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वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें?

वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें?

श्रील प्रभुपाद : यह आन्दोलन विशेषरूप से मानव को जीवन के वास्तविक लक्ष्य तक पहुँचने में सक्षम बनाने के लिए है ।

सफल जीवन का रहस्य ~ Secret of a Successful Life

अगर आप खुद को बदलना चाहते हो और सफल लोगो के जीवन का रहस्य जानना चाहते है तो आप एकदम सही जगह पर है, आज के इस लेख के अंदर हम बात करने वाले है सफल लोगो के जीवन का रहस्य और किस तरह से उस राह पर वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? चलकर आप भी सफलता को पा सकते है।

शुरू करने से पहले मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ कि सफलता का कोई shortcut नहीं होता है अगर आप ये सोच रहे है कि आपको इस लेख के अंदर मैं आपको shortcut देने वाला हूँ तो आप गलत है।

सफल जीवन का रहस्य जानने से पहले मैं आपके साथ एक कहानी शेयर करने जा रहा हूँ,

एक बार एक युवक ने एक सफल इंसान से सफलता का रहस्य पूछा, तो उस आदमी से कहा कि वह अगली सुबह 4 बजे समुद्र तट के पास उससे मिलें। युवक ने मन ही मन सोचा, – “मैं उससे सफलता का रहस्य पूछ रहा हूँ और वो मुझे समुद्र तट के पास बुला रहा है !! यार, मैं तैरना नहीं सीखना चाहता, मैं सफलता का राज जानना चाहता हूँ।” फिर भी, अगली सुबह 4 बजे वह समुद्र तट के पास पहुंच गया

सफल इंसान ने उस आदमी को अपने साथ समुद्र तट की ओर चलने को कहा। जब पानी उनके गले में चढ़ गया, तो उसने युवक को पानी में डुबो दिया। उस आदमी ने अपनी गर्दन को पानी से बाहर निकालने की कोशिश की और संघर्ष किया लेकिन नहीं कर सका।

सफल इंसान ने लगभग एक मिनट तक युवक के सिर को पानी में दबाए रखा और उसके बाद उसने अपनी पकड़ छोड़ दी और युवक को पानी से बाहर आने दिया। युवक ने तुरंत हवा में गहरी सांस ली। सफल इंसान ने उससे पूछा – “जब आप पानी के अंदर थे तो उस समय आप क्या चाहते थे ?” मुझे यकीन है कि वह कहना चाहता होगा “मैं जो सबसे ज्यादा करना चाहता था – किक यू” लेकिन उसने जवाब दिया कि जब वह पानी के नीचे था तो उसे सबसे ज्यादा ‘हवा’ चाहिए थी। सफल इंसान ने कहा था- यही सफलता का रहस्य है, यदि आप सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहते हैं जितना कि आप पानी के भीतर सांस लेना चाहते थे, तो आप सफल होंगे।

जीवन में सफल होने के लिए सफल लोगो की thought process को समझना होता है और फिर अपने अनुसार लाइफ में आगे बढ़ना होता है, तो चलिए जानते है। …

सफल जीवन का रहस्य | Secret of Successful Life

1. सफल लोग हमेशा Opportunity के लिए तैयार रहते है-

आपको जीवन में हर समय अपनी दृष्टि, मूल्यों और लक्ष्यों को mind में रखते हुए एक रणनीतिक योजना बनाकर अवसरों की तैयारी करें। इसका मतलब है नए ज्ञान के माहौल की एक मजबूत समझ।

Opportunity आपका हर एक कदम पर इंतजार कर रही होती है लेकिन बस देर होती है उनको जानने की और उन पर अम्ल करने की, इसलिए हमेशा Opportunity के लिए तैयार रहो।

2. काम हमेशा वो करो जो तुमको करना पसंद हो-

बहुत से लोग जो अपनी जॉब से खुश नहीं होते है वे हर दिन कम से कम 8 से 9 घंटे अपने कार्यस्थल पर बिताते हैं। ऐसा वे हर हफ्ते कम से कम 5 दिन करते हैं। अधिकांश लोग प्रतिदिन लगभग 8 घंटे सोते हैं। इसलिए, एक दिन में 24 घंटों में से अधिकांश लोग अपने काम पर एक तिहाई राशि खर्च करते हैं।

अब जरा एक बार सोचके देखिए कि सप्ताह में 5 दिन हर दिन 8 से 9 घंटे किसी जगह पर जा रहे हैं और वहां जो करते हैं वो उनको करना पसंद नहीं है।

क्या ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में संतुष्ट महसूस करेगा? क्या वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? ऐसा व्यक्ति हर दिन काम पर जाने के लिए सकारात्मक महसूस करेगा?

