भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है

परिसंपत्तियों का सरल पोर्टफोलियो

लोकप्रिय परिसंपत्ति विभागों की ट्रेडिंग द्वारा निजी व्यापारियों और फंड मैनेजर निवेश रणनीतियों की एक बड़ी संख्या के भीतर प्रयोग किया जाता है। एक व्यापारी कर सकते हैं जल्दी से अमेरिकी डॉलर के खिलाफ उद्धृत सभी घटकों के साथ सिंथेटिक साधन के रूप में कई अलग अलग सरल विभागों बनाने, गहरी दीर्घकालिक इतिहास के ग्राफ़िकल विश्लेषण पर आधारित इन विभागों की तुलना, सबसे अच्छा पोर्टफोलियो, के अनुसार अपने मापदंड का चयन करें और चयनित सिंथेटिक साधन। इसके अलावा, पोर्टफोलियो की रचना जल्दी की आर्थिक स्थिति में बदलाव और निवेश प्राथमिकताओं के परिवर्तन के साथ संशोधित किया जा सकता।

व्यापारियों उनके व्यक्तिगत विभागों, लोकप्रिय सूचकांक ETF (एक्सचेंज कारोबार कोष) के लिए इसी तरह साकार विभागों, उद्योग, देश, द्वारा द्वारा परिसंपत्ति वर्ग के द्वारा, अलग सिद्धांतों पर - आधारित बनाने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी का विश्लेषण कर सकते हैं और ऊर्जा परिसंपत्तियों (CFD वस्तुओं की सूची में हमारे टर्मिनल पर उपलब्ध है), के एक पोर्टफोलियो PCI के साथ की संरचना बनाने के इन प्रयोजनों के लिए व्यापार "(# C-BRENT + # C-NATGAS + # C-HEATOIL) / USD" और भार अवयव, उनके निवेश प्राथमिकताओं के अनुसार के साथ। जाहिर है, व्यापारी एक समान पोर्टफोलियो, अमरीकी डालर के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी भी अन्य मुद्रा या परिसंपत्ति में उद्धृत बना सकते हैं।

काम की बात: एनपीएस में थोड़े जोखिम से बना सकते हैं ज्यादा पैसे

एनपीएस खाता खोलते समय पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है ही आपको इसका विकल्प भरना पड़ता है। ऐसे खाताधारकों को एक्टिव च्वॉइस कहते हैं, जो विभिन्न निवेश विकल्पों में अपनी राशि खुद निर्धारित करते हैं।

रिटायरमेंट के लिए NPS में निवेश?

सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता हर नौकरीपेशा को रहती है। इसके लिए वह अलग-अलग विकल्पों में निवेश करता है। एनपीएस इस दिशा में सबसे कारगर विकल्प माना जाता है, लेकिन यहां भी जोखिम और सुरक्षित निवेश के दो रास्ते होते हैं। अपनी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर आप थोड़े निवेश से किस तरह भविष्य के लिए बड़ी पूंजी बना सकते हैं, पढ़ें प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट.

वित्तीय समझ है तो खुद बनाएं पोर्टफोलियो
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद न सिर्फ एकमुश्त मोटी रकम दिलाता है, बल्कि हर महीने वेतन की तरह खर्च के लिए राशि भी देता है। यहां निवेश की गई राशि शेयर बाजार, सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट डेट फंड और रियल एस्टेट, कमोडिटी, हेज डेरिवेटिव जैसे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में लगाई जाती है। अगर आप वित्तीय मामलों की समझ रखते हैं, तो अपने एनपीएस का पोर्टफोलियो खुद बनाएं।

एनपीएस खाता खोलते समय ही आपको इसका विकल्प भरना पड़ता है। ऐसे पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है खाताधारकों को एक्टिव च्वॉइस कहते हैं, जो विभिन्न निवेश विकल्पों में अपनी राशि खुद निर्धारित करते हैं। इतना ही नहीं, आप फंड मैनेजर का चुनाव भी खुद कर सकते हैं। चूंकि, आप अपनी जोखिम क्षमता को बेहतर तरीके से जानते हैं, इसलिए सही जगह पैसे लगाकर कम निवेश में भी बड़ा रिटर्न पा सकते हैं।

