दलाल और उनकी शर्तें

किसानों को एहसास है कि लोकतंत्र में, सभी बड़ी समस्याओं को बातचीत के माध्यम से ही शांति से हल किया जा सकता है। आंदोलन का सहारा लेकर उन्होंने साफ तौर पर संकेत दिया है कि वे नए कानूनों से खुश नहीं हैं। बैठक के बाद नरेंद्र तोमर की बात सुनकर साफ था कि सरकार खुले मन से किसानों से बात कर रही है, और वह किसानों दलाल और उनकी शर्तें के साथ किसी भी तरह की सियासत नहीं कर रही है। अगर दोनों पक्षों को एक दूसरे पर यकीन है तो फिर रास्ता जरूर निकल सकता है। लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका किसान आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन वे किसानों के हमदर्द बनकर उनके बीच पहुंच रहे हैं और उन्हें सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं।
दलालों का अड्डा बना यूपी बड़ौदा बैंक
महराजगंज। नौतनवां तहसील क्षेत्र में स्थित रतनपुर यूपी बड़ौदा में दलाल हावी होते जा रहे हैं। जहां गरीब किसान केसीसी के लिए पहुंचा तो दलाल उस किसान के पीछे पड़ जाता है तथा परसेंटेज पर दलाल किसान का केसीसी करवा कर किसान से अपना मोटा रकम लेकर गरीब किसान के साथ छल करने का कार्य
गरीब किसान अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखने के शर्त पर बताया कि बैंक में केसीसी करवाने पर बैंक कर्मी व दलाल दोनों लोग अपना हिस्सा लेते हैं। ऐसे में बैंक कर्मियों की मिलीभगत से हर दिन गरीब लोग दलाली के शिकार होते रहते हैं।
आपको बता दें कि यूपी बड़ौदा बैक का शाखा ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित होने के कारण यहां हर दिन भीड़-भाड़ का माहौल रहता है, जहां ग्रामीण क्षेत्र के अनपढ़ गरीब किसानों का बैंक पर खाता होने के कारण निकासी व जमा करने के लिए जाते हैं, और उस बैंक पर बैठे दलालों का शिकार हो जाते हैं।
यहां तक कि दलाल उनका निकासी फार्म भर कर भी उनसे रुपये ले लेने का कार्य करते हैं। बताया जाता है कि बैंक कर्मी उन दलालो को पूरा संरक्षण देते हैं, क्योंकि दलालों की दलाली से बैंक कर्मी भी मालामाल होते हैं।
किसान बताता है कि इस बैंक पर केसीसी के नाम पर रोज बैंक कर्मियों के सांठगांठ से किसान दलालों के चंगुल में फसते रहते हैं।
बताया गया कि कोई भी किसान केसीसी के लिए जाता है तो उसे बैंक कर्मी भीड़ का हवाला देकर दौडते रहते हैं तत्पश्चात भागदौड़ से थकहार कर किसान को मजबूरन दलालों के शरण में जाना पड़ता है।
योगी सरकार किसानों के हित मे दिनरात कार्य कर रही है और उनकी आमदनी बढ़ाने के कर्म में लगी हुई है, परंतु कुछ सरकारी भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से सरकार के सभी प्रयास असफल होते नजर आ रहे हैं और लोग दलाली के शिकार हो रहे हैं।
Arhtiyas strike in Haryana: कृषि मंत्री जेपी दलाल के आश्वासन के बाद मान गए आढ़ती, खत्म की हड़ताल
हरियाणा में आढ़तियों की हड़ताल खत्म हो गई है. आढ़तियों का कहना है कि किसान हित में फैसला लिया गया है, क्योंकि किसानों की धान की फसल मंडी में बर्बाद हो रही थी. बारिश होने से उन्हें काफी नुकसान हुआ है. इसलिए आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया है.
करनाल: हरियाणा में आढ़तियों की हड़ताल खत्म (Arhtiyas strike in Karnal) हो गई है. अनाज मंडी में आज आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया है. हरियाणा सरकार ने ई- नेम की शर्त वापस ले ली है. जबकि दलाल और उनकी शर्तें आढ़तियों की दो मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है. बता दें कि ई नेम प्रणाली सहित आढ़तियों की कुल 11 मांगे थे जिनमें से एक मांग हरियाणा सरकार द्वारा मान ली गई है. अभी भी आढ़तियों की 8 मांगे पेंडिंग है.
