीं देखा गया। यील्‍ड कर्व और स्‍वैप कर्व को देखते हुए शेयर मार्केट डाउन क्यूँ होता है? यह कहा जा सकता है कि शेयर बाजार रेपो रेट में मामारी-पूर्व वृद्धि के अनुमानों को लेकर चल रहा है। जोखिम समायोजित आधार पर 3-5 साल के बॉन्‍ड का यील्‍ड कर्व आकर्षक लग रहा है।

शेयर बाजार क्यों हुआ धड़ाम, 5 प्वाइंट्स में समझिए गिरावट की वजह

घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को तेज गिरावट आई। BSE का सूचकांक सेंसेक्स 1189.73 अंक की गिरावट के साथ 55,822.01 पर बंद हुआ। वहीं, NSE का इंडेक्स निफ्टी 2.18 फीसदी की गिरावट के साथ 16,164.20 पर बंद हुआ।.

शेयर बाजार क्यों हुआ धड़ाम, 5 प्वाइंट्स में समझिए गिरावट की वजह

घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को तेज गिरावट आई। BSE का सूचकांक सेंसेक्स 1189.73 अंक की गिरावट के साथ 55,822.01 पर बंद हुआ। वहीं, NSE का इंडेक्स निफ्टी 2.18 फीसदी की गिरावट के साथ 16,164.20 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार के दौरान सेंसेक्स 55,132.68 के लेवल तक गिर गया था। स्टॉक मार्केट में सोमवार को निवेशकों को 6.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आइए समझते हैं कि स्टॉक मार्केट में इस तेज गिरावट की क्या वजह रही.

ओमिक्रॉन से सहमा शेयर बाजार

जहां देश में ओमिक्रॉन के मामले 150 के पार चले गए हैं। वहीं, कई देशों में स्थिति और भी बदतर हो गई है। ओमिक्रॉन को लेकर दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल है। ब्रिटेन में ओमिक्रॉन वेरियंट्स से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, ब्रिटेन में एक स्टडी में कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन वेरियंट लोअर सिवैरिटी वाला है। अगर घरेलू बाजार की बात करें तो सोमवार यानी 20 दिसंबर को सिनेमाहाल, टूर एंड ट्रैवल्स, बैंक, NBFC, होटल कारोबार से जुड़ी कंपनियों के शेयर में गिरावट देखी गई है। एक्सपर्ट भी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट की वजह ओमिक्रॉन को ही बता रहे हैं।

लिक्विडिटी की समस्या

कोरोना की पहली और दूसरी लहर के समय सरकार की तरफ से कई तरह की मदद लोगों को की गई। यही वजह थी कि बाजार में एक्सेस लिक्विडिटी आई और उसका असर हमें म्यूचुअल फंड और इक्विटी मार्केट में भी दिखा था। लेकिन दुनिया भर के बैंक बढ़ती महंगाई से काफी चिंतित हैं यही वजह कि एक्सेस लिक्विडिटी को कंट्रोल करना चाहते हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने गुरुवार को ब्याज दरें 15 बेसिस प्वाइंट बढ़ा दी हैं, ऐसा करने वाला वो दुनिया का पहला सेंट्रल बैंक है। इसके अलावा, US फेड ने भी अपने हालिया के बयानों में ब्याज दर बढ़ाने का इशारा किया है। इन्हीं दोनों बैंकों की वजह से दुनिया भर के बाजार में गिरावट देखा गया है।

यूरोप में लॉकडाउन का डर

क्रिसमस और न्यू ईयर हॉलिडे से पहले कई यूरोपीय देशों में कोविड-19 को लेकर पाबंदियां बढ़ाई जा सकती हैं, क्योंकि ओमिक्रॉन वेरियंट तेजी से फैलता है। नीदरलैंड्स ने पहले ही अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। अगर ग्लोबल मार्केट्स की बात करें तो चाइनीज ब्लू चिप्स 0.4 फीसदी डाउन हैं। जापान के निक्केई में 1.7 फीसदी और दक्षिण कोरिया के बाजार में 1.2 फीसदी की गिरावट आई है।

