शेयर कैसे खरीदें और बेचे

Share market क्या होता है? शेयर मार्केट में पैसा निवेश कैसे करें
पहले यह समझना जरूरी हैं कि Share Market क्या है और इसमें क्या होता हैं? Share Market को Stock Market या Equity Market भी कहा जाता हैं। यह वह जगह होती हैं जहाँ विभिन्न कंपनियों के शेयर्स खरीदने और बेचे जाते हैं।
लेकिन यह कोई सामान्य बाजार जैसा नहीं हैं, डिजटाइलेजशन के बाद तो बिल्कुल नहीं हैं। भारत मे मुख्य रूप से 2 शेयर मार्केट हैं, जो इस प्रकार हैं:
BSE : बीएसी का पूरा नाम मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) है, जो भारत का सबसे पुराना आधिकारिक शेयर बाजार भी है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में कई जा चुकी हैं।
NSE : एनएसी का फुल फॉर्म नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (National Stock Exchange of India) हैं जिसकी स्थापना 1992 में हुई थी लेकिन इसमे ट्रेडिंग की शुरुआत 1994 में हुई थी।
सरल भाषा में शेयर बाजार को समझा जाए तो शेयर बाजार एक ऐसा बाजार होता है, जहां पर काफी सारी कंपनियां लिस्टेड होती है और उनके शेयर खरीदे हुए बेचे जाते हैं। शेयर की कीमत कंपनी की वैल्यू, प्रॉफिट, लॉस और डिमांड और सप्लाई जैसे नियमों पर आधारित होती है।
आप कंपनी के जितने शेयर खरीदते हैं, उतने ही आप कंपनी के मालिक माने जाते हैं। यही कि अगर आपने किसी कंपनी के 1% शेयर खरीदे तो आप उस कंपनी के 1% मालिक होंगे।
शेयर बाजार कैसे काम करता हैं? How Share Market Works in Hindi?
अब क्योंकि आप समझ चुके हैं कि शेयर बाजार क्या है और इसमें क्या होता है तो आपका यह जानना भी जरूरी है कि शेयर बाजार कैसे काम करता है?
सबसे पहले तो आपको यह जानना होगा कि किसी भी कम्पनी के शेयर या फिर कहा जाए तो स्टॉक कम्पनी की ओनरशिप इक्विटी को दर्शाते हैं।
अर्थात आप कम्पनी के जितने प्रतिशत शेयर के मालिक होंगे, आपका कम्पनी पर उतना ही अधिकार होगा। इसके अलावा कैपिटल गेन और डिविडेंट्स के रूप में कम्पनी की कॉरपोरेट इनकम पर भी शेयर होल्डर का अधिकार होता हैं।
शेयर बाजार में विभिन्न कम्पनियो के लिमिटेड स्टॉक्स लिस्टेड किये जाते हैं, जिनपर ट्रेडिंग की जाती हैं अर्थात उन्हें ख़रीदा और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार की पूरी गणित डिमांड और सप्लाई के नियम पर आधारित हैं।
अगर डिमांड अधिक है और सप्लाई कम हैं तो शेयर की कीमत बढ़ती है और अगर डिमांड कम है और सप्लाई अधिक हैं तो शेयर की कीमत घटी हैं।
वैसे तो शेयर की कीमत घटना और बढ़ना कई बातों पर डिपेंड करता है लेकिन वह भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डिमांड और सप्लाई के नियम पर ही निर्भर करती है।
शेयर मार्केट से पैसे कैसे कमाते हैं? How to Earn Money from Share Market in Hindi
अब तक आप समझ चुके होंगे कि शेयर बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है? तो अब बारी है शेयर बाजार से पैसे कमाने की प्रोसेस को समझने की। शेयर बाजार से पैसे कमाना बिल्कुल रियल एस्टेट से पैसे कमाने जैसा है।
रियल एस्टेट में आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं और विभिन्न कारणों से और इन्फ्लेशन के साथ उस प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ती है। जब आप उसे बेचते हैं तो आपको प्रॉफिट मिलता है और यह प्रॉफिट आपकी कमाई होती है।
जो आपको आपके इन्वेस्टमेंट से मिली है। लेकिन अगर आप गलत जगह पर अधिक कीमत में प्रॉपर्टी खरीदेंगे और उसे कम कीमत में बेचेंगे तो आपको लॉस होगा।
बिल्कुल ऐसा ही शेयर बाजार में भी होता है। डिमांड और सप्लाई की वजह से शेयर बाजार में शेयर की कीमत घटती और बढ़ती रहती है। जब भी किसी चीज की कीमत घटती है तो उसमें निवेश करके अच्छा प्रॉफिट भी प्राप्त किया जा सकता है और लॉस होने की संभावनाएं भी रहती है।