ऑटो च्वॉइस: फंड मैनेजर तय करेंगे- कहां लगाएं पैसे
एनपीएस खाताधारक अगर खुद पोर्टफोलियो बनाने की मुश्किलों से बचना चाहते हैं, तो ऑटो च्वाइस विकल्प का चुनाव करें। ऐसे खाताधारकों की राशि फंड मैनेजर उनकी उम्र के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाकर निवेश करते हैं। अगर उम्र कम है, तो ज्यादातर राशि कॉरपोरेट डेट फंड और शेयर बाजार में लगाई जाएगी, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ पोर्टफोलियो में ज्यादा हिस्सेदारी सरकारी प्रतिभूतियों व अन्य सुरक्षित विकल्पों में होगी।

हालंकि, फंड मैनेजर को सिर्फ आपकी उम्र की सही जानकारी होती है। वह आपकी वित्तीय मजबूती या जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन नहीं कर पाता। लिहाजा ऑटो च्वॉइस के जरिए एनपीएस में मनचाहा रिटर्न पाना मुश्किल होता है।

तीन आधार पर बनाते हैं पोर्टफोलियो

  • आक्रामक निवेश : 35 साल की उम्र तक 75 फीसदी पैसा इक्विटी व कॉरपोरेट बॉन्ड में लगाते हैं।
  • उदारवादी निवेश : 50 फीसदी राशि इक्विटी और शेष सरकारी प्रतिभूतियों व एआईएफ में जाती है।
  • सीमित निवेश : 25 फीसदी राशि इक्विटी व शेष सरकारी प्रतिभूतियों, बैंक एफडी जैसे सुरक्षित विकल्पों में।

इस पर सालाना 10 फीसदी का औसत ब्याज लगाया जाए, तो कुल फंड 1 करोड़ 11 लाख 98 हजार 471 रुपये होगा। यानी आपने 93 लाख 98 हजार 471 रुपये ब्याज के रुपये में अर्जित किए। इसके अलावा 5.40 लाख रुपये की बचत टैक्स के रूप में भी होगी। इसे भी रिटर्न में जोड़ें तो करीब 1 करोड़ का फायदा होगा।

सालाना 2 लाख रुपये तक कर मुक्त निवेश
एनपीएस में कर मुक्त निवेश के भी दो विकल्प मिलते हैं। पहला आप आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की पूरी रकम यहां लगा सकते हैं। दूसरा, 80 सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार का अतिरिक्त निवेश एनपीएस में किया जा सकता है, जो कर मुक्त होगा। 60 साल के बाद इससे मिलने वाले रिटर्न पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, अगर आप बीच में ही खाता बंद कराते हैं, तो निकासी पर आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।

40 फीसदी की एन्युटी खरीदना जरूरी
सेवानिवृत्ति पर एनपीएस फंड से 60 फीसदी राशि एकमुश्त ले सकते हैं, लेकिन कम से कम 40 फीसदी राशि की एन्युटी खरीदना जरूरी होगा। इसी राशि के ब्याज से हर महीने पेंशन मिलती है। आप चाहें तो एन्युटी की पूरी राशि भी बाद में निकाल सकते हैं। पेंशन धारक की मृत्यु होने पर यह राशि नॉमिनी को मिल जाती है।
-संदीप जैन, निदेशक, ट्रेडस्विफ्ट

विस्तार

सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता हर नौकरीपेशा को रहती है। इसके लिए वह अलग-अलग विकल्पों में निवेश करता है। एनपीएस इस दिशा में सबसे कारगर विकल्प माना जाता है, लेकिन यहां भी जोखिम और सुरक्षित निवेश के दो रास्ते होते हैं। अपनी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर आप थोड़े निवेश से किस तरह भविष्य के लिए बड़ी पूंजी बना सकते हैं, पढ़ें प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट.

