सर्वोत्तम उदाहरण और सुझाव

सही ब्रोकर कैसे चुनें?

सही ब्रोकर कैसे चुनें?

NoBroker प्रो टिप्स – कैसे पाएँ जल्दी से एक किरायदार या ख़रीददार?

जब कोई किरायदार आपको छोड़ जाये या आप तय करें कि आपको अपना घर बेचना है या किराए पर लगाना है, तो मालिक होने के नाते आप ये काम जल्दी कैसे कर सकते हैं? लोग कहते हैं कि ख़रीददार या किरायदार ढूंढने में आपको महीनों क्या सालों तक का समय लग जाता है , लेकिन NoBroker पर, हमने एक घंटे के अंदर भी घर बिकते देखे हैं।

Things we covered for you

हम आपके साथ वो जादुई फार्मूला शेयर करने जा रहे हैं जिससे ये मालिक इतनी जल्दी इनकी प्रॉपर्टी में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को ढूंढ लेते हैं। इसके लिए नीचे कुछ ज़रूरी बातें बताई गईं हैं –

NoBroker के स्टैट्स बताते हैं कि जिस घर या कमर्शियल प्रॉपर्टी के साथ फोटो लगी होती है, उस पर लोगों का ज़्यादा ध्यान जाता है। इन प्रॉपर्टी के लिए औरों के मुकाबले 5 गुना जल्दी बात होती है और लोग जल्दी इसे किराए पर ले लेते हैं। जब चुनने के लिए बहुत सारे विकल्प हों तो एक अच्छी फोटो आपको औरों से अलग करती है और लोगों का ध्यान जल्दी आकर्षित करती है। अपनी प्रॉपटी पर अच्छी फोटो कैसे लगानी है यह जानने के लिए आप ये आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

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अपनी प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी बता कर आप लोगों की जल्द से जल्द सही फैसला लेने में मदद करते हैं। ज़्यादातर लोगों को पता होता है कि वो क्या ढूंढ रहे हैं , और अगर आप अपनी प्रॉपर्टी की सारी जानकारी और सुविधाएँ बता देते हैं तो उन्हें कुछ सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। कुछ जरूरी चीज़ें ज़रूर बताएं जैसे कि –

  • पार्किंग की सुविधा
  • घर की दिशा ( जैसे की पूर्व की ओर का घर )
  • 24/7 बिजली
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा
  • सेंट्रलाइज़्ड एसी, हीटिंग और भी बहुत कुछ

बहुत बार मालिक अपने घर की कीमत उसकी मार्केट वैल्यू से भी ज़्यादा लगा देते हैं। ये होना स्वाभाविक है क्योंकि मालिक होने के नाते आपका अपनी प्रॉपर्टी से एक खास रिश्ता है और इसलिए आप अपनी प्रॉपर्टी की तरफदारी करते हैं। लेकिन ख़रीददार को ज़्यादा कीमत वाले विकल्प नहीं, सही कीमत वाले विकल्प चाहिए होते हैं। यहाँ काम आता है NoBroker का रेंट-ओ-मीटर, रेंट-ओ-मीटर आपके जैसी बाकी प्रॉपर्टी की कीमत देख कर आपको बताता है कि आपकी प्रॉपर्टी की कीमत सही है या नहीं। इसकी मदद से आप अपनी प्रॉपर्टी की सही कीमत लगा सकते हैं जिससे ज़्यादा लोग आपकी प्रॉपर्टी में दिलचस्पी दिखाएं।

4-अपनी प्रॉपर्टी को मेन्टेन रखें

जब कोई किरायदार या ख़रीददार आपके घर आता है तो वो देखता है कि आपकी बताई हुई जानकारी सही है या नहीं और आपकी प्रॉपर्टी सही हालत में है कि नहीं। कोई भी टूटी-फूटी और ख़राब हालत की प्रॉपर्टी ना ही ख़रीदना चाहेगा और ना ही किराए पर लेना चाहेगा। बस कुछ ज़रूरी चीज़ें या सिर्फ एक अच्छी सफाई/पुताई भी आपकी प्रॉपर्टी को और ज़्यादा आकर्षक बना सकती है। आप NoBroker की सर्विसेज़ पर यहाँ नजर डाल सकते हैं, ये आसान सी चीज़ें भी आपकी प्रॉपर्टी को नया रूप दे सकती हैं और आप आसानी से सौदा कर सकते हैं।
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5-अपनी प्रॉपर्टी को बेचने/किराए पर लगाने का सही तरीका चुनें