शेयर बाजार में जब आप किसी स्टॉक को कम कीमत में खरीदकर अधिक कीमत में बेचते हो तो आपको प्रॉफिट मिलता है और वह प्रॉफिट आपकी कमाई होता है। इसी तरह से शेयर बाजार से पैसे कमाए जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में घाटे की संभावना नहीं रहती लेकिन अगर आप रिसर्च के साथ क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश करोगे तो प्रॉफिट की संभावना अधिक रहेगी।
शेयर बाजार में इन्वेस्ट कैसे करें? How to Invest in Share Market in Hindi
शेयर बाजार के बारे में काफी कुछ समझ चुके हैं और अब आपको यह निर्णय करना है कि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं या फिर नहीं।
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाजार में इन्वेस्ट कैसे करते हैं? (How to Invest in Share Market in Hindi)? शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना कोई मुश्किल बात नहीं है और आप घर बैठे हुए आसानी से ही अपने पसंदीदा कंपनी के स्टॉक्स खरीद सकते हैं।
शेयर मार्केट में निवेश करना आसान हैं और अब तो शेयर मार्केट मे पूरा डिजिटलाइजेशन हो चुका है तो आप आसानी से अपने स्मार्टफोन की मदद से बाजार में निवेश कर सकते है।
शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए आपको मुख्य रूप से तीन चीजों की आवश्यकता होती है:
- • आधार कार्ड और पैन कार्ड
- • सेविंग्स अकाउंट
- • इंटरनेट कनेक्शन और इंटरनेट सक्षम डिवाइस (Internet-enabled devices)
अगर आपके पास यह तीनों हैं तो आप शेयर मार्केट में निवेश करना शुरू कर सकते हो। लेकिन कैसे? आइये जानते हैं Step by Step प्रोसेस।
सबसे पहले किसी ट्रेडिंग एप्प का चुनाव करे
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए आपको सबसे पहले किसी ट्रेडिंग एप का चुनाव करना होगा। Play Store या App Store पर Zerodha, Groww और Angel Broking जैसे कई विश्वसनीय Stock Trading App हैं।
यह सभी ब्रोकर कंपनियां हैं, जो शेयर मार्केट में शेयर खरीदने और बेचने के लिए कुछ ब्रोकरेज चार्ज देती है। इनके Apps के माध्यम से आप आसानी से शेयर बाजार में निवेश कर सकते हो।
डीमैट अकाउंट Open करे
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए अर्थात शेयर खरीदने और बेचने के लिए आपको डिमैट अकाउंट खुलवाना होता हैं। डिमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है।
जहां पर आपके स्टॉक्स को रखा जाता है। डिमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको कोई अलग प्रोसेस फोलो करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जिन एप्स (ब्रोकर) के बारे में हमने आपको बताया आप इन्हीं के माध्यम से आसानी से अपने स्मार्टफोन में ही डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
Savings Account जोड़े और Trading शुरू करे
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने जा रहे हो तो इसके लिए आपको पैसे भी चाहिए ही होंगे। क्योंकि आज के समय मे हम इलेक्ट्रॉनिक रुप से शेयर्स खरीदते है और सब काम वर्चुअल किए जाते हैं तो आपको अपने डिमैट अकाउंट से सेविंग अकाउंट्स को जोड़ना होगा ताकि शेयर खरीदने के लिए आप फंड ट्रांसफर कर सको।
Savings Account को Demat Account से जोड़ने के बाद आप Share खरीदना और बेचना शुरू कर सकते हो। इस तरह से आप आसानी से घर बैठे हुए शेयर बाजार में निवेश कर सकते हो।
अंत में
हमने जाना कि शेयर मार्केट क्या होता है और कैसे काम करता है। इसके साथ ही हमने यह भी जाना कि हम कैसे अपने मोबाइल फ़ोन से शेयर मार्केट में पैसा निवेश कर सकते है।
शेयर मार्केट में पैसा निवेश करने के लिए हमें कुछ छोटे से काम करने होते है। जिसको हम अपने घर से मोबाइल पर कर सकते है। आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें जरूर बताए।
Station Guruji
शॉर्ट सेलिंग क्या है और शेयर बाजार में इसे कैसे किया जाता है?