वित्तीय समझ है तो खुद बनाएं पोर्टफोलियो
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस सेवानिवृत्ति के बाद न सिर्फ एकमुश्त मोटी रकम दिलाता है, बल्कि हर महीने वेतन की तरह खर्च के लिए राशि भी देता है। यहां निवेश की गई राशि शेयर बाजार, सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट डेट फंड और रियल एस्टेट, कमोडिटी, हेज डेरिवेटिव जैसे अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में लगाई जाती है। अगर आप वित्तीय मामलों की समझ रखते हैं, तो अपने एनपीएस का पोर्टफोलियो खुद बनाएं।

एनपीएस खाता खोलते समय ही आपको इसका विकल्प भरना पड़ता है। ऐसे खाताधारकों को एक्टिव च्वॉइस कहते हैं, जो विभिन्न निवेश विकल्पों में अपनी राशि खुद निर्धारित करते हैं। इतना ही नहीं, आप फंड मैनेजर का चुनाव भी खुद कर सकते हैं। चूंकि, आप अपनी जोखिम क्षमता को बेहतर तरीके से जानते हैं, इसलिए सही जगह पैसे लगाकर कम निवेश में भी बड़ा रिटर्न पा सकते हैं।

ऑटो च्वॉइस: फंड मैनेजर तय करेंगे- कहां लगाएं पैसे
एनपीएस खाताधारक अगर खुद पोर्टफोलियो बनाने की मुश्किलों से बचना चाहते हैं, तो ऑटो च्वाइस विकल्प का चुनाव करें। ऐसे खाताधारकों की राशि फंड मैनेजर उनकी उम्र के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाकर निवेश करते हैं। अगर उम्र कम है, तो ज्यादातर राशि कॉरपोरेट डेट फंड और शेयर बाजार में लगाई जाएगी, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ पोर्टफोलियो में ज्यादा हिस्सेदारी सरकारी प्रतिभूतियों व अन्य सुरक्षित विकल्पों में होगी।

हालंकि, फंड मैनेजर को सिर्फ आपकी उम्र की सही जानकारी होती है। वह आपकी वित्तीय मजबूती या जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन नहीं कर पाता। लिहाजा ऑटो च्वॉइस के जरिए एनपीएस में मनचाहा रिटर्न पाना मुश्किल होता है।

तीन आधार पर बनाते हैं पोर्टफोलियो

  • आक्रामक निवेश : 35 साल की उम्र तक 75 फीसदी पैसा इक्विटी व कॉरपोरेट बॉन्ड में लगाते हैं।
  • उदारवादी निवेश : 50 फीसदी राशि इक्विटी और पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है शेष सरकारी प्रतिभूतियों व एआईएफ में जाती है।
  • सीमित निवेश : 25 फीसदी राशि इक्विटी व शेष सरकारी प्रतिभूतियों, बैंक एफडी जैसे सुरक्षित विकल्पों में।

18 लाख निवेश पर 94 लाख का ब्याज

आप 30 साल की उम्र में एनपीएस खाता खोलते हैं और सेवानिवृत्ति (60 साल) तक 5 हजार रुपये हर महीने निवेश करते हैं, तो 30 साल में एनपीएस के तहत कुल निवेश की गई रकम 18 लाख रुपये होगी।

इस पर सालाना 10 फीसदी का औसत ब्याज लगाया जाए, तो कुल फंड 1 करोड़ 11 लाख 98 हजार 471 रुपये होगा। यानी आपने 93 लाख 98 हजार 471 रुपये ब्याज के रुपये में अर्जित किए। इसके अलावा 5.40 लाख रुपये की बचत टैक्स के रूप में भी होगी। इसे भी रिटर्न में जोड़ें तो करीब 1 करोड़ का फायदा होगा।

