क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडिंग

स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर

स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर

Crypto Index IC15-भारत का पहला क्रिप्टो करेंसी इंडेक्स लांच हुआ

Crypto Index IC15-क्रिप्टो करेंसी ऐप CryptoWire ने भारत में INDEX OF CRYPTOS (IC15) इंडेक्स को शुरू किया है जो दुनिया में 15 सबसे अधिक कारोबार वाली क्रिप्टोकरेंसी के प्रदर्शन पर नजर करेगा। क्रिप्टोवायर ऐप को TickerPlant ने शुरू किया है. TickerPlant क्रिप्टो सांख्यिकी प्रदाता कम्पनी है जो क्रिप्टो करेंसी से सम्बंधित डाटा देती है.

कंपनी की प्रेस रिलीज़ के अनुसार, क्रिप्टो इंडेक्स को लॉन्च का उद्देश्य क्रिप्टो और ब्लॉकचैन इकोसिस्टम के बारे में जागरूकता और ज्ञान को बढ़ाना है और निवेशकों के बीच Learn before earn-(कमाई से पहले सीखें)” अवधारणा को आगे बढ़ाना है.

ये इंडेक्स ऐसे समय में आया है जब भारत में क्रिप्टो में निवेश में तेजी से किया जा रहा है जबकि क्रिप्टो को लेकर अभी सरकार की तरफ से कोई बिल भी नहीं आया है. शीतकालीन सत्र में ये बिल आने वाला था. लेकिन अभी तक इसकी कोई खबर नहीं है. IC15 इंडेक्स की गवर्नेंस कमेटी में Domain experts, Industry practitioners और शिक्षाविद भी शामिल है.

Watcher Guru रिसर्च वेबसाइट के अनुसार भारत में 100 million (10 crore) लोग है जिन्होंने क्रिप्टो में निवेश किया हुआ है. और निवेशकों में सबसे ज्यादा युवा है जो समझते है कि स्टॉक मार्केट अमीर लोगो के लिए लेकिन क्रिप्टो मार्केट सबके लिए है.

INDEX OF CRYPTOS (IC15)

क्रिप्टो इंडेक्स टॉप 15 क्रिप्टो करेंसी की एक लिस्ट है जिसमे उन क्रिप्टो का मार्केट कैपिटल, प्राइस चेंज आदि बताता है. इस स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर क्रिप्टो इंडेक्स में सबसे अधिक कारोबार वाली 15 क्रिप्टोकरेंसी को रखा गया है. 1 जनवरी, 2022 तक, बिटकॉइन, एथेरियम, बिनेंस कॉइन और सोलाना IC15 इंडेक्स पर शीर्ष चार पर हैं. कुल 15 क्रिप्टो करेंसी के नाम जो एस लिस्ट में है- BitCoin, Ethereum, Binance Coin, Solana, Cardano, XRP, Polkadot, Terra, Avalanche, Dogecoin, Shiba Inu, Chainlink, Uniswap, Litecoin, Bitcoin Cash

अंश एवं स्टॉक में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंशेयरों को आंशिक रूप से भुगतान किया जा सकता है या पूरी तरह से भुगतान किया जा सकता है। इसके विपरीत, स्टॉक हमेशा पूरी तरह से भुगतान किया जाता है। अंश में शेयरों को कभी भी स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। स्टॉक के विपरीत, अंश में स्थानांतरित किया जा सकता है।

स्टॉक से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंStock: स्टॉक (जिसे इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है) एक सिक्योरिटी है, जो किसी कंपनी के एक अंश के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती है। यह स्टॉक के मालिक को कंपनी के एसेट और जितना स्टॉक उनके पास है, उसके लाभ के बराबर के अनुपात का अधिकार देता है। स्टॉक के यूनिट को ‘शेयर’ कहा जाता है।

स्टॉक में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी निश्चित समय बिन्दु पर एक फर्म के पास उपलब्ध उत्पाद की मात्रा को स्टॉक कहते हैं। जबकि निश्चित समय में दी गई कीमत पर उत्पादक वस्तु की जितनी मात्रा बेचने को तैयार होता है उसे पूर्ति कहते हैं।

स्टॉक और शेयर में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंशेयर एक विशिष्ट कंपनी में मालिकाना हक है , जबकि स्टॉक आपको एक से अधिक कंपनी में हिस्सेदारी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, शेयर आपको लाभ के रूप में डिविडेंट प्रदान करते हैं, जबकि, स्टॉक में आपको एक फिक्स प्रॉफिट मिलता है। शेयर, कुछ पैसों में या फुल-अमाउंट पर जारी किए जाते हैं।

शेयर मार्केट में कितने सेक्टर होते है?