शॉर्ट सेलिंग क्या है?
Table of Contents
यदि आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो शॉर्ट सेलिंग (Short selling) के बारे में सुने होंगे। आप में से कई लोग शॉर्ट सेलिंग करते भी होंगे। लेकिन शॉर्ट सेलिंग के बारे में पूरी जानकारी नहीं होने के कारण आप इससे अनजान होंगे।
आज मैं आपको शॉर्ट सेलिंग के बारे में पूरी जानकारी दे रहा हूं। शॉर्ट सेलिंग क्या होता है? यह किस प्रकार काम करता हैै? Short selling द्वारा प्रत्येक दिन हजारों का मुनाफा कमा सकते हैं।
कुछ दिन पहले मैंने बताया था कि शेयर बाजार में निवेश कैसे करें? फिर इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में प्रतिदिन हजार रुपे कैसे कमाए? अच्छा शेयर का चुनाव कैसे करें?
P/E Ratio का क्या महत्व क्या है? इस प्रकार आपको स्टॉक मार्केट का काफी जान हो गया है। अब मैं आपको वह बता रहा हूं जो आप के लिए स्टॉक मार्केट में काफी सहायक सिद्ध होगा।
हम एक दूसरे को कहते हैं कि जब भी हम शेयर खरीदते हैं उसका दाम नीचे आ जाता है। जब भी हम निवेश करने की सोचते हैं शेयर मार्केट नीचे आ जाता है। मैं आपको शॉर्ट सेलिंग के बारे में बता रहा हूं। स्टॉक मार्केट भले ही नीचे गिरे लेकिन शॉर्ट सेलिंग से आप का मुनाफा उपर ही जाएगा।
यदि आप गिरते हुए मार्केट में Intraday Trading करते हो तो आपका नुकसान पक्का है और जानबूझकर नुकसान उठाना कोई भी नहीं चाहता है। शॉर्ट सेलिंग वह तरीका है जिसमें यदि मार्केट नीचे जा रही है तब भी आप निवेश करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अभी शायद आप मेरी बातों को नहीं समझ रहे हैं। आगे मैं आपको उदाहरण के द्वारा इसे समझा रहा हूं।
शॉर्ट सेलिंग(Short selling) कैसे करें?
शॉर्ट सेलिंग में पहले हम शेयर को बेचते हैं और बाद में उसे खरीदते हैं। आप सोच रहे होंगे जो शेयर मेरे पास है ही नहीं उसे हम कैसे बेंच सकते हैं। इसका जवाब यह है कि आपका ब्रोकर उस कंपनी को विश्वास दिलाता है कि शाम तक आपका शेयर खरीद लेंगे तभी कोई निवेशक शॉर्ट सेल कर पाता है।
आप अभी भी नहीं समझे। इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं। मान लिया कि अभी टाटा मोटर्स के 1 शेयर के दाम ₹400 है। आपको लगता है कि आज इस शेयर का दाम नीचे जाएगा। आपने टाटा मोटर्स के 50 शेयर ₹ 400 में बेच यानि शॉर्ट सेलिंग कर दिया।
एक घंटा बाद उस शेयर का दाम ₹380 हो गया। फिर आप उनको खरीद लिया। एक शेयर पर ₹20 मुनाफा हुआ। चुकी आप 50 शेयर बेचे थे इसलिए 50 × 20 = 1000 यानी आपको 1 घंटे में ₹ 1000 का मुनाफा हो गया। इसे इंट्राडे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं।
इस प्रकार आप किसी भी कम शेयर पहले बेच देंगे और उसके बाद उसे खरीद लेंगे। यदि उसका दाम नीचे आया तो आपको मुनाफा हो जाएगा।
इंन्ट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में मैंने आपको बताया था कि आप किसी भी कंपनी का शेयर खरीद लीजिए जो आपको लगता है इसका दाम ऊपर जाएगा और जब उसका दाम ऊपर चला जाता है आप उसे बेचकर मुनाफा कमा ले है।
शॉर्ट सेलिंग, इंन्ट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) का बिल्कुल उल्टा है। पहले इसमें शेयर बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं। यह पूरा प्रोसेस आपको उसी दिन करना होता है। 3:30 बजे से पहले पहले आपको पूरी प्रक्रिया कर लेना है।
9:15 के मार्केट खुलता है और 3:30 पर शेयर मार्केट बंद होता है। इस बीच में आप इंट्राडे और शॉर्ट सेलिंग दोनों काम पूरे करने होते हैं। यदि आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं पहले शेयर बेच दे और जब उसका दाम नीचे आ गया तो उसे खरीद लें।
चुकी शॉर्ट सेलिंग में आपने वह शेयर बेचा है जो आपके डिमैट अकाउंट में था ही नहीं इसलिए आपके अकाउंट में कुछ भी शेयर नहीं आएगा। सिर्फ केवल मुनाफा या नुकसान आपके अकाउंट में आएगा।
शॉर्ट सेलिंग (Short selling) से क्या फायदे हैं?