सालाना 2 लाख रुपये तक कर मुक्त निवेश
एनपीएस में कर मुक्त निवेश के भी दो विकल्प मिलते हैं। पहला आप आयकर की धारा 80सी के पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है तहत मिलने वाली 1.5 लाख की पूरी रकम यहां लगा सकते हैं। दूसरा, 80 सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार का अतिरिक्त निवेश एनपीएस में किया जा सकता है, जो कर मुक्त होगा। 60 साल के बाद इससे मिलने वाले रिटर्न पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, अगर आप बीच में ही खाता बंद कराते हैं, तो निकासी पर आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।

40 फीसदी की एन्युटी खरीदना जरूरी
सेवानिवृत्ति पर एनपीएस फंड से 60 फीसदी राशि एकमुश्त ले सकते हैं, लेकिन कम से कम 40 फीसदी राशि की एन्युटी खरीदना जरूरी होगा। इसी राशि के ब्याज से हर महीने पेंशन मिलती है। आप चाहें तो एन्युटी की पूरी राशि पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है भी बाद में निकाल सकते हैं। पेंशन धारक की मृत्यु होने पर यह राशि नॉमिनी को मिल जाती है।
-संदीप जैन, निदेशक, ट्रेडस्विफ्ट

आपके पोर्टफोलियो में Global Equity Fund क्यों जरूरी है और यह आपके निवेश को कैसे फायदा पहुंचा सकता है?

आपके पोर्टफोलियो में Global Equity Fund क्यों जरूरी है और यह आपके निवेश को कैसे फायदा पहुंचा सकता है?

डीएनए हिंदी: ग्लोबल फंड (Global Fund) आपको अपने देश सहित दुनिया में कहीं भी निवेश करने की पॉवर देते हैं. यह सिक्योरिटीज के वैश्विक ब्रह्मांड से सर्वोत्तम निवेश की पहचान करने में मदद करता है. उन्हें निष्क्रिय रूप से भी प्रबंधित किया जा सकता है. आप अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग शेयर जोड़ कर अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बना सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय निवेश पर विचार करते समय वैश्विक फंड का चयन करें, यह आपके जोखिम को कम करने में मदद करेंगे.

मार्केट को उभरते और सीमावर्ती, दो अलग-अलग विकसित बाजारों में बांटा गया है. यहां हर कैटेगरी में अपनी श्रेणी और जोखिम वाले देश शामिल होते हैं. जोखिम से बचने के सबसे बड़े अवसर हासिल करने के लिए, निवेशक को उभरते बाजारों का चयन करना चाहिए, क्योंकि ऐसे देश दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं. इसके चलते ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

जैसे म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में स्थानीय स्तर पर निवेश करने के 2 विकल्प इक्विटी फंड या डेट फंड के तौर पर मौजूद हैं. वैसे ही वैश्विक स्तर पर भी आप ग्लोबल डेट (Global Debt) या ग्लोबल इक्विटी फंड (Global Equity पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है funds) चुन सकते हैं.

ग्लोबल डेट

ग्लोबल डेट श्रेणी में बहुत सारे फंड के साथ, कुछ हाई-प्रोफाइल प्रतिनिधि फंडों में वैनगार्ड टोटल इंटरनेशनल बॉन्ड इंडेक्स फंड (anguard Total International Bond Index Fund) शामिल है, जिसके पास जून 2020 के अंत तक शुद्ध संपत्ति में 142 बिलियन डॉलर से अधिक है. अमेरिकन फंड्स कैपिटल वर्ल्ड बॉन्ड फंड (Capital World Bond Fund), जिसकी कुल संपत्ति 13 बिलियन डॉलर से अधिक है और 11 अरब डॉलर से अधिक की शुद्ध संपत्ति के साथ पिमको इंटरनेशनल बॉन्ड फंड (PIMCO International Bond Fund) है. ग्लोबल डेट फंड की विभिन्न विशेषताओं और आवंटन के साथ, प्रत्येक यू.एस. और गैर-यू.एस. फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज के विभिन्न विविध पोर्टफोलियो में निवेश करता है.