हम जो प्यार करते हैं उसे करना बेहद जरूरी है। इसलिए, यह समझना बेहद जरूरी हो जाता है कि आप किस चीज के बारे में अधिक उत्सुक हैं।

सफल जीवन का रहस्य ~ Secret of a Successful Life

3. कड़ी मेहनत करे क्योकि सफलता का कोई Shortcut नहीं होता है –

इसका मतलब है कि आपको कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता है। यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको प्रयास करने होंगे। चीजों को पूरा करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।

बिजली, सड़कें, कार, बसें, स्मार्ट फोन, इंटरनेट जैसी सभी सुविधाओं को देखें। ये सब आपके जीवन को इतना आसान बना रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी ने इनका आविष्कार करने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी में इन नए आविष्कारों को दुनिया के सामने लाने की तीव्र इच्छा थी।

एक बार जब आप अपने लक्ष्यों को लिख लेते हैं या एक बार जब आप पहचान लेते हैं कि आप किस चीज के लिए जुनूनी हैं, तो उस दिशा में कड़ी मेहनत करना आसान हो जाता है। मेहनत करने से पहले दिशा का चुनाव बहुत जरूरी है।

यदि आप उस दिशा में कड़ी मेहनत करते हैं जो आप जो हासिल करना चाहते हैं उसके विपरीत है, तो आपको सफलता नहीं मिलेगी।

कुछ लोग कहते हैं: मेहनत मत करो, स्मार्ट काम करो।

जब आपने एक दिशा को चुन लिया है, तो यह चुनने में समझदारी है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं। और एक बार दिशा तय हो जाने के बाद आप उस दिशा में कड़ी मेहनत कर सकते हैं। यह वास्तव में स्मार्ट काम कर रहा है। इसलिए, आपको स्मार्ट काम करते हुए भी कड़ी मेहनत करनी होगी।

4. अपनी सोच को Positive रखे-

सफल लोगों की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे परिणामों के बारे में नहीं सोचते हैं और उनके शब्दकोश में विफलता शब्द नहीं है। यदि आप अपनी सफलता पर विश्वास नहीं कर सकते हैं तो सफलता आपके पास कैसे आ सकती है? इसलिए दिल में हमेशा जीतने की आस रखो। और आप जो करने की योजना बना रहे हैं या जो आप वर्तमान में काम कर रहे हैं उसमें आत्मविश्वास महसूस करें।

यदि आप जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो नकारात्मक विचार प्रक्रियाओं से छुटकारा पाएं क्योंकि नकारात्मकता आपको आपकी सफलता से बहुत दूर ले जाती है।

5. अपने Time की Value करे –

कहाँ जाता है कि “समय ही पैसा है” – यह कहावत हमने बचपन से लेकर अबतक सुनी है। लेकिन हम इसके वास्तविक महत्व को नहीं समझते हैं।

गलत जगह पर अपना समय बर्बाद न करें। यह एक बहुत ही सामान्य गलती है जो हम सभी करते हैं कि हम अपना समय निवेश करने से पहले निवेश पर वापसी के बारे में एक भी विश्लेषण नहीं करते हैं। सफल लोग हमेशा अपने समय पर ROI फॉर्मूला लागू करते हैं। यह उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण कारण है।

आखिरी शब्द (Last Words)

सकारात्मक सोच की शुरुआत अक्सर आत्म-चर्चा से होती है। आत्म-चर्चा आपके दिमाग में चलने वाले अनकहे विचारों की अंतहीन धारा है। ये स्वचालित विचार सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं। आपकी कुछ आत्म-चर्चा तर्क और तर्क से आती है। अन्य आत्म-चर्चा गलत धारणाओं से उत्पन्न हो सकती है जो आप जानकारी की कमी के कारण पैदा करते हैं।