ख़रीददार या किरायदार पाने के बहुत तरीके हैं, आप लोगों को बता सकते हैं, अख़बार में एड डाल सकते हैं, पर्चे फैला सकते हैं, साइन टाँग सकते हैं या ऑनलाइन पोर्टल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आप NoBroker जैसे विकल्प को चुनते हैं तो आपके एड लगाने के ख़र्चा जीरो होता है और साथ ही साथ आप मिनटों में बहुत सारे ग्राहकों से जुड़ जाते हैं। आपके प्रॉपर्टी को बहुत सारे लोग देख पाते हैं और क्योंकि कोई ब्रोकरेज नहीं है तो इस वेबसाइट पर आपकी प्रॉपर्टी बिकने की सम्भावना बहुत ज़्यादा होती है। इससे आप और तरीकों के मुकाबले तेज़ी से अपनी प्रॉपर्टी बेच/किराए पर लगा पाएंगे।

Money Guru: Direct Vs Regular प्लान; सोच-समझकर सही स्कीम चुनें तभी मिलेगा अच्‍छा रिटर्न

म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश की जब भी बात आती है तो अक्सर दो प्लान के बारे में पता चलता है. डायरेक्ट (Direct) और रेगुलर (Regular) प्लान. अक्सर नये निवेशकों को इन प्लान की ज्यादा समझ नहीं होती और कई बार गलत चुनाव कर लेते हैं. Money Guru पर समझिए डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के बीच फर्क मनीफ्रंट के CEO, मोहित गांग से.

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.

क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी सही ब्रोकर कैसे चुनें? रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.

1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.

2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.

3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.

4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.

5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.

डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग

अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.

डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर ​बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

Choose Best Mutual Funds in Hindi

सही इन्वेस्टमेंट करना जितना आसान दिखता है उतना होता नहीं इसलिये आज हम आपको How to Choose Best Mutual Funds in Hindi विषय पर कुछ महत्त्वपूर्ण बातें बतायेंगे जो कि आपको एक सही Mutual Fund Selection के लिये महत्त्वपूर्ण हो सकती हैं।

म्यूचुअल फंड और Mutual Fund SIP के बारे में समझने के लिये आप हमारा म्युचुअल क्या होता है और यह कैसे काम करता है और म्युचूअल फंड में एसआयपी कैसे करते हैं? यह आर्टिकल भी पढ़ कर जान सकते हैं।

इन्वेस्टमेंट ऐसी होनी चाहिये जो Bank Fixed Deposit जितनी कम भी ना हो और Stock Market जैसी High Risk भी ना हो इसलिये आज हम आपको सही म्युचूअल फंड कैसे चुनें इसी के बारे 10 महत्त्वपूर्ण चींजे बचायेंगे, तो चलिये जानते हैं।

सही म्युचूअल फंड चुनने कि विधी (Section Createria for Choosing Best Mutual Fund)

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आप म्युचुअल फंड का चुनाव करने जा रहे हैं तो आप नीचे दिये गई चीजों पर रिसर्च जरुर करे फिर हि आप एक अच्छे Fund Selection कर सकते हैं।

How to Choose Best Mutual Funds in Hindi

Choosing Best Mutual Funds 7 Createria in Hindi

1. म्युचूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने कि अवधी:

अगर आप म्युचुअल फंड में निवेश करने की सोचते हैं तो आपको यह पहले से यह तय करना होगा की कितने समय के लिये आपको इन्वेस्टमेंट करने जा रहे राशी कि जरुरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि अगर आप कम समय में ज्यादा रिटर्न चाहते यह कम रिटर्न्स आये पर आप कम रिस्क में Investment Plan सही होगा ऐसा आप सोचते हो तो दोनों में आपको अलग अलग Createria फोलो करना पड़ेगा। इसलिये म्युचुअल फंड अवधी चुनना महत्त्वपूर्ण बन जाता हैं।