ग्लोबल इक्विटी

ग्लोबल इक्विटी फंड (Global Equity fund) के साथ आप घरेलू और दुनिया भर में स्टॉक खरीद सकते हैं और आवंटन रणनीतियों और प्रबंधन शैलियों के सैकड़ों संयोजनों में आ सकते हैं.

लार्ज-कैप ग्लोबल इक्विटी स्पेस में शामिल प्रमुख फंड हैं, अमेरिकन फंड्स न्यू पर्सपेक्टिव फंड (American Funds New Perspective Fund) जिसकी शुद्ध संपत्ति जून 2020 के अंत तक 95 बिलियन डॉलर से अधिक है. अमेरिकन फंड्स कैपिटल वर्ल्ड ग्रोथ एंड इनकम फंड (American Funds Capital World Growth and Income Fund) की शुद्ध संपत्ति 91.2 बिलियन डॉलर और फर्स्ट ईगल ग्लोबल फंड (First Eagle Global Fund), जो 41 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति का प्रबंधन करता है.

बड़ा सवाल?

क्या आपके भारतीय पोर्टफोलियो में ग्लोबल फंड मायने रखता है? जवाब आसान है मेरे दोस्त. मैंने आपको कई कारण बताए हैं कि आपकी निवेश यात्रा में एक अंतरराष्ट्रीय इक्विटी फंड क्यों ज्यादा मायने रखेगा.

1. भारत की जीडीपी वृद्धि धीमी है और इसे एक या दो चौथाई से अधिक आकार में वापस लाने में मदद मिलेगी. भारतीय इक्विटी रैलियां तेजी से संकीर्ण होती जा रही हैं. अमेरिकी इक्विटी बाजारों में ऐसे मुद्दे नहीं हैं और इसलिए वे आकर्षक हो जाते हैं.

2. Google, Facebook, Amazon, Microsoft और Tesla जैसे वैश्विक दिग्गज भी भारत में तेजी से घरेलू नाम बन गए हैं। यदि आप फेसबुक और व्हाट्सएप पर एक साथ घंटों बिता रहे हैं, अमेज़ॅन पर ऑनलाइन खरीदारी करने और अपना कंप्यूटर चलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट का उपयोग कर रहे हैं तो उनके शेयरों का स्वामित्व सामान्य ज्ञान है.

3. आप एक बटन दबाकर उनके शेयर खरीद सकते हैं और आपके बैंक खाते को घरेलू एएमसी (AMC) से जोड़ने में 10 मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा जो इन कंपनियों में निवेश करने वाले फंड की पेशकश कर रहा है.

4. यह काफी सुविधाजनक भी है. आप इन शेयरों को भारतीय रुपये में एक फंड के जरिए खरीदते हैं. याद रखें, भारतीय रिजर्व बैंक आपको विदेशी संपत्ति में प्रति वर्ष 250,000 डॉलर तक निवेश करने की अनुमति देता है.

5. वैश्विक टेक दिग्गजों और अमेरिकी फॉर्च्यून 100 कंपनियों के बीच कमाई कैसे बढ़ रही है? साल दर साल और तिमाही दर तिमाही देखिए कहां ज्यादा निवेश हो रहा है.

6. Google, FB, Microsoft, Amazon और Tesla की कमाई ने पिछले एक दशक में उदारतापूर्वक काम किया है और ये कंपनियां अब वैश्विक कारोबार चला रही हैं.

7. आमतौर पर, अमेरिकी बाजार भारतीय शेयरों की तुलना में मंदी के दौर में कम पड़ जाता है और इन शेयरों के साथ ऐसे इक्विटी फंड का स्वामित्व आपके भारतीय पोर्टफोलियो के लिए बेहतर साबित होगा.