यदि आपके दिमाग में चलने वाले विचार अधिकतर नकारात्मक हैं, तो जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण निराशावादी होने की अधिक संभावना है। यदि आपके विचार अधिकतर सकारात्मक हैं, तो आप आशावादी हैं – सकारात्मक सोच का अभ्यास करने वाले व्यक्ति।

यदि आप नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, तो रातों-रात आशावादी बनने की अपेक्षा न करें। लेकिन अभ्यास के साथ, अंततः आपकी आत्म-चर्चा में आत्म-आलोचना कम और आत्म-स्वीकृति अधिक होगी। आप अपने आस-पास की दुनिया के प्रति कम आलोचनात्मक भी हो सकते हैं।

जब आपकी मनःस्थिति आम तौर पर आशावादी होती है, तो आप रोज़मर्रा के तनाव को अधिक रचनात्मक तरीके से संभालने में सक्षम होते हैं। वह क्षमता सकारात्मक सोच के व्यापक रूप से देखे गए स्वास्थ्य लाभों में योगदान दे सकती है।

इस तरह की शुरुआत सफलता का एक रहस्य चुनना आपके छोटे और Long Term Goal को प्राप्त करना आसान बना देगा।

इन सभी rules का पालन करें, हर दिन इनका अभ्यास करें और अपनी प्रगति को measure करते रहे, धीरे-धीरे, आप जो चाहते हैं उसमें सफलता के करीब पहुंच जाएंगे।

दोस्तों, आज आपको हमारा ये लेख ” सफल जीवन का रहस्य (Secret of Successful Life)” “कैसा लगा, आशा करते है कि आपको इस लेख से जरूर कुछ-न-कुछ जरूर सीखने को मिला होगा, अगर आपको ये अच्छा लगा तो इसको अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद

Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

जीवन का अर्थ क्या है?

जीवन का अर्थ क्या है? मैं जीवन में उद्देश्य, पूर्णता तथा सन्तुष्टि कैसे खोज सकता हूँ? क्या मैं किसी बात के चिरस्थायी महत्व की प्राप्ति कर सकता हूँ? बहुत सारे लोगों ने इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के ऊपर सोचना कभी नहीं छोड़ा है। वे सालों पीछे मुड़कर देखते हैं और आश्चर्य करते हैं कि उनके सम्बन्ध क्यों नहीं टूटे और वे इतना ज्यादा खालीपन का अहसास क्यों करते हैं, हालाँकि उन्होंने वह सब कुछ पा लिया जिसको पाने के लिए वे निकले थे। एक खिलाड़ी जो बेसबाल के खेल में बहुत अधिक ख्याति के शिखर पर पहुँच चुका था, से पूछा गया कि जब उसने शुरू में बेसबाल खेलना आरम्भ किया था तो उसकी क्या इच्छा थी कि कोई उसे क्या सलाह देता। उसने उत्तर दिया, "मेरी इच्छा थी कि कोई मुझे बताता कि जब आप शिखर पर पहुँच जाते हैं, तो वहाँ पर कुछ नहीं होता।" कई उद्देश्य अपने खालीपन को तब प्रकट करते हैं जब केवल उनका पीछा करने में कई वर्ष व्यर्थ हो गए होते हैं ।

हमारी मानवतावादी संस्कृति में, लोग कई उद्देश्यों का पीछा, यह सोचकर करते हैं कि इनमें वे उस अर्थ को पा लेंगे। इनमें से कुछ कार्यों में: व्यापारिक सफलता, धन-सम्पत्ति, अच्छे सम्बन्ध, यौन-सम्बन्ध, मनोरंजन, दूसरों के प्रति भलाई, वगैरह सम्मिलित है। लोगों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि जब उन्होंने धन-सम्पत्ति, सम्बन्धों और आनन्द के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया, तब भी उनके अन्दर एक गहरी शून्यता थी, खालीपन का एक ऐसा अहसास जिसे कोई वस्तु भरती हुई प्रतीत नहीं होती।

