बाज़ार पर नज़र

जैनेंद्र कुमार
बाजा़र में भगतजी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
बाजा़र में जाकर भगतजी संतुलित रहते हैं। बाजा़र का जादू उन पर असर नहीं कर पाता क्योंकि वे खाली मन बाजा़र नहीं जाते। वे घर से सोचकर बाजार जाते हैं कि उनको क्या लेना है (काला नमक और जीरा)। वे पंसारी की दुकान पर जाकर वे ही चीजें खरीदते हैं और लौट आते हैं।
बाजा़र में भगतजी के व्यक्तित्व का यह सशक्त पहलू उभरता है कि उनका अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण है। बाज़ार पर नज़र बाजा़र का जादू उनके मन पर नही चलता। बाजार में उनकी आँखें खुली रहती हैं, पर मन भरा होने के कारण उनका मन अनावश्यक चीजें खरीदने के लिए विद्रोह नही करता। चाँदनी चौक का आमंत्रण उन पर व्यर्थ होकर बिखर जाता है। भगतजी जैस व्यक्ति बाजा़र को सार्थकता प्रदान करते हैं।
हमारी नजर में भगतजी का आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है। हमारा ऐसा सोचने का कारण यह है तब लोगों में अनावश्यक प्रतिस्पर्धा नहीं होगी। वे व्यर्थ की वस्तुएँ नहीं खरीदेगे और इससे आपसी लड़ाई झगड़ों में कमी आएगी।
आपने समाचार-पत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभाने का प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।
1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु।
2. विज्ञापन में आए पात्र व उनका औचित्य।
1. इस विज्ञापन में जो बातें सम्मिलित की गई हैं वे दिल की बीमारी के कारण भी बताती हैं और उस ऑयल की विशेषता बताई जाती है।
2. इस विज्ञापन में एक पति, दो बच्चे और गृहिणी को पात्रों के रूप में दिखाकर एक छोटे परिवार की संकल्पना प्रस्तुत की जाती है। इन सभी की सेहत का प्रश्न है। ये पात्र सही प्रतीत होते हैं।
3. इस विज्ञापन की भाषा सीधे हृदय में उतरती है। स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। अच्छे माल के लिए ज्यादा कीमत देने को भी तैयार कर लिया जाता है।
- मुझे विज्ञापन की भाषा सामान खरीदने के लिए प्रेरित करती है।
‘बाजा़र दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते हैं?
‘बाजा़र दर्शन’ पाठ में निम्न प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है-
- पर्चेजिंग पावर का प्रदर्शन करने वाले ग्राहक।
- संयमी और बुद्धिमान ग्राहक।
- बाजार का बाजा़रूपन बढ़ाने वाले ग्राहक।
- आवश्यकतानुसार खरीदने वाले ग्राहक।
में अपने आपको अंतिम श्रेणी का ग्राहक मानता हूँ। मैं अपने पैसे को न तो व्यर्थ की चीजें खरीदकर बहाता बाज़ार पर नज़र हूँ और जोड़ता चला जाता हूँ। जिस चीज की आवश्यकता होती है केवल उसी चीज को खरीदता हूँ।
बाजा़र पर आधारित लेख नकली सामान पर नकेल ज़रूरी का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा करें:
1. नकली सामान के खिलाफ़ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?
2. उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कपंनियों का क्या नैतिक दायित्व है?
3. ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए।
1. उत्पाद कंपनियाँ अपने नैतिक दायित्वों का निर्वाह इसलिए नहीं कर रही हैं क्योंकि उन पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। ये कंपनियाँ गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहीं बल्कि अधिक माल बेचने की होड़ में नकली और घटिया सामान का उत्पादन कर रही हैं। इन उत्पाद कंपनियों का पूरा ध्यान विज्ञापन पर बेतहाशा पैसा खर्च करने पर रहता था ताकि उनका अधिक-से-अधिक माल बिक सके।
2. उपभोक्ताओं को हित के मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कंपनियों का यह नैतिक दायित्व है कि वे बाजार में केवल असली माल उतारें। पुराने पड़े माल (Expired) को बाजार में न बेचे। अपने उत्पाद पर निर्माण की तिथि तथा प्रयोग किए जाने की अवधि का उल्लेख अवश्य करें। वे उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने पर भी कुछ धन खर्च करें। विज्ञापन पर बेतहाशा खर्च को कम कर उत्पाद का मूल्य घटाएँ।
3. ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे यह मानसिकता छिपी रहती है कि यह वस्तु गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छी होगी। ग्राहक को यह बात भी भली प्रकार ज्ञात होती है कि ब्रांडेड वस्तु महँगी होती है, पर वह अपनी जेब को देखकर ही ब्रांडेड वस्तु खरीदता है।
आप बाजा़र की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाजा़र और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नज़र आती है?
