फंड का सेक्टर

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से म्युच्युअल फंड सेक्टर को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पिछले ही हफ्ते एक अभूतपूर्व कदम के तहत फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने स्वेच्छा से अपनी छह ऋण योजनाओं बंद करने का फैसला किया। ऐसा कोरोना वायरस महामारी के चलते यूनिट वापस लेने के दबाव और बॉन्ड बाजार में तरलता की कमी का हवाला देकर किया गया।
Best Mutual Fund Choose Criteria Hindi 2021
अगर हम म्युचुअल फंड कि बातकरें तो आज के समय में 2000 से भी ज्यादा म्युचुअल फंड मार्केट में उपलब्ध हैं. कहते हैं Best Mutual fund Kaise Chune Hindi 2021 और सही कैसे चुनें? और सबसे बेस्ट म्युचुअल फण्ड कौन सा हैं ?
अगर हम आम आदमी की बात करें तो यह काफी चर्चा का विषय हैं, और यह सवाल सबसे पहले हमारे दिमाग में आता हैं जब हम म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने कि सोचते हैं, जिसे शेअर मार्केट का गणित नहीं पता होता वह Mutual Fund कि और ही देखते हैं.
आज हम इसी के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करनेवाले हैं, अगर आप यह पुरा पढ़ लेते हैं तो आपको म्यूचुअल फंड कौन सा लेना योग्य होगा यह कभी भी ख्याल नहीं आयेगा.
म्युचूअल फंड क्या होता हैं?
यह एक सामुहिक निवेश होता हैं, म्युचूअल यानी आपसी और फंड यानी निवेश. अलग अलग निवेशकों द्वारा एक बड़ी राशी कि निवेश को एक व्यक्ती द्वारा अलग अलग या किसी एक सेक्टर पर निवेश किया जाता हैं जैसे शेयर मार्केट सेक्टर हो गया , असेट फंड हो गया ऐसे करके निवेश किया जाता हैं.
जिसे शेयर मार्केट का ज्ञान नहीं होता और जिसे बैंक से ज्यादा रिटर्न्स चाहिते होते हैं या तो शेयर मार्केट में निवेश करने कि ज्यादा रिस्क नहीं देनी होती वह ज्यादातर म्यूचुअल फंड को सही मानते हैं, लेकिन इससे पहले यह सवाल फंड का सेक्टर आता है कि 2000+ से भी म्यूचुअल फंड मार्केट में हैं हमे किसमे निवेश करना योग्य होगा तो इसी की विस्तार से हम चर्चा करेंगे चलिये देखते हैं.
सही म्युचूअल चुनने के फंड का सेक्टर लिये इन 7 बातों पर जरुर ध्यान दे
1. फंड मैनेजर का ट्रैक रेकॉर्ड पर ध्यान दें ( Fund Manager Track Record)
जब हम कोई म्युचुअल फंड को चुनने कि बात फंड का सेक्टर करते हैं तब सबसे पहले हमें जो भी फंड को कोई मैनजर चलाता है तो उसका Track Record को देखना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि फंड में क्या बदलाव करने हैं फंड में से कब किस सेक्टर अथवा शेअर कंपनी को निकालना है या उसमें ऐंड करना है यह सब पुरी तरह फंड मैनेजर के साथ में ही होता है, इसलिये इबसे पहले इसे पुरी तरह जांच ले.
2. डियवरसिफिकेशन से रिस्क कम होता हैं (Diversification Risk Minimise)
इसका मतलब जो भी फंड होता है वह किस अलग-अलग सेक्टर में इसको Include किया गया हैं? मतलब बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर, रियालीटी प्रोपर्टी सेक्टर ऐसे कितने अलग अलग सैक्टर में फंड फंड का सेक्टर द्वारा निवेश किया गया हैं, क्योंकी अगर एक हि सेक्टर पर सारा फंड डिपेंड होता है तो किसी न्युज के कारण या मंदी के कारण इसमें अचानक गिरावट आती है तो आपका निवेश में आपको बहुत छोटा सहन करना पड़ेगा इसलिए अगर एक से अधिक सेक्टर हो तो अगर एक किसी कारण वश नीचे भी जाता है तो बाकी सेक्टर उसे बैलैंन्स कर देंगे और आपको ओवरऑल प्रोफिट हि होगा.