बाइबल की सभोपदेशक नामक पुस्तक के लेखक ने इस बात का एहसास किया जब उसने कहा, "व्यर्थ ही व्यर्थ! व्यर्थ ही व्यर्थ ! . सब कुछ व्यर्थ है" (सभोपदेशक 1:2)। राजा सुलेमान के पास, जो सभोपदेशक का लेखक है, परिमाप से परे अथाह धन-सम्पत्ति थी, अपने या हमारे समय के किसी भी व्यक्ति से ज्यादा ज्ञान था, सैकड़ों स्त्रियाँ थीं, कई महल और बगीचे थे जो कि कई राज्यों की ईर्ष्या के कारण थे, सर्वोत्तम भोजन और मदिरा थी, और हर प्रकार का मनोरंजन उपलब्ध था। फिर भी उसने एक समय यह कहा कि जो कुछ उसका हृदय चाहता था, उसने उसका पीछा किया। और उस पर भी उसने यह सार निकाला कि, "सूरज के नीचे" - ऐसा यापन किया हुआ जीवन जैसे कि जीवन में केवल यही कुछ हो जिसे हम आँखों से देख सकते हैं और इन्द्रियों से महसूस कर सकते हैं - व्यर्थ है! ऐसी शून्यता क्यों है। क्योंकि परमेश्वर ने हमारी रचना आज-और-अभी का अनुभव करने के अतिरिक्त किसी और वस्तु के लिए भी की थी। सुलेमान ने परमेश्वर के विषय में कहा, "उसने मनुष्यों के मनों में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान रखा …" (सभोपदेशक 3:11)। अपने हृदयों में हम इस बात को जानते हैं कि केवल "आज-और-अभी" ही सब कुछ नहीं है।

उत्पत्ति, बाइबल की पहली पुस्तक में हम पाते हैं, कि परमेश्वर ने वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया (उत्पत्ति 1:26)। इसका अर्थ है कि हम किसी और के बजाय परमेश्वर के सदृश ज्यादा हैं (किसी भी अन्य प्रकार के जीवन से)। हम यह भी पाते हैं कि मनुष्य जाति के पाप में पड़ने से पहले और पृथ्वी शापित होने से पहले, निम्नलिखित बातें सत्य थीं : 1) परमेश्वर ने मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी बनाया था (उत्पत्ति 2:18-25); 2) परमेश्वर ने मनुष्य को करने के लिए कार्य दिया (उत्पत्ति 2:15); 3) परमेश्वर की मनुष्य के साथ संगति थी (उत्पत्ति 3:8); 4) परमेश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी पर अधिकार दिया (उत्पत्ति 1:26)। इन विषयों का क्या महत्व है? परमेश्वर ने हर एक से चाहा कि वह हमारे जीवन में पूर्णता लाये, परन्तु इनमें से हर एक (विशेषकर मनुष्य की परमेश्वर के साथ संगति) के ऊपर मनुष्य के पाप में पड़ने से, और पृथ्वी के ऊपर शाप का परिणाम बनते हुए प्रतिकूल प्रभाव पड़ा (उत्पत्ति 3)।

प्रकाशितवाक्य, जो बाइबल की अन्तिम पुस्तक है, परमेश्वर प्रगट करता है कि वह इस वर्तमान पृथ्वी और आकाश को जैसा कि हम उन्हें जानते हैं, सर्वनाश कर देगा, और एक नए आकाश और एक नई पृथ्वी की सृष्टि करेगा। उस समय, वह छुटकारा पाई हुई मानवजाति के साथ पूर्ण संगति को बहाल करेगा। जबकि छुटकारा न पाए हुए न्याय के बाद अयोग्य पाए गए और उन्हें आग की झील में डाल दिया गया (प्रकाशितवाक्य 20:11-15)। और पाप का शाप जाता रहेगा : और फिर पाप, दुख, बीमारी, मत्यु या दर्द नहीं रहेंगे (प्रकाशितवाक्य 21:4)।

और परमेश्वर उनके साथ वास करेगा, और वे उसके पुत्र होंगे (प्रकाशितवाक्य 21:7)। इस प्रकार, हम वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? चक्र को पूरा कर लेते हैं: अर्थात् परमेश्वर ने अपने साथ संगति के लिए हमारी रचना की; मनुष्य ने उस संगति को तोड़ते हुए पाप किया, परमेश्वर उनके साथ अनन्तकाल की स्थिति में संगति को पुर्नस्थापित करता है। परमेश्वर से अनन्तकाल तक अलग होने के लिये केवल मरने के लिये जीवन की यात्रा को कुछ भी और सब कुछ पाते हुए पूरा करना व्यर्थता से भी अधिक बुरा है! परन्तु परमेश्वर ने न केवल अनन्त आनन्द सम्भव बनाने के लिए (लूका 23:43), अपितु इस जीवन को भी संतोषजनक और अर्थपूर्ण बनाने के लिये भी एक मार्ग बनाया है। यह अनन्त आनन्द और "पृथ्वी पर स्वर्ग" कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