इस प्रकार आप शॉर्ट सेलिंग समझ गए होंगे। अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि शॉर्ट सेलिंग से क्या फायदे हैं? शॉर्ट सेलिंग से कई फायदे हैं जो इस प्रकार है-
1. जिस दिन मार्केट नीचे की ओर जा रहा है उस दिन भी आप शॉर्ट सेलिंग द्वारा मुनाफा कमा सकते हैं।
2. कौन सा शेयर ऊपर जाएगा यह अंदाज लगाना मुश्किल है। लेकिन किस शेयर का दाम नीचे जाएगा यह अंदाज लगाना काफी आसान है। इस प्रकार आप शॉर्ट सेलिंग में आसानी से शेयर को चुन सकते हैं।
3. शेयर मार्केट के सेंसेक्स ऊपर जाने के कुछ विशेष कारण नहीं होते लेकिन नीचे जाने की कई कारण होते हैं। जैसे कोरोना महामारी, चीन से तनाव, अमेरिका से संबंध खराब, चक्रवात, मानसून इत्यादि।
इसलिए गिरते मार्केट में मुनाफा कमाने का मूल मंत्र है शॉर्ट सेलिंग हैं।
4. चुकी आपको उसी दिन शॉर्ट सेलिंग में शेयर को बेचना और खरीदना होता है। इसलिए आपको कल की चिंता नहीं करनी पड़ती है कि कल मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे आएगा।
5. शॉर्ट सेलिंग में आप को ज्यादा पैसे लगाने की आवश्यकता नहीं होती। आपके अकाउंट में जितना पैसा है उसके 5 से 10 गुना ज्यादा आप शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं।
जैसे आपके अकाउंट में मान लीजिए ₹ 10,000 है तो आप 50,000 से 1,00,000 तक का शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं।
शॉर्ट सेलिंग (Short selling) से नुकसान
जैसा कि आप जानते हैं कि जिस में फायदा है इसमें नुकसान भी होता है। दुनिया की कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसमें फायदा ही फायदा है नुकसान नहीं। ठीक उसी प्रकार शॉर्ट सेलिंग में भी कुछ नुकसान है।
यदि आपका अनुमान गलत हो गया और शेयर का दाम नीचे आने के बजाय ऊपर चला गया तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। जैसे आपने किसी कंपनी का शेयर ₹ 100 पर शॉर्ट सेल किया।
शाम तक उस शेयर का मूल्य ₹ 100 से ₹ 120 पर पहुंच गया। आपको उस शेयर करो ₹ 120 में बाय करना पड़ेगा। इस प्रकार आपको₹ 20 प्रति शेयर नुकसान उठाना पड़ेगा।
इसके अलावा केई नुकसान है जो इस प्रकार है-
1. कई बार होता है कि जिस कंपनी का शेयर हम Short selling किए हैं दिन के अंत तक खरीद नहीं हो पाता है। क्योंकि उसे कोई खरीदार है ही नहीं। शेयर खरीद नहीं होने के कारण हम डिफॉल्टर के श्रेणी में आ जाते हैं। सेबी द्वारा हम पर जुर्माना लगाया जाता है।
2. बहुत शेयर कैसे खरीदें और बेचे से ऐसे कंपनी है जिसमें शॉर्ट सेलिंग नहीं की जाती है। कई बार हम उस शेयर का चुनाव कर लेते हैं और शॉर्ट सेलिंग नहीं होने के कारण हमें निराशा हाथ आती है।
3. शॉर्ट सेलिंग करने के बाद कई बार उस शेयर में लोअर सर्किट लगा दिया जाता है जिससे हमो उसे शेयर को बेचने में बहुत परेशानी आती है।
4. कई बार अनुमान गलत होने से काफी नुकसान उठाना पड़ता है। चुकी हमें यह काम उसी दिन पूरा करना होता है। इसलिए यदि शेयर को हम इस उम्मीद में शॉर्ट सेलिंग करते हैं कि इसका दाम नीचे जाएगा और यदि दाम उपर चला जाता है तो हमें ना चाहते हुए भी उसे नुकसान पर खरीदने होते है।
5. कई बार शॉर्ट सेलिंग में जानबूझकर कंपनी के शेयर का दाम गिराया जाता है। जिसके कारण मार्केट में उथल पुथल मच जाता है।
क्या हमें शॉर्ट सेल (Short selling) करना चाहिए?
दोस्तों मैं कोई भी सलाह तभी देता हूं जब मैं वह काम स्वयं करता हूं। मैं पिछले 10 सालों से शेयर मार्केट में निवेश करता हूं और वही सलाह आपको देता हूं जो सही है।
शॉर्ट सेलिंग शेयर मार्केट से लाभ कमाने का एक अच्छा तरीका है। भारत में लाखों लोग शॉर्ट सेलिंग करते हैं। लेकिन इसमें कई प्रकार के रिस्क भी हैं। यदि आप जोखिम उठाने के लिए तैयार हो तभी आप Short selling करें।
कई बार इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। निवेश करने से पहले अच्छी तरह जांच पड़ताल कर लें तभी निवेश करें। किसी के कहने और सुनने से कभी भी निवेश ना करें। उतना ही पैसा निवेश करें जितना नुकसान आप सहन कर सकते हैं। कभी भी कर्जा लेकर निवेश ना करें।
स्टेशन गुरुजी
मेरे वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी है। मैं मोटिवेशनल कहानी, पढ़ाई लिखाई, वित्तीय जानकारी इत्यादि विषयों पर सच्ची एवं अच्छी जानकारी देता रहता हूं। यह आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
आप कभी भी गूगल में जाकर स्टेशन गुरुजी और उसके आगे अपना सवाल लिख दे। आपको उसका जवाब मिल जाएगा। यदि आपके मन में कोई और सवाल हो तो आप मुझे ईमेल कर दे। मैं आपको जवाब देने का प्रयास करूंगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected].
काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार शेयर कैसे खरीदें और बेचे में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
शेयर मार्केट क्या है – What is Share Market in Hindi – हिंदी में
शेयर मार्केट क्या है, शेयर बाजार या Stock market एक ऐसे मार्केट को कहा जाता है, जो की असल में एक कलेक्शन होता है. बहुत से markets और exchanges जहां की रेगुलर ढंग से शेयर की बिक्री और खरीदी करते हैं. यहाँ पर केवल उन companies के share की ख़रीदारी और बिक्री होती है, जो शेयर मार्केट के लिस्ट में जुड़ी होती हैं. यह ऐसी कंपनी होती है, जिसमें आप अपना पैसा निवेश कर सकते हैं.
शेयर मार्केट एक इलेक्ट्रॉनिक मार्केट है, यहां निवेशक अपने शेयर को बेच और खरीद सकते हैं. यदि इसे आसान शब्दों में कहें तो शेयर मार्केट किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने-बेचने की जगह है. यह बीएसई या एनएसई में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से बेचे और खरीदे जाते हैं, क्या आपको पता है ऐसी कौन सी जगह है, जहां अपने पैसे दो पल लगाने के बाद लोगों को मुनाफा प्राप्त होता है, वो जगह share market या शेयर बाज़ार कहलाता है,शेयर बाजार के बारे में आप सभी ने सुन ही रखा होगा. मगर इसके बारे में जानकारी सबके पास नहीं होती है, इसीलिए आज हम आपको शेयर मार्केट क्या है, इसके बारे में बताएंगे.
शेयर मार्केट क्या है
Share Market और Stock Market एक ऐसा market है, जहाँ बहुत से companies के shares ख़रीदे और बेचे जाते हैं,यह एक ऐसी जगह है, जहां कुछ लोग बहुत पैसे कमा लेते हैं, यह फिर अपने सारे पैसे गवा देते हैं, यदि आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो इसका मतलब है. कंपनी में आपकी भी साझेदारी हो जाती है.
आप जितने शेयर खरीदेंगे उस हिसाब से आपको उतने प्रतिशत का मालिक बन जाते हैं. मतलब ये है कि अगर उस कंपनी का भविष्य में मुनाफा होता है, तो आप को दुगुना पैसा वापस मिलेगा और अगर घाटा हुआ तो आपको एक भी पैसा नहीं मिलेगा. यानी आप का पूरी तरह से नुकसान हो जाएगा.