ब्रोकेरज हाउस ने कहा, इंडियन इक्विटीज का वैल्यूशन ज्यादा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक टेक्निकल करेक्शंस जोन में एंट्री कर गए हैं। अक्टूबर 2021 के अपने रिकॉर्ड हाई से इंडेक्स में करीब 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस साल के शुरुआती 10 महीने में सेंसेक्स में 20 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया था। हालांकि, हाल के हफ्तों में गोल्डमैन सैक्स ग्रुप, नोमुरा होल्डिंग समेत कई ब्रोकरेज हाउसेज ने इंडियन इक्विटीज को लेकर अपने आउटलुक को घटाया है। उनका कहना है कि इसका वैल्यूएशन ज्यादा है।

बड़ी संख्या में IPO का आना

शेयर बाजार में साल 2021 को IPO का साल कहा जाएगा। एक के बाद एक कंपनियां अपना आईपीओ लेकर आई हैं, जिसकी तरफ निवेशक लपके भी हैं। एक वजह यह भी हो सकती है कि निवेशक इन IPO में निवेश करने के लिए मौजूदा मार्केट इनवेस्टमेंट से अपना पैसा निकालकर इन नई कंपनियों में लगा दिया है। कई बार शेयर बाजार में इस वजह से भी गिरावट देखने को मिलती है।

विदेशी निवेशकों ने दिसंबर में अब तक भारतीय बाजारों से 17,696 करोड़ रुपये निकाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने 1-17 दिसंबर के बीच इक्विटी से 13,470 करोड़ रुपये, लोन सेक्शन से 4,066 करोड़ रुपये और हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट्स से 160 करोड़ रुपये निकाले। एफपीआई ने नवंबर में भारतीय बाजारों में 2,521 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री की थी।

GCL सिक्योरिटीज के रवि सिंघल का कहना है कि निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट की 3 प्रमुख वजहें हैं- ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले, FII और FPI का इंडियन इक्विटी मार्केट से पैसा निकालना और इनफ्लेशन (घरेलू और वैश्विवक बाजार दोनों जगह) में उछाल। उनका कहना है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में लिक्विडिटी और इनफ्लेशन चिंता का विषय नहीं थे। लेकिन, मौजूदा बिकवाली की वजह कोविड के बढ़ते मामलों के साथ लिक्विडिटी का संकट और इनफ्लेशन है। सिंघल का कहना है कि अगर कोविड-19 के केसेज का बढ़ना जारी रहता है तो सप्लाई चेन से जुड़ी दिक्कत के कारण इनफ्लेशन में और उछाल आ सकता है। सिंघल के मुताबिक, ऐसी हालत में NSE निफ्टी 16,000 से 16,200 के स्तर तक जा सकता है।

Tradingo के फाउंडर पार्थ नयति कहते हैं, 'ओमिक्राॅन के बढ़ते मामले, दुनिया भर के बैंकों के रूख और FIIs की सेलिंग की चिंताओं की वजह से बाजार में गिरावट देखी गई।' वे कहतें हैं, 'अपने खराब से खराब की स्थिति में बाजार 16,000 से 16,200 तक आएगा। जबकि यह ऊपर 17,000 से 17,250 तक चढ़ सकता है। रियल एस्टेट, टेलीकाॅम बैंकिंग जैसे सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।'

यह भी पढ़ेंः टेस्ला के CEO एलन मस्क अमेरिका में बनाएंगे इतिहास! देंगे 85 हजार करोड़ रुपये का TAX

Share Market Update: 4 दिन में निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूबे, जानें क्यों लगातार गिर रहा है शेयर मार्केट

Share Market Update: 4 दिन में निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूबे, जानें क्यों लगातार गिर रहा है शेयर मार्केट