हम बाजा़र की भिन्न भिन्न संस्कृति से भली- भांति परिचित हैं। मॉल की संस्कृति उच्च वर्ग से अधिक संबंधित है, जबकि सामान्य बाजार में सभी प्रकार के ग्राहक जाते हैं। इसमें मध्यवर्ग का ग्राहक अधिक होता है। ‘हाट’ की संस्कृति ग्रामीण एव निम्न मध्यवर्ग के लोगों के अधिक अनुकूल होती है।
हमें पर्चेजिंग पावर मॉल संस्कृति में ज्यादा नजर आती है। यहाँ बाज़ार पर नज़र लोग अपनी जरूरतो के मुताबिक खरीददारी नहीं करते, अपितु पर्चेजिंग पावर के हिसाब से खरीददारी करते हैं। वे तब-तक अनाप-शनाप सामान खरीदते रहते हैं जब तक उनकी क्रयशक्ति बनी रहती रहती है। वे जेब में भरे रुपयों को ध्यान में रखकर खरीददारी करते हैं।
बाजा़र दर्शन पाठ मे बाजा़र जाने या न जाने के संदर्भ मे मन में कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
(क) मन खाली हो (ख) मन खाली न हो,
(ग) मन बंद हो, (घ) मन में नकार हो।
(क) बाजा़र जाने के संदर्भ में एक स्थिति यह बताई गई हैं कि ही हम खाली मन और भरी जब बाजा़र जाते हैं और इसका परिणाम यह होता है कि हम बाजार से अनाप-शनाप चीजें खरीद लाते हैं। हम तब तक चीजें खरीदते रहते हैं जब तक जेब में पैसा रहता है। बाजार का जादू हमारे सिर पर चढ़कर बोलता है। मेरा अपना अनुभव भी इसी प्रकार का है। मुझे एक लॉटरी से एक लाख रुपए मिले थे। मैं घोड़े पर सवार था। यार दोस्तों के साथ बाजार गया। वहाँ से एक फ्रिज एक बड़े आकार का टी. वी. तथा एक स्कूटर खरीद लाया। ये सभी चीजें घर पर पहले से ही मौजूद थीं पर बाजार में इनके नए मॉडल मुझे इतने आकर्षक लगे कि मैं इन्हें खरीदने का लोभ संवरण नहीं कर सका। घर आकर मालूम हुआ कि पैसा व्यर्थ ही खर्च हो गया। इसका अन्य काम में सदुपयोग किया जा सकता था।
(ख) मन खाली न होने पर व्यक्ति अपनी इच्छित वस्तु ही खरीदता है और बाजार से लौट आता है। मैं बाजार से प्रतिदिन सब्जी खरीदने जाता हूँ और केवल सब्जियाँ ही खरीदकर घर लौट आता हूँ। बाजार की अन्य चीजों को मैं देखता तक नहीं।
(ग) मन बंद होने की स्थिति में मैं कभी नही होता। मन को बंद करना अच्छी स्थिति नहीं है। मन भी किसी प्रयोजन से मिला है।
(घ) मन मे नकार का भाव रखना भी उचित नहीं हैँ। हर वस्तु के प्रति नकारात्मक भाव रखना मुझे सही प्रतीत नहीं होता।
बाजार पर निबंध / Essay on Market in Hindi
बाजार हमारा निकटवर्ती सार्वजनिक स्थान है । यह हमारे पड़ोस में स्थित व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र होता है । यहाँ व्यापारियों और ग्राहकों का जमावड़ा होता है । यहाँ से लोग अपने दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएँ खरीदते हैं । बाजार लोगों की आवश्यकता की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
बाजार शहरों, कस्बों और गाँवों में भी होते हैं । शहरों में स्थायी बाजार होते हैं । यहाँ साप्ताहिक बाजार भी लगते हैं । कस्बों और गाँवों के बाजार प्राय: अस्थायी होते
हैं । यहाँ के बाजार सप्ताह में एक या दो दिन लगा करते हैं । यहाँ अपराह्न लगने वाले बाजार सायंकाल तक समाप्त हो जाते हैं । शहरों के स्थायी बाजार सुबह से शाम तक सप्ताह के छह दिनों तक खुले होते हैं । ये बाजार सजे- धजे तथा सभी प्रकार की आवश्यक वस्तुओं से सज्जित होते हैं । यदि महानगरों के बाजार देखें तो यहाँ और भी रौनक रहती है । इनकी सजावट देखते ही बनती है ।
