विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है

विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है
व्यापार पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव बहुमुखी है, उद्यम तकनीकी प्रगति कंपनी के उत्पादों या सेवाओं की मांग में परिवर्तन करने के लिए समाज के सक्षम हो जाएगा, और इस तरह एक अनुकूल व्यापार विकास के अवसर प्रदान करने के लिए, हालांकि, कारोबार की रणनीति के डिजाइन के लिए एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है : एक नई तकनीक या आवेदन के आविष्कार से भी अच्छी तरह से "नष्ट कर दिया." मतलब हो सकता है एक नई प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों का आविष्कार दूसरों की हानि के लिए, नए उद्योगों की संख्या में वृद्धि करने के लिए नेतृत्व या भी कापियर उद्योग उद्योग कार्बन लुप्त होती बनने के लिए अनुमति देने के लिए विकसित किया गया है, जिससे इस तरह के इलेक्ट्रोस्टैटिक मुद्रण के विकास के रूप में उद्योगों को नष्ट कर देगा के बाद से, अर्धचालक आविष्कार और लोकप्रियता में नाटकीय रूप से audiovisual उद्योग प्रतिस्पर्धी परिदृश्य बदल गया है. अधिक प्रौद्योगिकी अग्रिम ऐसे पर्यावरणीय विश्लेषण के रूप में उद्योग में तेजी से प्रौद्योगिकीय परिवर्तन और अधिक महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए. वर्तमान में, एक देश की आर्थिक विकास दर, ज्यादा में प्रमुख प्रौद्योगिकीय आविष्कार प्रासंगिक संख्या और सीमा का उपयोग करता है, एक उद्यम के मुनाफे में भी डिग्री से संबंधित अनुसंधान और विकास खर्च में निवेश के साथ जुड़ा हुआ है. विशेष रूप से सभी कंपनियों को खुद या उद्योग में उद्यमों के तेजी से तकनीकी उन्नयन में संबंधित प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्यमों, हम आज की तकनीकी प्रगति को काफी महत्व देते हैं चाहिए और इस प्रगति समय पर व्यापार रणनीति लेने के क्रम में क्या प्रभाव व्यापार होगा लगातार तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने, और एक प्रतियोगी लाभ को बनाए रखने के लिए.
सामाजिक पर्यावरण प्रौद्योगिकी के पेटेंट के अधिग्रहण के साथ ही पायलट आविष्कारों के विभिन्न पहलुओं सहित, समस्या को हल करने के तरीकों की एक किस्म के साथ उद्यमों प्रदान कर सकते हैं.
कई तकनीकी पर्यावरण संकेतक का आकलन करने में: पूरे देश के कुल अनुसंधान और विकास फंड, कॉर्पोरेट अनुसंधान और विकास खर्च जहां उद्योग का दर्जा, तकनीकी विकास शक्ति ध्यान केंद्रित, बौद्धिक संपदा और पेटेंट संरक्षण, नए उत्पाद विकास की स्थिति, बाजार शिफ्ट करने के लिए प्रयोगशाला तकनीक नवीनतम रुझानों, सूचना और स्वचालन प्रौद्योगिकी के विकास की संभावनाओं की उत्पादकता वृद्धि, आदि ला सकते हैं, विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक तत्व के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
ग्रामीण सड़कों में 'नवीन तकनीकें एवम् नवाचार' पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का तीसरा दिन
ग्रामीण सड़कों में 'नवीन तकनीकें एवम् नवाचार' पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का तीसरा दिन
आज "ग्रामीण सड़कों में नवीन तकनीकें एवम् नवाचार" पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन का आयोजन किया गया। यहां पूरे भारत और दुनिया से आए विख्यात वक्ताओं ने चार सत्रों में अपनी बात रखी।
पहला सत्र "ग्रामीण परिवहन सेवा" पर हुआ, इसकी अध्यक्षता आईआईटी मद्रास के प्रोफ़ेसर ए. वीराराघवन ने की।
इस सत्र के दौरान मार्गो ब्रीस्सिनक, पीआईएआरसी के श्री सुलेमान ओसिमान ने "ग्रामीण इलाकों में गतिशीलता और पहुंच" विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि पीएमजीएसवाई के लाभकारी प्रभाव के लिए ग्रामीण परिवहन सेवा की जरूरत है। ब्रिटेन के परिवहन सेवा विशेषज्ञ श्री पॉल स्टार्की ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए "ग्रामीण परिवहन सेवा" पर प्रस्तुति दी। वहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुख्य तकनीकी सलाहकार श्री थॉमस स्टेस्टॉर्म ने "सड़कों की देखरेख के जरिए आजीविका पर अंतरराष्ट्रीय अनुभव (आईएलओ)" पर बात रखी। मायक्यूब एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (पीटीवाय) लिमिटेड, दक्षिण अफ्रीका के निदेशक डॉ गैरी वान जायल ने "चिप सीलिंग पर केंद्रित कम कीमत का सतह निर्माण" विषय पर प्रस्तुति दी। जबकि पीआईएआरसी तकनीकी समिति (विश्व सड़क संगठन) के सह-सदस्य श्री न्कुलुलेको लेटा ने "जलवायु सहनशीलता और सड़क संपदा प्रबंधन तंत्र में अनुकूलन" विषय पर प्रस्तुति दी।