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यह किसान आंदोलन नहीं बल्कि बिचौलिया और दलाल आंदोलन है
पिछले 2 महीने से जिस प्रकार से हिंदुस्तान में किसानों के नाम पर अशांति फैलाने का प्रयास चंद लोगों द्वारा किसानों के नाम और किसानों की प्रतिष्ठा का दुरुपयोग करते हुए उठाने दलाल और उनकी शर्तें का जो प्रयास किया जा रहा है उसकी जितना निंदा की जाए उतनी कम है क्योंकि किसान किसी भी कौम का हो सकता है किसान किसी भी धर्म का हो सकता है लेकिन मैंने देखा कि एक सरदार की वेशभूषा पहने हुए व्यक्ति नमाज अदा कर रहा है उस विचारधारा को कलंकित करने का प्रयास कर रहा है जिस विचारधारा ने हिंदुत्व को बचाने के लिए अपने शीश का दान दे दिया था यह इस बात का अंदेशा है कि किसान आंदोलन के नाम पर कहीं ना कहीं हिंदुस्तान की धरती को रक्तरंजित करने का प्रयास कुछ देशद्रोही गद्दारों द्वारा करने का प्रयास हो रहा है यह आंदोलन अब कोई किसान आंदोलन नहीं रहा है या आंदोलन किसान और किसान के उत्पादन की बिक्री के बीच पनप रहे बिचौलियों और दलालों का है मोदी सरकार के द्वारा किसान भी लाकर किसानों के उत्पादन की उचित रकम मिले इसलिए इस बिल को लागू करने का प्रयास किया गया परंतु इस बिल के लागू हो जाने से बिचौलियों और दलालों का जो काला कमाई है वह बंद ना हो जाए इसलिए किसानों को बरगला कर किसानों के नाम का दुरुपयोग करते हुए पिछले 2 महीने से देश में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि असली किसान आज भी खेतों के अंदर मेहनत से बीज का उत्पादन करने में लगा हुआ है
आयोग क्या है?
आयोग के अर्थ के अनुसार, यह दलाल द्वारा लिया जाने वाला शुल्क है यावित्तीय सलाहकार ग्राहकों को कुछ सेवाएं प्रदान करने पर। वे व्यक्ति के लिए वित्तीय प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के प्रबंधन के लिए यह शुल्क ले सकते हैं। ध्यान दें कि कमीशन और शुल्क दो अलग-अलग शर्तें हैं। दलाल जो कमीशन लेता है वह निवेश और वित्तीय लेनदेन करने के लिए ग्राहकों के पैसे का उपयोग करने के लिए जिम्मेदार है। शुल्क-आधारित प्रणाली का पालन करने वाले व्यक्ति की उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर एक निश्चित दर होगी।
परिवार के सदस्यों के बीच होने वाले लेन-देन को कमीशन-आधारित सौदों के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें इक्विटी के उपहार के रूप में माना जाता है। कुछ ब्रोकर अपने मुनाफे का अधिकांश हिस्सा ग्राहकों के लेन-देन पर कमीशन चार्ज करने से उत्पन्न करते हैं। कमीशन की दर दलाल से दलाल में भिन्न हो सकती है। ऑर्डर रद्द होने पर भी व्यक्ति कमीशन ले सकता है। कभी-कभी, ब्रोकर भरे हुए ऑर्डर पर कमीशन नहीं ले सकता है।
आयोग दर
आयोग का एक बड़ा हिस्सा काट सकता हैइन्वेस्टर'एसआय. कल्पना कीजिए कि आप एक प्रसिद्ध ऑटोमोबाइल कंपनी के 100 शेयर INR 500 प्रति दलाल और उनकी शर्तें शेयर की निश्चित कीमत पर खरीदते हैं। आपका ब्रोकर सौदे पर 2% का कमीशन लेता है। अब, आपको कुल निवेश राशि पर अतिरिक्त 2% के साथ INR 500,00 का भुगतान करना होगा। मान लीजिए अगले 4 महीनों में इस शेयर की राशि 10% बढ़ जाती है।
ब्रोकर इन शेयरों को इच्छुक खरीदारों को बेचने पर अतिरिक्त 2% कमीशन लेता है। आपका शुद्ध लाभ आपकी कल्पना से बहुत कम होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका एक बड़ा हिस्साआय आयोग में जाएगा। कुछ कंपनियां कुछ प्रकार के स्टॉक और निवेश फंड के लिए कमीशन-मुक्त ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करती हैं।
आयोग-आधारित भुगतान प्रणाली कैसे काम करती है?
इस युग में रोबो-सलाहकारों और ऑनलाइन दलालों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये सेवाएं व्यक्तिगत निवेशकों के लिए उपलब्ध हैं जो आपको इन तक पहुंच प्रदान करती हैंईटीएफ,इंडेक्स फंड्स, और स्टॉक। हालाँकि, वे विश्वसनीय हो भी सकते हैं और नहीं भी। जबकि ऑनलाइन ब्रोकर सेवाएं उपयोगकर्ता को विभिन्न वित्तीय साधनों और शेयरों के बारे में काफी मात्रा में जानकारी और समाचार प्रदान करती हैं, वे वास्तव में कोई व्यक्तिगत सुझाव नहीं देते हैं।
वैयक्तिकृत सलाह शुरुआती और शुरुआती निवेशकों के लिए एक परम आवश्यकता है, जिन्होंने अभी-अभी शेयर में प्रवेश किया हैमंडी और व्यापारिक गतिविधियों के बारे में अनिश्चित हैं। शुरुआती गलतियाँ करने की अत्यधिक संभावना रखते हैं जबम्यूचुअल फंड में निवेश, स्टॉक,बांड, और इक्विटी। इसलिए अधिकांश निवेशक अपने निवेश को संसाधित करने के लिए कमीशन-आधारित ब्रोकरेज पसंद करते हैं।