बाजार में सब कुछ बिकता है । सब्जियाँ, कपड़े, अनाज, फल, रसोई की अन्य चीजें, घरेलू आवश्यकता की वस्तुएँ, स्टेशनरी की चीजें, गहने आदि यहाँ उपलब्ध होते हैं । यहाँ घड़ियाँ, टेलीविजन सेट, रेडियो, फर्नीचर, कृषि यंत्र, सजावटी वस्तुएँ, खिलौने, मोबाइल फोन, बिजली के सामान, मिठाइयाँ, नमकीन तथा खाने-पीने की सभी चीजें मौजूद होती हैं । बड़े बाजारों में साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, कार आदि वाहन भी बिकते हैं । जिसे जो चाहिए, खरीद ले । एक पसंद न हो तो दूसरी खरीद ले । कपड़ों, जूतों की दस दुकानें हैं, मिठाइयों की भी अनेक दुकानें हैं । कतारों में फलों और सब्जियों की दुकानें हैं ।
पर गाँवों, कस्बों तथा शहरों के साप्ताहिक अस्थायी बाजारों में सब कुछ नहीं मिलेगा । यहाँ सब्जियाँ, फल, कपड़े, घरेलू उपकरण तथा खाने-पीने की चीजें ही मिलेंगीं । यहाँ वे चीजें ही मिलेंगीं जिनकी आवश्यकता गृहणियों को हर रोज होती है । व्यापारी यहाँ आए, दुकानें सजाईं और आवाजें लगाकर अपनी वस्तुएँ बेचने लगे । ग्राहक आए, बाजार का चक्कर लगाया और दैनिक आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदने लगे । मोल-तोल भी यहाँ खूब होता है । लोग जानते हैं कि दुकानदार बढा-चढ़ाकर कीमतें लगा रहे हैं । टमाटर 12 रु. किलो है तो 10 रु. किलो मिल सकता है । गोभी 20 रु. किलो है तो मोल-तोल के पश्चात् 16 रु. किलो मिल सकता है । अत: गृहणियों अच्छी तरह जाँच-परखकर ही खरीदारी करती हैं ।
अब चलें शहर के बाजार में जहाँ हर चीज उपलब्ध है । कुछ दुकानदार थोक में वस्तुएँ बेचते हैं । थोक बाजार में एक ही प्रकार की वस्तु अधिक मात्रा में लेने पर सस्ती पड़ती है । छोटे व्यापारी तथा खुदरा व्यापारी थोक में वस्तुएँ खरीद लेते हैं और मुनाफा सहित खुदरा बेच देते हैं । आपस में इनका सामंजस्य होता है । वस्तुओं की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं । यहाँ माँग और बाज़ार पर नज़र पूर्ति का नियम काम करता है । माँग में वृद्धि हुई तो कीमतें बढ़ गईं और माँग में कमी आई तो कीमतें घट गईं । सजग व्यापारी कीमतों में उतार-चढ़ाव पर प्रतिदिन नजर रखते हैं ।
महानगरों में बड़े-बड़े बाजार होते हैं । यहाँ की चमक-दमक देखते ही बनती हैं । इन बड़े और भव्य बाजारों को सुपर बाजार कहा जाता है । यहाँ आवश्यकता की सभी
चीजें एक ही स्थान पर अर्थात् एक ही परिसर में मिल जाती हैं । अब तो मॉल बन गए हैं । बड़े-बड़े मॉल्स शहरों की पहचान बनते जा रहे हैं । इक्कीसवीं सदी में शॉपिंग माँल्स बाजारवाद को बढ़ावा देने में बहुत मदद कर रहे हैं । बाज़ार पर नज़र बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी अब सब्जियाँ, फल तथा परचून की वस्तुएँ बेच रही हैं ।
बाजार का महत्त्व सब जानते हैं । बाजार देश की अर्थव्यवस्था के आधार होते हैं । यहाँ क्रेताओं और विक्रेताओं का सम्मिलन होता है । यहाँ लाखों, करोड़ों के वारे-न्यारे होते हैं । यहाँ समाज के हर श्रेणी के लोग आते हैं । हर कोई अपनी जेब देखकर खरीदारी करता है । बाजारों के अलग- अलग नाम और कोटियाँ हैं । बाजारों की अपनी पहचान है । बाजार हमारी आवश्यकता की पूर्ति में बहुत मददगार होते हैं ।
आगामी रॉयल एनफील्ड हंटर भारतीय सड़कों पर नज़र आई, काफी अलग है बाइक
रॉयल एनफील्ड की ओर से नई और आगामी 350सीसी मोटरसाइकिल हाल में तमिलनाडु के करीब टैस्टिंग के समय देखी गई है. जानें कितनी अलग है नई बाइक?
