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क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं?

क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं?

म्यूचुअल फंड्स क्या हैं? – Mutual Funds kya hain?

म्यूचुअल फंड एक एैसा फंड है जो एैसेट मैनेजमेंट कंपनीस / कंपनीज (एएमसी) द्वारा मैनेज किया जाता है जिसमे ये कंपनीस कई इन्वेस्टर्स से पैसा जमा करती है और स्टॉक, बॉन्ड और शार्ट-टर्म डेट जैसी सिक्युरिटीज में पैसा इन्वेस्ट करती है।

म्यूचुअल फंड की कंबाइंड होल्डिंग्स को पोर्टफोलियो के रूप में जाना जाता है। इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड के यूनिट्स खरीदते हैं। प्रत्येक यूनिट फंड में इन्वेस्टर के हिस्से के ओनरशिप और इससे होने वाली इनकम का रिप्रजेंटेशन करता है।

म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के बीच एक लोकप्रिय विकल्प (पॉपुलर ऑप्शन) हैं क्योंकि वे आम तौर पर निचे दिये गये विशेषताएं प्रदान करते हैं:

फंड प्रोफेशनल तरीके से मैनेज करते हैं:

फंड मैनेजर इन्वेस्टर्स के लिए रिसर्च करते हैं। वे सिक्युरिटीज का सिलेक्शन करते हैं और उनके परफॉरमेंस को मॉनिटर करते हैं।

फंड् diversification:

म्यूचुअल फंड आमतौर पर कई कंपनियों और इंडस्ट्रीज में इन्वेस्ट करते हैं। यह एक कंपनी के फ़ैल होने पर इन्वेस्टर्स के रिस्क को कम करने में मदद करता है।

लिक्विडिटी (Liquidity)

इन्वेस्टर्स आसान तरीके से अपने यूनिट्स को किसी भी समय रिडीम कर सकतें हैं।

इन्वेस्टर्स के पास म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाने और अपनी संपत्ति बढ़ाने के कई विकल्प हैं। उदाहरण के लिए, इक्विटी (Equity) फंड्स, बॉन्ड फंड्स (फिक्स्ड इनकम फंड्स), डेट फंडस या फिर फंड्स जिनमे दोनों में इन्वेस्ट किया जा सकता हो, याने :बैलेंस फंड्स।

