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क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं

क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं
इसने इन मुद्राओं की होल्डिंग के डॉलर प्राइज को कम किया है, जो घटते मुद्रा भंडार को लेकर तनाव पैदा कर रहा है। इस कारण केंद्रीय बैंक रुपए के गिरावट को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने के लिए मजबूर हैं।

 - Satya Hindi

भारतीय वैश्विक परिषद

अपनी वर्तमान विदेशी मुद्रा संकट के बीच श्रीलंका ने अगस्त 2021 में देश में आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के ज्यादातर बैंक आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए धन मुहैया कराने हेतु विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे हैं। देश के राजस्व में करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई है। [i] सेंट्रल बैंक ने एक अमेरिकी डॉलर के क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं मुकाबले 200 रुपये से अधिक की दर से वायदा कारोबार और रुपये के स्पॉट ट्रेडिंग (हाज़िर कारोबार) पर प्रतिबंध लगा दिया है [ii] । इसके कारण इस द्वीपीय राष्ट्र में विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है। हालांकि, यह क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं स्थिति रातोंरात नहीं बनी है। इसके कई कारण हैं जैसे 2019 में ईस्टर बम हमले, कोविड-19 महामारी का फैलना और कई राजनीतिक फैसले जिन्होंने अपेक्षित क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं परिणाम नहीं दिए। आसन्न संकट को भांपते हुए सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही वाहनों, खाद्य तेलों और कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाकर इसे टालने की कोशिश की क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं लेकिन इससे कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। इस संकट की ओर ले जाने वाले कई महत्वपूर्ण कारकों में से कुछ महत्वपूर्ण कारकों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।

इस विदेशी पर्यटक ने सिर्फ 35 हजार रुपये खर्च कर एक महीने में घूम लिया भारत, जानिए कैसे?

आमतौर पर माना जाता है कि घूमने-फिरने में बहुत पैसा खर्च होता है, लेकिन विल हैटन नाम के एक टूरिस्ट ब्लॉगर ने सिर्फ 35000 रुपये खर्च करके एक महीने में पूरे भारत की यात्रा की.

विल हैटन कई बार भारत की यात्रा कर चुके हैं (फोटो- thebrokebackpacker)

आमतौर पर माना जाता है कि घूमने-फिरने में बहुत पैसा खर्च होता है, लेकिन विल हैटन नाम के एक टूरिस्ट ब्लॉगर ने सिर्फ 35000 रुपये खर्च करके एक महीने में पूरे भारत की यात्रा की. उन्होंने बताया है कि भारत में कम पैसे में यात्रा करना बहुत आसान है. खासतौर से जब आप थोड़ी सी परेशानी उठाने के लिए तैयार हों. विल हैटन ने कहा कि वे गोवा, हंपी, मनाली और ऋषिकेश गया, लेकिन ये असली भारत नहीं हैं. असली भारत की यात्रा रोमांचक और चुनौतीपूर्ण है.

विदेशी मुद्रा भंडार में हुई तेज गिरावट, अभी तक 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान

विदेशी मुद्रा भंडार में हुई तेज गिरावट, अभी तक 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान

विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड गिरावट हुई है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गति से गिरावट हो रही है। भंडार में यह आए दिन नए रिकॉर्ड स्‍तर पर गिरावट जारी है। अभी तक विदेशी मुद्रा भंडार 1 ट्रिलियन डॉलर घट चुका है। इस साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह 2003 के बाद सबसे तेज गिरावट है।

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की वजह, भारत के सेंट्रल बैंक की ओर से रुपये के गिरावट को बचाने के लिए उठाए गए कदम हैं। वहीं अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मंदी की आशंका भी गिरावट की वजह है। मंदी का एक कारण डॉलर यूरो और येन जैसी मुद्राओं मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के हाई लेवल पर पहुंच चुका है।

क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं

महाराष्ट्र में अधिकांश बैंक घोटालों में घोटालों के कारण प्रतिदिन 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, रिजर्व बैंक की जानकारी

पिछले सात वर्षों से बैंक घोटालों की संख्या में कमी आई है, लेकिन इन घोटालों के कारण भारत को हर दिन 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

महाराष्ट्र में अधिकांश बैंक घोटालों में घोटालों के कारण प्रतिदिन 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, रिजर्व बैंक की जानकारी

नई दिल्ली। हालांकि पिछले सात वर्षों से बैंक घोटालों की संख्या में कमी आई है, लेकिन इन घोटालों के कारण भारत को हर दिन 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह चौंकाने वाली जानकारी है।

और कितना रुलाएगा डॉलर?

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बहुत खामोशी है उदारीकरण के पैरोकारों और रुपए के अवमूल्यन में अनेक गुण देखने वाले अर्थशास्त्रियों में। डॉलर जब 79.37 रुपए का हो गया और रिजर्व बैंक की सारी कवायद के बाद भी अगले दिन मात्र चार पैसे सुधर पाया तो कोई भी ऐसा अर्थशास्त्री सामने नहीं आया जो रुपए के अवमूल्यन को निर्यात बढाने और जीडीपी बढने में योगदान का तर्क दे रहा था। डॉलर को चालीस रुपए पर लाने की बात करने वाले तो अब इस सवाल को छूने से भी बचने लगे हैं।

उधर बाजार के जानकार क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं हाल फिलहाल डॉलर के 82 रुपए तक पहुंचने की भविष्यवाणी करने लगे हैं। अभी करोना के समय से ही डॉलर दो रुपए से ज्यादा महंगा हुआ है जबकि इस बीच खुद अमेरिका परेशानी में रहा है और उसके यहां भी डॉलर के भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चा चलती रही है। अब यह कहने में हर्ज नहीं है कि किसी भी देश की मुद्रा की कीमत वहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति और आर्थिक प्रतिष्ठा को बताती है और इस बुनियादी पैमाने पर हमारी स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती दिखती है।

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