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घोटाले के दलालों से बचना

घोटाले के दलालों से बचना
साथ ही आपने बहुत से अस्पताल कोविड 19 डिक्लेयर कर दिए हैं जो जरनल मरीज थे वो कंहा जंाए। उनके लिए सरकार को पहले प्रबन्ध करने चाहिए थे। यह सरकार की मिस मेनेजमेन्ट का बहुत बडा उदाहरण है। साथ ही इनके बहुत से मन्त्री कई माह तक अपने कार्यालय तक में नही आए। अपनी कोई फाईल नही देखी। यह लोग आम जनता का क्या भला करेगें। हम नेता प्रतिपक्ष चैधरी भूपेन्द्र सिंह हुडा के नेतृत्व में इन मुददांे को मानसून सत्र के दौरान पूरे आक्रामक ढंग से उठाने वाले थे। मगर कॅरोना की आड़ में हुए घोटालों से बचने के लिए सरकार ने सत्र ही एक दिन का किया ।

आज भी अपने बयानों पर कायम हैं केसीसी घोटाला के मुख्य चश्मदीद बैंक कर्मी

Bank of India KCC scam

छतरपुर। करोड़ों रुपए के बैंक ऑफ इंडिया घोटाला में लिप्त मुख्य आरोपियों को बचाने के लिए भले ही पुलिस ने अपनी जांचों को बार-बार बदला हो, लेकिन इस पूरे घोटाले के मुख्य चश्मदीद बैंक कर्मी अब भी अपने बयानों पर कायम है। बैंक घोटाले का खुलासा होने के घोटाले के दलालों से बचना बाद जो पहली फाइनल जांच हुई थी, उसमें अमित पटैरिया और मंजूलाल तिवारी घोटाले के दलालों से बचना को दो केसों में आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने घोटाला के तुरंत बाद ही जांच में बैंक के भृत्य शनि कुमार नागर और अरविंद चौहान ने 161 में बयान दर्ज किए थे। यही दो चश्मदीद थे जिन्होंने बैंक में अमित पटैरिया और मंजूलाल तिवारी को किसानों के फर्जी लोन खाते खुलवाते देखा। घोटाले के दलालों से बचना इन्हीं चश्मदीद गवाहों के बयानों के कारण ही अमित और मंजूलाल की रिट हाईकोर्ट से खारिज हुई हैं। वहीं मंजूलाल की अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हुई है। पुलिस ने भले ही आरोपियों को लाभ देने के लिए अपनी जांचें बार-बार बदली हों, लेकिन धारा 161 के जो बयान तत्कालीन टीआइ डीडी आजाद के समय में एसआइ केएन अरजरिया ने दर्ज किए थे, वही बयान इन आरोपियों के केस से बच निकलने में रोड़ा बन गए। पुलिस ने भले ही फाइनल चालान से दो मुख्य आरोपियों के नाम अलग कर दिए हैं, लेकिन छतरपुर की अदालतों में इन आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करने और गिरफ्तारी के घोटाले के दलालों से बचना लिए इश्तगासा में लगे हैं। बैंक कर्मी शनि नागर और अरविंद चौहान अब भी अपने बयानों पर कायम है। उन्होंने बैंक मैनेजर धुर्वे, रमन रिछारिया, मंजूलाल तिवारी सहित सभी दलालों के गठजोड़ को रजिस्टर्ड बयान में उजागर किया था। यही बयान कोर्ट में ठोस आधार बनकर आरोपियों के खिलाफ खड़े हैं।

हरियाणा में वीवीआईपी घोटाला, अफसरों की आईडी से किए गाड़ियों के नंबर अलॉट

पानीपत । हरियाणा के पानीपत जिले से घोटाले का एक अजीबो-गरीब मामला देखने को मिला है. यहां जालसाजों ने पानीपत और समालखा के एसडीएम की यूजर आईडी के इस्तेमाल के जरिए वीवीआईपी नंबर जारी कर दिए. ये नंबर गाड़ियों को अलॉट किए गए हैं. आमतौर पर वीवीआईपी नंबर लेने के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है लेकिन भुगतान से बचने के लिए दलालों ने मिलीभगत करके अफसरों के कम्प्यूटर की यूजर आईडी का प्रयोग कर नंबर अलॉट करवा लिएं.

ghotala

नंबर 0003,0005,0006,0009 है. एसपी शशांक सावन की निगरानी में जब मामले की जांच की गई तो घोटाले का पर्दाफाश हुआ. हालांकि अभी तक उन सरकारी कर्मचारियों के नाम सामने नहीं आएं हैं जो इस मिलीभगत में शामिल हैं. जाहिर है जांच को आगे बढ़ाया गया तो कर्मचारी सस्पेंड हो सकतें हैं.

धोखाधड़ी का केस दर्ज

थाना शहर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है. जो कर्मचारी इस घोटाले में शामिल पाया जाता है ,उसका नाम इस मामले में जोड़ा जाएगा. इस पूरे प्रकरण के बाद पानीपत और समालखा एसडीएम के कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या दलाल इतने एक्टिवेट हो गए हैं कि एसडीएम की यूजर आईडी तक इस्तेमाल करने लगे हैं.