इक्विटी: शेयर्स (कॉमन स्टॉक), म्युचुअल फंड (MF): किसी कंपनी के शेयर खरीदना।

  • इक्विटी शेयरस लिक्विडिटी प्रदान करता; आप इनके वैल्यू बढ़ने पर, इन्हे बेच कर पैसा कमा सकतें है। कैपिटल मार्केट में आसानी से बिकता हैं।
  • अधिक लाभ की स्थिति में इनसे हाई रेट पर प्रॉफिट प्राप्त होता है।
  • इक्विटी शेयर होल्डर्स को कंपनी के मैनेजमेंट को नियंत्रित करने का कलेक्टिव अधिकार देता ह।
  • इक्विटी शेयर होल्डर्स को दो तरह से लाभ मिलता है, वार्षिक डिविडेंट और शेयर होल्डर्स के इन्वेस्टमेंट पर उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारन से होने वाला लाभ ।
  • इक्विटी शेयरस में हाईएस्ट रिस्क होता है।
  • म्युचुअल फंड (MF) इसके तुलना में कम रिस्की होता है।
  • बहुत सारे इन्वेस्टर्स का कलेक्टिव फंड, एसेट मैनेजिंग कंपनीज द्वारा, अलग अलग सेक्टर्स के कंपनीज के शेयर्स खरीदने के लिए इन्वेस्ट कर, इन्वेस्टर्स को लाभ दिलाने के उद्देश्य से किया जाता है।
  • डेट फंडस (स्टॉक और एमएफ) : जब किसी कंपनी को फंड्स की ज़रूरत होती है तो वह इन्वेस्टर्स के पास क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? से पैसा उधर के तौर पर लेती है। बदले में, वे एक स्थिर और नियमित इंटरेस्ट इन्वेस्टर्स को देना का वादा करती है। इस प्रकार, सरल शब्दों में, डेट फंड्स काम करते हैं।
  • इनकम फण्ड: इसमें इंटरेस्ट पर निर्णय लिया जाता है और मुख्य रूप से एक्सटेंडेड मचुरिटी वाले डेट सिक्युरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता। यह उन्हें डायनेमिक बॉन्ड फंड की तुलना में अधिक स्थिर बनाता है। इनकम फंड की एवरेज मैच्योरिटी लगभग पांच से छह साल की होती है।
  • शॉर्ट-टर्म और अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट फंड: ये डेट फंड हैं जो एक साल से लेकर तीन साल तक की कम पीरियड के मैच्योरिटी वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। कंसरवेटिव इन्वेस्टर्स शॉर्ट-टर्म फंड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये फंड इंटरेस्ट रेट के उतार-चढ़ाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं।
  • लिक्विड फंड: लिक्विड फंड 91 दिनों से अधिक की मैच्योरिटी वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश नहीं करते हैं। यह उन्हें लगभग रिस्क फ्री बनाता है। लिक्विड फंडों ने शायद ही कभी नेगेटिव रिटर्न दिया है । ये फंडस हायर यील्ड्स के साथ साथ लिक्विडिटी भी प्रदान करते हैं। कई म्यूचुअल फंड कमनीयाँ लिक्विड फंड इन्वेस्टमेंट पर इंस्टेंट रिडेम्पशन (तत्काल पैसा निकलपने) की फैसिलिटी प्रदान करती हैं।
  • गिल्ट फंड: ये फंड केवल हाई रेटेड क्रेडिट, सरकारी सिक्युरिटीज में, जिन में बहुत कम रिस्क होता है, में इन्वेस्टइन्वेस्ट करते है। इस वज़ह से फिक्स्ड इनकम वाले इन्वेस्टर्स के बीच लोकप्रिय हैं, क्योकि वे ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहतें हैं।
  • क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड (FMP): ये तुलनामूलक नए डेट फंड हैं। अन्य डेट फंडों के तुलना में, क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स की मेचूरिटी पीरियड के अनुसार इन्वेस्ट नहीं करते हैं। ये फंड क्रेडिट रिस्क्स के अनुसार या हाई इंटरेस्ट रेट वाले, कम-रेटेड बॉन्डस में इनवेस्टेड रह कर हाईेर रिटर्न्स कमाने का प्रयास करते हैं। क्रेडिट अपॉर्चुनिटीज फंड रीलेटिव्ली रिस्की डेट फंड हैं।
  • फिक्स्ड मेचुरीटी प्लॉनस :(FMP) क्लोज-एंडेड डेट फंड हैं। ये फंड फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में भी इन्वेस्ट करते हैं। सभी FMP का एक फिक्स्ड समय होता है, जिस दौरान आपका पैसा लॉक-इन क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? रहता है। यह समय महीनों या वर्षों में हो सकता है। आप केवल इनिशियल ऑफ़र पीरियड के दौरान ही इसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं। यह एक क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? फिक्स्ड डिपाजिट की तरह है जो बेहतर, टैक्स एफिसिएंट रिटर्न दे सकता है, लेकिन हाई रिटर्न की गारंटी नहीं देता है।
  • बैलेंस्ड या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड, वन-स्टॉप (one -stop) इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं जो इक्विटी और डेट दोनों सेगमेंट में इन्वेस्टमेंट ऑफर करते हैं। हाइब्रिड फंड का मुख्य उद्देश्य रिस्क-रिवॉर्ड के रेश्यो को बैलेंस करना और इन्वेस्टमेंट पर रेतुर्न को ऑप्टिमाइज़ (optimize) करना है।

इन सारे प्रकार के म्यूच्यूअल फंड्स में भी और खास तरह के फंड्स में इन्वेस्ट किया जा सकता है, जैसे सेक्टर-फंड् – जैसे फार्मा, हैल्थ केयर, बैंकिंग, आई टी, आदि, विशेष प्रकार के इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करने का मौका देता है क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? और ग्रोथ-फंड्स इन्वेस्टर्स को उन कम्पनीज के शेयर्स में इन्वेस्टमेंट पर फोकस प्रदान करता है जिनके कैपिटल वैल्यू में वृद्धि (Capital appreciation) हो ।

