प्रारंभिक लागत

Budget 2023- इस बजट में 400 वंदे भारत ट्रेनों का हो सकता है ऐलान
रेलवे मिनिस्ट्री के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को जोरशोर से शुरु करने की योजना पर बड़ी तेजी से काम कर रही है
रेलवे मिनिस्ट्री के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को जोरशोर से शुरु करने की योजना पर बड़ी तेजी से काम कर रही है। इस योजना के तहत फरवरी में आने वाले आगामी बजट में 300-400 नई वंदे भारत ट्रेनों को शुरु करने का ऐलान किया जा सकता है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इस बजट में नेशनल ट्रांसपोर्ट के बजटीय आवंटन को भी बढ़ाया जा सकता है।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2023 के बजट में नेशनल ट्रांसपोर्ट के लिए 1.37 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। अब इस राशि में अब तक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। वर्तमान वित्त वर्ष में नेशनल ट्रांसपोर्ट पर किए जाने वाले बजटीय आवंटन में 28 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में नेशनल ट्रांसपोर्ट के लिए 1.07 लाख करोड़ रुपये का प्रारंभिक लागत आवंटन किया गया था।
वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कहा कि अगले तीन साल में 475 वंदे भारत ट्रेन तैयार करने की योजना पर काम जारी है। मंत्री ने टाइम्स नाउ समिट में कहा कि बुलेट ट्रेन 2026 तक पूरी तरह से संचालित होने लगेगी। उन्होंने कहा 475 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहे हैं।
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पिछले बजट में 400 ट्रेन को मंजूरी दी गई थी और इससे पहले 75 को ट्रेन स्वीकृति दी जा चुकी थी। हम आने वाले तीन वर्ष में लक्ष्य हासिल कर लेंगे। महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के समय और लागत में वृद्धि के सवाल पर मंत्री ने कहा कि ऐसी ट्रेन के लिए प्रौद्योगिकी और प्रारंभिक डिजाइन का चरण बहुत जटिल होता है। उन्होंने कहा हमने करीब 110 किमी का ट्रैक बना लिया है। ट्रेन 2026 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगी।
देश में फिलहाल 5 रूट्स पर वंदे भारत का संचालन हो रहा है। इसमें हिमाचल प्रदेश के ऊना स्टेशन से नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच, नई दिल्ली श्री माता वैष्णों देवी कटरा स्टेशन के बीच, नई दिल्ली से वाराणसी के बीच, चेन्नई से मैसुरु जंक्शन के बीच और गांधी नगर से मुंबई सेंट्रल के बीच वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इसमें से 2022 में लॉन्च होने वाली गांधी नगर मुंबई सेंट्रल, चेन्नई से मैसुरु और नई दिल्ली ऊना दूसरी पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेन हैं।
Hisar सुविधा : हरियाणा रोडवेज की बस में ई-टिकटिंग प्रणाली का शुभारंभ
हरियाणा न्यूज़ डेस्क, यात्रियों को सुगम परिवहन की सुविधा प्रदान करने के लिए एक कदम और आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने हरियाणा रोडवेज की बस में ई-टिकटिंग प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा रोडवेज की बस में ई-टिकटिंग प्रणाली का शुभारंभ किया. इस मौके पर राष्ट्रपति को पहली टिकट के रूप में नेशनल ई-मोबिलिटी कार्ड की प्रतिकृति भेंट की गई.
राष्ट्रपति अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के कार्यक्रमों की शृंखला में कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार में भाग लेनी पहुंची थीं. उन्होंने ई-टिकटिंग सहित हरियाणा सरकार की तीन परियोजनाओं का वर्चुअली शुभारंभ और शिलान्यास किया. इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी मौजूद थे.
प्रारंभिक चरण में 6 डिपो चंडीगढ़, करनाल, फरीदाबाद, सोनीपत, भिवानी और सिरसा में ई - टिकटिंग प्रणाली लागू होगी. रोडवेज के शेष 18 डिपो में जनवरी 2023 के अंत तक परियोजना को लागू किया जाएगा.
राजस्व नुकसान को रोका जाएगा
हरियाण सरकार का इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य राजस्व को होने वाले नुकसान को रोकना है. इसके अलावा छूट पाने वालों की पहचान, फर्जी पास को खत्म करना, रियायत पाने वाले यात्रियों के लिए कागजी बचत और कॉमन मोबिलिटी कार्ड के उपयोग के माध्यम से यात्रियों के लिए बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करना है.
हरियाणा में तीन हजार मेडिकल की सीट होंगी
राष्ट्रपति ने जिला सिरसा में 21 एकड भूमि पर बनने वाले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया. इस पर लगभग 950 करोड़ रुपये की लागत आएगी. मुख्यमंत्री का कहना है कि हरियाणा में मेडिकल की तीन हजार सीट होंगी. राज्य में इस समय एमबीबीएस की सर्वाधिक 1835 सीट हैं.