यीशु मसीह के द्वारा जीवन वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? के अर्थ को बहाल किया जाना

जीवन का वास्तविक अर्थ, दोनों में अर्थात् वर्तमान और अनन्त काल के लिए, परमेश्वर के साथ सम्बन्ध की बहाली या पुर्नस्थापना में पाया जाता है जो कि आदम और हव्वा के पाप में पड़ने के समय खो दी गई थी। परमेश्वर के साथ वह सम्बन्ध केवल उसके पुत्र, यीशु मसीह के द्वारा सम्भव है (प्रेरितों के काम 4:12; यूहन्ना 14:6; यूहन्ना 1:12)। अनन्त जीवन तब प्राप्त होता है जब कोई अपने पापों का पश्चाताप करता है (और आगे उनको करते नहीं रहना चाहता है) और मसीह हमें बदलता है, नई सृष्टि बनाता है, और हम यीशु मसीह के ऊपर अपने उद्धारकर्ता के रूप में निर्भर रहते हैं।

जीवन का वास्तविक अर्थ केवल यीशु को अपना उद्धारकर्ता मान लेने में ही नहीं है, जैसी की यह आश्चर्यजनक बात है। इसकी बजाय, जीवन का असली अर्थ तब पाया जाता है जब एक व्यक्ति एक अनुयायी के रूप में मसीह का अनुसरण करता है, उसके द्वारा शिक्षा प्राप्त करके, उसके वचन में उसके साथ समय व्यतीत करके, प्रार्थना में उसके साथ बातें करके, और उसकी आज्ञाओं का पालन करने में उसके साथ चलता है। अगर आप एक अविश्वासी हैं (या फिर हो सकता है कि एक नए विश्वासी हों), तो हो सकता है कि आप स्वयं को यह कहता हुआ पाएं कि, "यह मुझे कुछ भी रोमांचकारी या संतोषजनक प्रतीत नहीं होता!" परन्तु यीशु ने निम्नलिखित कथन दिए थे :

"हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो, और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ : और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है (मत्ती 11:28-30)। "मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ और बहुतायत से पाएँ" (यूहन्ना 10:10)। "यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाये; और मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पायेगा" (मत्ती 16:24-25)। "यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा" (भजन संहिता 37:4)।

जो कुछ भी ये आयतें कह रही हैं वह यह है कि हमारे पास एक चुनाव है। हम स्वयं अपने जीवन का मार्गदर्शन जारी रख सकते हैं, जिसका परिणाम एक शून्यता को लाएगा, या हम अपने जीवनों के लिए पूरे मन से परमेश्वर और उसकी इच्छा का पीछा करना चुन सकते हैं, जिसका परिणाम पूर्णता के जीवन, हमारे अपने हृदय की इच्छाओं का पूरा होना और संतोष और सन्तुष्टि को प्राप्त होने से भर देगा। ऐसा इसलिये है क्योंकि हमारा सृष्टिकर्ता हमसे प्रेम करता है और हमारे लिये उत्तम बात की इच्छा रखता है (जरूरी नहीं कि आसान जीवन हो, परन्तु यह बहुतायत की भरपूरी वाला होगा)।