सिर्फ 24 घंटे में म्यूचुअल फंड स्कीम से कमा सकते हैं पैसा, निवेश भी रहेगा पूरी तरह से सुरक्षित, लॉक-इन का झंझट भी नहीं

What are Overnight Funds: अगर आप रातों-रात पैसा कमाना चाहते हैं और बड़ी रकम एक झटके में चाहिए तो ओवरनाइट फंड्स में निवेश कीजिए. ये ऐसा निवेश है, जो सिर्फ 1 रात के लिए किया जाता है. इसके लिए अलग से कैटेगरी मौजूद है.

Best Mutual Fund Scheme: अक्सर सुना होगा या पढ़ा होगा. फलां आदमी रातों-रात करोड़पति बन गया. ऐसा मुमकिन भी है, कोई लॉटरी लग जाए तो संभव है. हालांकि, लॉटरी हर किसी की नहीं लगती. साथ ही ये सुरक्षित ऑप्शन नहीं है. क्योंकि, यहां लगाया गया पैसा वापस नहीं आता. लेकिन, ऐसा ऑप्शन है, जो आपके पैसों को रात-रातों बढ़ा सकता है. पैसे की पूरी सेफ्टी भी रहती है. ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) बड़े काम के हैं. ये ऐसे फंड्स जो सिर्फ 1 रात के लिए निवेश करते हैं. SEBI ने जब म्यूचुअल फंड्स की कैटेगरी को रेगुलेट किया तब ओवरनाइट फंड्स को अलग कैटेगरी बनाई और इसमें पारदर्शिता के लिए समय-समय पर सर्कुलर भी लाए गए.

फंड का निवेश कहां?

ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) डेट कैटेगरी का निवेश है, जो ऐसे विकल्पों में निवेश करते हैं जो एक ही दिन में मैच्योर हो जाते हैं. हर कारोबारी दिन की शुरुआत में फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कैश में होता है. इसके जरिए बॉन्ड खरीदे जाते हैं और अगले कारोबारी दिन ये मैच्योर हो जाते हैं. फिर अगले दिन कैश के साथ शुरुआत होती है. बॉन्ड में निवेश होता है, जो अगले ही दिन फिर मैच्यर हो जाएं और ये प्रक्रिया चलती रहती है. कुल मिलाकर आप हर दिन इसमें से पैसा निकाल सकते हैं. यहां लिक्विडिटी का बिल्कुल झंझट नहीं होता.

ट्रेडिंग के दौरान करें निवेश

अगर आपके पास बड़ी रकम है जो आप किसी लॉक-इन पीरियड वाले विकल्प में नहीं डालना चाहते तो ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) में निवेश कर सकते हैं ताकि जब चाहें तब पैसे निकाल भी सकें और उस पर रिटर्न भी मिलता रहे. अगर आप ओवरनाइट कैटेगरी में निवेश करना चाहते हैं तो आपके इसके लिए बायिंग और विड्रॉल का आवेदन ट्रेडिंग के समय के दौरान ही करना होगा.

कितना सुरक्षित होता है निवेश?

बॉन्ड और डेट मार्केट में बढ़ते इंट्रस्ट रेट से चिंता बढ़ जाती है. इंट्रस्ट रेट बढ़ने से डेट फंड के रिटर्न घटते हैं. किसी कंपनी के डिफॉल्ट होने पर उनके बॉन्ड या कमर्शियल पेपर की वैल्यू घट जाती है. ओवनरनाइट फंड्स (Overnight Funds) में इस तरह का रिस्क सबसे कम है. क्योंकि, क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? इनमें निवेश केवल एक रात ही रहता है. इसलिए उतने समय में बड़े डिफॉल्ट या इंट्रस्ट रेट में बड़े बदलाव की संभावना नहीं रहती.

कितने समय के लिए निवेश?