यहां कुछ और फंड दिए गए हैं जिन पर आप गौर कर सकते हैं:

1. Franklin Feeder Fund Franklin US Opportunity Fund: लंबी अवधि में उत्कृष्ट प्रदर्शन. टेक और ऑन-ग्राउंड अमेरिकी व्यवसायों का उत्कृष्ट पोर्टफोलियो.
2. ICICI Prudential US BlueChip Equity Fund: यूएस फॉर्च्यून 100 कंपनियों की सूची से संबंधित शीर्ष शेयरों में उत्कृष्ट विविधीकरण.
3. Motilal Oswal Nasdaq 100 ETF / FoF: अगर आप वैश्विक प्रौद्योगिकी कहानी में विश्वास करते हैं तो यह फंड आपके लिए है.

यहां कुछ चीजें हैं जिन्हें आपको ग्लोबल फंड मैनेजमेंट के लिए चेक करना चाहिए

  • अंतर्राष्ट्रीय फंडों में निवेश के कम से कम पांच साल का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए ताकि आप जान सकें कि फंड मैनेजर कम से कम एक बुल या बियर साइकिल से गुजरा है. यहां पर दोनों को ही महत्व देना जरूरी है.
  • वैश्विक निवेश का वादा करने वाले नए फंड ऑफर न खरीदें.
  • 10-15 फीसदी आपके घरेलू पोर्टफोलियो काग्लोबल फंडहोना चाहिए.
  • पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है
  • डायरेक्ट रूट और ग्रोथ विकल्प चुनें.
  • और अंत में, व्यय अनुपात को देखें. यह वह है जो फंड आपसे हर साल वसूलता है चाहे आप पैसा कमाएं या नहीं. अनुपात जितना कम होगा, फंड उतना ही बेहतर होगा.

वैश्विक फंड की रिव्यू और प्रमुख निष्कर्ष:

  • ग्लोबल फंड एक ऐसा फंड है जो निवेशक के अपने देश सहित दुनिया में कहीं भी स्थित कंपनियों में निवेश करता है.
  • वैश्विक फंड प्रतिभूतियों के वैश्विक ब्रह्मांड से सर्वोत्तम निवेश की पहचान करना चाहते हैं.
  • एक वैश्विक फंड एकल परिसंपत्ति वर्ग पर केंद्रित हो सकता है या कई परिसंपत्ति वर्गों को आवंटित किया जा सकता है.


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क्या आपकी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम अच्छा कर रही हैं?

अगर आप भी म्यूच्यूअल फंड इन्वेस्टमेंट के द्वारा अपने गोल्स को समय रहते प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको समय-समय पर अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु करते रहना चाहिए। जिससे आप अंडर परफॉर्मिंग म्यूच्यूअल फंड्स को अच्छी स्कीम से रिप्लेस कर सकें।

इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको 5 ऐसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताऊंगा जिनकी मदद से आप स्वयं बिना किसी एडवाइजर के अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु कैसे करें?

mutual fund portfolio review kaise kare

ऐसा नहीं है कि आपको प्रत्येक महीने में अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु करना है। अगर आप अपने पोर्टफोलियो को वर्ष में एक बार भी रिव्यू कर लेते हैं तो भी पर्याप्त होगा।

आप निम्न पांच पॉइंट्स की सहायता से अपने पोर्टफोलियो को रिव्यु कर सकते हैं।

(i) फंड के रिटर्न को पीअर्स (Peers) से तुलना करें

आपकी SIP अच्छा कर रही है या नहीं, इसका अंदाजा आप उसके peers से लगा सकते हैं। अगर आपकी म्यूच्यूअल फंड स्कीम के रिटर्न उसके पीअर्स से बढ़िया है तो इसका मतलब हुआ की आपकी स्कीम बहुत ही बढ़िया प्रदर्शन कर रही हैं।

उदाहरण के लिए अगर आपकी स्कीम फ्लेक्सी कैप केटेगरी की हैं तो आप फ्लेक्सी कैप केटेगरी की अन्य स्कीम्स के साथ आपके फंड की तुलना कर सकते हैं। अगर पीअर्स के रिटर्न आपकी स्कीम के आस-पास है तो कोई समस्या नहीं हैं।

लेकिन आपके रिटर्न पीअर्स से बहुत ही कम हैं तो आप स्कीम में बदलाव के बारे में सोच सकते हैं।