जनसंख्या का बढ़ना
वर्तमान में, भारत खाद्यान्न और कपड़ों के मामले में आत्म-निर्भर देश है, लेकिन जब आवास की बात की जाती है, यह दुनिया से पीछे है। शहरीकरण में बढ़ोतरी, जिसमें हाल के दशकों में तेजी देखी गई है, इसमें अगले दशक में तेजी आने की संभावना है। इसके मायने हैं कि भारत के शहरी केन्द्र में, हाउसिंग मांग में बढ़ोतरी होगी। यह अनुमान है कि देश की जनसंख्या 2050 तक बढ़कर 1.7 बिलियन हो जाएगी। एकल परिवारों की बढ़ती संख्या से घरों की मांग अधिक होगी।
निवेश पर जब विचार किया जाता है तो हाउसिंग एक बड़ा थीम साबित होता है। किसी खास थीम पर फंड का सेक्टर आधारित (थीमैटिक) फंड्स आपके पोर्टफोलियो का ज़रूरी हिस्सा होते हैं जो आपके दीर्घकालिक मुख्य निवेश के लिए पेरिफेरल्स के रूप में होते हैं, जो कि डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स होने चाहिए। ये आपके पोर्टफोलियो में वैल्यू जोड़ते हैं, लेकिन इनका परफार्मेंस साइक्लिकल होता है।
तीव्र शहरीकरण
वर्तमान में, शहरी केन्द्र देश की कुल जनसंख्या (आबादी) का लगभग 35% है। यह विश्व के 54% के औसत से बहुत कम है। अन्य समान विकासशील अर्थव्यवस्थाओं जैसे ब्राज़ील, चीन और इंडोनिशिया की तुलना में, भारत को उनके बराबरी तक आने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी है। उदाहरण के लिए, इन तीन समकक्ष देशों में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत क्रमश: 87%, 61% और 57% है। पिछले दशक के ऐतिहासिक रूझान यह दर्शाते हैं कि भारत की शहरी जनसंख्या का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली जनसंख्या वृद्धि की तुलना में 3.4 गुणा है। कृषि क्षेत्र में कम पारिश्रमिक, विस्तृत इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ शहरी क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अगले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में पांच गुणा से अधिक विकास होने की संभावना है। इससे 2025 तक
वर्तमान की 400 मिलियन की तुलना में शहरी जनसंख्या 525 मिलियन होने की संभावना है। इसके अलावा, अगले दस वर्षों के दौरान लगभग 600 मिलियन लोगों के शहरों फंड का सेक्टर में रहने की उम्मीद है। भारत के शीर्ष 7 शहरों में हाउसिंग बिक्री को देखने से पता लगता है कि इसमें 113% की विशाल वृद्धि हुई है- जो कि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हाउसिंग साइकल संभवत: शुरू हो चुका है।
ब्याज की निम्न दरें और होम लोन के लिए आसान एक्सेस
यहां यह नोट करना रुचिकर है कि भारत का इसके नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मॉर्गेज लोन सेग्मेंट के तौर पर केवल 10% की कम पैठ (पेनेट्रेशन) है। वैश्विक रूप से यह 30-90% जितना उच्च है। इतने बड़े गैप से भविष्य में विकास की संभावना नज़र आती है। होम लोन के लिए आसान एक्सेस के साथ-साथ 6.5% की ऐतिहासिक निम्न ब्याज दरें संभावित तौर पर मॉर्गेज लोन के लिए महत्वपूर्ण ड्राइविंग फोर्स साबित होने की संभावना है, जो हाउसिंग के लिए लाभदायक साबित होगी।