जिस तरह Share Market में पैसे बनाना आसान है, ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही आसान है, क्योंकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. तो आइए आगे जानते हैं, शेयर मार्केट के बारे में कुछ जानकारियां.
शेयर मार्केट में शेयर कब खरीद सकते हैं
आपको थोड़ा बहुत तो पता ही होगा की शेयर मार्केट क्या है,चलिए जान लेते है शेयर शेयर कैसे खरीदें और बेचे बाज़ार में शेयर कब खरीदें. Stock Market में share खरीदने से पहले आप इस लाइन में पहले experience gain कर लें की यहाँ कैसे और कब invest करना चाहिये, और कैसी कंपनी में आप अपना पैसा लगाएं और आपको मुनाफा मिले.
शेयर मार्केट के बारे में अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त करें फिर इसके बाद इस पर निवेश करें,Share market में कौन सी कंपनी का share बढ़ा या गिरा इसके बारे में जानने के लिए economic times जैसे newspaper पढ़ सकते हैं या फिर NDTV Business न्यूज़ चैनल भी देख सकते हैं, जहाँ से आपको Share Market की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाएगी.
इसमें बहुत सारा रिस्क होता है, इसीलिए यहां आप तभी निवेश करें जब आपकी आर्थिक स्थिति सही हो क्योंकि यहां घाटा भी हो सकता है, या फिर आप ऐसा भी कर सकते हैं, कि शुरू में आप Share Market में थोड़े से पैसे से निवेश करें ताकि आगे जाकर आपको ज्यादा घाटा ना हो जैसे आपका इस field में knowledge और experience बढेगा वैसे वैसे आप धीरे धीरे अपने निवेश को और बढ़ा सकते हैं.
शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाएं
शेयर मार्किट में पैसा कमाने के लिए आपको एक Demat account बनाना होता हैं, इसके भी दो तरीके हैं, पहला तरीका तो आप एक दलाल (broker) के पास जाकर एक Demat account खुलवा सकते हैं.
Demat account में हमारे शेयर के पैसे रखे जाते हैं, जिस तरह की हम किसी bank के खाते में अपना पैसा सुरक्षित रख सकते हैं, ठीक उसी तरह,अगर आप share market में निवेश कर रहे हैं, तो आपका demat account खुलवाना बहुत जरूरी है.
कंपनी का प्रॉफिट होने के बाद जितना मुनाफा आपको मिलेगा वह सारे पैसे आपके demat account में जायेंगे ना की आपके bank account में और demat account आपके savings account के साथ लिंक रहता है. अगर आप चाहे तो उस demat account से अपने bank account में पैसे transfer कर सकते हैं.डिमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपको किसी भी बैंक में एक सेविंग अकाउंट होना चाहिए और अकाउंट खुलवाने के लिए आपके पास pan card की copy और address proof होना जरूरी है.दूसरा तरीका है, कि आप किसी भी बैंक में जाकर अपना डिमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं.
शेयर मार्केट डाउन क्यों होता है
अभी के समय में शेयर मार्केट डाउन होने का क्या कारण है, उन विषयों के बारे में जानकारी.
1.जैसा किआपको पता ही है, किसी भी बड़े धारक विपदा के कारण Share Market Down हो जाता है, वहीँ इस समय में coronavirus विपदा के कारण consumer behavior में बड़ा बदलाव हो जाता है, वहीँ इससे businesses को काफी नुकसान होता है, जिससे की short-term earnings के लिए अपने stocks को बेच देते हैं, वही शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव होता रहता है.
2. इस Coronavirus Crisis का कोई भी सही solution अभी तक मेह्जुद नहीं है, जिससे की ये investor sentiment को डरा देता है. वहीँ इससे Shares में भारी मात्रा में गिरावट देखने को मिलती है.
3.विदेशी संस्थागत निवेशकों को मुख्य रूप से ईटीएफ की बिक्री से वैश्विक जोखिम का सामना करना पड़ता है, शेयर बाजार में यह 25,000 करोड़ रुपये के स्टॉक को प्रभावित करता है. कम कीमत वाले शेयर 2022, सबसे सस्ते शेयर कौन से हैं.