Share Market Update । शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी नुकसानदायक साबित हुआ है। बीते 4 दिनों में शेयर मार्केट में काफी तेज गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान सेंसेक्स 2500 अंक की गिरावट झेल चुका है। साथ निफ्टी 700 अंक नीचे चला गया। शेयर मार्केट से जुड़े जानकारों का मानना है कि कमजोर रुपया और भारतीय बाजारों से पैसा निकालने वाले एफआईआई ट्रेंड रिवर्सल के चलते बाजार में गिरावट आई है। साथ कई कंपनियों का प्रदर्शन भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है।

4 दिन में निवेशकों को 8 लाख करोड़ का घाटा

सेंसेक्स में लगातार गिरावट के चलते निवेशकों की संपत्ति में 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई। इस दौरान इंडिया विक्स की ग्रोथ 7.8 फीसदी रही। जानकारों के मुताबिक नैस्डैक के टेक दिग्गजों में गिरावट के साथ अमेरिकी बाजार लगातार पांचवें दिन कमजोर रहे, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार में टेक सेक्टर पर भी दिख रहा है।

विदेशी निवेशकों ने की 1 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक विक्रेता बने रहेंगे। 20 जनवरी 2022 तक, FII 12,415.14 करोड़ रुपए के शुद्ध विक्रेता बने रहे, जबकि उन्होंने 21 जनवरी 2022 तक 4,500 करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की। इन FII में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी शामिल हैं। बढ़ते वैश्विक बॉन्ड के परिणाम के बीच विदेशी निवेशक महंगे बाजारों से बाहर निकल रहे हैं और जापान और यूरोप जैसे आकर्षक मूल्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। कुल मिलाकर विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है।

Gold Silver Price: दीपावली से पहले सोने चांदी के भाव में गिरावट, जानें आपके शहर में आज ताजा कीमत

वैश्विक बाजार का भी पड़ा असर

अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी दिखाी दे रहा है। अमेरिकी मार्केट में गुरुवार को भी लगातार पांचवें दिन कमजोरी देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद से वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में उछाल के कारण निवेशक जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में बाजार में अनिश्चितता की स्थिति रहने तक निवेशकों को भी अपने पोर्टफोलियो में कम जोखिम वाली संपत्तियां शामिल करने की सलाह दी जा रही है।

Rupee Against US Dollar: रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ताजा निचले स्तर पर, 83 के स्तर के करीब इंच

15 दिन में लगातार रुपए में गिरावट

पिछले 15 दिन में भारतीय रुपया 74 के स्तर से गिरकर लगभग 74.50 के स्तर पर आ गया है। FII के भारतीय बाजारों से पैसा निकालने का यह भी एक मुख्य कारण है। गिरते बाजार में डॉलर के लिहाज से उनकी वापसी में भारी गिरावट दिख रही है।

भारतीय कंपनियों ने किया कमजोर प्रदर्शन

दिसंबर को समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों की अब तक की कमाई ने भारी दबाव का संकेत दिया है। नामी कंपनियों का मुनाफा प्रभावित रहा है, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की प्रारंभिक टिप्पणी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव का संकेत दिया। बजाज फाइनेंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि शहरी क्षेत्रों में कम आय वाले उपभोक्ता भी महामारी से प्रभावित हुए हैं।

SBI सहित इन बैकों ने दिया ग्राहकों को झटका, इस फैसले से बढ़ेगा EMI का बोझ

अमेरिका व भारत की आर्थिक स्थिति हो रही बदतर

अमेरिका के साथ साथ भारत में आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। इसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) धीरे-धीरे तरलता को सामान्य करने की ओर बढ़ रहा है। कॉल मनी दर बढ़कर 4.55 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 3.25-3.50 प्रतिशत थी। कॉल मनी रेट वह दर है जिस पर बैंक ओवरनाइट लोन लेते हैं। कॉल रेट में उछाल के साथ ट्राई-पार्टी रेपो डीलिंग और सेटलमेंट भी 4.24 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर के अंत तक लगभग 3.5 प्रतिशत था।

रेटिंग: 4.33
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 786
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *