भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी

मैं क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हूं, मुझे क्या मिला: क्रिप्टोकरेंसी से कमाई पर देना होगा 30% टैक्स, इसी साल अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा RBI
अप्रैल से शुरू होने जा रहे नए फाइनेंशियल ईयर में आपको शॉपिंग करने के लिए पर्स में कागज के नोट रखकर बाजार जाने की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में अपनी डिजिटल करेंसी, यानी डिजिटल रुपया लॉन्च करने की घोषणा कर दी है। वहीं अब क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में इसकी जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने साफ किया कि RBI की ओर से जारी होने वाले डिजिटल रुपए को ही डिजिटल करेंसी माना जाएगा। अन्य जो भी बिटकॉइन और इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी है उसे एसेट माना जाएगा और इससे होने वाली कमाई पर 30% का टैक्स देना होगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी से ट्रांजैक्शन पर 1% का TDS देना होगा।
सरकारी डिजिटल करेंसी से इकोनॉमी को मिलेगा बड़ा बूस्ट
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है। यह डिजिटल करेंसी भी दुनिया भर में चल रही बिटकॉइन और अन्य तरह की क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही ब्लॉकचेन और अन्य दूसरी क्रिप्टो तकनीकों पर आधारित होगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आने के बाद करेंसी मैनेजमेंट सिस्टम बेहद आसान व सस्ता हो जाएगा। इससे देश की इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है। साथ ही इकोनॉमी के डिजिटाइजेशन को भी तेजी मिलेगी।
आइए जानते हैं कि यह डिजिटल रुपया करेंसी नोट से कितना अलग होगा? क्या इसमें भी बिटकॉइन की तरह निवेश किया जा सकेगा? बैंकों की क्या भूमिका रह जाएगी? हम जो डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं, उनसे यह डिजिटल रुपया किस तरह अलग होगा?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC क्या है?
यह कैश का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। जैसे आप कैश का लेन-देन करते हैं, वैसे ही आप डिजिटल करेंसी का लेन-देन भी कर सकेंगे। CBDC कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन या ईथर जैसी) जैसे काम करती है। इससे ट्रांजैक्शन बिना किसी मध्यस्थ या बैंक के हो जाता है। रिजर्व बैंक से डिजिटल करेंसी आपको मिलेगी और आप जिसे पेमेंट या ट्रांसफर करेंगे, उसके पास पहुंच जाएगी। न तो किसी वॉलेट में जाएगी और न ही बैंक अकाउंट में। बिल्कुल कैश की तरह काम करेगी, पर होगी डिजिटल।
यह डिजिटल रुपया, डिजिटल पेमेंट से कैसे अलग है?
- बहुत अलग है। आपको लग रहा होगा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन तो बैंक ट्रांसफर, डिजिटल वॉलेट्स या कार्ड पेमेंट्स से हो ही रहे हैं, तब डिजिटल करेंसी अलग कैसे हो गई?
- यह समझना बेहद जरूरी है कि ज्यादातर डिजिटल पेमेंट्स चेक की तरह काम करते हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं। वह आपके अकाउंट में जमा राशि से ‘वास्तविक’ रुपए का पेमेंट या ट्रांजैक्शन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई संस्थाएं, लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं।
- उदाहरण के लिए अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट किया तो क्या तत्काल सामने वाले को मिल गया? नहीं। डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक ले लेता है। यानी, पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया है।
- जब आप डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो आपने भुगतान किया और सामने वाले को मिल गया। यही इसकी खूबी है। अभी हो रहे डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी बैंक के खाते में जमा रुपए का ट्रांसफर है। पर CBDC तो करेंसी नोट्स की जगह लेने वाले हैं।
यह डिजिटल रुपया बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग होगा?
- डिजिटल करेंसी का कंसेप्ट नया नहीं है। यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से आया है, जो 2009 में लॉन्च हो गई थी। इसके बाद ईथर, डॉगेकॉइन से लेकर पचासों क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह एक नए असेट क्लास के रूप में विकसित हुई है, जिसमें लोग इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।
- प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट लोग या कंपनियां जारी करती हैं। इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती। गुमनाम रहकर भी लोग ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, जिससे आतंकी घटनाओं व गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें किसी भी केंद्रीय बैंक का सपोर्ट नहीं है। यह करेंसी लिमिटेड है, इस वजह से सप्लाई और डिमांड के अनुसार इसकी कीमत घटती-बढ़ती है। एक बिटकॉइन की वैल्यू में ही 50% तक की गिरावट दर्ज हुई है।
- पर जब आप प्रस्तावित डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो इसे दुनियाभर में केंद्रीय बैंक, यानी हमारे यहां रिजर्व बैंक लॉन्च कर रहा है। न तो क्वांटिटी की सीमा है और न ही फाइनेंशियल और मौद्रिक स्थिरता का मुद्दा। एक रुपए का सिक्का और डिजिटल रुपया समान ताकत रखता है। पर डिजिटल रुपए की मॉनिटरिंग हो सकेगी और किसके पास कितने पैसे हैं, यह रिजर्व बैंक को पता होगा।
- हालांकि, भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में से एक वजीरएक्स में AVP-मार्केटिंग परीन लाठिया कहते हैं कि रिजर्व बैंक के डिजिटल करेंसी लॉन्च करने से बिटकॉइन या क्रिप्टोकरेंसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का असेट बन चुकी है, जिसका दुनियाभर में ट्रेड होता रहेगा। भारत इसमें भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी पीछे नहीं रह सकता।
क्या अब तक किसी देश ने डिजिटल करेंसी लॉन्च की है?
- हां। छह साल की रिसर्च के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अप्रैल 2020 में दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए। लॉटरी सिस्टम से ई-युआन बांटे गए। जून 2021 तक 2.4 करोड़ लोगों और कंपनियों ने e-CNY यानी डिजिटल युआन के वॉलेट बना लिए थे।
- चीन में 3450 करोड़ डिजिटल युआन (40 हजार करोड़ रुपए) का लेन-देन यूटिलिटी बिल्स, रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्ट में हो चुका है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक डिजिटल युआन की चीनी इकोनॉमी में हिस्सेदारी 9% तक हो जाएगी। अगर सफल रहा तो चीन पूरी दुनिया में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला पहला देश बन जाएगा।
- जनवरी भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी 2021 में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स ने बताया कि दुनियाभर के 86% केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। बहामास जैसे छोटे देश ने तो हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी CBDC के तौर पर सैंड डॉलर लॉन्च भी कर दिया है।
- कनाडा, जापान, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, UK और यूनाइटेड स्टेट्स के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन भी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के साथ मिलकर डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। इससे डिजिटल करेंसी से लेन-देन जल्द ही हकीकत बनने वाला है।
दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की डिजिटल करेंसी में रुचि क्यों बढ़ी है?
डिजिटल करेंसी से ये 4 बड़े फायदे हैं-
1. एफिशियंसीः यह कम खर्चीली है। ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं। इसके मुकाबले करेंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च, लेन-देन की लागत भी अधिक है।
2. फाइनेंशियल इनक्लूजनः डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है। यह ऑफलाइन भी हो सकता है।
3. भ्रष्टाचार पर रोकः डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल रुपए की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है।
4. मॉनेटरी पॉलिसीः रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है। मार्केट में रुपए की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा।
भारत में रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी पर क्या काम किया है?
Crypto पर शिकंजे की तैयारी, जानें कैसी होगी रिजर्व बैंक की अपनी डिजिटल करेंसी
RBI digital currency: भारत सरकार सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर अंकुश लगा सकती है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक अपनी डिटिजल करेंसी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 24 नवंबर 2021,
- (अपडेटेड 24 नवंबर 2021, 12:19 PM IST)
- RBI देगा एक नया विकल्प
- डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी
केंद्र सरकार निजी क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrencies) पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक अपना डिटिजल करेंसी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. आइए जानते हैं कि यह डिजिटल करेंसी किस तरह की हो सकती है.
सभी क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में 'द क्रिप्टोकरेंसी ऐंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021' (The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) लाएगी.
क्रिप्टोकरेंसी तकनीक के इस्तेमाल में राहत देने के लिए ही सरकार इस बिल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से सरकारी डिजिटल करेंसी चलाने के लिए फ्रेमवर्क का प्रावधान रखेगी. इस बिल को लेकर लोकसभा बुलेटिन में सरकार की ओर से जानकारी दी गई है. गौरतलब है कि वित्त मामलों की संसदीय समिति में क्रिप्टो करेंसी को लेकर चर्चा हुई थी जिसमें पाबंदी की बजाए नियमन का सुझाव दिया गया था.
गौरतलब है कि देश में बड़े पैमाने पर लोग क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश कर रहे हैं. इन करेंसीज में काफी उतार-चढ़ाव होता है. इनका कुछ पता नहीं होता कि ये कहां से शुरू हो रही हैं और कहां से संचालित हो रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इसके बारे में कोई नियम-कायदा बनाने को कहा था.
क्या होगा रिजर्व बैंक की करेंसी का फायदा
रिजर्व बैंक द्वारा जब डिजिटल करेंसी जारी की जाएगी तो जाहिर है कि यह एक वैध करेंसी होगी. इस डिजिटल करेंसी को सरकार का समर्थन होगा. रिजर्व बैंक लंबे समय से इस तरह के संभावित करेंसी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहा है. इसके सीग्नीअरिज (seignorage) से सरकार को अच्छा फायदा होगा.
किसी करेंसी की वैल्यू और उसकी प्रिंटिंग खर्च के बीच के अंतर को सीग्नीअरिज (seignorage) कहते हैं. सच तो यह है कि डिजिटल करेंसी में सरकार को भारी सीग्नीअरिज हासिल होगा, क्योंकि इसकी प्रिंटिंग का कोई खर्च नहीं होगा और ट्रांजैक्शन लागत भी कम होगी.
ये खूबियां भी होंगी
क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत रिजर्व बैंक द्वारा जारी इस डिजिटल करेंसी में उतार-चढ़ाव नहीं होगा. यह डिजिटल करेंसी देश की अर्थव्यवस्था में सर्कुलेट हो रही करेंसी (CIC) का ही हिस्सा होगी. यही नहीं, इसकी कैश के साथ अदला-बदली भी की जा सकेगी.
गौरतलब है कि सिस्टम में करेंसी के प्रसार पर रिजर्व बैंक का नियंत्रण रहता है. जब अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती है तो ज्यादा करेंसी की जरूरत होती है. पिछले 5-6 साल में करेंसी प्रसार बैंकनोट और सिक्के सहित बढ़कर 16.63 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 28.60 लाख करोड़ रुपये हो गया. ज्यादा करेंसी के प्रसार से महंगाई का दबाव भी बढ़ता है. इसलिए रिजर्व बैंक संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है.
क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता रिजर्व बैंक के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि देश में करेंसी के प्रसार पर उसका ही नियंत्रण रहता है. यह तो ऐसी करेंसी है जिस पर रिजर्व बैंक तो क्या किसी सरकार का भी नियंत्रण नहीं है. इसलिए सरकार इस पर अंकुश लगाते हुए डिजिटल करेंसी का विकल्प देने की तैयारी कर रही है.
Cryptocurrency News: क्या क्रिप्टोकरेंसी पर लग जाएगा प्रतिबंध? जानिए क्या बताया निर्मला सीतारमण ने
आरबीआई (Reserve Bank of India) ने 6 अप्रैल 2018 को एक परिपत्र (RBI Circular) भी जारी किया जिसमें अपनी विनियमित संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) में व्यापार करने या निपटान में किसी भी व्यक्ति या संस्था को सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएं प्रदान करने पर रोक लगाई थी।
क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के पक्ष में रिजर्व बैंक (File Photo)
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सोमवार को लोकसभा में बताया कि किसी देश की मौद्रिक (Monetary) और राजकोषीय (Fiscal) स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री के अनुसार आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
राजकोषीय स्थिरता पर दुष्प्रभाव
उन्होंने बताया कि फिएट मुद्राओं का मूल्य मौद्रिक नीति और वैध मुद्रा के रूप में उनकी स्थिति पर निर्भर होता है हालांकि क्रिपटोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से अटकलों एवं उच्च रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है जो स्थिर है। उन्होंने कहा कि इसलिए किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर इसका एक अस्थिर प्रभाव होगा। गौरतलब है कि फिएट मनी सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा है। इसका अपना कोई मूल्य नहीं है, लेकिन इसका मूल्य सरकारी नियमों से लिया गया है।
रिजर्व बैंक की क्या है सिफारिश
सीतारमण ने बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव संबंधी चिंताओं के मद्देनजर आरबीआई ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, ‘‘ आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने बताया कि आरबीआई ने 24 दिसंबर 2013, भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी एक फरवरी 2017 और पांच दिसंबर 2017 को सार्वजनिक नोटिसों के माध्यम से डिजिटल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को आर्थिक, वित्तीय, कानूनी, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी जोखिमों से आगाह कर रहा है।
वर्चुअल करेंसी पर क्या
सीतारमण ने कहा कि आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को एक परिपत्र भी जारी किया जिसमें अपनी विनियमित संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी में व्यापार करने या निपटान में किसी भी व्यक्ति या संस्था को सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएं प्रदान करने पर रोक लगाई थी। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने 31 मई, 2021 के परिपत्र के माध्यम से अपनी विनियमित संस्थाओं को डिजिटल करेंसी में लेनदेन के लिए ग्राहक की यथोचित परिश्रम प्रक्रियाओं को जारी रखने के लिये विभिन्न मानकों के अनुरूप कार्य के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रासंगिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
Cryptocurrency को लेकर आरबीआई गवर्नर ने चेताया, कहा- फाइनेंशियल सिस्टम के लिए है खतरा
क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में नियामकीय स्पष्टता अभी तक नहीं आई है.
Cryptocurrency: अगर आपका रुझान क्रिप्टोकरेंसी की तरफ है तो पहले ये खबर जरूर पढ़ लीजिए. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने अलर्ट करते हुए कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) फाइनेंशियल सिस्टम के लिए खतरा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को 'स्पष्ट खतरा' बताते हुए गुरुवार को कहा कि किसी अंतर्निहित मूल्य के बगैर सिर्फ काल्पनिक कीमत वाली कोई चीज महज अटकल भर है. सरकार विभिन्न हितधारकों और संस्थानों से जानकारी जुटाने के बाद क्रिप्टोकरेंसी पर एक कंसल्टेशन पेपर को आखिरी रूप देने की प्रक्रिया में है. आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लगातार चिंता जताता रहा है.
साइबर जोखिम भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी बढ़ रहे हैं
खबर के मुताबिक, दास ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के 25वें अंक की प्रस्तावना में कहा है कि जैसे-जैसे फाइनेंशियल सिस्टम तेजी से डिजिटल होती जा रही है, साइबर जोखिम बढ़ रहे हैं और इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. दास ने कहा हमें उभरते जोखिमों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)एक स्पष्ट खतरा है. उनका कहना था कि कोई भी चीज जो बिना किसी अंतर्निहित मूल्य के सिर्फ विश्वास के आधार पर मूल्य हासिल करती है, उसके लिए रिफाइंड नाम अटकलबाजी ही हो सकती है.
नियामकीय स्पष्टता अभी तक नहीं
पिछले कुछ सप्ताह में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की कीमतों में दुनिया के लेवल पर लगातार अस्थिरता देखी गई है. रिजर्व बैंक ने पहली बार 2018 में क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में एक सर्कुलर जारी किया था और अपनी रेगुलेटेड बॉडी को इस तरह के वित्तीय साधन से रोक दिया था. हालांकि, वर्ष 2020 की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बैंक (RBI) के उस सर्कुलर को निरस्त कर दिया था.
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क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में नियामकीय स्पष्टता अभी तक नहीं आई है. सरकार विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) सहित विभिन्न हितधारकों और संस्थानों की राय के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक कंसल्टेशन पेपर को आखिरी रूप देने के लिए काम कर रही है.
Crypto को बैन कर RBI लाएगा अपना 'बिटकॉइन', आखिरी कैसी होगी यह करेंसी, जानिए
CyptoCurrancy: दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और भारत में भी इसके निवेशकों की संख्या लाखों में पहुंच गई है।
हाइलाइट्स
- आरबीआई सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सचेत है।
- भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा।
- डिजिटल करेंसी लाने का आइडिया नया नहीं है।
दास ने कहा कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से देश में डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आरबीआई सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सचेत है। यह इसका नया प्रोडक्ट है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं छोड़ी जा सकती।
दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और भारत में भी इसके निवेशकों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही साल 2018 भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी के आरबीआई के एक सर्कुलर को खारिज कर दिया था। इसमें आरबीआई ने बैंक और वित्तीय संस्थाओं पर क्रिप्टो करेंसी में डील करने या उसके लिए फाइनेंस उपलब्ध कराने से बैन लगा दिया था।
RBI के CBDC में क्या होगा खास?
भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBCD से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। करेंसी नोट की तुलना में इसमें एक अंतर सिर्फ यह होगा कि यह डिजिटल फॉर्मेट में होगा।
डिजिटल करेंसी का आइडिया नया नहीं
यह भी कहा जा रहा है कि डिजिटल करेंसी लाने का आइडिया नया नहीं है। हाल में ही कई विशेषज्ञों ने कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का आइडिया अमेरिकन अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जेम्स टोबिन से लिया गया है। उन्होंने साल 1980 में पेमेंट करने के डिजिटल फॉर्मट का प्रस्ताव किया था।
CBCD की जरूरत क्यों है?
पूरी दुनिया में क्रिप्टो करेंसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का क्रेज बढ़ने के पीछे तीन मुख्य वजह हैं। केंद्रीय बैंक पेपर करेंसी की तुलना में आसान फॉर्मेट, मुद्रा का आसान इलेक्ट्रिक फॉर्म भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी जिसे लोकप्रिय बनाना संभव है, फिजिकल कैश के उपयोग और उसे लोकप्रिय बनाना आसान है और इसे जारी करना या इस पर रोक लगाना भी आसान है। सेंट्रल बैंक वास्तव में लोगों की डिजिटल करेंसी की जरूरत के लिए सीबीडीसी लाना चाहती है। देश में प्राइवेट वर्चुअल करेंसी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है और इस तरह के प्राइवेट करेंसी की वजह से होने वाले नुकसान को टालने के लिए सीबीडीसी की शुरुआत की जा रही है।
Cypto और CBDC में क्या फर्क होगा?
बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी डिजिटल इंक्रिप्टेड है, डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आम मुद्रा का ही डिजिटल वर्जन होगा जिसकी गारंटी सरकार देगी। क्रिप्टो करेंसी स्वतंत्र रूप से ऑपरेट करती है जबकि CBDC आम मुद्रा देश के सेंट्रल बैंक की मुद्रा है। सेंट्रल बैंक के डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए इंटरमीडियरीज की जरूरत होगी।