By अंशुमन साकल्ले | प्रकाशित: 01-Feb-21 08:05 PM IST
रॉयल एनफील्ड की ओर से नई और आगामी 350सीसी मोटरसाइकिल हाल में तमिलनाडु के करीब टैस्टिंग के समय देखी गई है और हम इसे देखकर कह सकते हैं कि यह लॉन्च के लिए तैयार है. जहां अबतक इस बाइक का नाम पता नहीं लगा है, हमारा मानना है कि इसे रॉयल एनफील्ड हंटर नाम से लॉन्च किया जाएगा. यह रेट्रो स्टाइल की एक मोटरसाइकिल होगी जिसका मुकाबला भारत में होंडा एचनेस सीबी 350 से होगा. नई रॉयल एनफील्ड 350 सीसी रोड्सटर को कंपनी की बाकी बाइक्स से मिलता-जुलता बनाया गया है जो रॉयल एनफील्ड मीटिओर से अधिक स्पोर्टी है और जल्द बाज़ार में आने वाली क्लासिक 350 और बुलेट 350 से भी ज़्यादा स्पोर्टी है.
इंटरनेट पर दिखी फोटो के हिसाब से बाइक निओ-रेट्रो रोड्सटर दिख रही है
नई मोटरसाइकिल को रॉयल एनफील्ड मीटिओर वाले 350 सीसी प्लैटफॉर्म पर बनाया जाएगा तो नया 349 सीसी, सिंगल-सिलेंडर इंजन, डुअल-क्रैडल फ्रेम, मिरर्स और सस्पेंशन संभावित रूप से मीटिओर 350 से लिए जाएंगे. यहां तक कि हैडलैंप और इंस्ट्रुमेंट कंसोल के अलावा ट्रिपर नेविगेशन भी इसी मॉडल से लिए जा सकते हैं. इंटरनेट पर दिखी फोटो के हिसाब से बाइक निओ-रेट्रो रोड्सटर दिख रही है जिसके अधिकांश पुर्ज़े और मूल आकार मीटिओर 350 से लिया गया है, हालांकि इसकी रूपरेखा और स्टाइल क्लासिक 350 और बुलेट 350 से काफी अलग है. इसका एग्ज़्हॉस्ट पूरी तरह अलग है और मीटिओर के मुकाबले छोटे आकार में आया है. पिछले मडगार्ड को मिलाकर इसकी सीट्स और पिछला हिस्सा भी काफी बदला हुआ दिख रहा है.
मोटरसाइकिल को रॉयल एनफील्ड मीटिओर वाले 350 सीसी प्लैटफॉर्म पर बनाया जाएगा
रॉयल एनफील्ड प्लैटफॉर्म साझा करके वित्तीय वर्ष की हर तिमाही में दमदार प्लान बना रही है. नए 350 सीसी प्लैटफॉर्म पर ना सिर्फ रॉयल एनफील्ड हंटर आधारित होगी, बल्कि नई जनरेशन क्लासिक 350 और बुलेट 350 भी इसी प्लैटफॉर्म पर बनाई जा सकती हैं और इन्हें कई बदलाव मिलने का भी अनुमान है. कंपनी नई क्रूज़र मोटरसाइकिल पर भी काम कर रही है जो 650 सीसी प्लैटफॉर्म पर आधारित होगी जिसे भारतीय बाज़ार में अगले कुछ महीनों में लॉन्च किया जाना संभावित है.
जिस बात की अबतक जानकारी नहीं मिली है वो यह है कि नई 350 सीसी रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल को भारत में कब लॉन्च किया जाएगा. ऐसे में लुक्स के हिसाब से देखें तो टैस्ट मॉडल उत्पादन के लिए तैयार दिखाई दे रहा है और इस बार पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि रॉयल एनफील्ड अगले कुछ महीनों में ही नई बाइक लॉन्च कर दे. मीटिओर 350 की तरह रॉयल एनफील्ड हंटर को भी वैश्विक उत्पाद के रूप में लॉन्च किया जाएगा तो इस मोटरसाइकिल को ना सिर्फ भारत, बल्कि विदेशी बाज़ारों में भी लॉन्च किया जाएगा. तो इस बाइक की ज़्यादा जानकारी के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.