अगर आप कम समय के लिये निवेश करना चाहते हैं तो आपको Liquidity,dept जैसे फंड के साथ जाना होगा और लंबे अवधी के लिये राशी रखनी है तो आप Equity Fund के साथ जाना उचित रहता हैं।

2. फंड मैनेजर का पिछला रिकॉर्ड:

अगर आपको एक फंड को चुनना है तो फंड मैनेजर कि भुमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है इसलिये उनका पिछला रिकॉर्ड और भुतकाल में अनके द्वारा चलाते गयें फंड ने कैसे Performance दिये गये हैं यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण बन जाता हैं।

हमने बहुत बार देखा है कि किसी फंड ने पिछले कुछ वर्ष बहुत अच्छा पर्फार्मेंस दिया है और कुछ कारणों से उस फंड का मैनेजर को बदल देने के बाद उसके रिटर्न्स के काफी बदलाव हुआ है।

जब किसी फंड मैनेजर को एक फंड के लिये मैनेजर नियुक्त किया जाता है तो वह अपने हिसाब से फंड सेक्टर्स में बदलाव करता है इसलिये फंड मैनेजर पर हि ज्यादातर उस फंड का चलना या ना चलना अवलंबुन होता हैं।

3. फंड का आयु देखना:

अगर हम किसी फंड का चुनाव करते हैं तो नये किसी फंड का पिछला 2-3 साल का रिकॉर्ड देखकर हम उससे प्रभावित होते हैं लेकिन अगर कोई फंड कोई नया है यानी उसका 2 या 3 साल का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है तो हम उसका विश्लेषण नहीं कर सकतें और ऐसे जाके हम अटक सकते हैं या हमारा इन्वेस्टमेंट किया हुआ पैसा फंस सकता हैं।

अगर किसी फंड बहुत पुराना है तो हम उसके 5-5 साल या 3-3 साल का रिकॉर्ड का विश्लेषण करके फंड का सही चुनाव कर सकते हैं इसलिये फंड कि आयु भी बहुत ही Important Factor में से एक हैं।

4. फंड पोर्टफोलियो को देखना भी है जरुरी:

किसी फंड का चुनाव हम करने जाते हैं तो आपको उस फंडने या Fund Manager ने किस किस क्षेत्र में कितने कितने प्रतिशत Fund Investments कि सही ब्रोकर कैसे चुनें? है यह देखना बहुत ही Important हैं।

अगर किसी क्षेत्र में या किसी Stocks में किसी कारण मंदी आती है या उसकी ग्रोथ कम होनेवाली है और ऐसे ही किसी में फंड मैनेजर ने इसका चुनाव किया हो तो आपको उसका नुकसान हो सकता हैं ऐसा काफी बार High Risk Mutual Funds होते हैं उनमें देखा गया हैं।

5. दुसरे फंड से तुलना करना भी है इम्पोर्टेंट:

अगर किसी फंड को सही से जानना है तो उसी के सही ब्रोकर कैसे चुनें? जैसे या उसके जैसे या उसी जैसे पोर्टफोलियो से मेलखाते फंड्स ने कितने Returns दिये हैं यह देखना बहुत मायने रखता हैं क्योंकि अगर हम किसी चींज को सही या ग़लत ठहराते हैं तो उसका एक हि तरिका होता है कि हम उसकी तुलना उसिके Compitator से करें तो हम उसे एक सही ब्रोकर कैसे चुनें? Bench Mark से तुलना से उसका अंदाज़ा लगा सकते हैं।

6. रिस्क और रिटर्न्स का तालमेल है ज़रुरी:

आज के समय में देखें तो 2000 से भी ज्यादा फंड्स मार्केट में उपलब्ध हैं इसमें हाय रिस्क, कम रिस्क, हाय रिटर्न्स, बैलेंस फंड ऐसे बहुत-सारे प्रकार के फंड मौजुद है इसलिये हमें अपने रिस्क अनुसार और आपको कितने रिटर्न्स का कितने दिनों में Expected हैं यह भी देखना इसका तालमेल रखना जरुरी है।