आप अपनी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम के पीअर्स के बारें में वैल्यू रिसर्च की वेबसाइट से पता कर सकते हैं।

(ii) बेंचमार्क रिटर्न से तुलना

अगर आपके पास एक एक्टिव फण्ड हैं तो आप उसकी तुलना उसके बेंचमार्क इंडेक्स से अवश्य करनी चाहिए। एक्टिव फण्ड में आप थोड़ा अधिक एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान कर रहे होते हैं। इसमें फण्ड मैनेजर की जिम्मेदारी बनती हैं की वो निवेशकों को बेंचमार्क से अधिक रिटर्न बना कर दे।

अगर आपकी स्कीम बेंचमार्क से भी कम रिटर्न दे रही हैं और आप एक्टीव फण्ड में अधिक एक्सपेंस रेश्यो भी दे रहे हैं तो आपके वास्तविक रिटर्न काफी कम हो सकते हैं।

आपको अपने अंतिम एक वर्ष के रिटर्न बेंचमार्क से compare करने चाहिए। अगर फंड के रिटर्न बेंचमार्क से कम हैं तो आपको फंड में बदलाव के बारे में सीरियसली सोचना चाहिए।

बेंचमार्क वो इंडेक्स होता हैं जिसके रिटर्न को फण्ड ट्रैक करता हैं। उदाहरण के लिए एक्सिस ब्लू चिप फण्ड का बेंचमार्क S&P BSE 100 TRI हैं। बेंचमार्क इंडेक्स के बारे में भी जानकारी भी आपको मनीकण्ट्रोल और वैल्यू रिसर्च से प्राप्त हो जाएगी।

(iii) Mutual Fund Ratios

म्यूच्यूअल फंड रेश्यो किसी भी म्यूच्यूअल फंड को analyze करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आपको निम्न रेश्यो म्यूच्यूअल फण्ड को रिव्यु करते समय देखना चाहिए।

अल्फा रेश्यो – ये रेश्यो हमें बताता है कि क्या फंड अपने बेंचमार्क से अधिक रिटर्न बना पा रहा हैं या नहीं? अगर किसी फण्ड का अल्फा रेश्यो 5% हैं तो इसका मतलब हुआ की फण्ड अपने बेंचमार्क से 5% अधिक रिटर्न बना रहा हैं।

अल्फा रेश्यो पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है जितना अधिक होगा उतना अच्छा माना जाएगा। नेगेटिव अल्फा होने का मतलब हैं की फण्ड अपने बेंचमार्क से कम रिटर्न बना कर दे रहा हैं।

बीटा रेश्यो – बीटा रेश्यो आपके फण्ड की वोलैटिलिटी को मापता हैं। आदर्श (standard) बीटा पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है रेश्यो एक माना जाता हैं।

जिस फण्ड का बीटा रेश्यो एक से कम होगा उसकी वोलैटिलिटी कम होगी। जिस फण्ड का बीटा एक से अधिक होगा उसमें अधिक वोलैटिलिटी होती हैं।

इसलिए अपने फण्ड का बीटा रेश्यो अवश्य देखें वो जितना “एक” के आस-पास होगा उतना अच्छा होगा।

(iv) Fund Overlapping

आपके म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो में तीन से पांच स्कीम हो सकती है। हो सकता है कि आपकी एक स्कीम में दूसरी स्कीम के कई स्टॉक समान (common) हो।

उदाहरण के लिए आपकी A स्कीम के पोर्टफोलियो में 10% HDFC बैंक का हिस्सा हैं। आपकी B स्कीम में भी 10% पोर्टफोलियो HDFC बैंक का ही हैं। ऐसी स्थिति में दोनों में कॉमन स्टॉक होने की वजह से इसे फण्ड ओवरलैप कहा जायेगा।

अधिक कॉमन स्टॉक होने से अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम रखने का कोई विशेष महत्व नहीं रह जाता। फण्ड ओवरलैप जितना कम हो उतना अच्छा होता हैं।