इसे सुनेंरोकेंशेयर मार्केट को 11 प्रमुख सेक्टर में विभाजित किया गया है।

स्टॉक और प्रभाव से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंस्टॉक एक समय बिंदु या निश्चित समय पर मापा जाने वाला चर है। प्रवाह वह चर है जो एक निश्चित समयावधि पर मापा जाता है। स्टॉक का समय-काल नहीं होता है। प्रवाह का समय-काल होता है।

स्टॉक का क्या अर्थ है स्टॉक में परिवर्तन से क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंकारोबार एकक का स्टॉक या पूंजीगत स्टॉक उसके संस्थापकों द्वारा कारोबार में प्रदत्त मूल पूंजी या निवेश का प्रतिनिधित्व करता है। यह व्यापार के लेनदारों के लिए एक प्रतिभूति के रूप में कार्य करता है, चूंकि लेनदारों के लिए हानिकर रूप से उसे आहरित नहीं किया जा सकता है।

Share की कीमत कैसे तय होती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रत्येक शेयर का एक फेस वैल्यू होता है जिस के आधार पर कंपनी की कुल शेयर पूंजी आंकी जाती है। कंपनी जब भी पहली बार जनता के लिए शेयर जारी करती है तो या तो वह फेस वैल्यू पर जारी करेगी अथवा उस पर कुछ प्रीमियम निर्धारित कर के कुछ उच्च मूल्य पर जारी करेगी।

पूर्ति का नियम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपूर्ति का नियम पूर्ति का नियम माँग के नियम के विपरीत है। जैसे कि माँग के नियम में कीमत बढऩे से माँग घटती है और कीमत घटने पर माँग बढ़ती है। यह माँग और कीमत के बीच ऋणात्मक संबंध को व्यक्त करती है, जबकि पूर्ति के नियम में कीमत और पूर्ति का धनात्मक संबंध होता है।

दाल के भाव में आपको भी दिखने लगी है नरमी, जानिये किन कदमों का पड़ा है असर

केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद दलहन के खुदरा दाम में गिरावट का रुख दिखने लगा है। केन्द्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने सोमवार को यह कहा है।

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मसूर का बढ़ा आयात
परंपरागत तौर पर यहां मसूर का उत्पादन कम होता रहा है और इसका आयात किया जाता है। मसूर का आयात बढ़ा है और सरकार को उम्मीद है कि इसके दाम पर भी नरमी के रुख का असर होगा।उदाहरण के तौर पर दिल्ली में दलहनों के खुदरा दाम में एक महीने में सात रुपये तक की गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में इन दिनों चना दाल का दाम 73 रुपये किलो के करीब चल रहा है। वहीं मसूर दाल का दाम 87 रुपये किलो, मूंग का 100 रुपये किलो, तूर दाल का दाम 110 रुपये किलो और उड़द दाम का दाम 114 रुपये किलो के आसपास चल रहा है।

उड़द-मूंग के आयात की नीति बदली
दालों के दाम पर अंकुश रखने के लिये सरकार के कदमों की जानकारी देते हुये सचिव ने कहा कि उड़द और मूंग के आयात को बढ़ावा देने के लिये आयात नीति में बदलाव किया गया। इनका आयात प्रतिबंधित श्रेणी से हटाकर इस साल अक्टूबर तक के लिये मुक्त श्रेणी में डाल दिया गया। इसी प्रकार, जमाखोरी को रोकने के लिये सरकार ने मूंग दाल को छोड़कर अन्य सभी दलहन पर अक्टूबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू की है।

स्टॉक लिमिट से असर
सचिव ने कहा, ‘‘स्टाक सीमा लगाये जाने और व्यापारियों को उनके पास उपलब्ध स्टॉक की सीमा के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की बाध्यता से आने वाले सप्ताहों में दाम और नीचे आयेंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि सरकार की राशन की दुकानों के जरिये क्या खाद्य तेल और दलहनों का वितरण करने की योजना है? सचिव ने जवाब में कहा केन्द्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के प्रावधानों के तहत केवल गेहूं और चावल का वितरण करती है। हालांकि, कुछ राज्य सरकारें खाद्य तेल और दलहनों का भी वितरण कर रहीं हैं। देश में औसतन 3.50 करोड़ टन सालाना दालों की खपत होती है। इस साल भी इनकी कमी रहने की संभावना है।

कारोबारियों का विरोध
इस बीच भारत दलहन और अनाज संघ (आईपीजीए) ने दलहन पर स्टॉक सीमा लगाये जाने पर आश्चर्य जताया स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर है और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है। आईपीजीए के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने एक अलग बयान में कहा है कि थोक मूल्यों के मुकाबले खुदरा दाम ऊंचे होते हैं। आईपीजीए ने जून में एक अध्ययन किया था जिसमें यह दिखा की थोक और खुदरा दाम के बीच बड़ा अंतर है।
कोठारी ने कहा कि सरकार को थोक और खुदरा मूल्य के बीच बढ़ते अंतर पर ध्यान देना चाहिये और इसकी गहराई से स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो मार्केट के बीच अंतर जांच पड़ताल करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि जब भी दाम बढ़ने की कोई रिपोर्ट आती है तो थोक विक्रेताओं को भी महंगाई को लेकर निशाना बनाया जाता है लेकिन खुदरा विक्रेता चाहे वह ऑनलाइन हो या फिर ऑफलाइन, संगठित क्षेत्र में हों अथवा असंगठित क्षेत्र से, कभी कभार ही उनपर नजर जाती है।

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