दूसरा सत्र "पहाड़ी सड़कें, सड़क सुरक्षा, जलवायु सहनशीलता और ग्रामीण सड़कों पर पुल" शीर्षक पर आधारित था, जिसकी अध्यक्षता बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने की।
बीआरओ के डीजी ने "बीआरओ: पहाड़ों और दूर-दराज के इलाकों में अवसरंचना विकास की चुनौतियों से उभार" शीर्षक पर अपनी बात रखी। वहीं एसवीएनआईटी, सूरत के प्रोफ़ेसर गुरांग जोशी ने "मार्ग उपयोगकर्ता व्यवहार और अनुपालन पर ट्रैफिक चिन्हों और रोड फर्नीचर की प्रभावोत्पादकता- एक ग्रामीण सड़क अध्ययन" विषय पर अपनी बात रखी। वियतनाम के यातायात और संचार विश्वविद्यालय के डॉ ट्रान थी किम डांग ने "सहनशीलता को बढ़ाने के लिए तकनीकें और कार्य प्रणाली" विषय पर अपनी प्रस्तुति दी, जबकि वियतनाम कंक्रीट संघ ने "वियतनाम के ग्रामीण पुलों में यूएचपीसी गिर्डर्स बीम का उपयोग" विषय पर अपनी बात रखी।
तीसरा सत्र "योजना और जीआईएस" विषय पर आधारित था, जिसकी अध्यक्षता वर्ल्ड बैंक में पूर्व टीम लीडर डॉ. अशोक कुमार कर रहे थे। हंगरी में बुडापेस्ट स्थित केटीआई- रोड और सड़क केंद्र से आईं डॉ लास्ज़लो गास्पर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए "कम आयतन वाली सड़क फुटपाथ संरचनाओं में हंगरी के अनुभव" विषय पर बात रखी। दूसरी तरफ ग्रामीण विकास मंत्रालय के श्री हर्ष नायर ने "ग्रामीण सडकों की आंकड़ों पर आधारित योजना: एल्गोरिद्म, भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) और पीएमजीएसवाई-III में फिर से बनाई गई प्रक्रिया" विषय पर प्रस्तुति दी।
एनआरआईडीए, नई दिल्ली के श्री प्रदीप अग्रवाल ने "देखभाल में ग्रामीण सड़कों का प्रदर्शन मूल्यांकन: पीएमजीएसवाई के लिए वस्तुनिष्ठ साक्ष्यों पर आधारित आईटी समाधानों का विकास और क्रियान्वयन" विषय पर प्रस्तुतित दी। उन्होंने बताया कि एनआरआईडीए ने सीडीएसी और एनआईसी की मदद से एक साक्ष्य आधारित डि़जिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसका लक्ष्य पूरे देश में कम समय में ग्रामीण सड़कों की देखभाल करना है, जिससे 380 करोड़ रुपये बचे हैं। संपदाओं की देखभाल के लिए आईटी समाधान सभी तरह के अवसंरचना कार्यों में किए जा सकते हैं। मार्ग प्राधिकरण, मलावी की फ्लोरा हौया और शार्मे बांदा ने "खेतों का बाज़ार से संपर्क: मलावी का अनुभव" विषय पर अपनी बात रखी। इथियोपिया मार्ग प्राधिकरण के उप महासचिव श्री येतेमगेटा असरात ने "देखभाल और वित्तीय आचरण" विषय पर अपनी बात रखी।
तीसरे सत्र के बाद "नवीन तकनीकें एवम् ग्रामीण सड़कों में नवाचार- आगे का रास्ता" विषय पर पैनल विमर्श किया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ ने एनआरआईडीए को तीन दिवसीय विचारोत्तेजक सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि पीएमजीएसवाई परियोजना का 1,78,000 रहवास स्थलों को जोड़ने का लक्ष्य बहुत हद तक हासिल कर लिया गया है और अब ध्यान ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास पर केंद्रित है। उन्होंने इंजीनियरिंग संस्थानों से अपने इंजीनियरों और छात्रों को नवीन तकनीकों और सामग्री के क्षेत्र में शोध के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की। उन्होंने "न्यू टेक्नोलॉजी मिशन" का उल्लेख भी किया, जिसके तहत 2-2 किलोमीटर के दो पॉयलट प्रोजेक्ट चलाए जाने हैं, ताकि भारतीय निर्माताओं द्वारा नवाचारों को बढ़ावा दिया जा सके। आखिर में उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सड़कों के प्रबंधन के साथ इंजीनियर विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है बना जाए। उन्होंने आगे सुझाव देते हुए कहा कि एनआरआईडीए को पूरे भारत में मेडिकल पेशे की तरह, इंजीनियरों के इंजीनियरिंग से जुड़े ज्ञान को उन्नत बनाए रखने के लिए ज्ञानवर्धक सामग्री के निर्माण में नेतृत्व करना चाहिए।