अंत्योदय परिवारों के लिए निरोगी हरियाणा योजना शुरू
राष्ट्रपति ने अंत्योदय परिवारों के लिए निरोगी हरियाणा योजना का शुभारंभ किया. इसके तहत अंत्योदय परिवारों की व्यापक स्वास्थ्य जांच मुफ्त की जाएगी. पहले चरण में 1 लाख 80 हजार रुपये से कम आय वाले परिवारों को लाभार्थियों के रूप में शामिल किया जाएगा.
पहली से आठवीं कक्षा तक के अल्पसंख्यक छात्रों को अब नहीं मिलेगी प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप
केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार क़ानून का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है प्रारंभिक लागत कि वह इस क़ानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान कर रही है, इसलिए स्कॉलरशिप दिए जाने की ज़रूरत नहीं है. The post पहली से आठवीं कक्षा तक के अल्पसंख्यक छात्रों को अब नहीं मिलेगी प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप appeared first on The Wire - Hindi.
केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार क़ानून का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वह इस क़ानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान कर रही है, इसलिए स्कॉलरशिप दिए जाने की ज़रूरत नहीं है.
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत सभी छात्रों के लिए आठवीं कक्षा तक अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान का उल्लेख करते हुए सरकार ने अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अपनी प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को 9वीं और 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों तक सीमित कर दिया है.
इससे पहले, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में पहली कक्षा से 8वीं तक की शिक्षा के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी शामिल किया जाता था. प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों को केवल कक्षा 9वीं और 10वीं से पूर्णकालिक आधार पर कवर किया जाता है.
सरकार ने एक नोटिस में अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा (पहली कक्षा से आठवीं) प्रदान करना सरकार के लिए अनिवार्य बनाता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नोटिस में कहा गया है, ‘शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 सरकार के लिए प्रत्येक प्रारंभिक लागत बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) प्रदान करना अनिवार्य बनाता है. तद्नुसार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत केवल नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को ही कवर किया जाता है. इसी तरह 2022-23 से, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत कवरेज भी केवल कक्षा 9 और 10 के लिए होगी.’
संस्थान के नोडल अधिकारी (आईएनओ) या जिला नोडल अधिकारी (डीएनओ) या राज्य नोडल अधिकारी (एसएनओ) को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत केवल कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए आवेदनों को सत्यापित करने को कहा गया है.
गौरतलब है कि इस साल मार्च में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने संसद को बताया था कि 2014-15 के बाद अल्पसंख्यक छात्रों को 5.20 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है. इस अवधि से पहले यह संख्या 3.03 करोड़ रुपये थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ‘अल्पसंख्यक छात्रों को दी गई सभी छात्रवृत्ति की कुल लागत इसी अवधि के लिए 15,154.70 करोड़ रुपये थी.’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने छात्रवृत्ति की पहुंच को सीमित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
एआईएमपीएलबी के कार्यकारी सदस्य डॉ. एसक्यूआर इलियास ने कहा, ‘अल्पसंख्यक समुदाय को प्रदान की जाने वाली विभिन्न छात्रवृत्ति- विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक, मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति- सच्चर समिति की रिपोर्ट के बाद शुरू की गई थीं, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय के बच्चे देश में सबसे ज्यादा शैक्षिक रूप में पिछड़े बच्चों में शुमार होते हैं, यहां तक कि वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों से भी पीछे हैं.’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने अखबार से कहा, ‘यह सरकार शिक्षकों को उनके देय वेतन का भुगतान करने का प्रबंध नहीं कर सकती है, तो वह छात्रवृत्ति क्या देगी.’
इस फैसले पर राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया हुई है. कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘दशकों से अनुसूचित जाति/जनजाति पृष्ठभूमि के बच्चों को पहली कक्षा से 8वीं तक की छात्रवृत्ति मिलती रही है, लेकिन सरकार ने 2022-23 से छात्रवृत्ति बंद कर दी है, जो गरीबों के खिलाफ एक ‘षड्यंत्र’ है.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले आठ साल से भाजपा सरकार ने लगातार वंचितों के अधिकारों पर हमला बोला है, वो चाहे एससी/एसटी/ओबीसी-अल्पसंख्यकों का बजट घटाना हो या जघन्य अत्याचार हो. हम इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे. यह फैसला तुरंत वापस लें.’