अगर आपको कम अवधी में ज्यादा रिटर्न्स चाहिये तो आप हाय रिस्क ज्यादा रिटर्नवाले फंड का चुनाव कर सकते हैं या तो आपको कम रिटर्न्स चाहिये तो आप उस तरह के फंड का चुनाव कर सकते हैं यह पुरी तरह हमारे ऊपर डिपेंड कि हमारी Risk Capacity और Return Expection कितने हैं।

7. फंड साईज को देखना है महत्त्वपूर्ण:

अब आप कहेंगे इसका फंड के रिटर्न्स से क्या संबंध तो ऐसा नहीं है आपको इससे इस फंड में कितने लोग इंटरेस्टेड है या यह कितना लोकप्रिय फंड है यह पता चलता हैं। फंड साईज का सीधा संबंध होता है उस Mutual Fund Market Cap और उसके पास होने वाले Total Fund Assets Value सें जो कि फंड के बारे में बहुत कुछ बताता हैं।

अगर किसी फंड की AUM ( Assets under management) 900 से 1000 करोंड़ है और की साल बाद भी वो बढी नहीं हैं तो यह फंड के प्रदर्शन पर प्रश्न खडे़ कर देगा इसका सीधा सीधा मतलब हैं कि लोगो को इस फंड्स में ज्यादा रुची नहीं है या इसकी भविष्य में ग्रोथ नहीं दिखाई दे रहीं।

8. फंड के इंट्री या एक्सिट लोड को जानें:

बहुत सारे फंड आपको ऐसे मिलेंगे जो कि आपको रिटर्न्स तो अच्छे दिखायेंगे लेकिन अगर आप उनके इंट्रि लोड या समय से पहले अगर फंड से सही ब्रोकर कैसे चुनें? पैसे सही ब्रोकर कैसे चुनें? निकलना चाहो तो उसका एक्सिट लोड बहुत ज्यादा चार्ज करेंगी इससे आपका मुनाफा कम हो जायेगा इसलिये यह देखना काफी Important हैं।

अगर आप इसे जानना चाहते हैं आप बहुत सारी वेबसाईट द्वारा समान फंड कि तुलना से आप इसका पता लगा सकते हैं कि फंड का इंट्री अथवा एक्सिट लोड कम है या ज्यादा।

ऐसे ही फंड का चुनाव करना बेहतर होगा कि जिसका Entry अथवा Exit Load कम या शुन्य हो। बहुतसी फंडों में आपको एक समय या अवधी के बाद कोई एक्सिट लोड नहीं चार्ज करती अगर ऐसा है तो आप अपनी निर्धारित समय सीमा को ध्यान में रखकर इससे बच सकते हैं।

9. ब्रोकर या बैंक कहा शुरु करना होगा बेहतर:

अगर आप म्युचुअल फंड चुनाव करते हैं या शूरु करने की ठाण लेते हो और यह अगर आप किसी बैक या ब्रोकर के द्वारा करते हैं तो आपका थोड़ासा कमिशन उनको देना पड़ेगा इसलिए अगर आपको इंटरनेट कि थोड़ी बहुत भी नाॅलेज है तो आप खुद से ही बहुत सारे ट्रस्टेड प्लॅटफाॅर्म है जैसे पेटींएम, कुवेरा, ग्रो, जेरोधा प्लॅटफाॅर्म और भी कई हैं इसमे से किसी एक से पर्चेज कर सकते हैं।

आपने क्या सीखा:

हमने आज How to Choose Best Mutual Funds in Hindi इस आर्टिकल में देखा कि म्युचुअल फंड चुनने के 9 तरिके कौन कौन से हैं। जिसे बैंक में सेविंग रिटर्न्स से ज्यादा चाहिये और जो शेअर मार्केट का गणित नहीं समझ सकता या उसे स्टाॅक मार्केट की समझ नहीं है वह म्यूचुअल फंड में बैंक से ज्यादा और थोडा कम रिस्क लेके कैसे सही म्युचूअल फंड का चुनाव कर सकते हैं यह देखा।

आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो अपने मित्रो से जरुर शेअर करे और सिर में अगर कोई सवाल और सुझाव हो तो हमें जरुर लिखें।

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