एनआरआईडीए, के एएस (आरडी) और डीजी डॉ आशीष कुमार गोयल ने सभी माननीयों, प्रतिनिधियों, प्रायोजकों और प्रदर्शकों का इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मदद करने के लिए आभारत व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सभी हिस्सेदारो, विशेषज्ञों और अकादमिक जगत के लोगों के साथ बात करने के बाद "डॉक्यूमेंट ऑन फुल डेप्थ रिक्लेमेशन टेक्नोलॉजी" और "न्यू टेक्नोलॉजी विजन डॉक्यूमेंट 2022" जारी कर दिया गया है और सभी कार्यकारी एजेंसियों को एनआरई तकनीक और सामग्री को लागू करने के लिए तकनीकी दिशा-निर्देशों के पालन का आदेश दिया गया है, ताकि नवीन तकनीक की संकल्पना को जमीन पर साकार किया जा सके।
टीडीबी-डीएसटी के सचिव डॉ. राजेश कुमार पाठक ने कहा कि मंत्रालय हमेशा पूरे देश में नए विचारों और तकनीकों को प्रोत्साहन देने के लिए मददगार रहा है।
सड़क यातायात एवम् हाईवे मंत्रालय में पूर्व महासचिव (मार्ग) रहे श्री आई के पांडे ग्रामीण सड़कों के निर्माण में 'मार्जिनल मटेरियल' के उपयोग पर केंद्रित रहे। उन्होंने कहा कि इस तरह की सामग्री के तहत, दक्षिणी इलाकों में नारियल की जटाओं, पूर्वी इलाकों में जूट, उत्तर-पूर्वी इलाकों में बांस का उपयोग, स्थानीय उत्पाद को कुशल ढंग से उपयोग करने के लिए किया जा सकता है।
आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर ए. वीराराघवन ने सुझाव दिया कि कार्य की गुणवत्ता से समझौता किए बिना नई सामग्री को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने नवीन तकनीकी सामग्री के लिए नई संहिताओं, विनिर्देश और दिशा-निर्देशों के निर्माण का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकों को मुख्यधारा में लाने के लिे दरों की सूचियां बनाने की जरूरत है और सड़कों की गुणवत्ता संघनन पैमानों पर केंद्रित होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्य इंजीनियर श्री आर के चौधरी ने एफडीआर तकनीक की निर्माण प्रक्रिया में तकनीकी और व्यवहारिक पहलू से जुड़ी विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है जानकारी साझा की। उन्होने सभी आईआईटी संस्थानों से आगे आकर स्थलों पर एफडीआर तकनीक का प्रदर्शन मूल्यांकन करने की अपील की।
विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है
कंपनियां सस्टेनेबल ट्रैवल पर जोर देने लगी हैं
दुनिया के कुछ प्रमुख निगम स्थायी यात्रा पर केंद्रित हैं। क्या आपकी कंपनी के पास अपने कार्बन फुटप्रिंट को ट्रैक करने, सीमित करने या ऑफसेट करने की कोई योजना है? दुनिया फिर से यात्रा करना शुरू कर रही है क्योंकि COVID-19 टीकाकरण अधिक आसानी से उपलब्ध हो गया है। जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था खुलती है, निगमों को स्थायी यात्रा के बारे में सोचने के लिए कहा जा रहा है। अभी - अभीअधिक पढ़ें
2021 में टचलेस एयरपोर्ट टेक्नोलॉजी
दुनिया भर के शहरों और देशों में विभिन्न प्रकार की टचलेस एयरपोर्ट तकनीक दिखाई दे रही है। आपको ये प्रौद्योगिकियां कहां मिल सकती हैं? और भविष्य में कौन सी नई प्रौद्योगिकियां दिखाई देंगी? COVID-19 महामारी के जवाब में, दुनिया के कुछ सबसे बड़े यात्री केंद्रों में टचलेस एयरपोर्ट तकनीक सामने आई है। ये नई प्रौद्योगिकियां नहीं हैंअधिक पढ़ें
व्यापार यात्रा में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका
अनिश्चित समय के दौरान जब COVID-19 दुनिया भर में फैल रहा है, आप एक बात के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं - व्यापार यात्रा में नवाचार। विश्व इतिहास में चुनौतीपूर्ण क्षणों ने अक्सर नाटकीय नवाचार किया है। यह कहना सुरक्षित है कि COVID-19 का प्रकोप आधुनिक इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षणों में से एक है, और हम देख सकते हैंअधिक पढ़ें
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मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत विश्व व्यापार पर तकनीकी नवाचार का क्या प्रभाव है कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।