हम यहां पर जानेंगे बेहतरीन 10 कम कीमत वाले शेयर 2022 में, क्योंकि सब के पास पैसे नहीं होते हैं, इसलिए यहाँ पर हम ऐसे कुछ share के बारे में जानेंगे जिनकी क़ीमत 10 रुपये से कम हो,यदि आप भी उनमें से हैं, जो शेयर बाजार में कम पूंजी के साथ 10 से कम कीमत वाले शेयर 2022 में निवेश करके लाखों रुपए कमाना चाहते हैं, नीचे दी गई सूची में देखें.
NO. | COMPANY | PRICE |
1 | Suzlon Energy Ltd | Rs.9 |
2 | Reliance Power Ltd | Rs.12 |
3 | RattanIndia Power Ltd | Rs.6 |
4 | Jaiprakash Power Ventures Limited | Rs.8 |
5 | MSP Steel & Power Ltd | Rs.10 |
ध्यान दें कि जब मैंने ये लिस्ट बनायी थी, तब इन share की क़ीमत इतनी ही थी, यह शेयर रोज ऊपर नीचे होते रहते हैं
निफ़्टी कैसे खरीदें और बेचें सम्पूर्ण जानकारी How to Buy and Sell Nifty in Hindi
निफ़्टी Nifty में ट्रेड करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरुरत होती है तथा निफ़्टी को खरीदने और बेचने का काम ऑप्शन ट्रेडिंग के अंतर्गत किया जाता है। निफ़्टी को खरीदना किसी शेयर को खरीदने से बिलकुल अलग होता है, निफ़्टी में शेयर की जगह कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है जिन्हें कॉल [CE] कॉन्ट्रैक्ट और पुट [PE] कॉन्ट्रैक्ट कहते है।
निफ़्टी में ट्रेड करने से पहले यह जानना बहुत जरुरी है की निफ़्टी क्या होता है और कॉल CE और पुट PE कॉन्ट्रैक्ट क्या होते है।
निफ़्टी क्या है (What is Nifty)
निफ़्टी में 1600 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड है, उनमे से अलग-अलग सेक्टर की पचास सबसे प्रमुख कंपनियों को लेकर एक सूचकांक बनाया जाता है जिसे निफ़्टी या निफ़्टी-50 कहते है।
निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए निफ़्टी के वर्तमान स्तर को देखकर और उपलब्ध जानकारियों के आधार पर उसके भविष्य का अनुमान लगाया जाता है और उसके हिसाब से निफ़्टी के अलग-अलग स्तरों के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
कॉन्ट्रैक्ट्स (Contracts)
निफ़्टी में ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading ) के अंतर्गत कॉल CE और पुट PE दो प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदे और बेचे जाते है।
निफ़्टी के वर्तमान स्तर से ऊपर के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट कहते है इसी प्रकार निफ़्टी के वर्तमान स्तर से निचे के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट होते है उन्हें पुट PE कॉन्ट्रैक्ट्स कहते हैं।
कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट (Call Contracts)
मान लेते है की वर्तमान में निफ़्टी 9000 के स्तर पर है और हमें लगता है की निफ़्टी अगले कुछ दिनों में 9500 का स्तर छू सकता है तो हम आज ही 9500 के स्तर (Strike: निफ़्टी में स्तर या लेवल को Strike कहतें है) का कॉन्ट्रैक्ट (कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट) खरीद सकते है जो की आज हमें कम दाम में मिलेगा और जब निफ़्टी 9500 का स्तर (Strike) छू लेगा तो हमारे CE कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य बढ़ जायेगा, जिसे बेच कर हम बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
पुट PE कॉन्ट्रैक्ट (Put Contracts)
इसी प्रकार हम मान लेते हैं की वर्तमान में निफ़्टी 9000 के स्तर (शेयर कैसे खरीदें और बेचे Strike) पर है और हमें लगता है की निफ़्टी अगले कुछ दिनों 8500 के स्तर (Strike) तक गिर सकता है तो हम आज ही 8500 के स्तर (Strike) का कॉन्ट्रैक्ट (पुट PE कॉन्ट्रैक्ट) खरीद सकते है और निफ़्टी के 8500 के स्तर (Strike) पर गिरने पर हम उसे अधिक दाम में बेच कर मुनाफा कमा सकते है।
निफ़्टी में कारोबार के दौरान उतर चढ़ाव के हिसाब से हर स्तर के कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य लगातार बदलते रहते है जिन्हे NSE की वेबसाइट पर ऑप्शन चैन (Nifty Option Chain) में देखा जा सकता है