आप इस लिंक पर जाकर अपने फण्ड का ओवरलैप चेक कर सकते हैं – Mutual Fund Portfolio overlap check

(v) फण्ड मैनेजर

किसी भी म्यूच्यूअल फंड की अच्छी परफॉर्मेस के पीछे फंड मैनेजर का हाथ होता हैं। इसलिए फंड मैनेजर को ट्रैक करना आपके लिए जरूरी हो जाता हैं।

अगर पिछले कुछ समय से आपकी म्यूच्यूअल फंड बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी और अचानक से उसके रिटर्ंस में गिरावट आती हैं तो आप चेक कीजिए कि कहीं फंड का फंड मैनेजर तो नहीं बदल गया हैं।

अगर ऐसा होता है तो आप नए फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को चेक कीजिए कि उस फंड मैनेजर ने कौन-कौन से फंड मैनेज किये हैं और उनका प्रदर्शन कैसा रहा हैं।

आप कुछ समय उस फंड मैनेजर को दीजिए फिर भी अगर आपकी म्यूच्यूअल फंड स्कीम की परफॉर्मेंस में इजाफा नहीं होता हैं तो आप उस स्कीम से ऑप्ट आउट सकते हैं।

निष्कर्ष

आज के समय में हम म्यूचुअल फंड के माध्यम से अपने लंबे लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं। अगर ये म्यूच्यूअल फंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो हम अपने गोल्स को प्राप्त करने से वंचित रह सकते हैं।

इसलिए समय-समय पर अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यू करना बहुत आवश्यक हो जाता हैं। अगर आप म्यूच्यूअल फंड के अच्छे जानकार भी नहीं है तो ऊपर दिए गए पांच पॉइंट्स की मदद से आसानी से अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को रिव्यु कर सकते हैं।

आज आपने इस आर्टिकल में समझा कि अपने म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो को कैसे रिव्यू करें।

दोस्तों, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और अगर आपके कोई सवाल है तो मुझे कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं।

Portfolio Management Simplified by ETPORTFOLIO

portfolio_management

Portfolio management is simplified now by new online tool introduced by Economic Times; This tool is called as ETPORTFOLIO. This tool provides facility to manage & track your investment portfolio online.

You can simply go to ETPORTFOLIO site and login using existing google or facebook account or you can create new account for portfolio management. Not only that you can refer to your friend and win iPhone 5S.

Portfolio Management:-

Once you login in to etportfolio you will able to create and manage multiple portfolios. This tool gives facility to manage stocks, mutual funds, ETF, fixed income and other assets at single place. We are herewith step by step process how to use this tool.

On left navigation nearby stocks tab click on Add and you will be asked about Stock name, date of purchase, Quantity and price. Continue adding all your stocks in this tab. Once you are done it is will display current value of stocks.

portfolio management stocks

Mutual Funds:-

Click on add beside MFs and it will prompt you about mutual fund house category and scheme. You will get all options like SIP, SWP, STP & Switch. Once you complete adding your mutual funds details it will give your current mutual fund holding.

To add ETF details click on Add and give information about scheme name, date, exchange details, quantity and price.

Fixed Income:-

ETPORTFOLIO allows you to add fixed income investment instrument also. You can add Fixed deposit, KVP,NSC, Recurring deposit, PPF, Post office saving scheme, RBI & corporate bond & Corporate fixed deposit.

Other Assets:-

In other asset section you will able to add Real estate, Gold and Silver details. Once you are done it will display portfolio summary dashboard. Example is given below:-

portfolio mangement

Advantage of Using ETPORTFOLIO:-

(1) Easy portfolio management

(2) Management of multiple portfolio and all assets at Single place

(3) Dashboard view gives real time view of पोर्टफोलियो मैनेजर क्या करता है your networth

(4) Asset allocation graph on dashboard

(5) You can create watch list for your stocks

(6) All Stock specific News & recommendation at Dashboard

(7) Apart from portfolio management you can calculate Capital Gain tax at single click

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