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एनआईसी ने की जांच

एनआईसी की जांच में सामने आया है कि एक यूजर आईडी पानीपत एसडीएम और दूसरी समालखा एसडीएम के नाम है. जाहिर सी बात है इतने बड़े स्तर पर घोटाले को अंजाम बिना सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के नहीं दिया जा सकता है.

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कोरोना की आड़ में हुए घोटालों से बचने के लिए सरकार ने सत्र ही एक दिन का किया: गीता भुक्कल

चंडीगढ़ (धरणी) : मानसून सत्र के एक दिन के सत्र में सत्ता पक्ष बिलों को पास करवाने की बहुत जल्दबाजी में नजर आया। एक तरफ कोरोना के समय हुए एक दिन के सत्र के लिए सभी विधायकों के कोरोना टेस्ट करवाए गए जबकि छात्रों की परीक्षा जैसे कदम बिना बच्चों के कोरोना टेस्ट करवाए अनुचित है।

प्रश्न : एक दिन के मानसून सत्र पर क्या कहेंगी ?
उतर :
सरकार घोटालों की जांच की बजस्य रफा दफा करने पर लगी है।हम चाहते थे कि यह सत्र लम्बा चले।लेकिन सत्ता पक्ष ने केवल एक दिन में इसे खत्म कर दिया। इस सरकार ने कोरोना काल की आड घोटाले के दलालों से बचना में बहुत घोटाले, घपले किए हैं। जिसकी जांच के लिए हमने उपायुक्तों के माध्यम से राज्यपाल के पास ज्ञापन पहुंचाए हैं। ताकि जांच हो सके। बहुत से किसानों के मुद्दे हैं। मजदूरों के मुद्दे हैं। आज किसान लामबन्द हो गए हैं। यह सरकार किसानों को देश द्रोही बता रही है। हम किसान के साथ खडे हैं। बेरोजगारी बडा मुद्दा है। स्पोर्टस कोटे के तहत गु्रप डी में भर्ती युवाओं की यह सरकार छटनी करना चाह रही है। कोरोना काल के बाद क्राईम रेट बढ गया है। बेरोजगारी पूरे देश में सबसे उंचे स्तर पर है। 1983 पी.टी.आई. टीचर्स को अगर सरकार चाहे तो अपने सवैंधानिक ताकतों का इस्तेमाल करके भर्ती कर सकती है। लेकिन सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते ऐसा नही कर रही। नई शिक्षा नीति की बात करते हैं। आए दिन स्कूल बन्द करने की बात करते हैं। इनके शिक्षा मन्त्री कहते घोटाले के दलालों से बचना हैं। कि जे.बी.टी. अध्यापकों की भर्ती नही करेगें। जिन लोगों ने एच.टैट पास करने में अपने कई साल गंवा दिए। उनके साथ सरकार बहुत बडा धोखा कर रही है।

उषा की पटकथा व लालकेश्वर की कलम

बोर्ड टॉपर घोटाले में जांच तेजी से चल रही है. रिपोर्ट से जो छन कर बात आ रही है, उसमें पूरी साजिश में मास्टर माइंड बच्चा समेत उषा व लालकेश्वर का हाथ है.

पटना : बिहार बोर्ड में घोटाले की साजिश और रणनीति उषा सिन्हा ही तैयार करती थी. कैसे हेरफेर करना है, इसकी पटकथा भी वहीं लिखती थी. अब तक बोर्ड में चार प्रकार के घोटाले की बात सामने आ घोटाले के दलालों से बचना चुकी है, अलग-अलग काम के अलग-अलग दलाल थे और सबका कनेक्शन उषा सिन्हा से था. घर पर आना-जाना, फोन से बातचीत, पैसों की डील सब उषा ही करती थी. उषा के पति व बोर्ड चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह की सीधे तौर पर किसी से ज्यादा बातचीत नहीं थी, बस वह उषा के इशारे पर खामोशी से कलम चला देते थे.

लेकिन, बड़े पैमाने पर चल रहे इस खेल का जब खुलासा हुआ, तो आरोपितों की जुबान भले ही पुलिस के सामने बंद थी, पर बरामद किये गये घोटाले के साक्ष्य चीख-चीख कर करतूतों की हकीकत बयां करनेलगे. एसआइटी ने डायरी में आरोपों को बारीकी से लिखा है व साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट को हथियार बनाया है.

लर्निंग लाइसेंस घोटाले में RTO अफसर सस्पेंड

नागपुर: आरटीओ कार्यालय में दलालों के साथ मिलीभगत कर घोटाले के दलालों से बचना लर्निंग लाइसेंस का घोटाला करने वाले आरोपी सहायक मोटर वाहन निरीक्षक मंगेश रमेश राठौड़ को अंतत: राज्य परिवहन आयुक्त विशाल चन्ने ने सस्पेंड करते हुए इन्क्वायरी बैठाई. राठौड़ ने लर्निंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में दलालों की सहायता से करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार किया है. अफसर के निलम्बन से विभाग में खलबली मच गई है. अन्य 3 से 4 घोटालेबाज अधिकारियों पर भी निलम्बन की तलवार लटकी हुई है. जानकारी मिली है कि आफिसर विजय चौहान को राठौड़ की जांच सौंपी गई है लेकिन चौहान घोटाला करने वाले अधिकारी के सगे रिश्तेदार बताये जाते हैं. अब इसमें जांच किस दिशा में जायेगी यह तो समय ही बतायेगा.

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