लॉट (LOT )
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट 75 की लॉट में ख़रीदे और बेचे जाते है, अर्ताथ हम केवल एक कॉन्ट्रैक्ट खरीद या बेच नहीं सकते हमें निफ़्टी में ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 75 कॉन्ट्रैक्ट एक साथ खरीदने और बेचने पड़ते है।
इस प्रकार मान लेते है की यदि निफ़्टी के एक कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 6.75 रूपए है तो हमें एक लॉट खरीदने के लिए 75 x 6.75 = 506.25 रूपए का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
75 से अधिक कॉन्ट्रैक्ट खरीदने और बेचने के लिए हमें उसी हिसाब से अधिक लॉट खरीदने पड़ते है, जैसे 2 लॉट में 150 कॉन्ट्रैक्ट और 3 लॉट में 225 कॉन्ट्रैक्ट्स, और इसी तरह हर लॉट के साथ 75 के गुणांक में कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या बढ़ती जाती है।
एक्सपायरी (Expiry)
निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपाइरी डेट होती है जो की समान्यतः एक हफ्ते की होती है, अर्ताथ निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स की वैधता एक निश्चित समय के लिए ही होती है , निफ़्टी के सभी कॉन्ट्रैक्ट्स को उस निश्चित समय सिमा के अंदर ही ख़रीदा और बेचा जा सकता है उसके बाद ये कॉन्ट्रैक्ट्स निष्क्रिय हो जाते है।
सामान्यतः निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधि 1 हफ्ते की होती है यदि हमें एक हफ्ते से अधिक समय सिमा वाले कॉन्ट्रैक्ट खरीदने है, तो हम उसी हिसाब से 2 हफ्ते बाद एक्सपायर होने वाले या 3 से 4 हफ्ते बाद एक्सपायर होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स खरीद सकते है। जैसे :-
मान लेते है की 1 जून को निफ़्टी 9000 के स्तर (Strike) पर है और हमें 9300 के स्तर (Strike) का कॉल CE कॉन्ट्रैक्ट खरीदना है, तो हमारे पास 9300 के स्तर (Strike) के लिए कुछ कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध रहेंगे जो अलग अलग तारीखों पर एक्सपायर होंगे जिनमें से हम अपनी पसंद के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं जैसे :-
NIFTY NSE 01 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 07 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 14 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 28 JUNE 20 9300 CE |
NIFTY NSE 05 JULY 20 9300 CE |
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपाइरी सामान्यतः गुरुवार को होती है, गुरुवार को अवकाश होने की स्थिति में गुरुवार से एक दिन पहले या फिर अवकाश के हिसाब से एक्सपायरी निर्धारित की जाती है।
ट्रेडिंग कॉस्ट (Trading Cost)
निफ़्टी के कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदने और बेचने पर निफ़्टी के मूल्य के अलावा ब्रोकरेज चार्ज और टैक्स अलग से लगते है।
सभी स्टॉक ब्रॉकर ऑप्शन ट्रेडिंग में अलग अलग ब्रोक्रेज चार्जेज लेते है कुछ 20 रूपए प्रति ट्रेड लेते है तो कुछ इससे जायदा या कम भी लेते है यह ब्रोक्रेज चार्ज हमें निफ़्टी के मूल्य के अलावा चुकाने होते हैं और इन ब्रोक्रेज चार्ज पर टैक्स भी लगते है वे भी हमें चुकाने होते है इसे हम एक उदाहरण द्वारा समझ सकते है :-
मान लेते है की हमें निफ़्टी का कॉन्ट्रैक्ट खरीदना है जिसका मूल्य 10 रूपए है और ब्रोक्रेज 20 रूपए है तो हमें कुल मूल्य इस प्रकार चुकाना पड़ेगा :-
निफ़्टी मूल्य | 10 x 75 = 750.00 |
ब्रोक्रेज | 20.00 |
ब्रोक्रेज पर GST 18 % | 3.60 |
चार्जेस पर GST 18 % | . 64 |
अन्य टैक्स | मान लेते है लगभग 2.50 |
कुल योग | 776. 74 |
इस प्रकार हमें 10 रूपए मूल्य पर निफ़्टी का एक लॉट खरीदने के लिए 776. 74 रूपए चुकाने होंगें।
इसी तरह जब भी हम निफ़्टी का कोई लॉट बेचेंगे तो हमें इसी प्रकार ब्रोक्रेज चार्ज और अन्य टैक्स चुकाने होते है।