समर्थन स्तर क्या है

समर्थन स्तर क्या है
“ अवैध खनन मामले में ईडी द्वारा गुरुवार को करीब नौ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री. ”
अवैध खनन मामले में ईडी द्वारा गुरुवार को करीब नौ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपने समर्थकों से मुखतिब हुए। ईडी के समन की खबर को लेकर तीन दिनों से विभिन्न जिलों से आये हजारों की संख्या में झामुमो कार्यकर्ता रांची में डेरा डाले हुए हैं। मुख्यमंत्री आवास वाली सड़क पर लगातार समर्थन स्तर क्या है उनका जत्था हेमन्त के समर्थन और ईडी, भाजपा, केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध करता नजर आ जायेगा। शुक्रवार को जिलों से आये अपने समर्थकों के समक्ष सीएम आवास के सामने मंच से संबोधित करते हुए उनके समर्थन का आभार जाहिर करते हुए कहा कि कल आठ घंटे तक ईडी ने पूछताछ की। कहा कि हमारे आदिवासियों को विपक्ष भड़का रहा है, उनकी साजिश में नहीं आना।
हेमन्त बोले ईडी से मैंने भी सवाल किया कि क्या दो साल में साहिबगंज में एक हजार करोड़ का घोटाला हो सकता है। तब ईडी वालों ने कहा कि हमने दो साल के घोटाले की बात नहीं कही है। पहले का भी है। हेमन्त ने कहा कि ईडी वालों से कह दिया कि ईमानदारी से काम करेंगे, निष्पक्ष तरीके से काम करेंगे तो सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा। एकतरफा कार्रवाई होगी तो हम विरोध की ताकत रखते हैं। जांय एजेंसियों को यह भी बताना चाहिए कि गैर भाजपा शासित प्रदेशों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। वहीं क्यों कार्रवाई हो रही है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए हेमन्त ने कहा कि विपक्ष की साजिश को धैर्य के साथ बेनकाब करना है। विपक्ष हमारे आदिवासी, मूलवासी को भड़काने की साजिश रच रहा है लेकिन सवा तीन करोड़ जनता ने उन्हें पहचान लिया है। मेरे पिता यानी शिबू सोरेन को भी जेल भेजा गया था। बेदाग निकले। आज बेदाग हैं। आरोप साबित नहीं हुआ। इतने सालों तक जिन्होंने शासन किया उनका यहां के लोगों से कोई लगाव नहीं था। युवाओं को ठगा, आज आदिवासी अधिकारी बन रहे हैं। जनता दरबार के माध्यम से हम पंचायत स्तर तक पहुंचने लगे, जनता की समस्याओं को दूर करने लगे, हमारी लोकप्रियता बढ़ने लगी तो इनके पेट में दर्द होने लगा। संघर्ष ही हमारी पहचान है। हमारी एकजुटता ही राज्य को बचा सकती है। एकजुट रहेंगे तो आदिवासी मूलवासी का यहां राज रहेगा। इतने सालों तक ऐसे हाथों में राज्य की बागडोर थी जिसे राज्य से लगाव समर्थन स्तर क्या है ही नहीं था। अपने पाप का ठीकरा वे हमारे सिर फोड़ना चाहते हैं मगर हम उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। मौके पर मंत्री मिथलेश ठाकुर, सत्यानंद भोक्ता, जोबा मांझी, बन्ना गुप्ता, चंपई सोरेन, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, सांसद विजय हांसदा, महुआ माजी, विधायक अनूप सिंह, सरफराज अहमद, डॉ इरफान अंसारी आदि मौजूद थे।
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15 सूत्रीय मांगों के समर्थन में जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया
हनुमानगढ़। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने शुक्रवार को अपनी 15 सूत्रीय मांगों के समर्थन में जंक्शन जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया। जिला संयोजक राजेंद्र स्वामी व जिला अध्यक्ष रेशम सिंह ने बताया कि राज्य के नियमित एवं अनियमित कर्मचारियों की लम्बित 15 सूत्रीय मांगो को लेकर 13 सितम्बर 2022 को राज्य भर से ज्ञापन भिजवाने तथा 14 अक्टूबर 2022 को भरतपुर संभाग एवं 7 नवम्बर 2022 को कोटा संभाग के समस्त जिलों में धरना प्रदर्शन ज्ञापनों के बावजूद सरकार द्वारा संवादहीनता के चलते आज 18 नवम्बर 2022 को बीकानेर संभाग के सभी जिलों में ध्यानाकर्षण धरना प्रदर्शन करने पर विवश होना पड़ा हैं।