इन फंड्स का नाम ओवरनाइट (Overnight funds) इनके इन्वेस्टमेंट के तरीके की वजह से है. आपके निवेश निकालने के लिए कोई निश्चित समय नहीं है. आप जब चाहें तब ये रकम निकाल पाएंगे. जैसा आप अन्य डेट फंड्स में छोटी अवधि के लिए निवेश करते हैं, वैसे ही इनमें एक रात या फिर कुछ महीने के लिए रकम रख सकते हैं.

लिक्विड फंड से कैसे अलग होते हैं Overnight Funds?

इमरजेंसी फंड के लिए आमतौर पर लिक्विड फंड्स का इस्तेमाल होता है. लेकिन, पिछले कुछ समय में इमरजेंसी में पैसों के लिए ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) भी बड़े दावेदार बनकर सामने आए हैं. लिक्विड फंड्स उन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जिनकी मैच्योरिटी 91 दिनों तक की होती है जैसे कि ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर या डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स. जबकि ओवरनाइट फंड्स रेपो ट्रेड्स में निवेश करते हैं जो एक ही दिन में मैच्योर होते हैं. कभी-कभी ये एक दिन के कमर्शियल पेपर में भी पैसा लगाते हैं. ओवरनाइट फंड्स की मैच्योरिटी हर दिन होने की वजह से इनमें रिस्क लिक्विड फंड से भी कम होता है. लिक्विड फंड्स में मामूली एक्जिट लोड लगता है जबकि ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) कोई एक्जिट लोड नहीं लगता.

Disclaimer: म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन है. किसी भी फंड में निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें.

डेट फंड किसे कहते हैं? फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले क्या लिक्विड फंड बेहतर?

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अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है. लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.

Fixed Deposit के मुकाबले ज्यादा रिटर्न

दरअसल, डेट फंड कम जोख‍िम के साथ बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश सबसे ज्यादा फायदे का सौदा माना जाता है. अक्सर देखा गया है कि Fixed Deposit के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund) में ज्यादा रिटर्न मिल जाता है.

छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प

वैसे अगर निवेश का लंबे समय तक का प्लान है तो फिर निवेशक को इक्विटी फंड में निवेश की सलाह दी जाती है, क्योंकि वो बाजार में अस्थिरता से हुए नुकसान को पूरा कर सकते हैं. लेकिन छोटी अवधि के लिए डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं. निवेशक को डेट फंड में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

निवेश अधिक सुरक्षित

इसके अलावा जिन निवेशकों की आय स्थिर नहीं है, उन्हें एक बड़ा हिस्सा डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. ताकि उनका निवेश अधिक सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपना पैसा निकाल सकें. डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है.

डेट फंड क्या है?

डेट फंड क्या है?
डेट फंड म्‍यूचुअल फंड में निवेश का एक कैटेगरी है. डेट म्‍यूचुअल फंड फिक्‍स्‍ड इनकम सिक्‍योरिटी में पैसा लगाते हैं. इनमें बॉन्‍ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर वगैरह शामिल हैं. यानी सुरक्षित जगह पर निवेश किया जाता है. आमतौर क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? पर डेट फंड की तय मैच्योरिटी डेट होती है. यहां पैसा इक्विटी फंड के मुकाबले सुरक्षित होता है.

निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी

डेट म्‍यूचुअल फंड की विभिन्‍न कैटेगरी हैं. कुछ स्‍कीम्स शॉर्ट-टर्म सिक्‍योरिटीज में निवेश करती हैं. वहीं, दूसरी लंबी अवधि के बॉन्‍ड में पैसा लगाती हैं. इन सभी कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग तरह का होता है. इसलिए निवेश से पहले सही कैटेगरी का चयन जरूरी है.

डेट फंड के फायदे

डेट फंड के फायदे
डेट फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देना होता है. डेट फंड को ही लिक्विड (Liquid Fund) भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. यानी जब चाहें आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में समय से पहले पैसे निकालने पर भारी नुकसान होता है. (Photo: Getty Images)

Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान

Debt funds से मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? म्यूचुअल क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? फंड यूनिट्स को बेचने से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी. (Photo: Getty Images)

निवेशकों के लिए कमाई के दो मौके, लॉन्च हुए दो नए टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड

दोनों नए फंड ऑफर यानि एनएफओ 10 अक्टूबर से खुल गए हैं और 18 अक्टूबर 2022 को बंद हो जाएंगे, फंड्स में कम से कम 5000 रुपये का निवेश किया जा सकता है.