एक नज़र भारतीय बाज़ार में धूम मचा रही इलेक्ट्रिक कारों पर
इसकी कीमत 13.99 लाख रुपए से 16.39 लाख रुपए तक है। यह इलेक्ट्रिक एसयूवी तीन वेरीयंट्स क्रमशः, एक्स एम, एक्स जेड प्लस व एक्स ज़ेड लक्स में उपलब्ध है। इसमें ज़िपट्रॉन ईवी पावरट्रेन टेक्नोलॉजी है। जोकि 129 पीएस की पावर व 245 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। फुल चार्ज होने पर यह 312 किलोमीटर की रेंज दे सकता है। वहीं, 0 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड महज 4.6 सेकंड में लेता है और 9.9 सेकंड में यह 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।
2021 RENAULT TRIBER भारत में लॉन्च
एमजीजेड एस ईवी:-
मॉरिस गैरेज की यह 5- सीटर इलेक्ट्रिक एसयूवी, दो वेरीयन्ट्स क्रमशः, एक्साइट व एक्सक्लूसिव में उपलब्ध है। इसका इलेक्ट्रिक मोटर 44.5 केडब्ल्यूएच बैट्री पैक के साथ; बाज़ार पर नज़र 143 पीएस की पावर व 353 एनएम का टॉर्क देने में सक्षम है। वहीं, फुल चार्ज होने पर यह 419 किलोमीटर की रेंज दे सकता है। इस इलेक्ट्रिक एसयूवी की कीमत 20.99 लाख रुपए से 24.18 लाख रुपए तक है।
महिंद्रा e-verito:-
विश्व प्रसिद्ध 17 कार ब्रांड के नाम और असल में उनके मतलब
महिंद्रा की 5 सीटर यह इलेक्ट्रिक सेडान कार, दो वेरिएंट क्रमशः, ई- वेरिटो d2 व् d6 में उपलब्ध है। जिसकी कीमत 10.15 लाख रुपए से 10.49 लाख रुपए तक है। इसमें थ्री- फेज 72 वोल्ट का इलेक्ट्रिक मोटर है। जो कि 31 किलो वाट के बैट्री पैक के साथ; 41 पीएस की पावर व 91 एनएम का टॉर्क जनरेट कर सकता है। इसकी टॉप स्पीड 86 किलोमीटर प्रति घंटा है। साथ ही, फुल चार्ज होने पर 110 किलोमीटर की रेंज देती है।
हुंडई कोना इलेक्ट्रिक:-
एक नज़र टॉप 11 इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार पर:
इस 5 -सीटर इलेक्ट्रिक एसयूवी की कीमत 23.75 लाख रुपए से 23.94 लाख रुपए है। इसका 39.2 केडब्ल्यूएच का बैट्री पैक 395 बीएचपी की पावर व 134 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। फुल चार्ज होने पर 452 किलोमीटर की रेंज देती है। इंटरनेशनल मार्केट में 100 किलो वाट व 150 किलो वाट के इलेक्ट्रिक मोटर के साथ उपलब्ध है।
मर्सिडीज ईक्यूसी:-
इस 5- सीटर इलेक्ट्रिक एसयूवी की कीमत 1.04 करोड रुपए है। यह दो इलेक्ट्रिक मोटर के साथ है। इसका 80 केडब्ल्यूएच का बैट्री पैक; 408 पीएस की पावर व 760 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। फुल चार्ज होने पर 450 किलोमीटर की रेंज दे सकती है।
भारत में RENAULT KIGER की शानदार लॉन्चिंग
जैगुआर आई- पेस:-
यह 5- सीटर इलेक्ट्रिक एसयूवी तीन वेरियंट्स क्रमशः, एस, एस ई और एचएसई में उपलब्ध है। भारत में इसकी कीमत 1.05 करोड़ रुपए से 1.12 करोड़ रुपए तक है। इसमें दो इलेक्ट्रिक मोटर दिए गए हैं। जो कि 400 पीएस की पावर व 696 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। फुल चार्ज होने पर या 470 किलोमीटर की रेंज देता है।