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सत्ता में आते ही BJP-मोदी सरकार ने लगातार वंचितों के अधिकारों पर हमला बोला है, वो चाहे SC सबप्लान ख़त्म करना हो, आरक्षण पर हमला हो, SC-ST-OBC-अल्पसंख्यकों का बजट काटना हो या जघन्य अत्याचार हों।अहंकारी PM को प्री-मैट्रिक छात्रवृति ख़त्म करने का तुगलकी फ़रमान वापिस लेना होगा। https://t.co/nvXe1bPExz
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 29, 2022
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता कुंवर दानिश अली ने दावा किया कि सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों (कक्षा 1-8) को दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर रोक लगाकर इन गरीब बच्चों को शिक्षा से दूर रखने का नया तरीका निकाला है. अली ने ट्वीट किया, ‘यह मत भूलिए कि शिक्षित बच्चे चाहे, वो किसी भी समुदाय के हों, देश को आगे ले जाते हैं.’
सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों (कक्षा १-८) को दी जाने वाली छात्रवृति रोक कर इन ग़रीब बच्चों को तालीम से दूर रखने का एक नया तरीक़ा खोज निकाला है। @narendramodi जी यह मत भूलिये कि शिक्षित बच्चे चाहे वो किसी भी समुदाय के हों देश को आगे ले जाते हैं। @smritiirani @myogiadityanath pic.twitter.com/uHGPWuCo17
— Kunwar Danish Ali (@KDanishAli) November 28, 2022
मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता वाइको ने भी फैसले की निंदा की है. द हिंदू के अनुसार उन्होंने कहा, ‘यह केवल मोदी सरकार का एक हमला है, जो नफरत की राजनीति के जरिये अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है.’
एसोचैम ने आरबीआई से रेपो रेट 25-35 बीपीएस से आगे नहीं बढ़ाने की अपील की
शेयर बाजार 2 घंटे पहले (02 दिसम्बर 2022 ,20:15)
एसोचैम ने आरबीआई से रेपो रेट 25-35 बीपीएस प्रारंभिक लागत से आगे नहीं बढ़ाने की अपील की
चेन्नई, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत दर संशोधन पर फैसला करने के लिए बैठक कर रही है, ऐसे में उद्योग लॉबी निकाय एसोचैम ने कम से कम वृद्धि का आग्रह किया है।एसोचैम ने आरबीआई से यह भी अनुरोध किया है कि वह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की खरीद के लिए खुदरा ऋण को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण के रूप में माने।
एसोचैम के अनुसार, ब्याज दर में वृद्धि मध्यम होनी चाहिए ताकि उधार लेने की बढ़ती लागत का नवजात आर्थिक सुधार पर महामारी के बाद प्रतिकूल और प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। अधिक से अधिक, नई दर वृद्धि 25-35 आधार अंक (बीपीएस) बैंड से अधिक नहीं होनी चाहिए, एसोचैम ने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को एक पत्र में कहा, साथ ही उद्योग के सामने आने वाले अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला।
एसोचैम द्वारा दी गई प्रमुख सिफारिशों में से एक यह है कि ईवी की खरीद के लिए खुदरा ऋण को रियायती ब्याज दर के साथ प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के रूप में माना जाए। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ईवी के खिलाफ खुदरा अग्रिमों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण के तहत शामिल किया जा सकता है। यह भारत की ईवी स्टोरी को उत्प्रेरित करने में मदद कर सकता है।
उधारी की बढ़ती लागत के संबंध में, चैंबर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार काफी ध्यान देने योग्य है, विशेष रूप से वैश्विक प्रतिकूलताएं की पृष्ठभूमि में। हालांकि, यह अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है और इसे समर्थन देने की आवश्यकता है।
सूद ने कहा, जब घरेलू अर्थव्यवस्था की बात आती है तो मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंचने के संकेत दिखाई देते हैं। यहां तक कि विकसित बाजारों में भी मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंचने के शुरूआती संकेत दिखाई दे रहे हैं, इस प्रकार आरबीआई-एमपीसी के लिए दर वृद्धि चक्र को रोकने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक मंच तैयार किया गया है।
एक अन्य सुझाव में, चैंबर ने कहा कि अक्षय परियोजनाओं के लिए कम लागत वाले फंड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, आरबीआई इरेडा के लिए रेपो दर पर उधार लेने की एक विशेष व्यवस्था प्रारंभिक लागत पर विचार कर सकता है। एसोचैम ने एक अनोखे प्रस्ताव में केंद्रीय बैंक से सभी बैंकों को अकाउंट एग्रीगेटर (एए) ढांचे के तहत लाने के लिए एक समयबद्ध ²ष्टिकोण पर विचार करने का आग्रह किया।
यह ढांचा किसी व्यक्ति को एए नेटवर्क में सुरक्षित और डिजिटल रूप से एक वित्तीय संस्थान से किसी अन्य तक जानकारी तक पहुंचने और साझा करने में मदद करता है। सेबी/आईआरडीएआई द्वारा विनियमित अन्य वित्तीय संस्थानों को सूचना प्रदाताओं और सूचना उपयोगकर्ताओं के रूप में ढांचे में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।