निवेशकों के लिए कमाई के दो मौके, लॉन्च हुए दो नए टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Oct 12, 2022 | 7:52 AM

कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न की उम्मीद रखने वाले लोगों के लिए निवेश के दो मौके मिल रहे हैं. दरअसल मिरे एसेट म्यूचुअल फंड ने अपने दो नए फंड लॉन्च किए हैं जो कि टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड हैं. ये हैं मिरे एसेट निफ्टी एएए पीएसयू बॉन्ड प्लस एसडीएल अप्रैल 2026 50:50 इंडेक्स फंड और मिरे एसेट क्रिसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स – अप्रैल 2033 इंडेक्स फंड. टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड्स एक डेट फंड होते हैं. इनकी एक खास मैच्योरिटी डेट दी जाती है जो कि उनके पोर्टफोलियो में मौजूद बॉन्ड की एक्सपायरी डेट के मुताबिक होती है. हाल के दिनों में टारगेट मैच्योरिटी फंड्स पर निवेशकों को भरोसा बढ़ा है. फंड तुलनात्मक रूप से लोअर इंटरेस्ट रेट रिस्क और अधिक प्रिडिक्टिव और स्टेबल रिटर्न प्रदान क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? करते हैं,

क्या है ये स्कीम

मिरे एसेट निफ्टी एएए पीएसयू बॉन्ड प्लस एसडीएल अप्रैल 2026 50:50 इंडेक्स फंड 30 अप्रैल 2026 या उससे पहले परिपक़्व हो रहे एएए रेटेड पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) बॉन्ड और स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसडीएल) में निवेश करके, निफ्टी एएए पीएसयू बॉन्ड प्लस एसडीएल अप्रैल 2026 50:50 इंडेक्स को ट्रैक करता है। ये एक फिक्स्ड मैच्योरिटी इंडेक्स फंड है जिसमें अपेक्षाकृत कम क्रेडिट रिस्क और कोई लॉक इन नहीं है. यानि क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? निवेशक जब चाहे इसमे सब्सक्राइब कर सकता है या रिडीम कर सकता है. वहीं मिरे एसेट क्रिसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स- अप्रैल 2033 इंडेक्स फंड क्रिसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स अप्रैल 2033 का ट्रैक करता है. यह 29 अप्रैल 2033 या उससे पहले मैच्योर हो रही गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश करता है.

कब कर सकते हैं निवेश

दोनों नए फंड ऑफर यानि एनएफओ 10 अक्टूबर से खुल गए हैं और 18 अक्टूबर 2022 को बंद हो जाएंगे. दोनों फंड्स का प्रबंधन महेंद्र जाजू, सीआईओ-फिक्स्ड इनकम, मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट द्वारा किया जाएगा. फंड्स में कम से कम 5000 रुपये का निवेश किया जा सकता है उसके बाद निवेश 1 रुपये के मल्टीपल में हो सकता है. महेंद्र जाजू के मुताबिक मौजूदा अनिश्चित और अस्थिर बाजार के माहौल में, जहां कई केंद्रीय बैंक दरों में प्रमुख नीतिगत दरें बढ़ाना जारी रखते हैं, टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड को लेकर लोगों का रुझान बढ़ा है.

क्या है खासियतें:

एसडीएल और एएए रेटेड पीएसयू सिक्योरिटी पर आमतौर पर कॉरपोरेट बॉन्ड की तुलना में अपेक्षाकृत कम क्रेडिट रिस्क होता है।

आगे चलकर अगर महंगाई दर रिजर्व बैंक की तय सीमा के अंदर रहता है और आर्थिक ग्रोथ को आउटलुक पर कोई असर नहीं पड़ता है तो 10 ईयर जी-सेक के दायरे में रहते हुए आगे बढ़ने की उम्मीद है।

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अधिक मैच्योरिटी पीरियड में जी-सेक एसडीएल और एएए पीएसयू कॉरपोरेट बॉन्ड जैसे अन्य उपलब्ध विकल्पों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है।

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