मसीही जीवन की तुलना उस चुनाव से की जा सकती है जिसमें खेल के मैदान में मंहगी कुर्सी को खरीद कर निकटता से खेल देखा जाता है या फिर कम खर्च करके वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? खेल को दूर स्थान से देखा जाता है। परमेश्वर के कार्य को "पहली पँक्ति से देखना" ही ऐसा कुछ है जिसका हमें चुनाव करना चाहिए परन्तु, दुख के साथ कहना पड़ता है, कि ऐसा चुनाव बहुत से लोग नहीं करते हैं। परमेश्वर के कार्यों को पहली बार देखना मसीह के पूर्ण-हृदय वाले अनुयायी के लिए है जिसने अपने जीवन में अपनी इच्छाओं का पीछा करना वास्तव में छोड़ दिया है ताकि वह अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छाओं वास्तविक सफलता कैसे प्राप्त करें? का पीछा कर सके। उन्होंने कीमत चुका दी है (मसीह और उसकी इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण); वे जीवन में भरपूरी का अनुभव कर रहे हैं; और वे स्वयं के लिए, अपने साथियों के लिए, और अपने सृष्टिकर्ता का सामना बिना किसी पछतावे के कर सकते है। क्या आपने कीमत चुकाई है? क्या आप ऐसा करने की इच्छा रखते हैं? यदि ऐसा है, तो आप अर्थ और उद्देश्य के लिये फिर कभी भूखे नहीं रहेंगे।

डिजिलॉकर - ऑनलाइन दस्तावेज़ भंडारण सुविधा

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डिजिटल लॉकर डिजिटल भारत कार्यक्रम - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के तहत प्रमुख पहलों में से एक है। इसका एक बीटा संस्करण इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई), भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। डिजिटल लॉकर का उद्देश्य भौतिक दस्तावेजों के उपयोग को कम करना और एजेंसियों के बीच में ई-दस्तावेजों के आदान-प्रदान को सक्षम करना है।

इस पोर्टल की मदद से ई-दस्तावेजों का आदान-प्रदान पंजीकृत कोष के माध्यम से किया जाएगा, जिससे ऑनलाइन दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी। आवेदक अपने इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को अपलोड कर सकते है और डिजिटल ई-साइन सुविधा का उपयोग कर उन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इन डिजिटली हस्ताक्षरित दस्तावेजों को सरकारी संगठनों या अन्य संस्थाओं के साथ साझा किया जा सकता है।

डिजिटल लॉकर प्रणाली

  • क्लाउड पर डिजिटल लॉकर प्रदान करने के द्वारा आवेदक का डिजिटल सशक्तिकरण
  • दस्तावेजों को ई-हस्ताक्षर सक्षम बनाकर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक एवं ऑनलाइन उपलब्ध बनाना जिससे भौतिक दस्तावेजों का उपयोग कम से कम हो
  • ई दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करके फर्जी दस्तावेजों के उपयोग को खत्म करना
  • वेब पोर्टल एवं मोबाइल अनुप्रयोग के माध्यम से नागरिकों को सरकार द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों का सुरक्षित अभिगम प्रदान करना
  • सरकारी विभागों और एजेंसियों के प्रशासकीय उपरिव्यय को कम करना एवं नागरिकों के लिये सेवा प्राप्त करना आसान बनाना
  • नागरिकों हेतु दस्तावेजों के कभी भी- कहीं भी पहुंच प्रदान करना
  • ओपन और इंटरऑपरेबल मानकों पर आधारित संरचना प्रदान करना जिससे अच्छी तरह से संरचित मानक दस्तावेज़ के माध्यम से विभागों और एजेंसियों के बीच दस्तावेजों को आसानी से साझा किया जा सके
  • आवेदक के आंकड़ों लिए गोपनीयता और अधिकृत पहुँच सुनिश्चित करना

डिजिटल लॉकर प्रणाली के घटक

रिपोजिटरी ई दस्तावेजों का संग्रह है जो जारीकर्ता द्वारा एक मानक प्रारूप में अपलोड की गई और मानक एपीआई के द्वारा सुरक्षित तरीके से वास्तविक समय में खोज और उपयोग के लिये उपलब्ध है।

एक्सेस गेटवे एक सुरक्षित ऑनलाइन तंत्र है जिससे अनुरोधकर्ता वास्तविक समय में यूआरआई (यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स संकेतक) का उपयोग करके प्राप्त कर सकते हैं। यूआरआई एक कोष में जारीकर्ता द्वारा अपलोड की गई ई-दस्तावेज़ के लिए एक कड़ी है। यूआरआई के आधार पर गेटवे कोष का पता पहचान करेगा और उस कोष से ई-दस्तावेज को प्रस्तुत करेगा।

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जीवन का वास्तविक लक्ष्य

जीवन का वास्तविक लक्ष्य

Aim of Life


श्रील प्रभुपाद : यह आन्दोलन विशेषरूप से मानव को जीवन के वास्तविक लक्ष्य तक पहुँचने में सक्षम बनाने के लिए है ।

बॉब : वास्तविक लक्ष्य . . ?