राज्य सरकार स्तर पर अनियमित कर्मचारियों के नियमितिकरण एवं नियमित कर्मचारियों की वेतन भत्तों की विसंगति के वायदे पर संवादहीनता के चलते अपेक्षित कार्यवाही नहीं होने एवं पुनः भेदभाव युक्त शोषणकारी संविदा भर्ती नियम 2022 जैसी कार्यवाहियों से कर्मचारियों में व्यापक असंतोष गहरा गया है। जिसका सम्पूर्ण राज्य में मुखर विरोध हा रहा है। महासंघ द्वारा शुक्रवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन देकर चेतावनी दी है कि शीघ्र महासंघ के साथ द्विपक्षीय वार्ता आयोजित कर मांग पत्र का शीघ्र समाधान करावें अन्यथा महासंघ को आगामी 16 दिसम्बर 2022 से राज्य भर में तीव्र आंदोलन का आगाज करने पर विवश होना पड़ेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। धरने को प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा , भूदेव सिंह, गोवर्धन सिंह, करणवीर सिंह , अशोक भोभिया, ने संबोधित किया।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का आह्वान किया
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भारत के सभी किसानों से समर्थन स्तर क्या है देश भर में “राजभवन मार्च” आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन” सौंपने का आह्वान किया। एसकेएम ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। सरकार आंदोलन के कारण इन तीन कानून को वापस ले लिया था। संगठन ने अपने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है और सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है
Team RuralVoice WRITER: [email protected]
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर 26 नवंबर 2022 को देश के सभी किसानों से देश भर में “ राजभवन मार्च ” आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “ भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन ” सौंपने का आह्वान किया। एसकेएम ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। दोलन के कारण सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया था। संगठन ने अपने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तय करने के लिए 8 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है और सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।
एसकेएम ने कहा किसान 19 नवंबर को "फतेह दिवस" या "विजय दिवस" के रूप में भी मनाएंगे क्योंकि केंद्र ने पिछले साल इसी तारीख को उनके आंदोलन के बाद नए कृषि कानूनों को रद्द करने का आदेश दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस को दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला , युधवीर सिंह , अविक साहा और अशोक धवले ने संबोधित किया।
एसकेएम नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक समर्थन स्तर क्या है सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों और सभी राज्य विधानसभाओं के नेताओं और विधायकों के कार्यालयों तक मार्च निकाला जाएगा। उन सभी को “ कॉल-टू-एक्शन ” पत्र प्रस्तुत किया जाएगा , जिसमें मांग की जाएगी कि वह किसानों की मांगों के मुद्दे को संसद और विधानसभाओं में उठाएं और इन मुद्दों पर बहस और समाधान के समर्थन स्तर क्या है लिए दवाब बनाएं।
प्रेस क्रांफ्रेस में कहा गया कि मोदी सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को लगभग एक वर्ष पहले , कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी , बिजली बिल की वापसी आदि के लिखित आश्वासनों को लागू नहीं कर किसानों को धोखा देने की कड़ी निंदा की। बैठक में सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह देने का संकल्प लिया गया। किसानों के मोर्चे ने दावा किया कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए "झूठे" मामले वापस लिए गए। किसान संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार से एमएसपी पर कानूनी गारंटी पर विचार करने के लिए तैयार नहीं होने का भी आरोप लगाया।
किसानों संगठन की सबसे बड़ी मांग है कि सभी फसलों के समर्थन स्तर क्या है लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), ( 2) एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति ( 3) बिजली संशोधन विधेयक , 2022 को वापस लेना ( 4) लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ( 5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना ( 6) सभी मध्यम , छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की किसान पेंशन ( 7) किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना ( 8) किसान समर्थन स्तर क्या है आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।