सरकार की प्रधान मंत्री अवास योजना के भाग के तौर पर निम्न- लागत अफॉर्डेबल हाउसिंग सेक्टर पर फोकस के कारण निवेश के नज़रिए से हाउसिंग सेगमेंट संभावित रूप से उच्च विकास सेक्टर बन जाता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत 2022-23 के दौरान 48,000/- करोड़ रूपये आवंटित किये हैं, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के 27,500/- करोड़ रूपये की तुलना में 75% बढ़ोतरी है। दूसरी तरफ पिछले वर्ष के 5.5 लाख करोड़ रूपये की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए 7.5 लाख करोड़ रूपये के आंवटन से हाउसिंग सेक्टर में विकास होना तय नज़र आता है।
अनुकूल डेमोग्राफी
भारत में 2050 तक आश्रित जनसंख्या की तुलना में कमाई करने वाली जनसंख्या का उच्चतर अनुपात देखने को मिलने की संभावना है। यह हाउसिंग सेक्टर में मजबूत डेमोग्राफिक डिविडेंट फीलिंग वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, अनिवार्य रूप से इसका अर्थ है कि घरेलू आय में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे हाउसिंग सेक्टर में और अधिक विकास होगा।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, हाउसिंग थीम के उदीयमान होने के प्रारम्भिक संकेत नज़र आ रहे हैं। लेकिन, हाउसिंग थीम पर आधारित म्यूचुअल फंड स्कीमें हर निवेशक के लिए उपयुक्त प्रोडक्ट नहीं हो सकती हैं। कम जोखिम उठाने वाली निवेशकों को ऐसे फंड्स में निवेश से बचना चाहिए। क्योंकि हर निवेश का झुकाव थीम-आधारित स्टॉक में हो सकता है, यह सही मायनों में डायवर्सिफाइड स्कीम नहीं भी हो सकती है। यह अभी भी एक ब्रॉडर (व्यापक) थीम है जिसमें अनेक संबंधित सेक्टर्स शामिल होंगे जो डायवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो का महत्वपूर्ण हिस्सा होते है।
फंड का सेक्टर
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कोरोना लॉकडाउन के बीच RBI का म्यूचुअल फंड फंड का सेक्टर फंड का सेक्टर सेक्टर के लिए बड़ा ऐलान, पी. चिदंबरम ने किया फैसले का स्वागत
Highlights RBI ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को 50,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी सुविधा देने की घोषणा की पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी ट्वीट कर फैसला का किया स्वागत
कोरोना महामारी और इस बीच देश में पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा ऐलान किया है। आरबीआई ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को 50,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी सुविधा देने की घोषणा की है। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी ट्वीट कर आरबीआई के इस फैसला का स्वागत किया है।
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जानें- कम से कम कितना करना होगा निवेश?
ITI Pharma and Healthcare Fund में कम से कम 5, 000 रुपये निवेश करना जरूरी है. उसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में कितना भी निवेश किया जा सकता है.
फार्मा सेक्टर में नई ऊर्जा
NFO पर ITI Mutual Fund के सीईओ और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर फंड का सेक्टर जॉर्ज हेबर जोसेफ का कहना है कि कोविड -19 महामारी ने भारतीय फार्मा सेक्टर को एक नई एनर्जी दी है. ITI Pharma and Healthcare Fund रिसर्च बैक्ड इन्वेस्टमेंट प्रक्रिया के जरिए निवेशकों को एक अनूठा निवेश अनुभव दे सकता है. उनका कहना है कि फंड हाउस SQL के इन्वेस्टमेंट फिलोसॉफी का पालन करता है, जिसका मतलब है कि मार्जिन की सुरक्षा, कारोबार की गुणवत्ता और कम खर्च अपने निवेशकों को बेहतर निवेश अनुभव प्रदान करना.
एयूएम 2000 करोड़ रुपये के पार