श्रील प्रभुपाद : जीवन का वास्तविक लक्ष्य ।

बॉब : क्या जीवन का वास्तविक लक्ष्य ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करना है ?

श्रील प्रभुपाद : हाँ। अपने घर, भगवान के धाम वापस लौटना । यही जीवन का वास्तविक लक्ष्य है । सागर से आने वाला जल मेघों की रचना करता है मेघ जल के रूप में बरसते हैं तथा नदी के साथ बह कर पुनः सागर में प्रवेश करना इस प्रक्रिया का वास्तविक लक्ष्य है । हम सब भगवान् सें निकले हैं तथा अब हम भौतिक जीवन से बाधित हैं । अतएव इस बद्ध स्थिति से निकल कर अपने घर, भगवान के धाम, वापस लौटना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए । यही जीवन का वास्तविक लक्ष्य है ।

Maamupetya

मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम् ।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः ॥भ. गी. ८.१५॥

मुझे प्राप्त करके महापुरुष, जो भक्तियोगी हैं, कभी भी दुखों से पूर्ण इस अनित्य जगत् में नहीं लौटते, क्योंकि उन्हें परम सिद्धि प्राप्त हो चुकी होती है |
चूँकि यह नश्र्वर जगत् जन्म, जरा तथा मृत्यु के क्लेशों से पूर्ण है, अतः जो परम सिद्धि प्राप्त करता है और परमलोक कृष्णलोक या गोलोक वृन्दावन को प्राप्त होता है, वह वहाँ से कभी वापस नहीं आना चाहता | इस परमलोक को वेदों में अव्यक्त, अक्षर तथा परमा गति कहा गया है | दूसरे शब्दों में, यह लोक हमारी भौतिक दृष्टि से परे है और अवर्णनीय है, किन्तु यह चरमलक्ष्य है, जो महात्माओं का गन्तव्य है | महात्मा अनुभवसिद्ध भक्तों से दिव्य सन्देश प्राप्त करते हैं और इस प्रकार वे धीरे-धीरे कृष्णभावनामृत में भक्ति विकसित करते हैं और दिव्यसेवा में इतने लीन हो जाते हैं कि वे न तो किसी भौतिक लोक में जाना चाहते हैं, यहाँ तक कि न ही वे किसी आध्यात्मिक लोक में जाना चाहते हैं | वे केवल कृष्ण तथा कृष्ण का सामीप्य चाहते हैं, अन्य कुछ नहीं | यही जीवन की सबसे बड़ी सिद्धि है |

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यह भगवतगीता का मत है । “यदि कोई मेरे समीप आता है वह फिर वापस नहीं लौटता।” कहाँ ? “इस स्थान को दुःखालयमशाश्वतम् कहते हैं ।” यह स्थान दुखों का घर है । यह तथ्य सबको ज्ञात है किन्तु उन्हें तथाकथित नेताओं ने मुर्ख बना दिया है । भौतिक जीवन दुखी जीवन है । भगवान् अर्थात् श्रीकृष्ण कहते हैं कि यह स्थान दुखालयम् है-यह दुखों का स्थान है । तथा यह अशाश्वतम भी है…अनित्य है । आप समझोता नहीं कर सकते हैं-“ठीक है यह दुखपूर्ण है तो होने दीजिए। में यहाँ एक अमरीकी अथवा भारतीय की भाँती रहूँगा ।” नहीं । आप ऐसा भी नहीं कर सकते हैं । आप एक अमरीकी ही नहीं रह सकते हैं । आप ऐसा सोच सकते हैं कि अमरीका में ज़न्म ले कर आप अत्यन्त सुखी हैं । किन्तु आप अधिक समय तक एक अमरीकी नहीं रह सकते है । आप को यहाँ से बहिस्कृत्त होना पडेगा । तथा आपके अगले जन्म के विषय में आपको कुछ भी ज्ञान नहीं है । अतएव, यह दुःखालयमशाश्वतम् है…दुखमय तथा अनित्य । यह हमारा दर्शन है ।

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